NIIO Seminar, ‘स्वावलंबन’ में माननीय रक्षा मंत्री का संबोधन। 18 जुलाई 2022

आदरणीय…,

सबसे पहले मैं, ‘नए भारत’ के शिल्पी माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का ‘Naval Innovation & Indigenization Organization’ सेमिनार, ‘स्वावलंबन’ में हार्दिक स्वागत करता हूं।

आज देश में रक्षा समेत सभी क्षेत्रों में स्वावलंबन की जो लहर उठी है, वह आपकी दूरदर्शिता का ही परिणाम है। किसी समय महात्मा गांधी ने स्वदेशी आंदोलन को राष्ट्रीय स्वाभिमान से जोड़ा था और हमें विदेशियों से मुक्ति दिलाई थी। आज माननीय प्रधानमंत्री जी ‘आत्मनिर्भर भारत’ आंदोलन को राष्ट्रीय स्वाभिमान से जोड़ते हुए, विदेश पर निर्भरता से मुक्ति दिलाने का बड़ा प्रयास कर रहे हैं।

 

आज नया भारत, नए संकल्प के साथ नए लक्ष्यों की ओर आगे बढ़ रहा है। नया भारत नई-नई पहलें और नूतन प्रयास कर रहा है। उन्हीं पहलों और प्रयासों की श्रृंखला की एक महत्वपूर्ण कड़ी है आज का NIIO सेमिनार ‘स्वावलंबन’। अपनी तमाम व्यस्तताओं के बीच भी आप अपना मार्गदर्शन देने के लिए यहां हम सबके बीच उपस्थित हैं, मैं पुनः आपका अभिनंदन करता हूं।

 

‘स्वावलंबन’ की दृष्टि से आज का यह दिन, यानी 18 जुलाई बड़ा खास हैI 1980 में आज के ही दिन हमारे देश ने Space technology के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर अपना पहला कदम बढ़ाया थाI आज के ही दिन हमारे देश ने, Indigenous Launch Vehicle से Indigenous satellite ‘रोहिणी’ को सफलतापूर्वक launch किया थाI इस launching के साथ ही देश में, Space sector में आत्मनिर्भरता का मार्ग प्रशस्त हुआ और Space technology के क्षेत्र में भारत आज दुनिया के अग्रणी देशों में से एक हैI

 

माननीय प्रधानमंत्री जी, मैं आपको अवगत कराना चाहूँगा, कि हमारा रक्षा क्षेत्र आज बड़ी तेजी से आत्मनिर्भरता की ओर आगे बढ़ रहा है। काफी समय पहले ही ‘in-house-ship-design-organization’ set-up कर Indian Navy ने इस राह में एक pioneer की भूमिका निभाई है। अपने विभिन्न projects के माध्यम से Indian Navy ने ‘Buyer’s Navy’ से ‘Builder’s Navy’ बनने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण यात्रा तय की है। मुझे यह कहते हुए बड़ी सुखद अनुभूति होती है, कि Indian Navy ने surface, sub-surface और air domains में आत्मनिर्भरता की ओर अद्भुत प्रगति की है। हमारी warships में लगातार बढ़ता indigenous content इस बात का बड़ा प्रमाण है। जल्द ही commission होने वाले Aircraft carrier में 76%, और state-of-the-art विशाखापत्तनम क्लास stealth destroyers में indigenous content 90% तक पहुंच गया है। हमारी shipyards, और industries द्वारा इस तरह की capacity और capability develop करना निश्चित ही संपूर्ण राष्ट्र के लिए गौरव का विषय है।

 

साथियों, आज हमारा देश ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ मना रहा है, वहीं दूसरी ओर देश आजादी की नई और व्यापक परिभाषा भी गढ़ रहा है। कुछ दशकों पहले आजादी का अर्थ होता था, विदेशी शासकों और colonial rules से मुक्ति, आजादी का अर्थ होता था राजनैतिक सत्ता की प्राप्ति। पर आज आजादी की परिभाषा में ‘आत्मनिर्भरता’ का एक नया आयाम जुड़ गया है। वर्तमान में हमने अनेक ऐसे क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता हासिल कर ली है, जिसके बारे में कुछ साल पहले तक हम कल्पना भी नहीं कर सकते थे। खाद्यान्न के क्षेत्र में हमने न केवल आत्मनिर्भरता हासिल की है, बल्कि आज हम इसकी प्रमुख exporter countries में से एक हैं। आज देश में बनी कारें विदेशों में तेजी से दौड़ रही हैं। भारत में निर्मित vaccines दुनिया भर के लोगों के जीवन की रक्षक बन रही हैं। हमारे space craft दूसरे देशों के satellites को space में ले जा रहे हैं। इसी तरह अनेक sectors में भारत न केवल आत्मनिर्भर है, बल्कि दूसरे देशों की जरूरतें भी पूरी कर रहा है।

