Text of RM’s speech on ‘India’s National Security’ in Jammu

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में NDA सरकार के नौ वर्ष पूरे होने पर पूरे देश में जगह-जगह सभाएं कार्यक्रम और कान्क्लेव आयोजित किए गए है। इसी क्रम में मुझे आज यहां जम्मू में आन्तरिक और बाह्य सुरक्षा यानि मिलाकर राष्ट्रीय सुरक्षा विषय पर जो काम पिछले नौ वर्ष में हुआ है, उस पर बोलने के लिए आमंत्रित किया गया है। इसके लिए मैं आप सबको धन्यवाद देता हूं।

मुझे बताया गया है कि इस कार्यक्रम में सुरक्षा मामलों से जुड़े जानकार, पूर्व सैनिकों और कई बुद्धिजीवियों को आमंत्रित किया गया है। मैं यहां मौजूद आप सभी लोगों का स्वागत और अभिनंदन करता हूं।

यह मेरा सौभाग्य है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में जहां मुझे पहले पांच साल गृहमंत्री के रूप में आन्तरिक सुरक्षा संभालने की जिम्मेदारी मिली हुई थी। पिछले चार सालों से मैं रक्षा मंत्री के रूप में मैं बाह्य सुरक्षा की जिम्मेदारी देख रहा हूं। यानि National Security से जुड़े लगभग सभी पहलुओं को मुझे देखने का, उन पर काम करने का और उसमें मजबूती लाने का मुझे अवसर मिला है। बहुत कम लोगों को National Security का 360 डिग्री व्यू’ मिलता है।

अपनी बात शुरू करने से पहले मैं आपके सामने 2013-14 की एक तस्वीर खीचना चाहता हूं जब पूरे देश में राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर बड़े संशय की स्थिति थी। आतंकवादी घटनाओं से देश को आए दिन दो चार होना पड़ता था। भारत की छवि एक ऐसे कमजोर देश की बन गई थी कि हमारे दोनों पड़ोसी देश भारत के लिए नई-नई मुसीबतें पैदा करते रहते थे।

उस समय भारतीय नागरिक न तो अपने देश में बहुत सुरक्षित महसूस करते थे और विदेश की धरती पर किसी मुसीबत में फंसने पर उन्हें किसी तरह की कोई उम्मीद अपने देश की सरकार से नहीं होती थी।

आज 2023 में यानि पिछले नौ वर्षों में यह पूरा परिदृश्य बदल गया है क्योंकि राष्ट्रीय सुरक्षा को हमने सरकार की न केवल सबसे बड़ी प्राथमिकता माना है बल्कि उसे अपनी प्रतिबद्धता भी माना है।

साथियों, भारत के इतिहास में राष्ट्रीय सुरक्षा को एक व्यापक दृष्टि से यदि किसी ने पहली बार देखा तो आज से करीब 2200 साल पहले आचार्य चाणक्य ने देखा। राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर जिस तरह के विचार उन्होंने अपनी पुस्तक अर्थशास्त्रमें रखे है वे आज भी उतने ही महत्वपूर्ण है जितने कि चाणक्य और चन्द्रगुप्त मौर्य के समय में थे।

हमारे देश का इतिहास इस बात का साक्षी है कि जब जब भारत में राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर उहापोह या निष्क्रियता की स्थिति रही है तब तब हमें एक नहीं अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। हमारा इतिहास अनेक ऐसे उदाहरणों से भरा पड़ा है।

इसलिए जैसा कि मैंने शुरूआत में ही कहा राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति संवेदनशील रहना हर जिम्मेदार सरकार की पहली आवश्यकता ही नहीं बल्कि उसकी सबसे बड़ी प्राथमिकता भी होती है। जब हम राष्ट्रीय सुरक्षा को परिभाषित करते है तो उसका अर्थ होता है कि हमारे राष्ट्र के अस्तित्व, उसके विकास और उसके हितों को चोट पहुंचाने वाले, हर खतरे और चुनौती से निपटना और विजय पाना।

