नई दिल्ली। 06 जनवरी। मेरे मित्रों सबसे पहले मैं पार्टी प्रेसिडेंट होने के नाते मैं आप सबका अभिनंदन करता हूं, स्वागत करता हूं। मैं यह मानता हूं कि यह पहली बार हुआ है कि ओएफबीजेपी मीट में आप सबसे मिलने का अवसर प्राप्त हुआ है। इसके लिए मैं ओएफबीजेपी के कनवेनर विजय जॉली व को-कनवेनर्स को बधाई देता हूं। मैं जानता हूं कि आप सब हमारे देश में भाजपा की सरकार को देखना चाहते हैं। सबसे पहले मैं इस भारतीय जनता पार्टी के बारे में बताना चाहता हूं। इस पार्टी की भारत में क्या स्थिति है, यह बताना चाहता हूं। बीजेपी इंडिया की एक ऐसी पॉलिटिकल पार्टी है जिसका स्ट्रक्चर आज कांग्रेस पार्टी से भी बड़ा हो गया है। आजाद भारत में बहुत सारी पॉलिटिकल पार्टिज अस्तित्व में आईं। वो समाप्त हो गईं। कोई पॉलिटिकल पार्टी कांग्रेस से बड़ा स्ट्रक्चर नहीं बना पाई। एक ही पॉलिटिकल पार्टी है जिसने कांग्रेस से भी ज्यादा विस्तार करने में सफलता पाई वो भाजपा है। यह इंडिया की अकेली पॉलिटिकल पार्टी है जिसकी एक अपनी थॉट्स है, आईडियोलॉजिज हैं जिस पर हम काम करते हैं और इसी के कारण भाजपा का इतना बड़ा स्ट्रक्चर बना है। हमारी पॉलिटिकल पार्टी की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि जितनी भी आजाद भारत में नेशनल पॉलिटिकल पार्टिज हैं, कांग्रेस समेत, सबका वर्टिकल डिविजन हुआ है। भाजपा एक अकेली पॉलिटिकल पॉर्टी है, 1951 में जब से हम पहली बार अस्तित्व में आए, तब से हमारा वर्टिकल डिविजन कभी नहीं हुआ है। देश की जनता में विश्वास, कॉमन मासेस में अगर किसी की क्रेडिबिलिटी बची हुई है, तो वह भाजपा है। यही कारण है कि कॉमन मासेस का सपोर्ट भाजपा के प्रति बड़ी तेजी के साथ बढ़ता जा रहा है। और यह सकता हूं कि 55 वर्षों से अधिक राजनीति में सक्रिय रहने के बावजूद माननीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी और लालकृष्ण आडवाणी जी पर कोई करप्शन का चार्ज कभी नहीं लगा, यह हमारी भाजपा की सबसे बड़ी उपलब्धि है। और आज हमारे पास एक ऐसा लीडर है जिसे हिन्दुस्तान का अगर सबसे पोपुलर लीडर कहा जाए तो वह हैं श्री नरेंद्र मोदी जी, जो कास्ट, क्रीड, रेलिजन सबसे अलग हटकर हैं। देश की जनता का प्यार, देश की जनता का स्नेह जिसे हासिल हो रहा है, उसी शख्सियत का नाम है नरेंद्र मोदी जी। नरेंद्र मोदी जी को प्राइम मिनिस्टर केंडिडेट के रूप में हमने इस देश के लिए प्रोजेक्ट किया है।
दोस्तों, इस देश में जब श्री अटल बिहारी वाजपेयी सरकार चला रहे थे, वह शासनकाल भी आप अच्छी तरह से जानते हैं। और केवल अटल जी की सरकार ही नहीं, बल्कि मैं कह सकता हूं कि जिन राज्यों में भाजपा की सरकार चल रही हैं, आज पॉलिटिकल एनेलिस्ट इस सच्चाई को स्वीकार करने लगे हैं कि इस देश में अगर कोई गुड गवर्नेंस देने वाली पार्टी है तो वह भारतीय जनता पार्टी है। उसी का परिणाम रहा कि गुजरात में हमलोगों ने थर्ट टाइम हैट्रिक बनाने में सफलता हासिल की। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में हमने तीसरी बार सरकार बनाई है। सामान्य तौर पर, यह भारत के इतिहास में कभी नहीं होता रहा है, तो इस बार हुआ है। हाल में पांच राज्यों के एसेम्बली इलेक्शंस हुए। जैसा कि आप सब जानते हैं कि भाजपा ने चुनाव परिणामों में सिंगल लारजेस्ट मेजोरिटी पार्टी या टू-थर्ट मेजोरिटी पार्टी के रूप में सरकार बनाने में सफलता हासिल की। कांग्रेस केवल मिजोरम में सरकार बनाने में सफल हुई। मैं उदाहरणस्वरूप कह सकता हूं कि जिस प्रकार दौड़ की प्रतियोगिता में कोई जीत जाता है जो उसे विनर प्राइज मिलता है और जो हार जाता है, उसे कन्सोलेशन प्राइज (सांत्वना पुरस्कार) मिलता है, उसी तरह जनता ने इस बार कांग्रेस को कन्सोलेशन प्राइज देने का काम किया है।
जब भारत के पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी एनडीए की सरकार चला रहे थे, उस समय जो हमारी कंट्री ने मोमेंटम हासिल किया था, उससे पूरी दुनिया में भारत की एक साख, क्रेडिबिलिटी, एक धाक बनी हुई थी। और मुझे याद है जब 2010 में यूएस के प्रेसिडेंट मि. बराक ओबामा भारत आए थे, तो पार्लियामेंट के सेंट्रल हॉल में पॉर्लियामेंट के दोनों सदनों के मेंबर्स को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था कि भारत इज नॉट इमर्जिंग, बट भारत हैज इमर्ज्ड (भारत उभर ही नहीं रहा है, बल्कि भारत उभर चुका है)। और मुझे लगता है कि 2004 तक इकोनॉमी मोंमेंटम के परिपेक्ष्य में उन्होंने यह बात कही। उस समय जो हमारी ग्रोथ रेट थी, वो आजाद भारत में कभी नहीं रही है, वो रेट थी 8.4 परसेंट। जिस समय अटल जी की सरकार थी, भारत करंट अकाउंट डेफिसिट कंट्री नहीं था, बल्कि भारत करंट अकाउंट सरप्लस कंट्री बन गया था। यह हमारी गवर्नेंट की विशेषता है। इन्फ्रास्ट्रक्चरल डिवेलपमेंट इस देश में कितने हुए। आप जब यहां की फोर लेन, सिक्स लेन… चौड़ी-चौड़ी सड़कों पर चलेंगे, तब आपको आभास होगा कि आजाद भारत में अगर इस काम को पहली बार किसी ने किया था तो वो अटल जी की सरकार थी। आईटी की बूम… अगर किसी के कार्यकाल में आया था, तो वो हम लोगों के शासनकाल में था। टेलीकॉम सेक्टर में अगर बूम आया तो जब हमलोगों की सरकार थी, उस समय आया।
याद दिलाना चाहता हूं, पोखरन का एटोमिक टेस्ट। दुनिया की डिवेलप्ड कंट्रीज यह नहीं चाहती थी कि भारत एटोमिक टेस्ट करे। और अटल जी को इस बात की जानकारी थी कि अगर भारत एटोमिक टेस्ट करेगा तो भारत को क्या खामियाजा भुगतना पड़ सकता है, फिर भी उन्होंने फैसला लिया। और राजस्थान की धरती पोखरन में एटोमिक टेस्ट हुआ था, और उसके बाद आप जानते हैं कि दुनिया के कई समृद्ध देशों ने भारत को फायनेंशियल असिस्टेंस देना बंद कर दिया था। फिर भी हमलोगों ने देश की इकोनॉमी को कमजोर नहीं होने दिया और मैं अगर इसका क्रेडिट किसी को देना चाहता हूं तो अपने एनआरआई मित्रों को देना चाहता हूं। उसी समय 1998 में इंडिया रेसिडेंट बॉन्ड जारी हुआ था। आपका इन्वेस्टमेंट जो इस बॉन्ड में जो था उसने देश की इकोनॉमी को सेव ही करने का काम नहीं किया, बल्कि उससे डॉलर के मुकाबले हमारा रुपया भी मजबूत हुआ था। लेकिन केवल इन्वेस्ट कर देने से ही किसी देश की इकोनॉमी न तो स्ट्रॉन्ग होगी, न स्टेबिलिटी आएगी, बल्कि उसके लिए लीडरशिप चाहिए। मित्रों 10 वर्षों से इस