Text of RM’s speech at ‘DefConnect 2024’ in New Delhi

सर्वप्रथम मैं, रक्षा मंत्रालय के, Department of Defence Production को, Def-Connect 2024 जैसे महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम के आयोजन के लिए बधाई देता हूँ, और मुझे आमंत्रित करने के लिए, आपको धन्यवाद देता हूँ। आप सभी dignitaries, young entrepreneurs, innovators और scientists एवं engineers के बीच आकर, मुझे बड़ी खुशी हो रही है।

 

आज का यह कार्यक्रम, रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दृष्टि से बेहद महत्त्वपूर्ण साबित होने वाला है, क्योंकि आज futuristic एवं critical technologies में, हमारी क्षमता को और बढ़ाने के उद्देश्य से, DDP द्वारा ADITI scheme की शुरुआत हो रही है।

 

साथियों, हमारी बातचीत के दौरान मैं इस scheme का जिक्र तो करूंगा ही, लेकिन उससे पहले मैं इस बात के ऊपर आप सबसे कुछ चर्चा करना चाहूंगा, कि आखिर इस scheme की जरूरत क्यों पड़ी। रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर हमारे बढ़ते कदम को support करने के लिए already कई सारी successful schemes हमारी सरकार ने चलाई हैं, फिर आखिर ADITI scheme को किस उद्देश्य से लाया गया। इसके ऊपर मैं आपसे कुछ चर्चा करना चाहूंगा।

 

साथियों, माननीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में, 2014 में जब हमारी सरकार आई, तो हमने यह देखा, कि भारत के defence equipment का एक बड़ा हिस्सा import किया जाता है। यदि किसी देश की सुरक्षा से संबंधित साजो-सामान का एक बड़ा हिस्सा import हो, तो critical situations में उस देश को कई सारी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। अतीत में ऐसा भारत के साथ हुआ भी है। जब भारत किसी मुश्किल घड़ी में पड़ा है, तो हथियारों के लिए आयात पर निर्भर रहने के कारण हमें मुसीबत का सामना करना पड़ा है। इसलिए सरकार में आने के साथ ही, हमने इस बात पर जोर दिया, कि एक राष्ट्र के तौर पर हम आयुध-आयात पर निर्भर नहीं रह सकते।

 

हमने इस ओर विचार किया, कि भारत जैसा विशाल देश, किसी भी important sector में import पर exclusively dependent नहीं रह सकता है। यदि हम defence equipment, और arms का सिर्फ import करेंगे, तो यह defence sector में हमें दूसरे देशों पर dependent बनाएगाI यह dependency, हमारी strategic autonomy के लिए घातक हो सकती हैI बिना Self-Reliance के हम global issues पर, अपने national interests के अनुसार independent positions नहीं ले सकते हैं।

 

इसलिए हम strategic autonomy तभी maintain कर पाएंगे, जब arms and equipment खुद हमारे ही देश में, हमारे ही लोगों के हाथों बनाए जाएँ। हमने इस ओर काम किया, और हमें इसके सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिले। 2014 के आसपास जहाँ हमारा domestic defence production लगभग 44 हजार करोड़ रूपये था, वहीं आज हमारा domestic defence production 1 लाख करोड़ रुपए के रिकॉर्ड आंकड़े को पार कर चुका है, और यह लगातार आगे बढ़ रहा है। यह परिवर्तन अपने आप नहीं हुआ है। इसके लिए conscious effortsकिए गए हैं। इसके लिए काफी tough decisions लिए गए हैं। Status-quo को disrupt किया गया है।

 

सरकार ने defence capital procurement करने के लिए, रक्षा बजट का 75 प्रतिशत, domestic companies से procurement के लिए reserve किया है। यह domestic companies को promote करने की दिशा में हमारा महत्वपूर्ण प्रयास है।

 

जब हम Indigenisation की ओर आगे बढ़ रहे थे, तो हमें यह बात realize हुई, कि Indigenisation की इस यात्रा में जो सबसे महत्वपूर्ण बात है, वह है state of the art defence technology पर अपनी पकड़ हासिल करना। क्योंकि जैसे-जैसे समय बदल रहा है वैसे-वैसे cutting edge Technology, defence sector में आ रही है, और warfare में technology का महत्व बढ़ रहा है।