जब 2014 में हम श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे, तो हमने अपने घोषणा पत्र में राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता और प्राथमिकता को विस्तृत तरीके से देश के सामने रखा था। और हमें उस पर देश की जनता ने बड़ा Mandate  दिया।

लोकसभा चुनावों (2014) में जीत कर सत्ता में आने पर हमने National Security को लेकर एक खाका खींचा जिसमें मोटे तौर पर चार बातों का विशेष ध्यान रखा गया। पहला, भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता को मिलने वाली हर चुनौती और खतरे से निपटने में देश को सक्षम बनाना।

दूसरा बिंदु जिस पर हमने काम किया वह है कि देश के भीतर एक ऐसा सुरक्षित वातावरण का निर्माण करना जिसमें भारत की प्रगति का मार्ग अवरूद्ध न हो और यहां का हर नागरिक अपने जीवन को बेहतर बनाने से जुड़ी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए खुल कर काम कर सके।

तीसरा विचार बिन्दु यह बना है कि यदि भारत के हितों को चुनौती मिलती है, तो राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए किसी भी सीमा तक जाकर किसी भी तरह की कार्रवाई करने में हम संकोच नही करते।

चौथा बिन्दु जिस पर हमने काम किया है वह यह है कि हमने मित्र देशों के साथ मिलकर एक ऐसा वातावरण तैयार किया है जिसके चलते आतंकवाद और अन्य वैश्विक खतरों से निपटने के लिए आज अनेक देश कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे हैं।

यह चार बिन्दु एक तरह से हमारे लिए राष्ट्रीय सुरक्षा के नीति निर्देशक तत्व हैं, यानि ‘Directive Principles’  है।

जब हम भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा की बात करते हैं तो सबसे पहले बात सीमाओं की सुरक्षा की आती है क्योंकि यदि सीमाएं सुरक्षित नही होंगी तो राष्ट्र भी सुरक्षित नही होगा।

सीमा सुरक्षा की दृष्टि से हम सात देशों के साथ लगे 15,106 कि.मी. लम्बे Land Borders की निगरानी तो करते ही है साथ-साथ 7516.6 कि.मी. लम्बी Coast Line  और कई लाख वर्ग कि.मी. (21.72 लाख वर्ग कि.मी.) के Exclusive Economic Zone की रखवाली की भी बात करते है।

 पिछले लगभग 75 सालों में Land और Maritime Boundaries पर हमें बहुत सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। मगर हमारी सेनाओं और सुरक्षा बलों ने, मिलकर, हर चुनौती का न केवल डटकर सामना किया है बल्कि उन पर विजय भी हासिल की है।

 जब से भारत आजाद हुआ है, कई भारत विरोधी ताकतों की यह लगातार कोशिश रही है कि या तो सीमाओं पर, या फिर सीमाओं के रास्ते से भारत के भीतर अस्थिरता का माहौल बनाया जाये। पाकिस्तान की जमीन से इसके लिए बड़े पैमाने पर लगातार कोशिश की गई है।

पाकिस्तान की तरफ से भारत को चोट पहुंचाने की कितनी बार और कैसी कैसी नापाक हरकतें हुई हैं इस पर मैं विस्तार में नही जाऊंगा क्योंकि आप सब उन घटनाओं से अच्छी तरह वाकिफ है।

 सीमा पार से प्रायोजित आतंकवाद ने इस देश में हजारों निर्दोष नागरिकों की जान ली है। दुर्भाग्य से आतंकवाद को प्रायोजित करने वाली ताकतों को सही जवाब देने में देरी हुई। देरी ही नहीं बल्कि UPA सरकार में तो पाकिस्तान को ही आतंकवाद से प्रभावित देशमानने की गलती कर दी गई थी।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हमारी सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई शुरू की और पहली बार देश ही नहीं दुनिया ने जाना की Zero Tolerance against Terrorism के मतलब क्या होते है।

