माननीय प्रधानमंत्री जी की leadership में, आज भारत सिर्फ़ Defence technology का consumer नहीं रहा, बल्कि producer और exporter भी बन गया है- श्री राजनाथ सिंह

Text of RM’s speech at the Inaugural Plenary of CII (Confederation of Indian Industry) Annual Business Summit-2025.

आज Confederation of Indian Industry यानि CII  के इस Summit में, आप सबके बीच आकर मुझे बड़ी ख़ुशी हो रही है। आपने मुझे आमंत्रित किया, इसके लिए मैं CII का आभार प्रकट करता हूँ।

सबसे पहले तो मैं, आप सभी को, भारत के, दुनिया की 4th Largest economy बनने की बधाई देता हूँI मुझे याद है, कि पिछली बार जब मैं आप सभी के बीच आया था, तब हमारी economy दुनिया में पाँचवे नंबर पर थीI आज जब मैं आपके बीच आया हूँ, तो मैं आप सभी को, हमारी economy के चौथे नंबर की economy बनने की बधाई दे रहा हूँI मुझे लगता है, आगे कुछ कहने की जरूरत नहीं है…I अगली बार जब मैं आप सभी के बीच आऊँ, तो मैं नई बधाई के साथ आप सबके बीच आऊँ; ऐसी मैं बस कामना ही नहीं करता हूँ, बल्कि आप लोग ऐसा करके दिखाएँगे, यह मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूँI

इससे पहले भी मुझे कई बार, आप सबके बीच आने का अवसर मिला है। हर बार जब मैं आपके बीच आता हूँ, तो आपकी energy और देश को आगे ले जाने की आपकी dedication देखकर, मैं बहुत impress होता हूँ।

साथियों, CII सिर्फ एक संगठन नहीं है, यह वो power-house है, जिसने भारत की industrial spirit को आकार दिया है। देशभर में लाखों enterprises को जोड़ने, policy framework को दिशा देने, और global competitiveness बढ़ाने में, CII की भूमिका बहुत important रही है। CII केवल business को represent नहीं करता, बल्कि एक vision को represent करता है, और वह vision है- India as a global manufacturing and innovation hub.

यहाँ मौजूद हर एक व्यक्ति Indian enterprise का symbol है। आपने इस summit का नाम “Business Summit 2025” ज़रूर रखा है, लेकिन मैं इसे देश की strength, resilience और self-reliance का summit मानता हूँ। आप सब वो लोग हैं, जिन्होंने भारत को आत्मनिर्भर बनाने की यात्रा में, एक engine की तरह काम किया है।

साथियों, जब मैं यहां आया तो मैंने देखा कि आपने इस summit की theme रखी है- ‘Building Trust & India First.’ मैं सबसे पहले इस theme को चुनने के लिए CII को बधाई देना चाहता हूँ। यह theme महज 4 शब्दों का है, लेकिन इसका अर्थ बहुत गहरा और व्यापक है। यह एक ऐसा विषय है, जिसकी body छोटी है, लेकिन आत्मा बहुत विशाल है।

साथियों, मैं अपनी बातचीत की शुरुआत इस theme से ही करूँगा। आप सब तो जानते ही हैं, कि trust build करना एक बहुत महत्वपूर्ण बात होती है। Trust कोई technical term नहीं, बल्कि एक emotion है। यह एक ऐसा अनुभव है, जो हमारी personal life से शुरू होकर international relations तक जाता है। यह trust ही है, जो हमें इंसान बनाता है। Family, society, economy, और nation, हर level पर trust ही है, जो हमें जोड़कर रखता है।

हमारे जीवन में, जो सबसे नायाब, जो सबसे कीमती चीज़ें होती हैं, trust को मैं उनमें से एक समझता हूँ। और यह मैं बस कहने के लिए नहीं कह रहा हूँ। अपने अनुभव की बात कर रहा हूँ। हमारे जीवन में अनेक अवसर आते हैं, जब हमारे पास बाकी कुछ भले ही न हो, पर हमारे पास एक भरोसेमंद, एक trustworthy इंसान होता है, तो हमें लगता है कि हम complete हैं। वह चाहे परिवार हो, समाज हो, ऑफिस दफ़्तर हो या कहीं और।