देश में कांग्रेस लेड यूपीए गवर्नेंस है और इसके परफॉरमेंस के बारे में बताने की मुझे जरूरत नहीं है। यदि लीडरशिप किसी पार्टी के पास है भारत में, तो भारतीय जनता पार्टी के पास है और उस लीडरशिप का नाम है नरेंद्र मोदी। गुजरात में मुख्यमंत्री की तरह सरकार चलाते हुए हमारे प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार श्री मोदी जी को आपने देखा है। अगर इस देश में डिवेलप स्टेट्स के बारे में बात होती है और पूछा जाता है कि इस कंट्री का मॉडल स्टेट कौन सा है, तो निश्चित तौर पर लोग कहते हैं कि अगर इस देश में डिवेलपमेंट की सूची में अगर कोई मॉडल स्टेट है तो वह गुजरात है। हम लोगों ने बहुत सोच-समझकर उनको प्रधानमंत्री पद के रूप में प्रोजेक्ट किया है। मैं आपको याद दिला रहा हूं कि आपका इंडिया की इकोनॉमी में बहुत बड़ा कंट्रीब्यूशन कैसे हो सकता है। दरअसल, इंडियन ओरिजिन के लोग जो दुनिया के दूसरे देशों में रहते हैं, वह करीब ढाई मिलियन के आस-पास की है। यह बड़ी जनसंख्या है जो हमारे देश की इकोनॉमी को मजबूत करने में अहम भूमिका निभा सकती है।
मैं आपको याद दिलाना चाहता हूं कि चाइनीज डायसपोरा इस विश्व का सबसे बड़ा डायसपोरा है। चाइनीज ऑरिजिन के सर्वाधिक लोग दुनिया के दूसरे देशों में रहते हैं। उसके बाद भारत का नाम है, इंडियन डायसपोरा। एक समय तो मुझे मालूम चला कि चाइनीज डायसपोरा का निवेश जो होता था चाइना में वो था एफडीआई में 80 परसेंट का एक कंपोनेंट। लेकिन आज भी यह 45 से 50 परसेंट के बीच है। और भारत में हमारे एनआरआई मित्रों का जो एफडीआई में इन्वेस्टमेंट का कंपोनेंट है – वो 10 से 15 परसेंट या इससे थोड़ा अधिक हो सकता है।
मैं तो आपको केवल यह विश्वास दिलाने आया हूं मेरे एनआरआई मित्रों, कि भाजपा को सरकार बनाने के लिए पूरा सहयोग करें। और मैं यह विश्वास दिलाता हूं कि आज जो एफडीआई में निवेश का कंपोनेंट है वह भी बढ़कर 40 से 45 परसेंट चला जाएगा। लेकिन इसके लिए एक अच्छी गवर्नेंस चाहिए। और मैं यह कह सकता हूं कि यूएस के बाद अगर कोई इकोनॉमी पावर है तो वह चाइना है। आपकी संख्या भी ढाई करोड़ के आस-पास है। मैं पांच साल में तो नहीं कह रहा हूं, 10 से 15 वर्षों के अंदर भारत को भी इकोनॉमिक सुपर पावर बना सकते हैं, आपमें वह कुव्वत है। और हमारा लक्ष्य ही यही है कि भारत को हम इकोनॉमिक सुपर पावर बनाना चाहते हैं। हम भारत के विकास को तेजी के साथ आगे बढ़ाना चाहते हैं। और कोई अगर यह सोचता हूं कि हम केवल इकोनॉमिक डिवेलपमेंट चाहते हैं तो नहीं, हम सांस्कृतिक धारा से भी जुड़े हुए हैं, हम भारत का इकोनॉमिक ही नहीं स्प्रिरिचुअल डिवेलपमेंट भी चाहते हैं। और इन दोनों को पूरा करने के बाद ही हम भारत को विश्व में सुपर पावर के रूप में स्टेब्लिश हो सकते हैं।