 

अब technology में महारत हासिल करने के लिए, आप देखिए तो broadly दो तरीके होते हैं। पहला तरीका तो यह है, कि हम दूसरे देशों से उस technology को ग्रहण करें, या फिर दूसरा तरीका यह हो सकता है कि हम उस technology को खुद ही develop करें।

 

हम दोनों ही तरीकों पर काम कर रहे हैं। Offset के अंतर्गत, FDI के माध्यम से, transfer of technology के रूप में, और licensing के अंतर्गत, कई देशों से हम technology हासिल कर रहे हैं। लेकिन जब हम दूसरे देशों से technology को acquire करते हैं, तो उसके साथ एक समस्या यह आती है, कि दूसरे देश हमें उनकी best technology नहीं देते हैं। आप खुद ही सोचिए, यदि आपके पास कोई देश technology लेने आएगा, तो क्या आप उसे अपनी best technology देंगे? इसलिए दूसरे देशों से हासिल हुई technology में हमें कभी भी latest एवं potent technology नहीं मिलती है।

 

दूसरे देशों से हासिल की हुई technology, हमारी learning से संबंधित नहीं होती। वह हमारी learning से तभी जुड़ेगी, जब हम उसे अपने देश में develop करें। यदि कोई व्यक्ति किताब पढ़ता है, तो किताब पढ़ कर उसे ज्ञान अवश्य हासिल होता है, लेकिन जिस व्यक्ति ने उस किताब को लिखा है, उसका ज्ञान एक अलग ही कोटि का होता है। इसलिए हमने सोचा, कि हम क्यों न एक ऐसा प्रयास करें, कि requisite technologies को हम अपने ही देश में develop करें।

 

जाहिर सी बात है इन प्रयासों में कई सारी चुनौतियां थीं। Technology के लिए हमें research and development की जरूरत होती है। दुनिया के लगभग सभी देश research and development पर focus करते हैं, लेकिन बहुत ही कम देश उसमें सफलता हासिल कर पाते हैं। Productive R&D ecosystem establish करने के लिए कई सारी conditions होती हैं, जो fulfill करनी होती हैं। भारत इस मामले में सौभाग्यशाली है, कि उसके पास energetic और skilled युवाओ की बड़ी workforce है, जो भारत को लगातार technology के क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।

 

हमने innovative ideas लाने वाले युवाओं को प्रोत्साहित किया। मैं यहाँ विशेष रूप से innovations for defence excellence, यानि iDEX का जिक्र करना चाहूँगा। iDEX को हम defence sector में innovation तथा technology को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लाए । इसके अंतर्गत हम innovative solutions लाने के लिए challenges post करते हैं, और जो start-ups select होते हैं, उनको हम 1.5 करोड़ रुपए तक की वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं।

 

मैंने कई मंचों पर इससे पहले भी जिक्र किया है कि सरकार युवाओं के innovative ideas को promote करने के लिए committed है। मैंने पहले भी कहा था, और आज फिर कह रहा हूँ। और सिर्फ आप सबसे नहीं, बल्कि media के मित्रों के माध्यम से अपने देश के करोड़ों युवाओं से कहना चाहूंगा, कि यदि हमारे युवा एक कदम आगे बढ़ेंगे, तो सरकार 100 कदम आगे बढ़कर उनकी मदद करेगी। और यह सिर्फ कहने की बात नहीं है, हमने अपने कार्यों से इसे सिद्ध भी किया है। हम iDEX से बढ़कर iDEX prime लेकर आए, और 1.5 करोड़ रुपए की मदद को बढ़ाकर 10 करोड़ रुपए तक किया है। इस partnership की सफलता को widely recognize किया गया है। यह हमारे युवाओं की मेहनत का ही परिणाम है कि iDEX को Prime Minister’s innovation award से सम्मानित किया गया।

 