आतंकवाद के खिलाफ हमारी सरकार ने उरी की घटना और पुलवामा की घटना होने के बाद जिस बोल्डनेस के साथ सीमा पार जाकर आतंकवादियों का सफाया किया, वह इसके पहले इस देश में कभी नही हुआ था।

 भारत और विशेषरूप से जम्मू और कश्मीर ने लम्बे समय तक आतंकवाद का दंश झेला है। यहां के लोग इस बात को जानते है कि आतंकवाद का जहर समाज को कैसे जड़ों से खोखला करता है।

आतंकवाद का पूरे का पूरा नेटवर्क यहां जम्मू और कश्मीर में दशकों से काम कर रहा था। आज उस नेटवर्क को काफी हद तक कमजोर करके उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई है।

हमने आतंकवाद की फंडिंग पर रोक लगाई, हथियारों और ड्रग्स की सप्लाई पर रोक लगाई और आतंकवादियों के सफाए के साथ-साथ जो Under Ground  वर्कर्स का नेटवर्क यहां काम करता है उसे भी छिन्न-भिन्न करने का काम हो रहा है।

इस काम को करने के लिए जहां Will Power की जरूरत थी वहीं उन Constraints को भी समाप्त करने की जरूरत थी जो ऐसे राष्ट्र विरोधी ताकतों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई करने की राह में बाधा बनते है।

 साथियों, Article 370 और 35A के चलते जहां जम्मू और कश्मीर की आम जनता को देश की मुख्य धारा से लम्बे समय तक अलग रखा गया वहीं किसी भी राष्ट्र विरोधी ताकत के खिलाफ कार्रवाई करने में भी ये बाधक बनते थे।

 हमने इस धारा 370 को समाप्त कर दिया और दशकों में जो नाइंसाफ जम्मू और कश्मीर की जनता के साथ हो रही थी उनके साथ इंसाफ किया। आज आम जनता इस निर्णय से खुश है। तकलीफ सिर्फ उनको है जिनकी नफरत और अलगवावाद की दुकान बंद हो रही है।

आतंकवाद को State Policy की तरह इस्तेमाल करने वाले देशों को यह अच्छी तरह समझ लेना होगा कि यह खेल अब लंबा नही चलने वाला। आतंकवाद के खिलाफ आज दुनिया के अधिकांश बड़े देश एकमत और एकमन है।

 एक समय था, जब दुनिया का सबसे ताकतवर देश अमरीका आतंकवाद को एक Political Weapon की तरह देखता था मगर 9/11 की घटना के बाद उसका नजरिया बदला और आज अमरीका यह मानता है कि आतंकवाद मानवता के खिलाफ एक वैश्विक अपराध है। Terrorism is a Global Crime against Humanity.

 यहां तक कि मुस्लिम देशों में भी यह नजरिया बन चुका है कि Terrorism is Unacceptable. यानि भारत जो बात कई सालों से कह रहा था, वही बात अब लगभग पूरी दुनिया मानने लगी है।

 अभी प्रधानमंत्री मोदी जी ने अमरीकी राष्ट्रपति, जो बाईडेन के साथ जो Joint Statement जारी की है उसे पढ़ने पर साफ पता चलता है कि आज भारत ने आतंकवाद के मुद्दे पर कैसे अमरीका समेत पूरे विश्व की मानसिकता बदल दी है।

 इस Joint Statement में साफ कहा गया है कि UN Listed Terrors Organisation, जिनमें लश्करे तैय्यबा, जेश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिद्दिन शामिल है उनके खिलाफ Concerted Action होना चाहिए।

 इस Joint Statement में यह भी कहा गया है कि पाकिस्तान अपने यहां होने वाली हर आतंकी कार्रवाई पर लगाम लगाए और अपनी जमीन का इस्तेमाल इसके लिए न होने दें। साथ ही 26/11 और पठानकोट के हमलों के दोषियों पर कार्रवाई करें।

