Text of RM’s speech during interaction with the Asian Games Medal Winners from Indian Armed Forces

सर्वप्रथम मैं, Asian games में, आप सभी खिलाड़ियों को, आपके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए बधाई देता हूं। आप सभी, भारत की मिट्टी के वो लाल हैं, जिन्होंने asian games में अपने प्रदर्शन से हम सभी भारतवासियों का मस्तक ऊंचा किया है। आप सभी का यह प्रदर्शन, एक नए और सशक्त भारत के साथ-साथ, तीव्र गति से बढ़ते हुए भारत की भी पहचान है। आप सभी जानते होंगे, कि Olympic का motto है “faster, higher, stronger- together”. मैं समझता हूँ, कि माँ भारती के लिए भी हम और आप इसी संकल्प के साथ काम कर रहे हैं, कि हम तेज गति से आगे बढ़ें, ऊँची उड़ान भरें, और मज़बूत बनें, और ये सब चीज एक साथ मिलकर करें।

 

आप सभी medalists को ढेर सारी बधाइयाँ। वैसे तो medal लाकर देश का गौरव बढ़ाना, अपने आप में श्रेष्ठतम पुरुस्कार है, फिर भी रक्षा मंत्रालय परिवार की ओर से, मैं यह घोषणा करना चाहता हूँ कि सभी Gold medal विजेताओं को 25 लाख रूपये, Silver medal विजेताओं को 15 लाख रूपये और Bronze medal विजेताओं को 10 लाख रूपये दिए जायेंगे।

 

साथियों, आप लोग जानते होंगे, कि दुनिया की कई studies यह बताती हैं, कि किसी भी देश की जो sports की progress है, जो उसके sporting performance में reflect होती है, वह कमोबेश उस देश की economic prosperity के proportional होती है। अर्थात अधिकांशतः यह देखा गया है, कि कोई देश जैसे-जैसे economic progress करता जाता है, वैसे-वैसे खेल के क्षेत्र में भी उस देश के प्रदर्शन में बेहतरी होती जाती है। हालांकि कुछ देश इसके अपवाद जरूर होते हैं, लेकिन अधिकांशत: ऐसा ही देखा जाता है। भारत के संदर्भ में भी यही बात दिखती है, कि जैसे-जैसे भारत economic रूप से एक सशक्त राष्ट्र बनता जा रहा है, वैसे-वैसे हमारे medals की संख्या भी हर मैदान में बढ़ती जा रही है।

 

साथियों, इस बार के एशियन गेम्स में हमने कुल मिलाकर 107 पदक जीते हैं। पिछली बार, यानी 2018 के एशियन गेम्स में हमने 70 पदक जीते थे। 70 पदकों से लेकर 107 पदकों तक का यह जो सफर है,  इसमें यदि हम growth के हिसाब से देखें, तो करीब 50% की वृद्धि हमें देखने को मिली है। 50% से ज्यादा ही। यहां मैं growth rate की बात इसलिए कर रहा हूं, क्योंकि जो देश एशियन गेम्स के medal तालिका में शीर्ष पर हैं, वह देश तो already अपने peak पर हैं, उनके पास ज्यादा कुछ grow करने का scope नहीं है, लेकिन भारत के पास अभी growth का बहुत बड़ा scope है। तो medals की संख्या के हिसाब से यदि हम देखें, तो हम भले ही तीन देशों से अभी पीछे हैं, लेकिन यदि हम अपनी growth rate देखें, तो यह 50% का इजाफा अपने-आप में बहुत बड़ी बात है।

 

