भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री राजनाथ सिंह जी द्वारा सामाजिक न्याय मोर्चा की कार्यकारिणी बैठक में दिया गया पूरा भाषण (27/01/2014)

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भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी जी, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. रामापति राम त्रिपाठी, पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री संतोष जी गंगवार, सह प्रभारी श्री सत्येन्द्र कुशवाहा जी और हमारे उत्तर प्रदेश भाजपा विधानमंडल दल के नेता आदरणीय हुकूम सिंह जी, हमारे बहुरंग लाल मौर्य जी, पूर्व मंत्री श्री राजबीर सिंह जी और प्रकाश पाल जी, यहां उपस्थित मेरे सभी मित्रों।

सबसे पहले केंद्रीय कार्यालय में सामाजिक न्याय मोर्चे की बैठक में आप सभी जुझारू कार्यकर्ताओं का स्वागत करता हूं, अभिनंदन करता हूं। सामाजिक न्याय मोर्चे के गठन की आवश्यकता क्यों पड़ी ? भाजपा की यह स्पष्ट मान्यता है कि अगर हम भारत को स्वावलंबी, सशक्त और स्वाभिमानी भारत बनाना चाहते हैं तो जब तक भारत के सभी जाति, सभी वर्ग के लोगों का समुचित विकास नहीं होगा, तब तक हम जैसा भारत बनाने की कल्पना करते हैं, वो कल्पना साकार नहीं कर सकते। इसी उद्देश्य से भाजपा ने सामाजिक न्याय मोर्चा गठित करने का फैसला किया है। यह आजाद भारत की सबसे बड़ी विडंबना रही है कि आजादी के 67 वर्ष गुजर जाने के बावजूद जो समाज की भिन्न-भिन्न जाति-वर्ग हैं, उनका जैसा विकास होना चाहिए था, गरीबी-बेरोजगारी जैसी समस्याओं का समाधान होना चाहिए था, वो नहीं हुआ। बल्कि मैं अगर कहूं कि गरीबी और बेरोजगारी का संकट दिन-ब-दिन और गहराता चला गया है तो यह कहना भी अतिशयोक्तिपूर्ण नहीं होगी। इसलिए भारतीय जनता पार्टी ने सोचा कि भिन्न-भिन्न जाति और वर्ग के लोगों को इटट्ठा किया जाना चाहिए और उनके अंदर एक विश्वास पैदा किए जाने की आवश्यकता है कि भारतीय जनता पार्टी देश की एक ऐसी राजनीतिक पार्टी है जो समाज के सभी लोगों को साथ लेकर चलना चाहती है, केवल एक-दो भाग अथवा एक-दो वर्ग को ही साथ लेकर चलना नहीं चाहती है। हम सबको साथ लेकर चलने वाली राजनीति करना चाहते हैं। जब हम सबको साथ लेकर चलते हैं, तो स्वाभाविक रूप से यह सवाल खड़ा होता है कि जब चुनाव ही जीतना है तो चुनाव तो कुछ लोगों को बस साथ में लेकर भी जीता जा सकता है, तो समाज के सभी लोगों को साथ लेने की आवश्यकता क्यों है ? हमलोगों की सोच ये है कि भारत एक ऐसा देश है जहां के ऋषियों और मनीषियों ने इंसान और इंसान के बीच कभी नफरत पैदा नहीं किया और न तो अलग-अलग नजरिए से देखा है। यह हमारे भारत की विशेषता रही है। आप यह कल्पना कर सकते हैं कि चाहे वह महर्षि बाल्किमी रहे हों, संत रविदास रहे हों, चाहे संत रैदास रहे हों, चाहे व्यास जी रहे हों, चाहे विश्वासमित्र रहे हों, इनमें से कोई भी ऊंची जाति की मां की कोख से पैदा नहीं हुआ था, बल्कि अनुसूचित वर्ग की मां की कोख से, या पिछड़े वर्ग की मां की कोख से पैदा हुआ था। यह भारत की एक विशेषता रही है। लेकिन भारत की जो संस्कृति और परंपराएं हैं, हम उन्हें भूलते जा रहे हैं, ये हमारी आंखों से ओझल होती जा रही हैं। भारतीय जनता पार्टी पुरानी नींव और नया निर्माण, इस कल्पना को साथ लेकर चल रही है। हम अपनी कल्पना को अगर भारतीय संस्कृति से अलग-थलग रखकर देश का विकास करना चाहेंगे तो यह किसी भी सूरत में संभव नहीं है। यह भारतीय जनता पार्टी की सोच है।