 इसी तरह Terror Funding  को समाप्त करने पर भी Joint Statement में बात की गई। यह छोटी कामयाबी नही है क्योंकि इससे यह सिद्ध हो गया है कि भारत जो कुछ भी पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को खत्म करने के लिए कर रहा है, वह सही दिशा में जा रहा है।

 स्वाभाविक है कि पाकिस्तान के हुक्मरानों को इस Joint Statement से मिर्ची लगेगी। उनकी तरफ से फिर से वहीं रटा रटाया बयान आया है कि भारत दुनिया का कश्मीर से ध्यान हटा रहा है। मैं पाकिस्तान की सरकार को स्पष्ट बताना चाहता हूं कि कश्मीर की रट लगा कर कुछ हासिल नही होगा। अपना घर संभालिए। जिस तरह के हालात वहां है उसमें कुछ भी जाए तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए।

 जम्मू एवं कश्मीर का एक बड़ा हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे में है। वहां के लोग देख रहे है कि इस तरफ लोग अमन और चैन के साथ अपनी जिंदगी बिता रहे है। वहां जब पाकिस्तान की सरकार द्वारा उन पर जुल्म किया जाता है तो हमें तकलीफ होती है।

 PoK पर सिर्फ गैर कानूनी कब्जा कर लेने से पाकिस्तान की कोई Locus Standi नहीं बनती है। भारत की संसद में PoK को लेकर एक सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित है कि वह भारत का ही हिस्सा है। इस मंशा के एक नहीं कम से कम तीन प्रस्ताव संसद में अब पारित हो चुके है।

 साथियों, हमारा दूसरा पड़ोसी देश, चीन है। चीन के साथ भी कई बार कुछ मुद्दों को लेकर मतभेद हो जाता है। यह सच है कि लम्बे समय से चीन के साथ सीमा को लेकर एक Perceptional Difference है। इसके बावजूद कुछ ऐसे समझौते हैं, Protocols हैं जिनका पालन करते हुए दोनों देशों की सेनाएं पैट्रोलिंग करती है। यह समझौते नरसिम्हराव जी के समय में, अटलजी के समय में और डॉ. मनमोहन सिंह जी के समय में दोनों देशों की सहमति के आधार पर हुए है।

 साल 2020 में पूर्वी लद्दाख में जो विवाद पैदा हुआ उसका कारण था कि चीन की सेनाओं ने Aggreed Protocols को नजरअंदाज किया था। चीनी सेना PLA ने Unilateral तरीके से LAC पर कुछ बदलाव करने का प्रयास किया जिसे हमारे सैनिकों ने विफल कर दिया।

 गलवान की उस घटना को तीन वर्ष बीत चुके है मगर जिस शौर्य, पराक्रम और साथ में संयम का परिचय भारतीय सेना ने दिया है वह देश कभी भूल नही सकता और आने वाली पीढ़ियां भी उन जांबाज सैनिकों पर गर्व करेंगी।

बहुत सारी बातें है जिनकी चर्चा मैं सार्वजनिक रूप से नहीं कर सकता मगर जब गलवान का इतिहास लिखा जाएगा तब पूरा देश उनके शौर्य और पराक्रम पर गर्व करेगा। यह बात मैं पूरे विश्वास के साथ आपके सामने कहना चाहता हूं।

 मुझे तकलीफ तब होती है जब सरकार को कटघरे में खड़े करने के प्रयास में हमारे देश के सैनिकों के पराक्रम पर ही प्रश्नचिन्ह लगा दिया जाता है। भारतीय सेनाओं की प्रतिष्ठा उनकी बहादुरी और उनकी निष्ठा पर भारतवासियों को नाज है।

 भारत और चीन के बीच सीमा के विवाद का हल बातचीत के रास्ते और शान्तिपूर्ण ढंग से हो यह हम चाहते है। Military और Diplomatic Level पर बातचीत जारी है।