और साथियों, यह growth rate हमें सिर्फ sports में ही नहीं देखने को मिल रहा, बल्कि आप देश का कोई भी sector उठा कर देख लें, तो आपको भारत की यही growth देखने को मिलेगी। Economy के साथ-साथ infrastructure, health, education, लगभग हर एक क्षेत्र में भारत बहुत ही तेजी से विकास कर रहा है। आप देखिए, भारत ने चंद्रमा तक भी अपनी पहुंच बना ली है। भारत की development को दुनिया की बड़ी से बड़ी संस्थाएँ भी स्वीकार कर रही है। चाहे world bank हो या IMF, हर तरफ भारत की विकास यात्रा की चर्चा हो रही है। आपने हाल ही में एक खबर पढ़ी होगी, कि JP Morgan Chase नाम की एक american financial company है, वह अपने स्तर से Government Bond Index-emerging market के नाम से एक index जारी करती है, जो investers को guide करती है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि भारत का नाम अब तक उस Government bond index में नहीं था। लेकिन अभी हाल ही में JP Morgan Chase ने उस Government Bond Index में भारत को भी शामिल किया है। यह भारत की बढ़ती economic strength का परिणाम है। इससे हमारे domestic bond market को मज़बूती मिलेगी। इसका जिक्र मैं यहाँ इसलिए कर रहा हूँ कि चाहे खेल के मैदान के रेफरी हों या government bond index जारी करने वाली financial companies हों, भारत की प्रतिभा का लोहा हर जगह माना जा रहा है।

 

तो साथियों, मेरे कहने का अर्थ यह है कि जब हम economy, health, education और space जैसे हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं, तो यह महज संयोग तो नहीं है। जाहिर सी बात है इस विकास के पीछे एक ambition है, दुनिया में सर्वश्रेष्ठ बनने का। इस विकास के पीछे एक vision है, सर्वश्रेष्ठ बनाने वाली राह का। इस विकास के पीछे एक action है, ऐसी policies and schemes का, जो उस roadmap पर भारत को आगे बढ़ाएंगी। क्योंकि यही भारत आज से 10 साल पहले भी था, भारत की यही जनता जो इतनी मेहनत आज कर रही है, उतनी मेहनत आज से 10 साल पहले भी करती थी, परन्तु यह विकास धरातल पर कभी नहीं दिखता था। लेकिन बीते लगभग एक दशक में जिस प्रकार से एक ambition, एक vision, एक mission के तहत केंद्र सरकार ने अलग-अलग क्षेत्रों में काम किया है, उसका परिणाम आज यह निकलकर सामने आ रहा है कि भारत न सिर्फ तेज गति से आगे बढ़ रहा है, बल्कि दुनिया भी भारत की प्रगति का लोहा मान रही है।

 

साथियों, आपके गले में जो medal है, यह निश्चित रूप से आपके लिए, आपके परिवार के लिए, आपके समाज के लिए और आपके देश के लिए गर्व की बात है। लेकिन मैं समझता हूं कि इस गर्व से भी ज्यादा जरूरी चीज यह है कि, आपके गले का यह medal भारत के करोड़ों युवाओं को sports में आगे आने के लिए प्रेरित करेगा। आप सभी, भारत के उस narrative of excellence का हिस्सा बन गए हैं, जो अपनी आने वाली पीढियों को प्रेरणा देगी ।

 

आप sports के क्षेत्र में हमारे heroes को देखिए। मेजर ध्यानचंद का बर्लिन ओलंपिक में जो प्रदर्शन था, वह आज भी भारतीयों के जनमानस में बैठा हुआ है। हम भारतीय आज भी वह बात नहीं भूलते, कि कैसे 1986 के एशियाई गेम्स में भारत ने कुल पांच स्वर्ण पदक जीते थे, और उन पांच में से चार स्वर्ण पदक अकेले हमारी उड़नपरी पीटी उषा जी ने जीते थे। इस संदर्भ में मैं यह कहना चाहूँगा कि हमारे प्रधानमंत्री जी ने PT उषा जी को राज्यसभा में मनोनीत कर, उन्हें वह स्थान दिया जिसकी वो हकदार थीं। इसलिए आप लोग आज जिस मुकाम पर हैं, उस जगह पर आप सिर्फ एक medal को ही represent नहीं कर रहे हैं, बल्कि हमारे भारतीय समाज के एक narrative of excellence को भी represent कर रहे हैं। आप इस देश के युवाओं को motivation और inspiration देने का एक बहुत बड़ा माध्यम बन रहे हैं।

 