हमारी DPSUs और services ने जितने भी challenges दिए, हमारे युवाओं ने उसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और सफलतापूर्वक उन challenges को स्वीकार करके उसे अंजाम दिया। अब इस मुहिम में iDEX prime से भी आगे बढ़कर, हम ADITI scheme को launch कर रहे हैं, जहां हम अपने युवाओं को तथा उनके startups को उनके innovation में मदद के लिए 25 करोड़ रुपए तक की मदद provide करेंगे।

 

जैसा कि मैंने अभी कहा, कि हमारे युवा एक कदम चले तो सरकार 100 कदम आगे बढ़कर उनके साथ खड़ी रही, अब यह हमारे युवाओं की जिम्मेदारी है कि वह 100 कदम आगे बढ़े, ताकि सरकार 1000 कदम आगे बढ़कर उनकी मदद करें।

 

इस अवसर पर मैं department of Defence production को भी साधुवाद देना चाहता हूं, कि उन्होंने न सिर्फ ऐसी scheme की शुरुआत की, बल्कि इस scheme के लिए जो नाम चुना है, वह नाम भी बेहद अद्भुत है। वैसे तो ADITI का full-form, Acing Development of Innovative Technologies है, लेकिन हमारी परंपरा में अदिति, देवताओं की माता और उनके पालनकर्ता के रूप में जानी जाती हैं।

 

जिस प्रकार हमारी परंपरा में अदिति ने देवताओं का पोषण किया है, उसी प्रकार मुझे पूरा विश्वास है, कि ADITI scheme हमारे युवाओं की innovation को पोषित करेगी, और भारत को technology के क्षेत्र में और आगे लेकर जाएगी। मेरी यह कामना है, कि भारत को technology के क्षेत्र में आगे बढ़ाने का जो दैवीय कार्य हमारे युवा कर रहे हैं, उन दैवीय कार्यों की पूर्ति में उनको माँ अदिति का मातृत्व हासिल हो, उनका आशीर्वाद मिले।

 

साथियों, ADITI, iDEX, iDEX prime जैसे तमाम प्रयास जो हम कर रहे हैं, वह भारत को technology के क्षेत्र में आगे बढ़ाने की उद्देश्य से तो किया ही जा रहा है, लेकिन उसके साथ-साथ इसका एक और उद्देश्य है, वह है भारत को knowledge society के रूप में transform करना। जैसा कि मैंने पहले भी जिक्र किया, कि जैसे-जैसे समय बदल रहा है, नई-नई technologies का आगमन हो रहा है। इसलिए यदि हमें, एक developed country बनना है, तो हमें technological edge हासिल करना आवश्यक है। हमें अपने देश को एक knowledge society के रूप में transform करना होगा। और ऐसे transformation में government की एक बहुत बड़ी भूमिका होती है।

 

साथियों, हमेशा से हम देखते आए हैं कि चाहे वह Agricultural development हो, या industrial development हो या फिर service sector growth हो, उसमें state के intervention का बहुत बड़ा महत्व होता है।

 

महात्मा गांधी जी ने एक बार कहा था कि जो लोग धर्म को राजनीति से अलग करके देखते हैं, वह ना तो धर्म की अच्छी समझ रखते हैं और ना ही राजनीति की। ठीक वही बात governance और business पर भी लागू होती है, जो लोग यह कहते हैं कि state को commerce या business से दूर रहना चाहिए, वह ना तो governance को अच्छे से समझते हैं और न ही commerce या business को।

 

यह बात सही है कि business, commerce या economy में जो private initiative है, जो profit motive हैं, जो price signals हैं, तथा price signals के अनुसार firm level पर, जो resource allocation किया जाता है, जो business decisions लिए जाते हैं, वह private sector द्वारा ही लिए जाने चाहिए, वह निर्णय government के द्वारा नहीं लिए जाने चाहिए, तभी economy की productivity या efficiency बढ़ती है।

 

लेकिन private sector को flourish करने के लिए एक platform चाहिए होता है। उस platform को provide करने के कई सारी requirements होती हैं, जैसे law and order, healthy and skilled workforce, rule of law, research and development ecosystem. इन requirements को, समाज और सरकार मिलकर provide करते हैं, ताकि private sector आगे बढ़ सके और economy की productivity और capacity को boost कर सके।