 मैं आप सभी को आश्वस्त करना चाहता हूं कि प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में हम भारत की सीमा, उसके सम्मान और स्वाभिमान से समझौता नहीं करेंगे। सीमाओं की पवित्रता को हम कतई भंग नही होने देंगे।

 मित्रों’ चीन के साथ 1962 में जो हुआ उससे हमने बहुत सबक लिया है। उस समय देश में Border Infrastructure की स्थिति बहुत खराब थी। आज स्थिति बहुत तेजी से बदल रही है।

 हमारी सरकार ने रोहतांग में अटल टनल का निर्माण किया है। यह प्रोजेक्ट लम्बे समय से लटका था। हमारी सरकार ने 26 सालों का काम 6 साल में करके दिखाया है। जितने High Altitude पर यह टनल बना है, उतने High Altitude पर इतना बड़ा विश्व में कहीं भी कोई दूसरा Tunnel नहीं है। इसका Strategic Importance भी है। यह टनल उत्तरी सीमाओं पर सेनाओं के आवागमन को बहुत सुगम बनाता है और एक Strategic Advantage भी देता है।

 आज तो लद्दाख में 19 हजार फीट की ऊंचाई पर दुनिया की सबसे ऊंचाई पर रोड़ बना दी है। उमलिंग ला पास पर रोड़ बना कर BRO ने दुर्गम इलाकों को जोड़ दिया है।

 अब BRO लद्दाख में 135 कि.मी. लम्बा एक और हाईवे बना रहा है जो डेमचोक और चुसूल को जोड़ देगा। यानि पैंगांग सो तक पहुंचने का रास्ता काफी आसान हो जाएगा।

 आज Border Roads Organisation बड़ी तेजी से देश के सभी सीमावर्ती इलाकों में सड़कों, पुलों और अन्य Infrastructure Projects का निर्माण कर रहा है। लद्दाख ही नहीं, जम्मू कश्मीर, हिमाचल, उत्तराखण्ड, अरूणाचल प्रदेश सभी सीमाई राज्यों में Infra निर्माण जारी है।

यह सब इसलिए हो रहा है क्योंकि राष्ट्रीय सुरक्षा में Border Infrastructure  की मजबूती बहुत जरूरी है साथ ही जो भारतीय नागरिक तमाम कष्ट झेलने के बावजूद सीमावर्ती इलाकों में रहते है उन्हें भी इसका लाभ होता है। सीमाओं पर रहने वाले नागरिक हमारे लिए Strategic Asset है। उनके हितों को ध्यान में रखते हुए भी Border Infrastructure  मजबूत करना जरूरी है।

 साथियों, एक समय था जब North East का पूरा इलाका Insurgency की चपेट में था। पिछले नौ सालों में North East में शांति का एक नया दौर आया है। बड़ी संख्या में Insurgents या तो मारे गए है या तो मुख्यधारा में शमिल हो गए। आज आप पूर्वोत्तर के राज्यों में जायें तो आपको पूरी तस्वीर बदली हुई नजर आएगी।

 मैं तो यहां तक कहना चाहूंगा कि मोदीजी के अब तक के प्रधानमंत्री काल की सबसे बड़ी Strategic Victory North East में शांति की बहाली है। मुझे इस बात का व्यक्तिगत रूप से भी संतोष है कि पांच साल मुझे भी गृहमंत्री के रूप में इस Peace Process को गति देने का अवसर मिला है।

 पूर्वोत्तर भारत में Insurgency की समस्या पर जहां हमने काबू पाया है वहीं वामपंथी उग्रवाद पर भी नियंत्रण पाने में हमें सफलता हासिल हुई है। आज North East के बड़े हिस्से में AFSPA हटा लिया गया है। मुझे तो उस दिन का इंतजार है जब जम्मू और कश्मीर में भी Permanent Peace आएगी और यहां से भी AFSPA हटाने का मौका मिलेगा।