कोई व्यक्ति, भले ही वह योग्यता थोड़ी कम रखता हो; भले ही वह knowledge थोड़ी कम रखता हो, भले ही उसके अंदर skills कम हों, लेकिन अगर वह trustworthy है, तो समझिये कि आपके पास एक बड़ी निधि, एक asset है।

हमारे यहाँ ऋषियों-मनीषियों ने अगर ‘स्वदेशो भुवनत्रयं, यानी यानी तीनों लोक ही हमारा स्वदेश है, हमारा परिवार है, की अवधारणा दी, तो उन्होंने एक तरह से मानवमात्र और जड़-चेतन के प्रति trust की ही बात की।

राजा दशरथ ने अगर ‘प्रान जाहुँ बरु बचनु न जाई कहा, तो यह वचन विश्वास का ही प्रतीक है। एक बार आपने किसी को वचन दिया, तो सामने वाला आपके वचन को सिर्फ इसलिए स्वीकार करता है, क्योंकि उसे आपके ऊपर विश्वास है, कि आप वह वचन तोड़ेंगे नहीं।

भारत ही क्यों, पूरी मानव सभ्यता के विकास की चर्चा करें तो, trust आपको एक key component के रूप में दिखाई देगा। प्रारंभ में जब गाँवों का विकास हुआ, कृषि का विकास हुआ, शहरों का विकास हुआ, उद्योगों का विकास हुआ, तो वह Human Relations के Dynamics पर ही आधारित था। बाद में, Nation states आए, और उनके बीच भी, नए-नए प्रकार के रिश्ते बनते रहे, जिसका मूल आधार international trust ही था।

पर आज के बदलते समय में, हम देख रहे हैं, कि आज के international scenario में कहीं न कहीं trust का वह महत्त्वपूर्ण factor घटता नज़र आ रहा है। Second World War के बाद भले ही दुनिया दो poles में बंटी रही हो, लेकिन एक किस्म की stability फिर भी कहीं न कहीं थी। एक predictability कहीं न कहीं थी। पर अब पिछले कुछ दशकों में, खासकर 90 के दशक के बाद से, International relations में एक अलग तरह की fluidity आ गई है।

एक तरफ तो राष्ट्रों के बीच के आपसी relations टूट रहे हैं, या कमज़ोर पड़ रहे हैं, तो दूसरी तरफ कुछ नए equations बनते दिखाई दे रहे हैं। आज पूरे विश्व में एक अनिश्चितता का माहौल नजर आ रहा है। जगह-जगह conflicts चल रहे हैं। वैसे तो इसके कारण अनेक हो सकते हैं, पर आज की international uncertainty का जो fundamental कारण है, वह है trust deficit यानि विश्वास में कमी।

इसके ठीक विपरीत, अगर हम अपने देश को देखें, तो हमारी यह कोशिश रही है, कि देश के भीतर अलग-अलग क्षेत्रों, communities, और economic segments के बीच trust का एक मज़बूत environment बने। इन efforts से हमने अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की है, जिनके कुछ examples मैं आपके सामने रखना चाहता हूँ।

पहले उदाहरण के रूप में, मैं आप सभी से GST यानी Goods and Services Tax का जिक्र करना चाहूँगा। एक ऐसा revolutionary reform, जिसमें हमने न केवल Ease of Doing Business को बेहतर बनाया, बल्कि Centre और States के बीच के संबंधों को भी, सही मायने में co-operative federalism में बदल दिया है,  यह केवल एक tax system नहीं है, बल्कि एक national economic integration model है, जो centre और states के बीच trust के foundation पर बना है।

आज centre, states और Union territories, federal trust को बढ़ावा देते हुए, समान रूप से GST के platform पर हैं।

