Text of RM’s speech at an event organised by ‘Maruti Veer Jawan Trust’ in Surat.

नमस्कार! केम छो?

मारुति वीर जवान ट्रस्ट द्वारा भारत के वीर शहीदों के परिवार के हितार्थ आयोजित इस सम्मेलन में, मैं आप सबके बीच आज उपस्थित हूं, जिसके लिए मैं आयोजकों का धन्यवाद करता हूं।

 

मैं गुजरात की इस पावन भूमि को नमन करता हूँ। गुजरात, आदिकवि नरसिंह मेहता की जन्मभूमि है, जिन्होंने अपनी भक्ति और साहित्य से, तत्कालीन समाज को एकसूत्र में बांधकर उसे मज़बूत किया। ‘वैष्णव जन तो तेने कहिए, जे पीर पराई जाणे रे’ की उनकी पंक्ति को मैं इस कार्यक्रम में चरितार्थ होता अनुभव कर रहा हूँ।

 

गुजरात,  राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जन्मभूमि है, जिन्होंने अपने आदर्शों और सिद्धांतों से भारतीय समाज के मन में न्याय और स्वतंत्रता के प्रति आकांक्षा को मजबूत किया। गुजरात, सरदार वल्लभ भाई पटेल  की जन्मभूमि है, जिन्होंने अपने मज़बूत इरादों से भारत को टुकड़े-टुकड़े होने से बचाया, और राष्ट्र की एकता तथा अखंडता को मजबूत किया। गुजरात, अनगिनत सैनिकों की जन्मभूमि रही है, जिन्होंने अपना जीवन दाँव पर लगाकर भारतीय सीमाओं की सुरक्षा मजबूत की है। और गुजरात, भारत के माननीय प्रधानमंत्री जी, हम सबके प्रिय श्री नरेंद्र मोदी जी की जन्मभूमि है, जिन्होंने दुनिया भर में भारत का कद ऊँचा किया है, और भारत को prosperity और security के रास्ते पर आगे बढ़ाया है। मैं गुजरात की भूमि को प्रणाम करता हूँ।

 

साथियों, गुजरात की धरती से मेरा जो विशेष लगाव है, उससे आप सभी भली-भांति परिचित हैं। मैं भारत के रक्षा मंत्री के रूप में या सरकार के अन्य कामों की वजह से या फिर पार्टी के कामों से भी गुजरात आता- जाता रहता हूं। जब भी मैं गुजरात आता हूं, यहां के लोगों का प्रेम और उनके व्यवहार की मिठास से मेरा हृदय भर जाता है। वैसे तो आप सभी ने, मुझे भारत के रक्षामंत्री के रूप में आमंत्रित किया है, लेकिन मैं अपने मन की बात बताऊं, तो मैं एक रक्षा मंत्री के रूप में नहीं, बल्कि देश के एक ऐसे नागरिक के रूप में उपस्थित हुआ हूं, जिस नागरिक के मन में उसके सैनिकों के प्रति, उसके शहीदों के प्रति अत्यंत कृतज्ञता का भाव होता है। और रही बात मारुति वीर जवान ट्रस्ट की, तो आपके लिए तो मैं हमेशा ही available हूँ, क्योंकि आप हमारे देश के सैनिकों और शहीदों की चिंता करते हैं। शहीदों के परिवारों के प्रति आपका लगाव देखकर मुझे बहुत अच्छा लगता है।

 

मैं इस मंच से उन अनेक शहीदों को नमन करता हूं, जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा के लिए तथा भारत की अखंडता और संप्रभुता को बनाए रखने के लिए सर्वोच्च बलिदान दे दिया। मैं उन शहीदों के माता-पिता और परिजनों को नमन करता हूं, जिन्होंने ऐसे-ऐसे हीरे पैदा किए, जिनकी चमक से पूरा देश रौशन है।

 