 मुझे इस बात की खुशी है कि आन्तरिक सुरक्षा से जुड़े हर संकट के खिलाफ वर्तमान गृहमंत्री श्री अमित शाह के नेतृत्व में बड़े प्रभावी ढंग से कार्रवाई चल रही है।

 मित्रों, जहां Land Borders की रक्षा जरूरी है वहीं भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा में Maritime Security and Defence भी बेहद महत्वपूर्ण है।

 आज भारत दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। भारत की Geographic Location ऐसी है कि भारत अपनी Economy के साथ-साथ Global Economy और Trade की दृष्टि से भी एक बड़ी भूमिका निभा रहा है। आज भारत दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की तरफ अग्रसर है। इसलिए समुद्र की सुरक्षा भी हमारे लिए जरूरी है।

 Maritime Security और Co-operation को बढ़ाने के लिए, भारत ने एक स्ट्रैटेजिक विजन की संकल्पना की है, जिसे हम Security and Growth for All in the Region, यानि “SAGAR” के नाम से जानते हैं।

 SAGAR के द्वारा हमारे Coastal Neighbours  के साथ, भारत के आर्थिक और सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा मिला है। इसके द्वारा मानवीय सहायता, Piracy  और आतंकवाद को कम करने में भी काफी मदद मिली है।

 हिंद महासागर का पूरा इलाका जो हम देखते हैं वहां पर आज भारतीय नौसेना Net Security Provider की भूमिका में है। मैं आप लोगों को यह बताना चाहूंगा कि Indian Navy और Coast Guard ने इस महासागरीय क्षेत्र में एक ऐसा भरोसा और विश्वास अन्य देशों के अन्दर पैदा किया है कि उन्हें वे Indian Ocean में सबसे बड़े संकट मोचक और रक्षक के रूप में देखा है।

 आज दुनिया की बड़ी से बड़ी नौसेनाएं भारत के साथ मिल कर अभ्यास करना चाहती है। पिछले दिनों मैंने दक्षिण भारत का दौरा किया और Southern Naval कमांड सहित भारत के आसपास के समुद्रीय क्षेत्र में नौसेना की ताकत को करीब से अनुभव किया है।

 हमने तो अब विक्रांत जैसा विशाल एयरक्राफ्ट कैरियर भी बना लिया है जो विक्रमादित्य के साथ मिलकर देश की समुद्री सीमाओं की रक्षा कर रहा है। मेरा तो यहां तक मानना है कि इस नए दशक में भारतीय नौसेना दुनिया की Top Three नौसेनाओं में से एक बन जाएगी।

 साथियों, आज हमने हमारे Neighbourhood  की अवधारणा को भी और व्यापक स्वरूप प्रदान किया है। हमारे आस-पास ऐसे भी अनेक देश हैं, जिनकी सीमाएं हमारी थलीय सीमा से नहीं लगती है। लेकिन वह हमारी एक्सटेंडेड नेबरहुडकी संकल्पना के तहत आते हैं। ऐसे देशों के साथ भौगोलिक दूरी भले ही हो, पर दिलों की नजदीकी अच्छी तरह कायम है।

आज global threats और challenges का स्वरूप इतना dynamic  हो गया है कि यह आवश्यक हो गया है कि हमारा Responce भी Integrated  और United हो। भारत एक प्रमुख regional power है, इसलिए हमारे extended neighbourhood  के साथ अन्य देशों को लेकर अपनी सुरक्षा चिंताओं को align करना हमारे लिए महत्वपूर्ण है।

राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से भारत का पश्चिम एशिया के देशों के साथ बेहतर संबंध होना काफी महत्वपूर्ण हो जाता है। यह सारे देश, जिनमें सऊदी अरब, कतर,बहरीन, संयुक्त अरब अमीरात, जोर्डन, ईजरायल, फिलिस्तीन इत्यादि शामिल हैं भारत की Energy और Strategic Balance की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है।