साथियों, Trust-building का दूसरा बड़ा उदाहरण है, UPI  यानी Unified Payments Interface. आज भारत में digital transactions के क्षेत्र में, UPI एक game-changer के रूप में उभरा है।

यह केवल technological success नहीं है, बल्कि एक behavioral transformation भी है, जहाँ आम नागरिक से लेकर बड़े कारोबारी तक, एक transparent और secure system पर भरोसा कर रहे हैं। आज दुनिया के कई देश इस मॉडल को replicate करने की कोशिश कर रहे हैं I यह भारत के digital leadership का प्रमाण है।

ऐसे कई उदाहरण हैं जहाँ हमने cross-sectoral inclusive growth को न केवल prove किया है, बल्कि उसे पूरी दुनिया के सामने एक sustainable model के रूप में प्रस्तुत भी किया है। इसी का परिणाम है, कि आज जब वैश्विक स्तर पर instability और economic slowdown जैसी situations बनी हुई हैं, तब भी भारत अपनी पूरी energy और synergy के साथ, world’s fastest-growing major economy बना हुआ है।

आज जब मैं आपके सामने उपस्थित हूँ, तो मुझे यह कहते हुए बड़ा गर्व हो रहा है, कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में हमारा देश, आज दुनिया की 4th largest economy बन चुका है। यह केवल, कोई economy की size बढ़ने भर की बात नहीं है, यह दुनिया का भारत पर, और भारत का अपने ऊपर लगातार बढ़ते भरोसे की बात है।

हाल ही में आई Moody’s की रिपोर्ट भी इस बात को highlight करती है, कि कैसे भारत अपनी strong domestic growth drivers, जैसे private consumption, manufacturing capacity, और infrastructure development की बदौलत global disruptions को न केवल overcome कर रहा है, बल्कि लगातार बेहतर प्रदर्शन कर रहा है। आज हम उन चुनिंदा देशों में हैं, जिनकी economic resilience और policy stability पर global confidence यानि वैश्विक विश्वास लगातार बढ़ रहा है। यानी यह भारत की केवल विकास यात्रा नहीं है, यह भारत की विश्वास यात्रा है।

साथियों, एक रक्षामंत्री के रूप में, मुझे यह कहते हुए बेहद  खुशी होती है, कि भारत के लगातार आगे बढ़ती यात्रा में, पहली बार, देश का defence sector भी अपनी एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। पिछले एक दशक में सरकार के द्वारा लिए गए कई initiatives के चलते, भारत का रक्षा क्षेत्र एक नई ऊँचाई पर पहुँच चुका है। 10-11 साल पहले, जहां हमारा defence production 43,746 करोड़ रुपए था, वहीं आज यह 1,46,000 करोड़ रुपए के record आँकड़े को पार कर चुका है। और गर्व की बात यह है, कि इसमें 32,000 करोड़ रुपए से अधिक का योगदान private sector का रहा है।

इसके साथ, हमारा Defence export, जो दस साल पहले, हज़ार करोड़ रूपए से भी कम था, वह आज 23,500 करोड़ रुपए के record आँकड़े तक पहुँच गया है। आज सिर्फ हथियार नहीं, बल्कि हमारे systems, sub-systems, components, और services भी दुनिया के 100 से ज्यादा देशों तक पहुंच रहे हैं।

साथियों, आज देश में 16,000 से अधिक MSMEs Defence sector से जुड़ी हैं। ये छोटी कंपनियां हमारी supply chain की backbone बन चुकी हैं। ये न केवल आत्मनिर्भरता की हमारी journey को मजबूत कर रही हैं, बल्कि लाखों लोगों को रोजगार भी दे रही हैं।

आज हम सिर्फ़ लड़ाकू विमान या मिसाइल सिस्टम नहीं बना रहे हैं, बल्कि हम New Age Warfare Technology के लिए भी तैयार हो रहे हैं। हमारे home grown systems ने आज, Operation Sindoor के दौरान, पूरी दुनिया को चौंकाते हुए यह साबित किया है, कि हम दुश्मन के किसी भी कवच को भेदने की ताकत रखते हैं।

