The Text of RM’s Speech at 75th Army Day celebrations in Bengaluru

आदरणीय…,

आज, भारतीय थल सेना दिवस के अवसर पर, भारतीय सेना द्वारा आयोजित इस समारोह में, कर्नाटक की जनता के बीच उपस्थित होकर मुझे बड़ी खुशी हो रही है।

सबसे पहले मैं, हमारे देश के बहादुर सैनिकों समेत समस्त देशवासियों को भारतीय थल सेना दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं देता हूँl मैं इतने जोशीले, उत्साही और रंगारंग कार्यक्रमों के आयोजन के लिए भारतीय सेना को बधाई देता हूँ।

जैसा कि हम सभी जानते हैं, कि 15 January सन 1949 को सेना की कमान पहली बार किसी भारतीय प्रमुख Field Marshal KM Cariappa को सौंपी गई थी।

इस उपलक्ष्य में प्रत्येक 15 January को सेना दिवस का आयोजन किया जाता है। इस तरह सेना दिवस भारतीयों के मान और स्वाभिमान से सीधा जुड़ा हुआ है।

पूर्व में इस दिवस का आयोजन प्रायः दिल्ली में ही किया जाता रहा है। पर दिल्ली के बाहर इसका आयोजन, अधिक से अधिक लोगों को थल सेना दिवस से जोड़ने का कार्य करेगा। उसमें भी कर्नाटक में इस दिवस का आयोजन, हमारे देश की स्वतंत्रता के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर देने वाले, कर्नाटक के अनगिनत स्वतंत्रता सेनानियों को एक श्रद्धांजलि है। इस प्रदेश ने अनेक महान विभूतियां दी हैं, जिन्होंने देश की आन, बान और शान के लिए अंग्रेजों से न केवल बहादुरी से युद्ध लड़ा, बल्कि जरूरत पड़ने पर अपना बलिदान भी दिया। मैं थल सेना दिवस पर, कर्नाटक की इस पावन भूमि से उन सभी महान विभूतियों को नमन करता हूँ, जिनके त्याग और बलिदान के कारण हमारे देश की संप्रभुता आज एक और अखंड है।

साथ ही यह आयोजन, Field Marshal KM Cariappa को भी एक श्रद्धांजलि है, जो कि स्वयं कर्नाटक से संबंध रखते थे और उन्होंने आज़ाद भारत के प्रथम युद्ध में हमारी सेना का नेतृत्व किया था और सेना को सशक्त बनाने में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया था।

आज़ादी से लेकर अब तक, यानि पिछले 75 वर्षों में भारतीय सेना क्षेत्रीय अखंडता सुनिश्चित करने के अपने दृढ़ संकल्प में अग्रणी रही है। कितनी भी चुनौतीपूर्ण, प्रतिकूल एवं कठिन परिस्थिति क्यों न हो, हमारे सैनिकों का धैर्य, और उनका इरादा सदैव अटल रहा है। भारतीय सेना ने पश्चिमी एवं उत्तरी सीमाओं के खतरों समेत देश के भीतर की तमाम चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना किया है। मैं कह सकता हूँ, कि यह हमारी सेना की, साहस, वीरता और बलिदान से समृद्ध हमारी परंपरा को बनाए रखने की प्रतिबद्धता के कारण संभव हुआ है।

हमारी सेना के बारे में अधिक क्या कहा जाए। हमारा देश जिन-जिन चीज़ों के बारे में जाना जाता है, उसमें हमारी सेना प्रमुख है। अगर मैं कहूं, कि हमारी सेना का केवल नाम ही काफी है, तो यह गलत नहीं होगा। वह चाहे इसका शौर्य और पराक्रम हो, निष्ठा और अनुशासन हो, या फिर मानवीय सहायता और आपदा राहत में इसका role हो, हमारी सेना देश के सबसे मजबूत और विश्वसनीय स्तंभों में से एक है।

आज देश में कहीं कुछ भी घटना घट जाए, कोई प्राकृतिक आपदा आ जाए, पर जैसे ही लोगों को यह मालूम होता है कि फलाँ जगह भारतीय सेना के जवान पहुँच गए हैं, स्वतः उनके मन में एक भरोसा जग उठता है, एक आश्वस्ति हो जाती है, कि हमारी सेना अब हमारे पास आ गई है, और हम किसी भी सूरत में सुरक्षित रहेंगे।

कई बार मैं सोचता हूँ, कि दशकों से जो हमारी
सेना मजबूत दीवार की भांति अपराजेय खड़ी है,