साथ ही इन देशों में बड़ी संख्या में भारतीय नागरिक भी रहते है, जो काम और व्यापार के सिलसिले में वहां रहते है।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने विशेष रूप से इस इलाके के देशों के साथ बेहतर संबंध बनाने पर ध्यान केन्द्रित किया है। परिणाम सामने है, यहां के अधिकांश देश आतंकवाद को किसी भी हाल में समर्थन नही दे रहें है।

इससे हमारे सुरक्षा संबंधों में काफी सुधार हुआ है, और सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। भारत ने इन देशों में Extradition की मांग की है और             anti-national elements के खिलाफ कार्रवाई भी अब इन देशों में हो रही है।

 भारत की ‘Neighbourhood First’, ‘Act East’ और ‘Indo-pacific’ नीतियां आपस में जुड़ी हुई हैं।

 साथियों, आजकल Indo Pacific की खूब चर्चा हो रही है। भारत का दृष्टिकोण Indo-Pacific के लिए काफी सकारात्मक है। भारत की इस क्षेत्र में मजबूती हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में है। मैं आपको यह बताना चाहूंगा कि आने वाले दिनों में Indo-Pacific का क्षेत्र बहुत अहम होने वाला है।

 मित्रों, इस Globalised और Integrated world में भारत की security scenario का समीकरण तब तक सही नही बैठेगा, जब तक विश्व के major powers के साथ हमारा अच्छा तालमेल न हो।

 भारत ने विश्व के traditional superpowers जैसे अमरीका और रूस के साथ बहुत ही सौहार्दपूर्ण तरीके से संबंधों का निर्वाह किया है जबकि इसके साथ-साथ हमने Global Economic Powerhouses जैसे जापान एवं South Korea के साथ भी अच्छे संबंध बनाए हैं।

 आज भारत-अमेरिका का संबंध वास्तव में एक Natural Ally के रूप में देखा जा रहा है। दोनों ही देशों में एक बड़ी समृद्ध लोकतांत्रिक परम्परा है और अब सुरक्षा की दृष्टि से भी दोनों देश बेहद करीब आ रहे है। अमरीका के साथ हमने Strategic Partnership की है जो हाल में और अधिक गहरी हुई है।

हम भारत-अमेरिका Defence Cooperation को काफी प्राथमिकता दे रहे है। दोनों देशों के बीच Military-to-Military engagement के विस्तार, information sharing, artificial intelligence, साइबर और अंतरिक्ष, आपसी logistics support जैसे क्षेत्रों में सहयोग बड़ी तेजी से बढ़ा है।

 आज भारत-अमरीका रक्षा सहयोग एक नए युग में प्रवेश कर चुका है। अभी प्रधानमंत्री मोदीजी का दौरा हुआ है। वह Defence Cooperation  की दृष्टिकोण से बड़ा ही Landmark Event है। यह बहुत बड़ी बात है कि Joint Statement में दोनों नेताओं ने Defence Industrial Cooperation में आने वाले हर Road Block को दूर करने का संकल्प किया है।

 अमरीकी एयरोस्पेस कम्पनी GE और भारत के HAL के बीच एयरक्राफ्ट इंजन बनाने का जो समझौता हुआ है, उससे भारत जेट ईंजन बनाने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। अब तेजस विमानों में Make in India ईंजन लगेंगे। 

भारत अमरीका दोस्ती को बढ़ाने के लिए MQ-9B ड्रोन खरीदने का एक समझौता भी हुआ है जो भारत में ही Assemble होंगे। इनका MRO भी भारत में ही लगाया जाएगा।

मित्रों, राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से भारत की सेनाएं सरहदों और सागर की सुरक्षा करने में पूरी तरह सक्षम है। सरकार की तरफ से उन्हें पूरा Supprot और Encouragement है। Modern Technology और Weaponry के साथ उनको लैस करना हमारी प्राथमिकता है ताकि भारत की सेनाएं दुनिया की Modern Armies की फ्रंटलाईन में गिनी जाए।

