Text of RM’s speech on Defence Accounts Department Day

सबसे पहले मैं, Defence Accounts Department के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को, Defence Accounts Department के स्थापना दिवस की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ।

 

आप लोगों को, मैं एक और बात पर बधाई देना चाहता हूं। अभी मैं CGDA office की साफ-सफाई का जायज़ा ले रहा था। यकीन मानिए, यहाँ का परिसर देखकर मेरा मन प्रसन्न हो गया। साथियों, स्वच्छता किसी भी व्यक्ति, समाज, संस्था व राष्ट्र के लिए बेहद महत्वपूर्ण होती है। हम सब स्वच्छ और साफ-सुथरे रहना चाहते हैं। न सिर्फ बाहरी और शारीरिक रूप से, बल्कि वैचारिक और व्यावहारिक रूप से भी हम स्वच्छ रहना चाहते हैं।

हममें से प्रत्येक व्यक्ति जिस संस्था से जुड़ा है, जिस office से जुड़ा है, वह उसकी स्वच्छता को लेकर भी बहुत सजग रहता है। जब हम अपने विचारों को, अपनी नीयत को, अपने व्यवहार को साफ रखना चाहते हैं, तो ऐसे में भला हमारा काम करने का जो स्थल है, हमारा जो कार्यालय है, जो प्रांगण है, जो भवन है, वह कैसे गंदा रह सकता है? माननीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के सपने को पूरा करने के लिए भारत में स्वच्छता का जो जन आंदोलन चला है, जो सामाजिक आंदोलन चला है, हम सब उसके भागीदार हैं। और इस मुहिम में आप सबने स्वच्छता के जो आयाम गढ़े हैं, उसके लिए आप सब प्रशंसा के हकदार हैं।

 

साथियों, एक विभाग के रूप में DAD की जो यात्रा रही है, वह किसी मैराथन से कम नहीं है। बीते पौने तीन सौ वर्षों से कोई विभाग सतत अपनी यात्रा को जारी रखे हुए है, यह सोचकर ही एक रोमांच का अनुभव होता है।

इतने लंबे समय तक खुद का अस्तित्व बनाए रखने के साथ-साथ एक relatively transparent and efficient system का उदाहरण बनके रहना, मैं समझता हूँ अपने आप में बहुत बड़ी बात है। इस विभाग ने तथा आप सबने अपनी क्षमता, ईमानदारी और मेहनत से भारत की defence capabilities को लगातार enhance करते रहने का जो काम किया है, उसके लिए यह विभाग, और आप सब बधाई के पात्र हैं।

 

साथियों, एक विभाग के रूप में आप सबका जो हिसाब-किताब करने का काम है, उसे मैं अत्यंत महत्त्वपूर्ण समझता हूँ। हिसाब-किताब तो हमेशा से ही, किसी भी कालखंड में, economy का एक important part रहा है। हिसाब-किताब के बिना न तो कोई परिवार चल पाता है, न ही कोई संस्था चल पाती है, और न ही कोई राष्ट्र अच्छे से प्रगति कर पता है। हम अपनी mythology में भी देखते हैं, कि हिसाब-किताब तो हमारी संस्कृति का भी एक अभिन्न हिस्सा है।

आप सबने भगवान चित्रगुप्त के बारे में सुना होगा, कि कैसे वह हर मनुष्य के पाप-पुण्य का लेखा-जोखा रखते हैं। हिसाब-किताब इस कदर important है कि इसके लिए देवताओं को भी मेहनत करनी पड़ती है। इसलिए मैं समझता हूं, कि आप सबके द्वारा किया जा रहा यह लेखा-जोखा और मूल्यांकन का काम, किसी दैवीय काम से कम नहीं है।

 

साथियों, हिसाब-किताब या लेखा-जोखा इसलिए भी बेहद आवश्यक हो जाता है, क्योंकि एक व्यक्ति के रूप में, एक संस्था के रूप में तथा एक राष्ट्र के रूप में हमारी आवश्यकताएं असीमित होती है, लेकिन हमारे पास जो उपलब्ध संसाधन होते हैं वह सीमित मात्रा में होते हैं। ऐसे में हमें सीमित संसाधनों का proper utilization करके उससे optimum output निकालना होता है। आप, Defence sector में हमारे पास उपलब्ध संसाधनों का जिस प्रकार से optimum utilization ensure करते हैं, उसे देखकर मुझे अत्यंत प्रसन्नता होती है।

साथियों, मुझे अच्छे से याद है, जब मैं पिछली बार आप लोगों के बीच आया था, तो हमारी बातचीत के क्रम में मैंने आपको अपनी तरफ से कुछ सुझाव भी दिए थे। मैंने आपको एक उदाहरण के साथ यह बताने का प्रयास किया था, कि जिस प्रकार से Income Tax Department एक faceless payment mechanism लेकर आया है, जिससे departmental officers और individual taxpayers, दोनों ही के समय की बचत होती है तथा एक transparency भी आती है। उसी प्रकार DAD के लिए भी एक faceless payment mechanism विकसित करने का सुझाव मैंने दिया था।

 