इसकी मजबूती का राज क्या है। ऐसा क्या है हमारी सेना में कि कोई भी समय हो, कोई भी परिस्थिति हो, लेकिन हमारी सेना सदैव और सर्वत्र अपना सर्वश्रेष्ठ देते हुए खरी उतरती है। पीछे मुड़कर मैं देखता हूं, तो इस मजबूती के पीछे मुझे अनेक कारण दिखाई देते हैं। पर जो एक सबसे प्रमुख कारण मुझे दिखाई देता है, वह है सेना की, लगातार अपने आपको बदलते रहने की क्षमता। लगातार समय के अनुरूप अपने आप को ढालने की क्षमता, और नए समय के अनुरूप अपने आप को तैयार करने की क्षमता

साथियों, पिछले छह-सात दशकों में समय कितना बदल गया है, उसका वर्णन करना कठिन काम है। चूँकि परिवर्तन प्रकृति का नियम है, इसलिए हम देखेंगे तो समाज, राजनीति से लेकर अर्थव्यवस्था तक, सबमें अच्छा-खासा परिवर्तन हुआ है; और अगर इन सब चीजों में बड़ा परिवर्तन हुआ है तो सुरक्षा चुनौतियां भी परिवर्तन से अछूती कैसे रह सकती हैं।

समय के साथ न केवल सुरक्षा चुनौतियों में परिवर्तन हो रहा है, बल्कि परिवर्तन की दर भी बहुत तेजी से बढ़ती जा रही है। यानी सुरक्षा चुनौतियों में जो बदलाव पिछले 10 वर्षों में हम देख रहे हैं, वह बदलाव पिछले 100 वर्षों के दौरान भी नहीं हुए थे, और अगर हम 100 वर्षों का बदलाव देखें तो इतना बदलाव शायद हजार वर्षों में भी न हुआ हो। इसलिए मैं कह रहा हूं, कि सुरक्षा चुनौतियों में बदलाव तो हो ही रहा है, पर बदलाव की गति भी लगातार बढ़ती जा रही है।

प्रारंभ में युद्ध मानव प्रधान हुआ करते थे। यानी एक मानव दूसरे मानव से युद्ध करता था, और जो मानव अधिक शक्तिशाली होता था उसके जीतने की संभावना अधिक होती थी। पर धीरे-धीरे मानव ने युद्ध में अनेक प्रकार के प्रयोग करने शुरू किए। लकड़ी, पत्थर और लोहे के बने हुए आयुध उसने प्रयोग में लाने शुरू किए। फिर तलवार, तीर-धनुष जैसे अस्त्र-शस्त्रों का आविष्कार हुआ,

जो कम ताकत में भी अधिक प्रभावी तौर पर प्रयोग में लाए जा सकते थे। आगे चलकर तोप, गोली और बंदूक प्रयोग में लाए जाने लगे। पर आज तो ऐसे-ऐसे weapons प्रयोग में लाए जा रहे हैं, जो पहले कभी सोचे भी नहीं गए थे। आज दुनिया में drone के प्रयोग किए जा रहे हैं, underwater drone प्रयोग में लाए जा रहे हैं। Artificial intelligence से संचालित weapons प्रयोग में लाए जा रहे हैं जिनमें मानव को सामने आने की आवश्यकता ही नहीं पड़ती है। आज का समय technology intensive हो गया है और जो योद्धा हैं, वे एक तरह से technology और human का combination हो गए हैं।

अब तक security के, आमतौर पर दो पहलू देखे जाते थे। पहली internal security, और दूसरी external security, यानी Internal security का मतलब हमारी सीमाओं के भीतर security का management, और Law & order का maintenance होता है। और External security का मतलब है विदेशी ताकतों से हमारी सीमाओं की सुरक्षा। पर पिछले कुछ दशकों से देखा जा रहा है साथियों, internal और external security के बीच जो एक फासला था, वह बड़ा कम होता जा रहा है। जो एक स्पष्ट रेखा थी, वह धुंधली पड़ती जा रही है। Security threat के ऐसे नए-नए dimensions सामने आ रहे हैं, कि उन्हें categorise करना मुश्किल होता जा रहा है।