यदि हमारी प्राथमिकता नहीं होती तो भारत की वायुसेना का New Generation Fighter Plane के लिए बीस सालों का इंतजार अभी खत्म नही होता। आज वायुसेना के पास राफेल जैसे 5th जनरेशन मल्टीरोल फाईटर प्लेन आ चुके हैं और अब भारत की संप्रभुता, अखण्डता, सीमा सुरक्षा के लिए किसी भी चुनौती का जवाब देने की हमारी ताकत काफी बढ़ चुकी है।

मगर भारत अपनी सामरिक और सैन्य ताकत के लिए आयातित हथियारों पर निर्भर नही रहना चाहता इसलिए ही हमारे प्रधानमंत्री जी ने हम सबके सामने लक्ष्य रखा है कि मेक इन इंडियाऔर मेक फॉर वर्ल्ड। यह हमारा आत्मनिर्भरता का संकल्प है।

राष्ट्रीय सुरक्षा का ताना बाना तभी मजबूत होगा जब भारत अपनी रक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए दूसरों पर निर्भर न रहे। आज रक्षा बजट में भारतीय कंपनियों से सामान खरीदने के लिए अलग से भी बजट की व्यवस्था है। अब 75 फीसदी हथियार भारतीय कंपनियों से ही खरीदने की बजटीय व्यवस्था बना दी गई है।

हम पहली ऐसी सरकार हैं, जिसने हथियारों के आयात के लिए खुद पर ही प्रतिबंध लगाया है। हमने सेनाओं की ओर से 411 items की, एवं Defence PSUs की 4,666 items की positive Indigenization Lists जारी की है। इसमें शामिल Line-replaceable unit, हथियार, गोले बारूद, मिसाइल और अन्य रक्षा साजो सामान शामिल हैं, जिनका निर्माण अब केवल और केवल हमारे ही देश में होगा।

भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कई Structural Reforms यानि ढांचागत सुधार भी किए जा रहे है। आप सब जानते हैं ही कि लम्बे समय के बाद देश में एक Chief of Defence Staff  का गठन किया गया है। साथ ही रक्षा मंत्रालय में Department of Military Affairs का भी गठन किया गया है। इन्हें आजादी के बाद भारत में हुए सबसे बड़े Defence Reforms के रूप में गिना जाता है।

Defence Reforms की इसी नीति पर आगे बढ़ते हुए हम एक नए तरीके से Theatre Commands का निर्माण करने की दिशा में काम कर रहे है। यह भी अपने आप में एक क्रांतिकारी सुधार होने जा रहा है।

मित्रों, भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर जिस बड़े पैमाने पर काम चल रहा है वह अपने आप में अभूतपूर्व है। सुरक्षा से जुड़े हर विभाग के बीच एक बहुत अच्छा तालमेल देखने को मिल रहा है। इसके बावजूद हम इस बात को लेकर सचेत हैं कि हमारी दृष्टि भारत विरोधी ताकतों के नापाक इरादों और मंसूबों को फलीभूत नही होने दे।

आज का विषय ऐसा है जिस पर दिन भर बोला जा सकता है, मगर समय की मर्यादा है और एक समय सीमा इसलिए एक अंतिम बात कहते हुए मैं अपना निवेदन समाप्त करूंगा।

इस समय देश में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में जो सरकार चल रही है, वह राष्ट्रीय सुरक्षा, राष्ट्रीय स्वाभिमान और राष्ट्र के उत्थान से जुड़े मुद्दों पर समझौता किसी भी सूरत में नहीं करेगी। आप सभी प्रबुद्धजनों को मैं इस बात पर आश्वस्त करना चाहता हूं। इसी के साथ मैं आप सभी को धन्यवाद देते हुए अपना निवेदन समाप्त करूंगा।