 

जैसे आप green revolution का उदाहरण देख लीजिए। हमारे यहां लगभग पूरा agriculture sector, private sector पर based है, जहाँ individual farmers land holders हैं। लेकिन जब उन farmers के लिए high yielding seeds, irrigation और fertilizers आदि की व्यवस्था सरकार ने की, तब जाकर green revolution successful हो पाया।

 

वर्तमान समय में यदि आप manufacturing sector को देखें, तो Production Linked Incentive यानि PLI के माध्यम से सरकार manufacturing sector को लगातार मदद प्रदान कर रही है, ताकि manufacturing sector में मज़बूती आए। Service sector में भी आप देखे, तो software, medical tourism, financial sector,  आदि में भारत आज यदि अग्रणी है, और कई लोगों के अनुसार office of the world बनकर उभर रहा है, तो वह इसलिए हो रहा है क्योंकि सरकार ने एक educated workforce तैयार करने के लिए universities, medical and engineering colleges, AIIMs, IIMs व IITs में massive public investment किया।

 

साथियों, भारत में सरकार तथा business and commerce के बीच में यह सामंजस्य कोई नया नहीं है, यह बहुत पुराना है। आचार्य कौटिल्य द्वारा लिखित अर्थशास्त्र में यह वर्णित है, कि शासक का यह कर्तव्य होता है, कि किसान को कृषि क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए, या शिल्पकार को शिल्प क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए यदि monetary support की आवश्यकता है, तो वह उन्हें support provide करे। माननीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में हमारी सरकार अपने युवाओं को, हमारे start-ups को, उनके innovative ideas में support करने के लिए वह सारे कार्य कर रहे हैं, जो आवश्यक है।

 

साथियों, एक और बात कहकर मैं अपनी बात समाप्त करूँगा। जैसा कि आप सभी को मालूम है, कि हमारी सरकार, defence production sector को self-reliant बनाने के लिए प्रयासरत है। हम लगातार Positive indigenization lists जारी करते जा रहे हैं, जिसके तहत हम कुछ ऐसे platform and equipment चिन्हित कर रहे हैं, जिनको हम भारत में ही उत्पादित करेंगे। यह एक सकारात्मक सोच है, जो हमें आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ा रही है, लेकिन मैं department of Defence production से यह कहूंगा कि हमने already Positive indigenization lists के अंतर्गत कई सारे equipment को चिन्हित कर दिया है।

 

पर इन सबसे आगे बढ़ते हुए, मैं कहना चाहूँगा, कि आने वाले 4-5 वर्षों में अब हमें एक ऐसी छोटी लिस्ट जारी करनी चाहिए, जहां हम यह बताएं कि हम मात्र इन चिन्हित platform या equipment को ही import करेंगे। अब हमें indigenization के क्षेत्र में इतना आगे बढ़ना है कि हम भविष्य में positive indigenization list नहीं, बल्कि negative import list जारी करें, कि अब हम मात्र इन्हीं कुछ चीजों का import करेंगे। और, जैसे हर negative चीज को खत्म किया जाता है, वैसे ही धीरे-धीरे हम उस negative import list को खत्म करने की ओर आगे बढ़ेंगे।

 

जब हमारे पास ऐसे skilled and educated workforce के रूप में युवाओं की इतनी बड़ी संख्या है तो हमें ऐसे महत्वाकांक्षी लक्ष्यों से कतराना भी नहीं चाहिए। हमारे युवा भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए पूरी तरह से सशक्त हैं, और सरकार उनके साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही है। इसलिए मुझे इस बात का पूरा विश्वास है, कि भविष्य में जल्द ही भारत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को प्राप्त करेगा।

 

मैं, आज felicitate होने वाले, सभी iDEX winners को अपनी ओर से बधाई देता हूँ, और भविष्य में भी इसी तरह की सफलता की शुभकामनाएँ देता हूँ। इसी आशा के साथ मैं अपना निवेदन समाप्त करता हूं, कि हम सब मिलकर इसी प्रकार राष्ट्र की उन्नति में कार्य करते रहेंगे।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय हिंद!