उदाहरण के लिए terrorism को ही लें। किसी खास उद्देश्य, और मानसिकता के तहत समाज में जब हिंसा फैलाई जाती है, तो उसे terrorism कहा जाता है। सामान्य तौर पर यह internal security के क्षेत्र में आता है। पर कई बार मालूम होता है, कि ऐसे संगठनों की training, funding और arms का support किसी बाहर देश से हो रहा है। Cross Border Infiltration, और Cross Border Terrorism की घटनाएं देखने को मिलती हैं, जिन्हें external security की श्रेणी में रखा जाता है। इसी तरह उग्रवाद, और चरमपंथ भी हमारे सामने प्रकट होते रहते हैं। Technically इनकी definition में आप जाएंगे, तो इनके बीच आपको अंतर मिलेगा। पर कब, और कहां यह आपस में overlap कर जाते हैं, कहां इनके उद्देश्य एक हो जाते हैं, पता भी नहीं चलता है। और अब तो ऐसे-ऐसे security threats हमारे सामने आ रहे हैं, जहां सेनाएं खड़ी की खड़ी रह जाती हैं, पुलिस देखती की देखती रह जाती हैं, और बड़ी बड़ी वारदातें हो जाती हैं। Cyber war और information war इसी तरह के security threats हैं।

इसी तरह information warfare है। WhatsApp और फेसबुक के माध्यम से कितनी fake news, और hate contents समाज में लाए जाने की संभावना होती है, जिनका कोई हद-हिसाब नहीं है। बाहर से देखने पर दिखाई देता है, कि कहीं कोई सेमिनार हो रहा है, कोई conference हो रही है, सभा आयोजित की गई है, जिसमें महत्वपूर्ण विषयों पर विचार-विमर्श हो रहा है।
पर अंदर-अंदर, भ्रामक और wrong facts के माध्यम से ऐसी-ऐसी बातें फैलाई जाने की संभावना होती हैं, जो किसी भी समाज को विद्वेष, घृणा और हिंसा से भर दें। असामाजिक तत्व इतने तेज, और advanced हो गए हैं, कि कई बार police agencies भी उनसे गच्चा खा जाती हैं। कई बार उन्हें, जो सामने दिखता है, वह होता नहीं है, और जो होता है, वह दिखता नहीं है।

जैसे-जैसे नई-नई technologies का विकास होता जा रहा है, वैसे-वैसे उनके खतरे भी बढ़ते जा रहे हैं। Terrorism, cyber warfare, information warfare की तरह ही human trafficking, money laundering, drug abuse आदि जैसी समस्याएं भी हैं, जो देखने में तो अलग-अलग हैं, पर अंदर से वह सभी एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं। कहने का अर्थ समय के साथ-साथ हमारी सुरक्षा चुनौतियों में भी लगातार बदलाव आता जा रहा है।

बावज़ूद इसके, बदलती चुनौतियों के साथ-साथ हमारी सेना भी लगातार बदलती गई, और इसने हर मोर्चे पर अपने आप को साबित करके दिखाया है। दुश्मनों की चाहे जितनी भी चालें क्यों न हों, दुश्मनों ने कितना भी बड़ा जाल क्यों न बिछाया हो, पर हमारी सेनाओं ने हमेशा बड़ी सूझ-बूझ, धैर्य, और जहाँ जरूरत हुई वहाँ शौर्य दिखाकर दुश्मनों का मनोबल गिराया, और उन पर विजय प्राप्त की। अगर आज हम यह सहज गर्व से कह पाते हैं, कि

यूनान, मिस्र, रोमाँ, सब मिट गए जहां से,

कुछ बात है कि हस्ती, मिटती नहीं हमारी

तो इसके पीछे हमारी मजबूत संस्कृति, और हमारी अखंड परंपरा के साथ-साथ हमारी सशक्त सुरक्षा व्यवस्था भी है।

साथियों, हमारी भारतीय संस्कृति की भाँति ही हमारी सेना भी, अपराजेय है।

हमारी सांस्कृतिक विविधता की भाँति ही आप देखेंगे, तो हमारी सेना के भी आपको विविध रूप मिलेंगे। एक तरफ आप बाढ़ या भूकंप में हमारी सेना को, लोगों की जान बचाते देखेंगे, तो दूसरी ओर जरूरत पड़ने पर दुश्मनों को काल के गाल में भी भेजते हुए देखेंगे। एक तरफ आम लोगों की मदद के लिए हमारी सेना को आप रक्तदान करते हुए देखेंगे, तो दूसरी तरफ अपने तेज से दुश्मनों का रक्त सुखाते हुए भी आप उन्हें देखेंगे। एक तरफ हमारी सेना के लोग सीमापार आतंकियों की जान लेते दिखेंगे, तो दूसरी ओर अपनी सरहद की सुरक्षा के लिए जान देते भी दिखेंगे। यह है हमारी सेना।