साथियों, मैं पहले भी कई मंचों पर इसका जिक्र कर चुका हूं, और आप सब भी जानते हैं, कि इस राष्ट्र की सीमा के भीतर हम जो कोई भी काम कर रहे हैं, चाहे कोई व्यापारी व्यापार करता हो, कोई किसान खेती करता हो, scientists अपना research करता हो, कोई भी अन्य व्यक्ति अपने पेशे में लगा हो; तो यह सारे काम हम सब इसलिए कर पा रहे हैं, क्योंकि राष्ट्र की सीमा पर हमारे सैनिक हमारी सुरक्षा के लिए खड़े हैं। हम और आप, India first के रास्ते पर चलने वाले लोग हैं। अब यदि India first को follow करना है, तो उस रास्ते में भी security सबसे पहले आती है, यानि security first का concept आता है। हमारे बहादुर सैनिकों में India first, और security first दोनों का भाव साथ-साथ हमें देखने को मिलता है।

 

साथियों, जब माली कोई पौधा लगाता है, तो उसे पता नहीं होता है, कि यह पौधा जब पेड़ बन जाएगा, और इस पेड़ से जब फल निकलेगा, तो उस फल को खाने के लिए वह माली रहेगा भी या नहीं। लेकिन फिर भी वह पौधा लगाता है, और जब तक उसके अंदर सामर्थ्य रहता है, वह उस पौधे और वृक्ष की सेवा भी करता है। ठीक यही बात सैनिकों पर भी लागू होती है। जब सैनिक किसी युद्ध में जाते हैं, तो उन्हें इस बात का बिल्कुल भी आभास नहीं होता कि युद्ध की समाप्ति के बाद, वह युद्ध के विजय का उत्सव मनाने के लिए रहेंगे भी या नहीं। लेकिन फिर भी वह युद्ध में जाते हैं, और अपनी पूरी सामर्थ्य के साथ, अपनी पूरी ताकत के साथ, दुश्मन का सामना करते हैं। एक सैनिक जब पूरी सामर्थ्य के साथ मातृभूमि के लिए लड़ता है, तो उस समय उस सैनिक के अंदर यह भाव निकल कर सामने आता है कि, ‘तेरा वैभव अमर रहे मां, हम दिन चार रहें न रहें।’ मैं समझता हूँ, यही भाव हम सबके भीतर होना चाहिए।

 

साथियों, सैनिकों का कर्तव्य इस मामले में बिल्कुल अनोखा है, क्योंकि उन्हें पता है कि रोज उनका सामना मृत्यु से होना है। वह यह बात जानते हैं, कि कहीं से भी दुश्मन की कोई एक गोली आ सकती है, और वह वीरगति को प्राप्त हो सकते हैं। लेकिन इसके बावजूद, भारतीय सैनिक अपने कर्तव्य पथ से पीछे हटने की बात कभी नहीं करते। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि हमारे सैनिकों के अंदर इस राष्ट्र की सुरक्षा के प्रति तथा इस राष्ट्र की जनता के प्रति जो प्रेम भाव है, वह उन्हें अपने प्राणों से भी ज्यादा प्रिय लगता है।

 

साथियों, मैं समझता हूँ, कि एक समाज के रूप में, हम सामूहिक रूप से अपने सैनिकों के ऋणी हैं। अतः देशभक्ति की सामूहिक भावना के साथ, patriotic national spirit के साथ मारुति वीर जवान ट्रस्ट, इस देश के शहीदों का तथा उनके परिवारजनों का जो सम्मान कर रहा है, वह सिर्फ उनकी तरफ से ही नहीं बल्कि राष्ट्र की तरफ से भी शहीदों के प्रति एक विनम्र श्रद्धांजलि है। इस नेक कार्य के लिए मैं ट्रस्ट को बधाई देता हूं।

 

साथियों, मुझे बताया गया कि इस ट्रस्ट के अनेक members, diamond business में हैं। बात जब हीरे की आती है, तो पूरी दुनिया में हमारी एक अलग पहचान है। भारत में तराशे गए हीरे, विशेष कर सूरत में तराशे गए हीरों की माँग पूरी दुनिया में है। आप सब तो जानते ही होंगे, कि हीरे के इस व्यापार को और ऊंचाई तक पहुंचाने के लिए माननीय प्रधानमंत्री जी की प्रेरणा से सूरत में Diamond exchange की स्थापना की गई है, जो दुनिया का सबसे बड़ा office premises है। मुझे विश्वास है कि सूरत का वह परिसर हीरे के व्यापार के लिए तथा उसके व्यापारियों के लिए समृद्धि के नए आयाम लिखेगा।