इसके अतिरिक्त, मैंने आपको internal vigilance mechanism को भी मजबूत करने की सलाह दी थी। क्योंकि आप सबका जो काम है, defence sector के finance system में एक watchdog, यानी चौकीदार की भूमिका का भी है।

एक चौकीदार का यह काम होता है कि वह जिस घर की सुरक्षा कर रहा है, उस घर में कोई अनावश्यक प्रवेश न करे। इसलिए मैंने आप सबको यह सुझाव दिया था, कि आप एक ऐसा vigilance का mechanism develop करें, कि यदि किसी भी अधिकारी के कामकाज में कोई संदिग्ध गतिविधि आपको दिखाई दे, तो उसका त्वरित review किया जा सके। इससे दो चीज होगी। पहला तो यह, कि आप उस problem से जल्दी से जल्दी deal कर पाएंगे, और दूसरा, आप पर देश की जनता का भरोसा भी बढ़ेगा।

 

साथियों, मुझे याद है, कि faceless payment mechanism पर CGDA के Officers द्वारा एक detailed briefing मुझे दी गई थी। यदि आपने इस mechanism पर कुछ कदम आगे बढ़ाया है, तो मुझे पूरा विश्वास है कि बाकी के जो सुझाव हैं, उन पर भी आपने अपनी तरफ से कुछ ना कुछ सकारात्मक प्रयास जरूर किया होगा।

 

साथियों, जैसा कि मैंने अभी जिक्र किया, कि आपकी यात्रा 276 वर्षों से अनवरत चली आ रही है। अब जब किसी संस्था या विभाग की इतनी लंबी यात्रा होती है, तो इस यात्रा के दौरान उसमें अनेक परिवर्तन भी आते हैं। यह परिवर्तन ही उस संस्था को जीवंत बनाए रखते हैं। अभी कुछ दशक पहले तक आपका नाम Military Account Department यानि MAD हुआ करता था, जो अब Defence Account Department यानि DAD है। पहले आप मैड थे, और अब आप डैड हैं; और इस सफर में आपने बहुत कुछ देखा है। कई बार नाम बदले गए, कई बार administrative control बदले गए, लेकिन तमाम बदलावों के बीच इसके आदर्श, मूल्य और निष्ठा, आज भी जस के तस institution में बरकरार हैं। यह निश्चित ही समस्त DAD परिवार के लिए गौरव का विषय है।

 

साथियों, यह गौरव आगे भी बरकरार रहे, इसके लिए आपको हमेशा प्रयास करना है। इसलिए मैं आपसे, professional capabilities develop करने के ऊपर भी कुछ बातें करना चाहता हूं। वैसे तो मुझे पता है, कि आप सब बेहद काबिल हैं। आपका training mechanism भी बहुत दुरुस्त है। लेकिन उसके बावजूद जैसे-जैसे समय तेजी से बदल रहा है, वैसे-वैसे हर क्षेत्र में जटिलताएं आती जा रही है। और उन जटिलताओं का सामना करने के लिए आपको स्वयं को लगातार update करना पड़ेगा। जैसा कि मैंने पहले भी कई अवसरों पर कहा है, कि आप IIMs और ICAI जैसे reputed academic & professional institutions के साथ collaboration करें और अपनी requirements के अनुसार customized training module बनवाकर adopt करें।

 

आपके कई सारे कामों में एक बेहद महत्वपूर्ण काम है financial advice देने का। जब भी कोई user agency, कोई product खरीदना चाहती है, तो उनको financial advice देते समय आपके लिए दो broad बातों को समझना जरूरी है। पहला user agency की demand का realistic assessment, और दूसरा supply side की समझ। Supply side की समझ से मेरा आशय यह, कि जो product खरीदा जा रहा है, उसके market की आपको समझ हो। जब हम बाजार से कुछ सामान खरीदते हैं, तो उसके लिए कुछ चीजों पर ध्यान देने की जरूरत होती है। सबसे पहले तो यह, कि जो product हम खरीद रहे हैं, वाकई इस product की हमें आवश्यकता है भी या नहीं, जिसे मैंने अभी realistic demand assessment कहा।

 

हालाँकि product की आवश्यकता को लेकर आप सभी पर्याप्त समझ रखते होंगे, क्योंकि आप सभी defence sector से जुड़े हुए लोग हैं। आप भली-भाँति इस बात को जानते हैं, कि बदलते समय के अनुसार कौन सा product हमारे defence forces के लिए जरूरी है, और कौन सा नहीं। लेकिन बाजार से कुछ सामान खरीदते समय जो दूसरी चीज सबसे महत्वपूर्ण होती है, वह है supply side के बारे में हमारा ज्ञान। अर्थात हमें इस चीज के बारे में अपना ज्ञान बढ़ाना होगा, कि दुनिया में कौन सा defence equipment किन कीमतों पर available है। और जिस cost पर हम कोई equipment खरीद रहे हैं, उससे कम cost पर उतनी ही effectiveness या उससे ज्यादा effectiveness का product market में कहीं और available है या नहीं।

 

