आज, अतुल्य भारत के अतुल्य प्रदेश में हो रहे, इस अतुल्य आयोजन में आप सभी के बीच उपस्थित होने पर मुझे बड़ी खुशी हो रही है। प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री के नेतृत्व में, ‘जल अभिषेकम’ कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। 50,000 से भी अधिक water reservoir, हमारी प्रदेश की जनता, खासकर किसानों को समर्पित किए जा रहे हैं।
इस अभियान का, मैं समझता हूं केवल स्थानीय ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय महत्व है। मैं समस्त प्रदेशवासियों, विशेष तौर पर किसान भाइयों को अपनी ओर से बधाई देता हूं। इस कार्यक्रम में मुझे आमंत्रित करने के लिए, मैं मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान को धन्यवाद देता हूं।
साथियों, हमारे जीवन में जल का क्या महत्व है, इस पर बात करने की अधिक जरूरत नहीं है। मानव सभ्यता की पूरी यात्रा में, जल की सबसे अहम भूमिका रही है। जल ही अनेक सभ्यताओं के उत्थान, और पतन का कारण रहा है। हमारी धरती हो या हमारा शरीर, दोनों का दो तिहाई से अधिक भाग जल से ही निर्मित है।
हमारे यहां कहा भी गया है, ‘जलम् हि प्राणिन: प्राणा:’, यानी जल ही समस्त प्राणियों का प्राण है। जल ही जीवन है। जल के संरक्षण, और संवर्धन को समर्पित है यह आयोजन, वास्तव में जीवन के संरक्षण और संवर्धन का आयोजन है। इसलिए मैं पुनः, इससे जुड़े समस्त लोगों को अपनी ओर से बधाई देता हूं। जल संरक्षण का महत्व जहां पुरातन युग में था वहीं नूतन युग में भी उसके महत्व को पूरी दुनिया में माना गया है। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा जो Sustainable Development Goals जिसे हिंदी में सतत विकास लक्ष्य कहते हैं, वे तय किए गए है। इसमें जल संरक्षण को भीअहम स्थान दिया गया है।
साथियों, आज इतनी बड़ी संख्या में लोकार्पित किए जा रहे water reservoirs, केवल ‘जल संरक्षण’ ही नहीं, बल्कि सदी के सबसे भयानक संकट से ‘जीवन के संरक्षण’ की भी गाथा कहते हैं। पिछला साल देश-दुनिया के लिए कैसा रहा, हम सब अच्छी तरह से जानते हैं। हमने कभी सोचा भी नहीं था कि हम बिना अपने प्रियजनों, साथियों के बिना होली, दीवाली, ईद या अन्य उत्सव मनाएंगे। पर Covid-19 के कारण हमें यह दिन देखना पड़ रहा है।
इन सबके कारण हमारी सामाजिक, सांस्कृतिक व्यवस्था समेत, हमारी कृषि, उद्योग और अर्थव्यवस्था भी प्रभावित हुई। ऐसे में हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने‘आपदा में अवसर’ जो मंत्र दिया वह समस्त देश के लिए एक guiding light बन गया। इस मंत्र ने न केवल देश को चुनौती का सामना करने की हिम्मत दी, बल्कि हमारी‘आत्मनिर्भरता’का मार्ग भी प्रशस्त किया। इस अभियान के तहत अलग-अलग योजनाओं के माध्यम से, सरकार ने कृषि, अर्थव्यवस्था और उद्योग को फिर से पटरी पर लाने का प्रयास किया।
यह संयोग ही है कि आज जब हम यह कार्यक्रम कर रहे हैं तो देश में ‘एकात्म मानववाद’ के प्रणेता और अंत्योदय के विचार को नई बुलंदी देने वाले महामानव पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की पुण्यतिथि भी मनाई जा रही है।
इसलिए मैं उन्हें स्मरण करते हुए अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ और याद करता हूँ उनके विचारों को, जिसमें उन्होंने कहा था, ‘हर खेत को पानी और हर हाथ को काम हमारा उद्देश्य होना चाहिए’। आज का यह कार्यक्रम उन्ही विचारों के अनुरूप है।