साथियों, आज मेरे सामने जो लोग बैठे हैं, इनमें से कई ऐसे हैं जो medalist हैं, और कई ऐसे हैं, जिन्होंने अपनी पूरी ताकत झोंक दी, लेकिन किन्ही कारणों से वो medal हासिल नहीं कर पाए। ऐसा तो नहीं है कि हम जितने भी खिलाड़ियों को अलग-अलग games में participate करने के लिए भेजते हैं, वह सभी कोई ना कोई मेडल लेकर ही आते हैं। कई खिलाड़ी ऐसे हैं, जिन्हें कोई मेडल नहीं मिल पाता। जिन खिलाड़ियों को कोई मेडल नहीं मिला है, इसका अर्थ यह नहीं है कि वह खराब खेले। उनका प्रयास किसी भी मायने में medal प्राप्त किए हुए खिलाड़ियों से कम नहीं था। चाहे जिंदगी की लड़ाई हो या फिर खेल के मैदान की लड़ाई हो, कुछ लड़ाइयाँ आज की जीत बनती हैं, और कुछ लड़ाइयाँ आज की हार बनके भविष्य की जीत बनती हैं। कई बार ऐसा होता है कि आज की हार, चाहे वह जंग के मैदान की हो या फिर खेल के मैदान की, उसमें हारने वाला सैनिक या खिलाड़ी अपनी जीवटता से, अपने उत्साह से और अपने प्रयास से एक ऐसी कहानी लिख जाता है, जो आने वाले कई जीतों की नींव बनती है, और भविष्य की पीढियों के लिए प्रेरणा का काम करती है।

 

आप सब जानते होंगे, कि फ्लाइंग सिख श्री मिल्खा सिंह जी ने रोम में 1960 के ओलंपिक में 400 मीटर दौड़ में medal लगभग जीत लिया था, लेकिन finish line पर वह केवल 0.1 सेकंड से पीछे रह गए। वह भले ही medal नहीं जीत पाए, लेकिन भारत के एथलेटिक्स के इतिहास में इससे उनका नाम कम नहीं हो गया। मिल्खा सिंह जी, तब से लेकर आज तक भारतीय athletics के इतिहास में एक guiding star हैं। वो हम सबके लिए आज भी प्रेरणा का काम करते हैं। आज भी कोई भारतीय athlete किसी मैदान में कोई पदक जीतता है, तो वह एक तरह से मिल्खा सिंह जी को हमारी तरफ से श्रद्धांजलि होती है। कई बार पदक न मिलना भी हमारे लिए inspiration के एक बहुत बड़े source का काम करता है।

 

साथियों, हमेशा मैं देखता हूं कि sports के क्षेत्र में जितने भी रिजल्ट आते हैं, उनमें हमारी सेना के लोगों का भी बहुत अच्छा प्रदर्शन रहता है। जब मैं इस बारे में सोचता हूं, तो मुझे ऐसा लगता है कि ऐसा इसलिए होता है क्योंकि सैनिक का चरित्र ही ऐसा होता है। चाहे उनकी duty हो या फिर उनका प्रदर्शन, उनके behavior में dedication, discipline, hard work और अपने राष्ट्र के लिए कुछ कर गुजरने की जो बात है, वह खेल के मैदान और जंग के मैदान दोनों में समान रूप से काम करती है। उनके अंदर का यह गुण, उन्हें युद्ध के मैदान के साथ-साथ खेल के मैदान में भी नायक बनाता हैं। उनके यही virtues, sports में भारत के लिए medals लाने का भी काम कर रहे हैं। इसलिए मैं कई बार यह बात कहता भी हूँ, कि एक सैनिक के भीतर एक खिलाड़ी, और एक खिलाड़ी के भीतर जरूर एक सैनिक होता है।

 

साथियों, इस बार asian games के पहले ही, medals को लेकर हमारा यह नारा था कि, ‘अबकी बार, 100 पार’। और निश्चित रूप से आपने हम 140 करोड़ भारतीयों के aspirations पर काम करते हुए हमारा सपना साकार किया है, और आज भारत इस एशियन गेम्स में अपना अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 107 मेडल लेकर आया है। मैं चाहता हूं, कि जब हम अगले एशियन गेम्स में जाएँ, तो भी हमारा यह नारा बरकरार रहना चाहिए, हमारा यह प्रयास रहना चाहिए, कि अबकी बार 100 पार।