उस समय भारत के बारे में सारे विश्व की यह घारणा थी कि भारत में दूध की नदियां बहती हैं, भारत एक सोने की चिड़िया है। भले वह किसी भी जाति का क्यों न हो, उस समय कोई गरीब नहीं हुआ करता था, जो कोई भूख के कारण दम तोड़ दे। शिक्षा का जहां तक सवाल है, बंबई प्रेसीडेंसी, कलकत्ता प्रेसीडेंसी के इतिहास को अगर कोई उठाकर पढ़ें तो जानेंगे कि पढ़ने वालों में जो सफाई का काम करने वाले थे (जिन्हें डोम कहते हैं), ऐसे वर्गों के भी लोग उस समय पढ़ा करते थे और बड़े योग्य और प्रतिभा संपन्न हुआ करते थे। इस प्रकार का भेदभाव क्यों नहीं हुआ, हमारे समाज में, हमारी संस्कृति में। उसका सबसे बड़ा कारण यह था कि हमारी संस्कृति की स्पष्ट मान्यता है कि कोई व्यक्ति बड़े खानदान में पैदा होने से ही बड़ा नहीं हो सकता। व्यक्ति अगर बड़ा होता है तो अपनी कृतियों से। राजनैतिक क्षेत्र में अगर देखना हो तो कई उदाहरण हैं। मैं पिछला उदाहरण आपके सामने नहीं रखता। आज देखें कि भारत की राजनीति का सर्वाधिक लोकप्रिय नेता कौन है इस समय। मैं समझता हूं कि इस प्रश्न पर कहीं भी कोई विवाद नहीं होगा। प्लेटफॉर्म पर जो चाय बेचा करते थे और अपने पिता का चाय बेचने में सहयोग किया करते थे। वह पिछड़ी जाति से आते हैं। लेकिन भारतीय जनता पार्टी में रहते हुए वह मुख्यमंत्री बने और एक बार नहीं तीन-तीन बार मुख्यमंत्री बने। जाने-माने नेता आदरणीय कल्याण सिंह भी हमारे यहां मुख्यमंत्री बने। शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बने। हमारे यहां कभी जाति या वर्ग के आधार पर भेदभाव नहीं हुआ, बल्कि प्रतिभा और योग्यता के आधार पर चयन हुआ। भारतीय जनता पार्टी ने यह महसूस किया कि आज देश को ऐसे सशक्त, दूरदृष्टि, क्विक डिसिजन वाले नेता की जरूरत है जिसके कलेजे में फैसला करने का साहस हो। ऐसे नेता के ही हाथ में देश की बागडोर होनी चाहिए। इसलिए भारतीय जनता पार्टी ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश किया है।

कांग्रेस की बात, सपा की बात, बसपा की बात, क्या यह सच नहीं है कि उत्तर प्रदेश में अगर इन राजनीतिक पार्टियों पर नजर डालें तो वहां केवल एक व्यक्ति प्रभावी है अथवा एक परिवार ? इसके अलावा आप दूसरा किसी के संबंध में नहीं कह सकते कि दूसरा मुख्यमंत्री बन सकता है, अथवा दूसरा कोई इन पार्टियों में बड़े ओहदे पर बैठ सकता है। कांग्रेस पार्टी का जहां तक प्रश्न है, कांग्रेस पार्टी में एक परिवार को छोड़कर, अथवा बिना उस परिवार की मर्जी से न तो कोई किसी प्रदेश का मुख्यमंत्री बन सकता है, न भारत का प्रधानमंत्री बन सकता है। यदि यह संभव है तो केवल भारतीय जनता पार्टी में। इसलिए हमलोगों ने सामाजिक न्याय मोर्चा का गठन किया है।