हमारी इस आत्मनिर्भरता का अर्थ केवल economic constraints को पार करना नहीं है, बल्कि उसके साथ diplomatic constraints को पार करते हुए देश के लिए decisional autonomy हासिल करना है। इन सभी क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता का परिणाम है कि दुनिया में आज भारत की नई छवि निर्मित हुई है। दुनिया भारत को सुन रही है और इसकी ओर आशा भरी निगाहों से देख रही है। भारत की इस प्रतिष्ठा के पीछे, माननीय प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के प्रयासों का निश्चित ही बड़ा योगदान है।

 

साथियों, Innovation और Indigenization, defence sector में आत्मनिर्भरता की राह में महत्त्वपूर्ण components हैं। यह दो ऐसे pillars हैं, जो हमारी Armed forces, industry, R&D establishments और academia आदि के बीच, भारत की growth और prosperity के लिए, सहयोग और समन्वय की राह प्रशस्त करते हैं। मुझे यह कहते हुए ख़ुशी होती है, कि माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा ‘आत्मनिर्भर भारत’ के आह्वान के बाद रक्षा मंत्रालय ने defence sector में आत्मनिर्भरता लाने के उद्देश्य से अनेक महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जो Innovation और Indigenization को बढ़ावा देने के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं। आज का यह seminar भी रक्षा मंत्रालय द्वारा किए जा रहे प्रयासों का एक महत्त्वपूर्ण उदाहरण हैI

 

माननीय प्रधानमंत्री जी, मुझे आपको यह बताते हुए ख़ुशी होती है, कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के अनुरूप पिछले financial year में नौसेना ने अपने Capital budget का 64% से अधिक हिस्सा domestic procurement में spend किया है, और current financial year में indigenous procurement के लिए यह हिस्सा 70% तक बढ़ जाएगा। Private industry, MSMEs तथा Start-ups की सक्रिय भागीदारी के साथ ‘Innovations for Defence Excellence’, तथा ‘Technology Development Fund’ schemes के तहत आने वाले अनेक projects के माध्यम से रक्षा क्षेत्र में innovation को बढ़ावा दिया जा रहा है। इन प्रयासों से हमारी नौसेना की, न केवल हमारे देश के maritime interests को सुरक्षित रखने, बल्कि माननीय प्रधानमंत्री के vision SAGAR, यानि ‘Security and Growth for all in the Region’ के अनुरूप मित्र देशों के हितों की सुरक्षा करने के लिए भी आवश्यक क्षमताओं में काफी वृद्धि होगीI Indian Ocean Region और Indo-Pacific में Indian Navy का role और भी बढ़ने वाला हैI मुझे पूरा विश्वास है, कि हमारी Navy हर समय और परिस्थिति में अपने आप को साबित करने में पूरी तरह सफल होगीI

 

आज इस सेमिनार में बड़ी संख्या में Students और researchers भी मौजूद हैंI मैं हमारे युवा मित्रों से आग्रह करता हूँ, कि आप सभी अपनी पूरी ताकत के साथ सामने आएं, और माननीय प्रधानमंत्री जी के vision के अनुरूप Research & Innovation के माध्यम से हमारी Armed forces और राष्ट्र को सशक्त, समृद्ध और आत्मनिर्भर बनाने में अपना योगदान देंI ‘स्वावलंबन’ जैसे Seminars, हमारे सामने आने वाली वर्तमान और भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए आवश्यक capacities और capabilities develop करने के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। इस seminar ने, हमें एक अवसर प्रदान किया है, कि हम न केवल defence sector, बल्कि सभी domains में आत्मनिर्भरता के प्रति अपने संकल्प को दोहराएँ, और राष्ट्र-निर्माण में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएं।

 

मैं एक बार फिर, माननीय प्रधानमंत्री जी को अपना सान्निध्य प्रदान करने के लिए धन्यवाद देता हूं। मैं आप सभी को, भविष्य के प्रयासों में सफलता की शुभकामनाएं देते हुए अपना निवेदन समाप्त करता हूं।

धन्यवाद, जय हिंद!