श्रीमद्भगवद्गीता में सैनिक का धर्म बताते हुए भगवान श्री कृष्ण कहते हैं, कि

शौर्यं तेजो धृतिरदाक्ष्यं , युद्धे चाप्यपलायनम्।

दानमीश्वरभावश्च , क्षात्रं कर्म स्वभाव-जम्।

यानी शौर्य, तेज, धैर्य, दक्षता, युद्ध में हर परिस्थिति में डटे रहना, सहायता करना और शासन के प्रति निष्ठाभाव, ये सब योद्धा और सैनिक के स्वाभाविक कर्म हैं। स्वभावजम् कहा गया है इन गुणों के लिएI यानि जो हमारी सेनाओं का स्वभाव हैI जो हमारी सेनाओं का धर्म हैI ठीक वैसे ही जैसे ताप, अग्नि का स्वभाव है, उसका धर्म हैI शीतलता जल का स्वभाव है, उसका धर्म हैI और अगर कोई अपना स्वभाव छोड़ देता है, अपना धर्म छोड़ देता है, तो उस व्यक्ति के या उस वस्तु के होने न होने का कोई अर्थ नहीं रह जाता है। इसलिए, जैसे आप पानी को किसी भी पात्र में रख दें, तो पानी का आकार भले ही उस पात्र के अनुसार ढल जाए, लेकिन पानी का जो गुण है, धर्म है, स्वभाव है, यानी उसकी शीतलता, वह नहीं बदलती है। ठीक उसी प्रकार, हमारी सेना भी पिछले छह-सात दशकों में, कितनी भी क्यों न बदल गई हो, पर उसकी जो आत्मा है, शौर्य, धैर्य और राष्ट्र और संविधान के प्रति उसकी जो निष्ठा है, उसमें कभी किसी प्रकार का कोई बदलाव नहीं हुआ है।

हमारी सेना का इतिहास उठाकर देखें, ऐसे अनेक अवसर मिलेंगे, जहाँ हमारी सेनाओं ने अपने शौर्य से दुश्मनों को दाँतों तले उँगली दबाने पर मजबूर कर दिया। रेजांग ला के ऐतिहासिक युद्ध के बारे में कौन नहीं जानता है। आज से लगभग 60 साल पहले, मेजर शैतान सिंह के नेतृत्व में 13 कुमाऊँ बटालियन की चार्ली कम्पनी ने, स्वतंत्र भारत के इतिहास में अभूतपूर्व शौर्य, अदम्य साहस, त्याग और बलिदान की जो गाथा लिखी थी, वह आज भी हमारी पीढ़ियों को प्रेरित करती है। 18,000 फीट की ऊँचाई पर लड़े गए इस युद्ध में 124 भारतीय जवानों ने, अपने से कई गुना ज्यादा संख्या में, और बेहतर हथियारों से लैस दुश्मनों के हमले को नवम्बर, 1962 में नाकाम कर दिया था। सूत्रों के हिसाब से रेजांग ला को हासिल करने के प्रयास में कुल 1300 दुश्मन सैनिक मौत के घाट उतारे गये थे।

जिन विषम परिस्थितियों में मेज़र शैतान सिंह, तथा उनके साथियों ने ‘आखिरी गोली और आखिरी साँस’ तक भीषण युद्ध लड़ा था, उनके बारे में कल्पना भी कर पाना आम लोगों के लिये संभव नही है। उनकी दृढ़ उर्जा, संकल्प व निडर जज़्बा बस इतिहास के पन्नो में ही अमर नहीं है, बल्कि हर हिन्दुस्तानी के ह्रदय में जीवित है और आगे भी सदैव रहेगी। ऐसा शौर्य आजतक के हुए युद्धों में अपने आप में एक मिसाल है।

इसी तरह 1965, 1971, और कारगिल war से लेकर हालिया गलवान तथा तवांग में हमारे सैनिकों के जज्बे ने न केवल विश्व में भारत का सम्मान बढ़ाया है, बल्कि देश के सभी नागरिकों के दिलों में भी सेना की आस्था को बढ़ाया है। न केवल Army, बल्कि हमारी Airforce के pilots और हमारी Navy के Sailors ने भी समय-समय पर अपने कौशल और दक्षता का परिचय देते हुए सैन्य धर्म का सदैव निर्वहन किया है। इसी तरह मानवीय सहायता और आपदा प्रबंधन में भी हमारी सेनाएँ न केवल देश के लिए बल्कि मित्र देशों के लिए भी एक विश्वसनीय भागीदार हैं। इनके साथ-साथ राष्ट्र, संवैधानिक शासन व्यवस्था एवं जनता के प्रति हमारी सेनाओं का जो निष्ठाभाव रहा है, मैं समझता हूँ वह अद्वितीय है।