भारत की एनसिएंट हिस्ट्री में जानें तो पाएंगे कि भारत को जगत-गुरु कहा जाता था। कहा जाता था कि भारत सोने की चिड़िया है, भारत के अंदर दूध की नदियां बहती हैं। और यह हाल 17वीं शताब्दी तक था। लेकिन अंग्रेजों के आने के बाद भारत की आर्थिक स्थिति खराब होती चली गई। और आजादी मिलने के बाद जब कांग्रेस की हुकूमत आई तो भारत की स्थिति और बदतर हो गई। गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई ने त्रस्त कर दिया। आपको याद होगा कि छह वर्षों के शासन में ग्रोथ रेट बढ़ा, लेकिन उस दौरान अगर किसी ने महंगाई को नहीं बढ़ने दिया तो वह अटल जी की सरकार थी। हम अगर वोट मांग रहे हैं तो अपने शब्दों के आधार पर नहीं, बल्कि अपने परफॉरमेंस के आधार पर। आपको बताना चाहूंगा कि ऐसा कहा जाता है कि विदेशों में अधिकतर एनआरआई सर्विस सेक्टर्स में ही हैं। लेकिन मेरा मानना है कि वेस्टइंडीज, फिजी, मॉरिशस समेत दूसरे देशों में केवल अधिकतर लोग सर्विस सेक्टर में ही नहीं हैं, बल्कि इंडस्ट्रीज में और दूसरे सेक्टर्स में निवेश करने वाले बहुत से लोग हैं। क्या हम भारत में ऐसे हालात नहीं पैदा कर सकते हैं कि हमारे एनआरआई यहां के इंफ्रास्क्ट्रर्स सेक्टर्स में भी निवेश करने के लिए आगे आ सकें। और यह बात सच है कि करंट अकाउंट डेफिसिट जो बढ़ती जा रही है, उसका कारण यह है कि हमारा एक्सपोर्ट कम होता जा रहा है और इंपोर्ट बढ़ रहा है। इसका परिणाम यह हुआ है कि रुपए की कीमत डॉलर के एगेंस्ट कम हुई है। और मुझे विश्वास है कि इंफ्रास्क्ट्रर्स सेक्टर्स में हम बखूबी काम कर देश को सुधारने की दिशा में अहम कदम उठा सकते हैं।
मैं जानता हूं यह सच्चाई कि जो हमारे यहां मेनिफेक्चरिंग सेक्टर्स हैं, जो इनमें आइटम्स तैयार होते हैं, वो दुनिया के दूसरे देशों की तुलना में कम नहीं है, कुछ मामलों में बेहतर भी है। और चाइना अगर एक्सपोर्ट में इतना आगे जा सकता है तो भारत क्यों नहीं आगे बढ़ सकता, यह बात मेरी समझ से परे है। और हमारी सरकार के आने पर हम देखेंगे कि क्या कोई और भी रेसिडेंट बॉन्ड लाया जा सकता है, हमारे मेनिफेक्चरिंग सेक्टर्स को और भी आकर्षक बनाकर। वह सारे कदम हम उठाएंगे, ताकि एनआरआई अधिक से अधिक निवेश कर सकें।
हमारे एनआरआई मित्र भारतीय लोकतंत्र को सबसे मजबूत देखना चाहते हैं, भारत को मजबूत देखना चाहते हैं और उनकी सबसे बड़ी समस्या यह है कि जब चुनाव आता है तो वह पूरे परिवार के साथ रूस से, चीन से, यूएस से… यहां वोट कर सकें, यह बहुत कठिन काम है, तो मैं यह मानता हूं कि जब चुनाव आए तो एनआरआई के संबंधित देश में जो भी एम्बेसीज हैं, वहां अपने वोट का प्रयोग कर सकें, यह व्यवस्था होनी चाहिए।
मुझे शिकायत है यूएस इमिग्रेशन बिल को लेकर, जिसका नाम है – बोर्ड सिक्योरिटी इकोनॉमिक अपॉरचुनिटी इमिग्रेशन मॉडर्नाइजेशन एक्ट 2013। वीजा की फीस बढ़ गई। मैं यूएस सरकार से भी अपील करना चाहता हूं कि इस बिल पर पुनर्विचार हो। साथ ही हमारे यहां की जो आईआईटी हैं, या ऐसे संस्थान हैं, उसमें हमारे एनआरआई मित्रों के बच्चों का भी नामांकन हो, ऐसी व्यवस्था हो।
आज लोग यह मान रहे हैं कि 2014 में भारतीय जनता पार्टी क्लीयर मेजोरिटी के साथ सरकार बनाने जा रही है। और जब भाजपा सरकार में आएगी, तभी देश का विकास संभव है। आप सबसे आग्रह है कि भाजपा की सरकार बनाने में जितना हो सकता है आप अधिक से अधिक सपोर्ट करें। आप सबका सहयोग चाहिए। हम इसी विश्वास के साथ आगे बढ़ रहे हैं कि हम 272 प्लस को पार करें।