उत्तर प्रदेश के संदर्भों में मैं अगर बात करूं तो (हुकूम सिंह जी बैठे हैं, इस बात के साक्षी हैं) हुकूम सिंह जी उस समय ऊर्जा मंत्री थे। मैंने मुख्यमंत्री रहते हुए, हुकूम सिंह जी को बुलाया। मैंने कहा कि मैं सोचता हूं उत्तर प्रदेश में बहुत सारी ऐसी पिछड़ी जातियां हैं, अनुसूचित वर्ग की भी ऐसी बहुत सारी जार्तियां शेष रह गई हैं जिन्हें आरक्षण का लाभ या आरक्षण की सुविधाएं हैं, वह इनको प्राप्त नहीं हो पा रही हैं। और अब तक इनका जो विकास, उत्थान और जीवन स्तर में सुधार होना चाहिए था, वो नहीं हो पा रहा है। मैंने सोचा है कि इनके लिए भी आरक्षण का प्रतिशत सुनिश्चित किया जाना चाहिए। लेकिन चूंकि मैं थोड़े समय के लिए प्रदेश का मुख्यमंत्री रहा, तो मुझे भी इस काम को जल्दी करना था। और मैं जानता था कि एक बार अगर कानून बना दिया तो कोई दूसरा उस कानून को रद्द नहीं कर सकता। कुछ लोग कह सकते हैं कि चुनाव था इसलिए किया, तो बहनों-भाइयों इस बात को मैं बार-बार दोहराता हूं कि हम राजनीति केवल वोट के लिए नहीं, बल्कि समाज और देश के लिए करते हैं, यह भारतीय जनता पार्टी की सोच है। इसी सोच के आधार पर उस समय भी हमलोगों ने तमाम काम किए थे। तो जब उस समय चर्चा हो रही थी (हमारे जाने के तीन-चार महीने बाद शायद यह कमेटी बनी थी) तो हुकूम सिंह से मैंने कहा कि मैं चाहता हूं कि दो-तीन महीने के अंदर यह रिपोर्ट आ जाए। जरूरत होगी तो सारे के सारे अधिकारियों को इस सर्वेक्षण में लगाने को तैयार हूं। मैं सचमुच हुकूम सिंह की प्रतिभा और क्षमता की तारीफ करता हूं। इन्होंने कहा कि आप चिंता मत कीजिए, मैं इस काम को दो महीने में ही पूरा कर दूंगा। और सारे लेखपालों को, पटवारियों को सर्वेक्षण करने के लिए लगाया। कहां कितनी जातियां हैं, किस हाल में हैं… वगैरह-वगैरह, उसका वेरिफिकेशन करते हुए उन लोगों ने अपनी रिपोर्ट दे दी। रिपोर्ट देने के बाद वह रिपोर्ट तैयार हुई। उस रिपोर्ट की पुस्तिका छपी जो बहुत से लोगों के पास भी होगी। जब मैंने विधेयक पेश किया कानून बनाने के लिए कि अति दलितों और अति पिछड़ों को आरक्षण की व्यवस्था दी जाए, तो इसी समाजवादी पार्टी के सारे विधायकों ने उत्तर प्रदेश की विधानसभा से त्याग-पत्र दे दिया था। शायद यह आप लोगों को मालूम नहीं होगा। क्या आज ऐसी ही लोगों को राजनीति करने देनी चाहिए ? ऐसी ही लोग समाज बना सकते हैं ? फिर भी मैंने कहा कि भले ही सब त्यागपत्र दे दें, लेकिन यह विधानसभा में पेश होगा, पारित होगा। विधेयक विधानसभा में पेश हुआ, पारित हुआ। विधान परिषद में भी पारित हुआ और गवर्नर ने भी अपना हस्ताक्षर कर दिया और कानून बन गया। कानून बन जाने के बाद वह लागू भी हो गया। लागू होने के बाद जब मायावती जी की सरकार आई तो उन्होंने उसे रद्द कर दिया। और मैंने अपनी तरफ से पूरी ताकत लगाई थी कि यह मामला कोर्ट में जाए। कोर्ट में मैंने खुद ही लगाया था, लोग लगे थे। लेकिन बहुत देर में जाकर कोई एक जजमेंट आया है जो इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिया है। इसका मतलब अदालतें भी अब इस बात को मानने लगी हैं कि जो भिन्न-भिन्न जाति-वर्गों के साथ न्याय होना चाहिए था, वह न्याय नहीं हुआ। और उस पर पहले ही हमलोगों ने काम करना शुरू कर दिया था। हमसे बहुत पहले भी अगर किसी ने इस काम को किया था तो शायद 1978 में कर्पूरी ठाकुर ने किया था। और आपको जानकर यह आश्चर्य होगा कि इस बार जब कर्पूरी ठाकुर जी की जयंती थी पटना में तो मैं उस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए स्वयं गया था।