दीनदयालजी गाँव, गरीब और किसान के उत्थान की बात करते थे। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 2017 में ही देशवासियों के सामने यह संकल्प लिया था कि 2022 तक हम किसानों की आमदनी को दोगुना करेंगे। यह कोई साधारण संकल्प नही था बल्कि संकल्प शक्ति के धनी प्रधानमंत्री का असाधारण संकल्प था।
इसी दृष्टि से पिछले साल देश की संसद में तीन कृषि कानून पारित किए गए। इन कानूनों का निर्माण देश के आम किसानों को उनकी फसल का वाजिब मूल्य दिलाने और अपनी उपज को कहीं भी बेचने की आजादी देने के लिए किया गया था।
इन कृषि कानूनों को लेकर देश में निहित स्वार्थों के चलते एक भ्रम का वातावरण पैदा किया गया और कहा गया कि मंडी खत्म हो जाएंगी, MSP खत्म हो जाएगी, किसानों की जमीन गिरवी हो जाएगी।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले दिनों देश की संसद में साफ-साफ कहा है कि MSP था, MSP है और MSP रहेगा, मंडी व्यवस्था भी कायम रहेगी और नए कृषि कानूनों के तहत सौदा किसान की उपज का होगा उसकी जमीन का नही। इसके बावजूद किसानों के एक समूह को गुमराह किया गया है। जबकि सरकार इन कृषि कानूनों पर खुलकर बात करने और जरूरत पड़ी तो उनमें संशोधन के लिए भी तैयार है।
हमारी सरकार के निर्णयों के चलते आम किसान में एक नया आत्मविश्वास पैदा हो रहा है। कोरोना संकट के दौरान इस आत्मविश्वास के चलते ही कोरोना काल के बावजूद देश के किसानों ने रिकार्ड उत्पादन किया है।
साथियों, हमारी सरकार यह अच्छी तरह समझती है, कि ग्रामीण इलाके देश की प्रगति का आधार हैं। हमारे देश की अधिकांश जनता ग्रामीण इलाकों में ही रहती है और अलग-अलग प्रकार से राष्ट्र के विकास में अपना योगदान देती है। महात्मा गांधी, गांवों को भारत की आत्मा मानते थे। इसलिए हमारी ग्रामीण जनता का समग्र विकास, हमेशा हमारी प्राथमिकता में रहा है।
मनरेगा(MGNREGA)हो, दीनदयाल अंत्योदय योजना हो, प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना हो, या फिर ग्रामीण कौशल विकास योजना हो, हर प्रकार से सरकार ने, कोविड काल में भी जनता के कल्याण के हरसंभव प्रयास किए।
सरकार द्वारा चलायी जा रही मनरेगा(MGNREGA)योजना, हमारे ग्रामीण भाइयों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। यह दुनिया की सबसे बड़ी रोजगार योजनाओं में से एक है। यह योजना रोजगार ही नहीं, बल्कि ‘द्वार पर रोजगार’ की गारंटी प्रदान करती है। हमारे मेहनतकश भाई-बहनों को, काम की तलाश में कहीं दूर न जाना पड़े, इसलिए मनरेगा(MGNREGA)योजना उन्हें आस-पास के इलाकों में रोजगार देना सुनिश्चित करती है।
कोविड काल में तो इस योजना का महत्त्व और भी बढ़ा है। इसलिए सरकार ने भी इस योजना पर विशेष बल दिया है। मुझे बताया गया, कि सामान्य दिनों में मनरेगा(MGNREGA)में जो बजट allotment होते थे, 2020-21 में उसमें लगभग सवा गुना बजट allot किया गया।
मनरेगा(MGNREGA)के ही तहत, पिछले financial year में जहाँ 265 करोड़ मानव दिवसों के रोजगार का सृजन हुआ था, वहीं इस वर्ष, financial year पूरा होने के पहले तक ही यह संख्या 327 करोड़ से भी अधिक पहुँच चुकी थी।
2013-14 तक Agriculture department को जहाँ लगभग 22 हजार करोड़ दिए जाते थे, वहीँ अब उसे साढ़े पाँच गुना बढ़ाकर लगभग सवा लाख करोड़ रूपए कर दिया गया है। Minimum support price को भी सरकार ने लागत के डेढ़ गुना तक fix कर दिया है। हमारे किसान भाइयों के लिए यह एक बड़ी राहत की बात है।