साथियों, हमारी सुरक्षा व्यवस्था का राष्ट्र की प्रगति में बड़ा अहम योगदान है। आपने अनेक agencies के survey देखें होंगे, जो ये बताते हैं, कि भारत दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के साथ, दुनिया में fastest growing major economies में से एक के रूप में लगातार आगे बढ़ रहा है। हमारे देश में Bank credit लगातार बढ़ रहा है। आप सब अवगत होंगे, कि Income tax हो या फिर GST, गत वर्ष इनका जितना record collection हुआ है, उसके बारे में अब तक सोचा भी नहीं गया थाI यह सब हमारी लगातार बढ़ती सुरक्षा व्यवस्था का ही परिणाम है।

हमारी सुरक्षा व्यवस्था की मजबूती का एक प्रमाण यह भी है, कि पिछले कुछ वर्षों में भारत, दुनिया के लिए एक पसंदीदा, और भरोसेमंद investment destination बनकर उभरा है। ऐसा बस मैं नहीं कह रहा हूँ, बल्कि दुनिया की बड़ी agencies, और global business leaders यह बात मानते हैं। बीते financial year में भारत ने57 billion US dollar का highest ever FDI inflow record किया है। आप सभी जानते हैं, कि जब कोई business house किसी country में invest करता है, तो वह बहुत सोच-समझ कर करता है, बहुत जाँच-परखकर करता है, वहाँ की सुरक्षा-व्यवस्था देख कर करता है।

पिछले कुछ समय में हमने राष्ट्र को सर्वोपरि रखते हुए, अनेक क्षेत्रों में जो ऊंचाइयां हासिल की है, वे निश्चित ही राष्ट्र में नए युग की घोषणा करती हैंI इस तरह राष्ट्र की प्रगति के एक नहीं, अनेक आयाम है, जिनमें हम तीव्र गति से प्रगति कर रहे हैं।

यह सब हमारी मजबूत सुरक्षा व्यवस्था के कारण ही संभव हो पा रहा है। मुझे पूरा विश्वास है, कि आने वाले समय में हम अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा और अधिक सशक्त करने में सफल होंगे और उसी के अनुरूप हम अपनी समृद्धि भी बढ़ा पाने में कामयाब होंगे और विश्व के अग्रणी देशों में एक होंगे।

अंत में, मैं हमारी सेनाओं से आह्वान करता हूं, कि समय के बदलने के साथ आपके adaptation की क्षमता है, उसे और अधिक develop करिए। बदलती दुनिया और बदलते सुरक्षा माहौल से हमने जो सीखें ली हैं, उदाहरण के लिए हालिया यूक्रेनी संघर्ष, या फिर इसी तरह के अन्य संघर्षों से हमें जो सीखें मिली हैं, उसे हम अपनी practice में लाएँ और अपने आप को लगातार update करने की दिशा में आगे बढ़ें। आज दुनिया की बड़ी सेनाएँ अपने modernization में लगी हैं, वे नए-नए thoughts, नए ideas पर काम कर रही हैं, नई-नई technology और organisational structure पर काम कर रही हैं,
उन पर research कर रही हैं, नए-नए platform और equipment पर विचार कर रही हैं। मैं यह कहना चाहूँगा, कि आप भी आने वाले कल को ध्यान में रखते हुए अपनी strategies, tactics, और policies पर काम करें।

हरेक Today आने वाले कल का yesterday हो जाता है। इसलिए जो सेना या संगठन, केवल आज के हिसाब से अपने आप को तैयार करती हैं, वह जल्द ही पुरानी पड़ जाती हैं, और अधिक समय तक effective नहीं रह पाती हैं। इसलिए यह आवश्यक है, कि हम today की बजाय tomorrow, और day after tomorrow के बारे में सोचें, अगले 25-30 साल के बारे में सोचें, और उस पर काम करें। यही भविष्य में हमारी सुरक्षा और समृद्धि की राह प्रशस्त करेगा। आइए, हम सब मिलकर भारत को आगे बढ़ाएं, और हर तरफ से विकसित एवं सुरक्षित भारत का निर्माण करें।

इस अवसर पर और अधिक कुछ न कहते हुए, मैं आप सभी को पुनः एक बार सेना दिवस की शुभकामनाएँ देता हूँ और अपना निवेदन समाप्त करता हूँ।

धन्यवाद, जय हिंद!