 

साथियों, हीरे को निकाल कर उसे तराशने का काम तथा उसे बाजार तक ले जाने का काम व्यापारी का होता है। कोई भी व्यापारी जब हीरे का व्यापार करता है, तो उसके लिए diamond business-person में कुछ qualities चाहिए होती हैं। सबसे important quality यह होती है, कि उसमें हीरे को परखने की क्षमता होनी चाहिए। असली हीरे की एक अद्भुत चमक होती है, वह नायाब होता है, उसकी कीमत करोड़ों में होती है, इसलिए व्यापारी को यह कला आनी चाहिए, कि वह हीरों की पहचान कर सके। जिस तरह से सूरत, diamond trade का सिरमौर है, इसका मतलब यह हुआ कि असली और नकली हीरे की पहचान के मामले में पूरी दुनिया को आप पर भरोसा है।

 

वैसे भी मैं जब हीरों की बात कर रहा हूं, तो मैं सिर्फ उस हीरे की बात नहीं कर रहा हूं जो जमीन से निकाले जा रहे हैं। कुछ हीरे पत्थर के रूप में जमीन से निकलते हैं, तो वही कुछ हीरे इंसान के रूप में भी होते हैं, जो अपने व्यवहार से व अपने संस्कारों से भी निर्मित होते हैं। कोई हीरा ऐसा है जो गरीबों की मदद करता है। कोई हीरा ऐसा है जो बच्चों की शिक्षा के लिए काम कर रहा है। कोई हीरा ऐसा है, जो दिव्यांगजनों के लिए काम कर रहा है। ठीक उसी प्रकार एक ऐसा भी हीरा होता है, जो देश की सीमा पर हमारी सुरक्षा के लिए लड़ रहा होता है। आप सभी, हीरों के व्यापारी ने, मनुष्य के रूप में पाए जा रहे हीरे की पहचान की है, और न सिर्फ पहचान की है, बल्कि उन्हें और उनके परिवारजनों को सम्मानित करने का कार्य भी किया है। इसलिए मुझे लगता है कि आप सही मायने में हीरे के व्यापारी हैं, आपको हीरे की उचित परख है। आप true value के real judge हैं, तभी आप हीरों का व्यापार दुनिया भर में कर रहे हैं, और हिंदुस्तान के हीरों की पहचान करके उन्हें सम्मानित भी कर रहे हैं।

 

साथियों, वैसे देखें, तो हीरों और हमारे सैनिक रूपी हीरों में कई सारी समानताएं भी हैं। आप देखिए कि हीरा कैसे बनता है? मैं खुद science का student रह चुका हूं और physics का lecturer भी रह चुका हूं। कोयले पर जब बहुत ज्यादा temperature और pressure पड़ता है; तब कोयला निखरकर हीरा बनता है।

 

ठीक यही बात हमारे जवानों पर भी लागू होती है। हमारे कई सैनिक, average socio-economic background से belong करते हैं। फिर देश के लिए कुछ कर गुजरने के जज्बे से वह सेनाओं में शामिल होते हैं। अब सेनाओं में जब वह आते हैं तो सेना की life तो tough होती ही है। हालांकि, सरकार उनके सुख सुविधाओं का पूरा ध्यान रखती है, और जो भी equipment तथा facilities उन्हें provide कराए जा सकते हैं, वह सब सरकार करती है लेकिन देश की सुरक्षा करने का जो रास्ता उन्होंने चुना होता है, वह रास्ता कठिनाइयों और खतरों से भरा होता है। सेनाओं में, कभी थार desert में 50 डिग्री सेल्सियस तापमान, तो कभी कारगिल की snow-capped height पर minus 20-25 डिग्री सेल्सियस की कड़कड़ाती ठंड में भी देश की सुरक्षा के लिए मुस्तैद रहना पड़ता है। ऐसी तमाम  कठिन परिस्थितियाँ और देश की रक्षा का जुनून एक साधारण से युवा को हीरे में तब्दील कर देती हैं।

 