इसी तरह PM KISAN, PM फसल बीमा जैसी योजनाओं ने एक किसान भाइयों को नियमित सहायता प्रदान की, वहीँ दूसरी ओर उनके risk को भी कम करने का काम किया।
हमने देखा कि Micro Irrigation से बड़े पैमाने पर जल की बचत हो सकती है, इसलिए NABARD के साथ मिलकर Micro Irrigation के लिए भी Rs. 5000 करोड़ का fund सरकार ने बनाया।
इसी तरह चाहे कौशल विकास योजना हे, ग्रामीण विकास योजना हो या फिर अंत्योदय योजना हो, केंद्र सरकार ने देश वासियों के बहुमुखी विकास के हर संभव प्रयास किए।
मैने देखा, कि ‘आपदा में अवसर’ के vision को ही मध्यप्रदेश ने अपना मिशन बना लिया। कृषि, अर्थव्यवस्था, उद्योग, आजीविका आदि से संबंधित अनेक समस्याओं का समाधान इस प्रदेश ने पूरे दम-ख़म से किया।
‘आत्मनिर्भर कृषि मिशन’ के गठन के साथ Agriculture infrastructure में यह प्रदेश सबसे आगे रहा है। अपने लगातार प्रयासों से प्रदेश ने 8 माह में 2 करोड़ से भी ऊपर किसानों को विभिन्न योजनाओं में Rs. 46,000 करोड़ से भी ऊपर का भुगतान किया।
स्वामित्व योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के घरों के मालिकों को गाँव में ‘हक़ विलेख’ देने और संपत्ति कार्ड जारी करने की शुरुआत की गई।
मुझे यह जानकर अच्छा लगा, कि मध्य प्रदेश सरकार मनरेगा(MGNREGA)की एक extension योजना ‘श्रम सिद्धि अभियान’ भी संचालित कर रही है। इस योजना में हमारे उन मजदूर भाई-बहनों को भी रोजगार देने का प्रावधान किया है जिनके पास job card नहीं है। इसके चलते इसकी व्यापकता और भी बढ़ जाती है।
आज, जब विपरीत परिस्थितियों के चलते रोजगार प्रभावित हुए हैं, उसमें कमी आई है, ‘श्रम सिद्धि अभियान’ का महत्त्व और भी बढ़ा है। मुझे बताया गया, कि इस अभियान के अंतर्गत, पिछले 10 माह में, 27 करोड़ मानव दिवसों का सृजन कर, लगभग 92 लाख श्रमिकों को रोजगार प्रदान किया गया है। यह एक बड़ी बात है। आज लोकार्पित होने वाली सभी जल संरचनाएं, उन्हीं प्रयासों की एक अहम कड़ी हैं।
जल के ऊपर लगाए गए धन, ऊर्जा, और अन्य संसाधन ‘खर्च’ की श्रेणी में नहीं आते हैं। वह ‘निवेश’ की श्रेणी में आते हैं। मैं समझता हूं, कि इन reservoirs का निर्माण करके, प्रदेश ने दूरगामी निवेश किया है, जिसका फायदा आने वाले समय में लगातार यहां की जनता को मिलता रहेगा।
साथियों, हमारे देश की एक बड़ी जनसंख्या कृषि पर निर्भर है। हमारे देश में जितने भूभाग पर खेती होती है, उसमें आधे से अधिक भूभाग वर्षा पर निर्भर रहते हैं। जिस तरह से परिस्थितियां बदल रही हैं, जलवायु परिवर्तन हो रहा है, उससे वर्षा भी बहुत प्रभावित हुई है। उसका हमारी फसलों पर बहुत बुरा असर पड़ता है। सिंचाई के लिए हम ग्राउंड वाटर का उपयोग भी एक सीमा से अधिक कर चुके हैं। इसके चलते कई जगहों पर drinking-water की समस्या भी सामने आने लगी है। ऐसे में जल संरक्षण के द्वारा ही, समुचित कृषि उत्पादन, और पेयजल की व्यवस्था की जा सकती है। इस लिए सरकार द्वारा की गयी यह पहल अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
इस अभियान का एक और महत्वपूर्ण पहलू है। वह है जनभागीदारी। इस तरह के कार्य केवल सरकार या फिर कोई संस्था अकेले नहीं कर सकती है। इसमें सामाजिक सहयोग उतना ही आवश्यक है। इससे एक ओर हमारे जल संसाधन का संरक्षण तो होता ही है, दूसरी ओर समाज में सामूहिकता की भी भावना बढ़ती है। यानी जल बचाकर हम केवल अपने ऊपर ही उपकार नहीं करते हैं, बल्कि समाज और राष्ट्र को भी उपकृत करते हैं। जल संरक्षण हमारा न केवल नैतिक, बल्कि सांविधानिक, और राष्ट्रीय कर्तव्य है।