यदि इन दो चीजों की आपकी समझ अच्छी रहेगी, तो इससे आपकी financial advice की quality में और इजाफा होगा। अब इस समझ को develop करने के लिए आप क्या कर सकते हैं? इसके लिए आप दो तरीके से आगे बढ़ सकते हैं।

 

पहला तरीका तो यह है, कि आप अपने विभाग के अंदर ही एक ऐसा in-house mechanism बनाएं; कुछ experienced लोगों की एक standing committee बनाएं, जो market forces के बारे में research  एवं study करें, और आवश्यकतानुसार आपके field officers को high quality market intelligence दे सकें। आप सबने ध्यान दिया होगा, कि बड़े banks और financial institutions, अपने यहाँ in-house economic intelligence & research team develop करते हैं। Defence Account Department को भी, इसी तर्ज पर market research एवं intelligence के लिए, in-house team develop करने की आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त दूसरा तरीका यह है, कि आप industry associations, business schools, आदि के साथ collaboration करें। इनके साथ collaboration करके, उनकी सहायता से भी आप market conditions के बारे में अच्छे से study कर पाएंगे। मुझे पूरा विश्वास है, कि आप सभी आपस में मिल बैठकर, विचार करेंगे और इस दिशा में आगे बढ़ेंगे।

 

साथियों, DAD आज अपना स्थापना दिवस मना रहा है। अभी कुछ दिनों पहले एक स्वाधीन राष्ट्र के रूप में भारत ने भी अपना 76वां वर्ष पूरा किया। आप सब तो जानते ही हैं, कि यह जो कालखंड है, कोई साधारण समय नहीं है। यह काल अमृतकाल का है। और इस अमृतकाल की समाप्ति तक भारत जब अपना 100वाँ स्वाधीनता दिवस मना रहा होगा, और आपका विभाग 300 वर्ष पूरे कर रहा होगा। उस समय, यानि 2047 तक हमने भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य रखा है।

 

अब स्वाभाविक है, कि यदि हम एक विकसित राष्ट्र बनाएंगे, तो हमारे पास आज की स्थिति से भी कहीं अधिक सशक्त armed forces की जरूरत होगी। हमारी forces के पास आधुनिक arms and equipment होने चाहिए। इसके लिए आवश्यक है, कि हमारे पास जो उपलब्ध financial resources हैं, उनका अच्छी तरीके से utilization हो; services की demands और available resources के आवंटन के बीच एक fine balance हो। इस balancing में आप सबकी भूमिका बेहद महत्वपूर्ण होने वाली है; इसके लिए आप स्वयं को तैयार रखें।

 

वैसे मैं समझता हूँ, कि आम ज़िंदगी हो या कोई profession, balance की बात करना जितना आसान है, उसे implement करना उतना ही नाको चने चबाना होता है; पर आप लोगों की काबिलियत की मैं प्रशंसा करता हूँ, कि आप लोग हमेशा इस परीक्षा में खरे उतरे हैं। और जैसा कि एक अमेरिकी लेखक टॉमस मर्टन कहते हैं, कि Happiness is not a matter of intensity, but of balance, and order, and rhythm, and harmony.” आज अगर देश की सुरक्षा में सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा है, सब जगह संतोष है, तो उसके पीछे, आप सभी द्वारा बनाया गया यही balance, यही order, यही rhythm, और यही harmony है।

 

आज हमारे बीच FADS रसिका चौबे जी उपस्थित हैं। अपना कार्यभार संभालने के बाद से ही आपने जिस परिपक्वता व समझदारी के साथ, इस पद की जिम्मेदारियों का वहन किया है, उसके लिए रसिका जी बधाई की पात्र हैं। Accounts department तो अपने आप में ही एक ऐसा department होता है, जिसकी जिम्मेदारी लेकर आप सबको खुश नहीं रख सकते, क्योंकि संसाधन सीमित होते हैं, और आवश्यकताएं अधिक होती हैं। कई बार हमें किसी को मना करना पड़ता है, किसी की नाराजगी मोल लेनी पड़ती है। लेकिन इतनी चुनौतियों के बावजूद भी रसिका चौबे जी ने और उनकी leadership में इस विभाग ने जिस प्रकार से काम किया है, वह सराहनीय है।

 

मैं ईश्वर से यह कामना करता हूं, कि आने वाले समय में DAD और फले-फूले। साथ ही साथ मुझे यह भी विश्वास है कि आप सभी इसी प्रकार निष्ठा और लगन के साथ अपनी भूमिका का निर्वाह भविष्य में भी करते रहेंगे।

इस अवसर पर अब और कुछ अधिक न कहते हुए, मैं विभाग में चल रही समस्त योजनाओं की सफलता की कामना करता हूं। मैं ईश्वर से यह भी प्रार्थना करता हूं, कि यह संस्थान जिस प्रकार से पिछले पौने तीन सौ वर्षों से काम करता आ रहा है, वह आगे भी इसी प्रकार से अपनी जीवंतता को बनाए रखे।

 

आपने मुझे आमंत्रित किया, इसके लिए आप सभी का हार्दिक धन्यवाद। जय हिंद!