बहनों-भाइयों, हमलोगों की प्रतिबद्धता पूरी तरह से है। हमारी पार्लियामेंटरी बोर्ड भी इस बात से सहमत है। यह तो छोटी बात है। इससे भी बड़ी बात कि इन जाति-वर्गों के विकास के लिए जो भी आवश्यक कदम हैं वो उठाए जाने चाहिए, उसमें तनिक भी संकोच नहीं होना चाहिए। आप वह पुस्तक पढ़ेंगे तो आपको पूरी जानकारी हो जाएगी कि जो भिन्न-भिन्न जातियों के परंपरागत पेशे हैं, उन पेशों के आधार पर उन्हें कैसे रोजगार दिया जा सकता है ? उन्हें कैसे सम्मानजनक और सुरक्षित बनाया जा सकता है ? इन सब विषयों पर बहुत विस्तार से चर्चा की गई है। लेकिन इस हिन्दुस्तान में अगर कोई इस सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ने वाली राजनैतिक पार्टी है तो वो भारतीय जनता पार्टी है। इसलिए हमलोगों ने सामाजिक न्याय मोर्च के माध्यम से समाज के सभी वर्गों तक पहुंचने की कोशिश की है। मैं तो प्रकाश जी से कहूंगा कि अखिल भारतीय स्तर पर भी ऐसी कमेटी बनाइए ताकि वो सामाजिक न्याय का वो अध्ययन कर सके, वह स्टडी ग्रुप हो। और वह अध्ययन करे कि सामाजिक न्याय के लक्ष्य को पाने के लिए हमें क्या-क्या और करना चाहिए ? किन-किन राज्यों में क्या-क्या करना चाहिए ? इस संबंध में एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार हो जाए।

काम बड़ा है और मैं जानता हूं कि बड़े लक्ष्य को हासिल करने के लिए समय भी लंबा लगता है। मुझे पूरा विश्वास है कि अगर समाज के सभी वर्गों का समर्थन भारतीय जनता पार्टी को प्राप्त होता है तो हमें 2014 में सफलता हासिल करने से कोई रोक नहीं सकता है। और यह बात केवल मैं नहीं कह रहा हूं, बल्कि हिन्दुस्तान की जानी-मानी सर्वे एजेंसियों ने अपने सर्वे रिपोर्ट में स्वीकार किया है कि इस हिन्दुस्तान में अगर कोई राजनीतिक पार्टी आगे बढ़कर चुनाव में आने वाली है तो वह भाजपा आने वाली है। और इस देश का कोई सर्वाधिक लोकप्रिय नेता है तो श्री नरेंद्र मोदी हैं। मैं तो जब अध्यक्ष नहीं था, तब से ये चीजें बोल रहा हूं। सच बोलने से परहेज कैसा ? बोलना चाहिए। लेकिन आज कार्यसमिति की बैठक, केवल आए और फिर आराम कर रहे हैं, ऐसा नहीं होना चाहिए। मैं इतना ही आप सबसे निवेदन कर रहा हूं कि यह एक अस्मिता व अस्तित्व की लड़ाई है। यदि आप भारत की राजधानी दिल्ली से यह संकल्प लेकर जाएंगे कि चार महीने तक, जितनी भी हमारे अंदर ताकत है, शक्ति है, कूव्वत है, लगाएंगे, तो हम भारतीय जनता पार्टी के साथ स्पष्ट बहुमत के साथ सरकार बनाएंगे। और यह भी सुन लीजिए कि जिस दिन दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बन गई, उस दिन हिन्दुस्तान के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने से कोई नहीं रोक सकता।

सामाजिक न्याय की दृष्टि से बहुत सारे ऐसे काम हैं, जो दूसरी राज्य सरकारें भी कर सकती हैं, तो उन राज्य सरकारों से भी यह काम कराने में यह सुविधा होगी। इसलिए आप सब एक बार फिर अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर दीजिए और इस बार के यूपी विधानसभा चुनाव में आपको यह करना होगा। केवल केंद्र में सरकार बनाकर हम सारा लक्ष्य प्राप्त कर लेंगे, ऐसा नहीं है। क्योंकि मैं मुख्यमंत्री रहा हूं, जानता हूं कि क्या केंद्र सरकार की सीमाएं हैं और क्या राज्य सरकार की सीमाएं हैं। इसलिए मैं आप सबसे कहूंगा कि योजना बनाकर जाइए कि कैसे दौड़ना है, टीम बनाना है और समाज के सभी वर्गों को कैसे जोड़ना

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