आपने देखा कि किस तरह, हमने पहले आतंकी ठिकानों को, और उसके बाद दुश्मन के सैन्य अड्डों, Airbases को तबाह किया। करने को हम और भी बहुत कुछ कर सकते थे, परंतु शक्ति और संयम, इन दोनों के समन्वय का, हमने दुनिया के सामने एक शानदार उदाहरण पेश किया। आत्मनिर्भरता के बैनर के तले हम आज Critical और frontier technologies पर भी, लगातार सफलता हासिल कर रहे हैं। Artificial Intelligence, Cyber Defence, Unmanned Systems, और Space-Based Security के क्षेत्र में भारत की पकड़ अब global stage पर मजबूती से स्थापित हो रही है।

साथियों, आपको जानकर ख़ुशी होगी कि रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए अभी दो दिन पहले ही AMCA प्रोजेक्ट को जो 5th जनरेशन फाइटर एयरक्राफ्ट भारत में ही बनाने का प्रोजेक्ट है, उसको आगे बढ़ाने के execution model को मंज़ूरी दे दी है। यह एक बहुत ही bold और decisive decision लिया गया है, जो भारत की defence capabilities को मज़बूती प्रदान करने के साथ-साथ इस देश में एयरोस्पेस सेक्टर को एक depth और नई height प्रदान करेगा।

AMCA प्रोजेक्ट के अंतर्गत पाँच प्रोटोटाइप develop करने की योजना है जिसका बाद में series production होगा। यह निर्णय मेक इन इंडिया प्रोग्राम के इतिहास में एक मील का पत्थर माना जाना चाहिए क्योंकि पहली बार किसी मेगा डिफेंस प्रोजेक्ट में पब्लिक सेक्टर कंपनियों के साथ-साथ प्राइवेट सेक्टर को भी participate करने का मौका मिलेगा।

ऑपरेशन सिंदूर में, पूरे देश की जनता ने मेक इन इंडिया अभियान की सफलता को देखा समझा और महसूस किया है। आज यह साबित हो चुका है कि मेक इन इंडिया भारत की security और prosperity दोनों के लिए ज़रूरी है।

भारत की National Security में मेक इन इंडिया, एक essential component है। यदि हमारे पास यह क्षमता नहीं होती तो भारत की सेनाएँ, पाकिस्तान के निचले हिस्से से लेकर PoK तक, आतंकवाद के ख़िलाफ़ इतनी प्रभावी कारवाई नहीं कर पातीं।

आतंकवाद का कारोबार चलाना cost effective नहीं है, बल्कि उसकी एक भारी क़ीमत अदा करनी पड़ सकती है, इसका अंदाज़ा आज पाकिस्तान को हो चुका है।

हमने आतंकवाद के ख़िलाफ़ भारत की strategy और response दोनों को Redesign और Redefine किया है। हमने पाकिस्तान के साथ अपने engagement और scope of dialogue को recalibrate किया है। अब जब भी बात होगी तो केवल आतंकवाद पर होगी, PoK पर होगी।

साथियों, मैं मानता हूँ कि पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) के लोग हमारे अपने हैं, हमारे परिवार का हिस्सा हैं। हम “एक भारत श्रेष्ठ भारत” के संकल्प के लिए प्रतिबद्ध है और हमें यह पूर्ण विश्वास है कि हमारे वो भाई जो आज हमसे भौगोलिक और राजनीतिक रूप से अलग है, वे भी अपने स्वाभिमान, आत्मा की आवाज और स्वेच्छा से भारत की मुख्य धारा में कभी न कभी जरुर वापस लौटेगें। वहां के अधिकांश लोग भारत के साथ गहरा जुड़ाव महसूस करते है, कुछ गिने चुने ही हैं, जिन्हें भटकाया गया है।