साथियों, यह जो हीरे हैं, इन्होंने अपनी चमक से इस देश में कभी अंधेरा नहीं आने दिया। जब-जब अवसर मिला, तब-तब ये और चमकदार बनकर हमारे सामने आए। कई बार तो ऐसे भी अवसर आए, कि इन्होंने मातृभूमि की रक्षा के लिए वीरगति को प्राप्त हो जाने में भी संकोच नहीं किया। जब ऐसी स्थिति आती है, तो यह एक कृतज्ञ राष्ट्र के नागरिक के रूप में हमारी जिम्मेदारी हो जाती है, कि हम उस हीरे को तराशने वाले लोगों का ख्याल रखें। जिस माता-पिता ने उस हीरे को जन्म दिया, जिस भाई-बहन, पत्नी और बेटे-बेटियों ने उस हीरे को तराशा, उनका ख्याल रखना भी हम सब की जिम्मेदारी है। और इस जिम्मेदारी को पूरा करने की ओर मारुति वीर जवान ट्रस्ट ने जो भूमिका निभाई है, वह प्रशंसनीय है।

 

साथियों, एक और बात की ओर मैं आप सभी का ध्यान आकर्षित कराना चाहूंगा। आप सब ने महसूस किया होगा कि कभी-कभी कुछ लोग राष्ट्रवाद को स्वार्थ के आगे कमजोर समझते हैं। कुछ लोगों को ऐसा लगता है कि देश प्रेम जैसी चीजे secondary होती है, अपना स्वार्थ और अपना पैसा सबसे ऊपर होता है। वह लोग हर चीज को पैसे की दृष्टि से देखते हैं। उन्हें लगता है कि जब उनके पास पैसे होंगे तो हर तरीके की शक्ति उनके साथ होगी, वह हर तरीके से अपनी सुरक्षा कर पाएंगे। ऐसे लोगों ने अपने बचाव के लिए एक नारा भी गढ़ दिया था- When money talks, everybody listens.

 

साथियों, ऐसा नहीं है कि पैसे का महत्व नहीं होता। किसी भी परिवार, समाज और राष्ट्र के संचालन में धन का महत्व होता है। बिना धन के ना तो आप अपनी जरूरतों को पूरा कर सकते हैं और ना ही बिना धन के आप राष्ट्र और समाज का विकास कर सकते हैं। देश में शिक्षा, स्वास्थ्य तथा infrastructure आदि पर invest करने के लिए धन का होना आवश्यक है, लेकिन धन को ही सब कुछ मान कर बैठ जाना और उसके समक्ष देश तक को secondary मान लेना, यह कहीं से भी उचित प्रतीत नहीं होता। एक कहावत भी है कि Money is a means, not an end. अर्थात् पैसा साधन है, साध्य नहीं।

 

इसलिए मैंने कहा, कि इस ट्रस्ट के द्वारा शहीदों का सम्मान यह दिखाता है, कि देशप्रेम आपके लिए priority है। आप लगातार अपने धन से न सिर्फ अपना, अपने समाज का और अपने देश का भला कर रहे हैं, बल्कि आप इस धन का सदुपयोग हमारे शहीदों के सम्मान और उनके परिवार जनों की देखभाल में भी लगाकर “when money speaks, everybody listens” बोलने वाले लोगों को यह बता रहे हैं कि “When Indian national interest speaks, Indian nationalism speaks; Indian money listens.”

 

मैं, ईश्वर से यह प्रार्थना करता हूं, कि भारतीय businessman और ऊँचाइयाँ प्राप्त करें, आप सब पूरी दुनिया में अपना स्थान बनाएँ, ईश्वर आप सभी व्यापारियों को इतना सक्षम बनाएँ, कि देश की रक्षा के लिए और हमारे सैनिकों के कल्याण के लिए आप आवश्यक योगदान कर सकें।

 

मैं आप सभी का एक बार फिर से धन्यवाद ज्ञापित करता हूं कि आपने मुझे इस कार्यक्रम में आमंत्रित किया। अंत में देश के शहीदों को नमन करते हुए मैं आप सबके समक्ष अपनी बात को समाप्त करता हूं।

जय हिंद!