अभी कार्यक्रम के प्रारंभ में, अपने किसान भाइयों से सीधी बात करके, मैं उनसे बहुत प्रभावित हुआ। वह अपने आप को पूरी तरह express कर पाने में भले हिचक रहे हों, पर मैं उनकी आंखों में साफ चमक देख पा रहा था। उनके अंदर का आत्मविश्वास बता रहा था, कि वह ‘नए’ भारत के प्रथम दूत हैं।
साथियों, मैं खुद एक किसान हूं, और किसानों के महत्व, उनकी कठिनाइयों को भी अच्छी तरह समझता हूं। मेरा खुद यह मानना है, कि देश में बदलाव की बयार कोई बहा सकता है, तो वह हमारे ‘श्रम के प्रतीक’ किसान ही हैं। इसलिए हमारे किसान भाइयों का सशक्तीकरण, उनकी आत्मनिर्भरता और खुशहाली हमारे देश की खुशहाली है।
साथियों, जल संरक्षण आज एक ऐसा विषय है, जिसने दुनिया भर को प्रभावित किया है। जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए भी, योजनाबद्ध जल संरक्षण की आवश्यकता दिन-ब-दिन महसूस की गई है। इस परिप्रेक्ष्य में जल संरक्षण के लिए ऐसे बहुआयामी रणनीति की आवश्यकता है, जिसके तहत विभिन्न शासकीय योजनाओं, जनभागीदारी, देशज ज्ञान, परंपराओं तथा नवीन तकनीकों को एक साथ उपयोग में लाया जा सके। मौजूदा समय में जल संरक्षण की अहमियत को देखते, हुए पानी की एक-एक बूंद को बचाना आवश्यक है।
मध्यप्रदेश में जल संरक्षण और प्रबंधन के लिए बहुत ही सफल, और सकारात्मक कार्य हुए हैं। प्रदेश में जल संरक्षण के लिए पहाड़ियों पर ट्रेंच, नदी नालों पर चेक डैम, तालाब और खेतों में मेंड़ बँधान तथा खेत तालाब इत्यादि कार्य सुनियोजित तरीके से किए गए हैं।
यह कार्य कम लागत से किए गए हैं, और स्थानीय स्तर पर जल संग्रहण के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध हो रहे हैं। यह सभी रबी की फसलों के लिए सिंचाई के एक सुरक्षित स्रोत हैं।
मुझे बताया गया, कि पिपरिया गोपाल, मध्य प्रदेश के सागर जिले की ऐसी ही एक ग्राम पंचायत है, जहां 72 खेत तालाबों का निर्माण किया गया है। इस ग्राम पंचायत को जल शक्ति मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय जल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। मैं इसके लिए भी ग्राम पंचायत के प्रधान जी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।
साथियों,जैसा कि मैंने पहले भी कहा, कि जल संरक्षण का कार्य बिना समाज को जोड़ें सफल नहीं बनाया जा सकता। इसलिए जल संरक्षण के कार्य में समाज को अपनी और भी भूमिका निभानी होगी। ऐसी फसलों, और प्रजातियों पर ध्यान देना होगा, जो कम पानी में अच्छा उत्पादन दे सकती हैं।
जन चेतना के लिए सामाजिक आयोजनों, जैसे मेलों, तथा प्रदर्शनियों का भी उपयोग करना होगा। जल संरक्षण के लिए जनप्रतिनिधियों को भी सकारात्मक दायित्व का निर्वाह करना होगा। विशेषकर पंचायत स्तर के प्रतिनिधियों को, क्योंकि वे आज मनरेगा, अटल भूजल योजना, तथा वित्त आयोग की राशियों का, ग्राम के विकास के लिए निवेश में निर्णायक भूमिका में हैं।
हर घर में हर सदस्य को पानी की अहमियत समझनी होगी, ताकि हम ऐसे भारत का निर्माण कर सकें, जहां सभी जरूरतों के लिए न केवल समुचित पानी उपलब्ध हो, बल्कि वह शुद्ध हो।
जल संरक्षण के लिए आपका साथ और समर्थन हमें हासिल होता रहेगा, ऐसा मेरा विश्वास है।
इस अवसर पर, अधिक न कहते हुए, आप सभी को बधाई और शुभकामनाएँ देते हुए, मैं मैं अपना निवेदन समाप्त करता हूँ।
धन्यवाद।
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— Rajnath Singh (@rajnathsingh) February 11, 2021