PoK में रहने वाले हमारे इन भाइयो की स्थिति कुछ ऐसे ही है, जैसे वीर योद्धा महाराणा प्रताप के छोटे भाई शक्ति सिंह की थी। छोटे भाई शक्ति सिंह के अलग हो जाने पर भी बड़े भाई महाराणा प्रताप का विश्वास अपने छोटे भाई के प्रति बना रहता है और वो बड़े विश्वास से कहते हैं-

“तब कुपंथ को छोड़ सुपथ पर स्वयं चला आएगा।

मेरा ही भाई है, मुझसे दूर कहाँ जायेगा ।।”

भारत हमेशा ही दिलों को जोड़ने की बात करता है, और हमें विश्वास है कि प्रेम, एकता और सत्य के मार्ग पर चलकर वो दिन दूर नहीं जब हमारा ही अंग PoK स्वयं लौटकर कहेगा, मैं भारत ही हूँ, मैं वापस आया हूँ। PoK की भारत से एकजुटता इस देश की सांकृतिक, समाजिक और आर्थिक समृद्धि पर निर्भर करती है।

साथियों, जब मैं मेक इन इंडिया के माध्यम से prosperity की बात करता हूँ तो मेरी बात सिर्फ़ defence manufacturing तक ही सीमित नहीं है। मेक इन इंडिया हमारे लिए वह defining moment है, जो बीसवीं शताब्दी में जापान में आया था। हम जापान की तरह ही engineering, high precision manufacturing और future technologies के लिए एक development hub बन सकते हैं।

साथियों, भारत में टैलेंट की कमी नहीं है। दुनिया की अधिकांश बड़ी बड़ी कंपनियों में भारतीय मूल के लोग बड़ी संख्या में काम कर रहे हैं। जैसे जापान ने अपनी technology और manufacturing की एक अलग पहचान पूरी दुनिया में बनाई है। वैसे ही भारत की टेक्नोलॉजी और मैनुफैक्चरिंग भी पूरी दुनिया में जब स्थापित होगी, तो उसके बाद हम जब एक पेन भी बनायेंगे तो उसकी ब्रांडिंग हम Indian technology द्वारा निर्मित कहकर कर सकेंगे।

यानि मेक इन इंडिया के माध्यम से भारत में बनी हर चीज़ पर प्रीमियम होगा जैसे कभी मेड इन जापान का होता था। यह हमारे देश में prosperity यानि समृद्धि के नए द्वार खोलेगा।

साथियों, यह हम सब का अनुभव है, हमने देखा है, कि अगर सरकार और industry साथ मिलकर चलें, तो क्या कुछ संभव हो सकता है।

माननीय प्रधानमंत्री जी की leadership में, आज भारत सिर्फ़ Defence technology का consumer नहीं रहा, बल्कि producer और exporter भी बन गया है। और जब दुनिया हमें High-End Defence Systems के लिए approach करती है, तो यह सिर्फ़ market indication नहीं होता, बल्कि यह भारत की capability का सम्मान होता है।

आज Indian industry ने, देश के भविष्य की दिशा तय करने का जो मंच तैयार किया है, वह वास्तव में प्रशंसनीय है। मुझे लगता है कि भारतीय industry, आज भारत के collective aspirations का भी संवाहक है। आज हम एक ऐसे पड़ाव पर खड़े हैं, जहाँ Government और Industry के common efforts और synergy ही भारत को अगले दशक की वैश्विक महाशक्ति बना सकता है।

साथियों, आज के समय में किसी राष्ट्र की शक्ति का मूल्यांकन केवल उसके economic index जैसे GDP, foreign investment या export के आँकड़ों से ही नहीं होता। दुनिया अब यह भी देखने लगी है, कि कोई देश अपने नागरिकों और वैश्विक समुदाय में कितना भरोसा जगा सकता है। क्या उसके लोग अपने देश की संस्थाओं, उसकी नीति और उसकी दिशा पर विश्वास करते हैं? क्या अंतरराष्ट्रीय मंच पर उस देश को stable, mature और responsible माना जाता है? यही वह मापदंड है, जो आज के युग में एक राष्ट्र को महान बनाता है।

लेकिन यह भरोसा अचानक नहीं आता। यह किसी नारे, घोषणापत्र या विज्ञापन से नहीं उपजता। यह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा होता है। जब किसी देश को यह आत्मविश्वास होता है कि वह अपने geopolitical interests को protect कर सकता है, अपने नागरिकों की सुरक्षा ensure कर सकता है, और भविष्य की अनिश्चितताओं के सामने स्थिर रह सकता है, तभी एक सच्चा, टिकाऊ विश्वास जन्म लेता है। राष्ट्र का मनोबल तभी ऊंचा रहता है जब उसे पता हो कि उसका आज भी सुरक्षित है, और आने वाला कल भी सुरक्षित है।

इन सबको देखते हुए, सरकार ने policy clarity,  indigenization, economic resilience और strategic autonomy को प्राथमिकता दी है। लेकिन इन efforts की सफलता तभी ensure हो सकती है, जब आप सभी stakeholders, innovators, entrepreneurs, manufacturers इस national mission में पुरजोर भागीदार बनें। आइए, हम सभी मिलकर यह संकल्प लें India First न केवल हमारा नारा हो, बल्कि हमारी रणनीति और कार्य संस्कृति की आत्मा भी बने।

साथियों, CII की यह gathering देश की economic strength को represent करती है। मेरा मानना है कि अगर हमें भारत को 2047 तक एक पूर्णतया विकसित राष्ट्र बनाना है, तो उसमें आपका एक विशिष्ट role होगा।

साथियों, आज आवश्यकता है, कि Indian industry भी, सरकार के साथ कदम से कदम मिलाकर एक ऐसे economic doctrine पर विचार करें, जिसमें production के आम factors के साथ-साथ national security, national interest, national goals, और national strength का भी उचित स्थान रहे। आत्मनिर्भरता का हमारा नारा एक economic policy तो है ही, वह एक strategic thinking भी है।

CII के इस महत्वपूर्ण मंच से, आज मैं भारतीय industry से यह अपील करना चाहता हूं, कि Company interest तो आप देख ही रहे हैं, लेकिन अब आप National interest पर और भी ज्यादा focus करें। इसे अगर मैं दूसरी तरह से कहूँ, तो Company interest secure करना आपका कर्म है, तो National interest secure करना आपका धर्म है। क्योंकि एक मजबूत राष्ट्र का निर्माण, उसके सभी segments का धर्म है।

जैसा कि मैंने अभी कहा, कि भारत एक तरफ आर्थिक सफलता की सीढ़ियों पर तेजी से बढ़ते हुए आज, विश्व की चौथी सबसे बड़ी economy बन कर उभरा है, और जल्द ही यह तीसरी बड़ी economy के रूप में नज़र आएगा। पर साथ ही, आज के हमारे challenges भी, लगातार बड़े होते जा रहे हैं। ऐसे में, CII जैसी संस्था का role, और भी महत्त्वपूर्ण हो जाता है। पूरा देश आपको, और भारतीय industry को, एक विशेष उम्मीद के साथ देख रहा है।

साथियों, मेरा मानना है कि CII, इस विषय पर, अपना ध्यान अनिवार्य रूप से दे भी रहा है। मैं देख रहा था, कि इस summit में आप लोग, National Manufacturing Mission, Climate resilient agriculture, Geopolitics of energy transition, AI ecosystem, Sustainable development और Digital age जैसे कई अलग-अलग dimensions पर sessions आयोजित कर रहे हैं। यह आपके comprehensive outlook, और national interest पर काम करने के resolve को दिखाता है। मैं आपके द्वारा आयोजित इस summit की सफलता की कामना करता हूँ।

अंत में आप सभी का एक बार फिर मैं आभार प्रकट करता हूँ कि आपने मुझे आमंत्रित किया। मैं आप सभी के बेहतर भविष्य की कामना करते हुए, अपनी बात को समाप्त करता हूँ।

बहुत-बहुत धन्यवाद।