 

अब आप यह सोच रहे होंगे, कि जब हमने 100 का आंकड़ा पार कर ही लिया है, तो हमें अगली बार के लिए 200 medals का और 300 medals का लक्ष्य रखना चाहिए था तो फिर 100 पार वाला नारा क्यों repeat किया जाए। तो साथियों, मैं “अबकी बार 100 पार” की बात total medals के लिए नहीं, बल्कि 100 पार gold medals के लिए कर रहा हूं। इसलिए मैं चाहता हूं कि अगली बार न सिर्फ़ medals की संख्या बढ़े, बल्कि gold medals की संख्या 100 के पार पहुँचे।

 

साथियों, जब ब्रिटिश हुकूमत का दौर था, तो अंग्रेजों ने यह साबित करने का प्रयास किया था, कि अधिकांश भारतीय समुदाय मार्शल कौम के नहीं हैं, यानि कि उनके अंदर न तो युद्ध लड़ने की क्षमता है, और न ही वे खेलों में या physical activities में अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं। शायद उनके कुत्सित प्रयासों से ही एक हीन भावना भी भारतीय समाज में बैठने लगी थी। आजादी के बाद इसी हीन भावना के चलते sports या physical activity पर उतना ध्यान सरकारों के द्वारा नहीं दिया गया जितना देना चाहिए था। Olympic दर Olympic, asian games दर asian games, commonwealth games दर commonwealth games, भारत का लगातार खराब प्रदर्शन जारी रहा। भारत का यह प्रदर्शन देखकर ऐसा लगता था, कि अंग्रेजों ने सही ही कहा था।

 

इसी संदर्भ में मुझे याद आता है, कि पियरे डे कोबर्टिन, जिन्होंने आधुनिक ओलंपिक खेलों की शुरुआत की थी, ने एक बार कहा था, कि ‘Participation is more important than winning. अर्थात जीतने से ज्यादा महत्वपूर्ण है, खेलना, भागीदारी करना। यह phrase तो उन्होंने motivation के लिए दिया था, लेकिन मुझे ऐसा लगता है पिछली सरकारों ने इसे कुछ ज्यादा ही seriously ले लिया। भारत का प्रदर्शन सिर्फ participate करने के लिए ही रह गया था। जीत तो मिलती थी लेकिन वह जीत भारत की अपेक्षाओं और आकांक्षाओं के अनुरूप नहीं होती थी। लेकिन अब धीरे-धीरे यह धारणा टूट रही है। चाहे युद्ध का मैदान हो, चाहे खेल का मैदान हो या अन्य physical activities हों, भारत अपने आत्मविश्वास को वापस पा रहा है। इस बार के एशियन गेम्स के 107 पदक तो कुछ भी नहीं है आगे तो अभी हमें और भी लंबा सफर तय करना है।

 

प्रधानमंत्री मोदीजी के नेतृत्व में सरकार भी, भारत में sports culture को develop करने के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास कर रही है। हमने एक तरफ जहाँ fit india, और khelo india के माध्यम से देश के युवाओं में खेलों के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य किया है, तो वहीं दूसरी तरफ Target Olympic Podium Scheme, यानि TOPS के माध्यम से हम ओलंपिक में भी भारत के medals की संख्या को बड़े स्तर पर बढ़ाने के लिए प्रयासरत है। आज हमारा देश, 2036 के Olympic games की मेज़बानी के लिए आगे कदम बढ़ा रहा है। मुझे पूरा विश्वास है, कि भारत सरकार के सहयोग से हमारे athletes अपनी मेहनत, लगन और जज्बे के दम पर भारत को medal tally में शीर्ष पर ले जाएँगे।

 

साथियों, मेरे सामने कई पदक विजेता बैठे हैं। यह निश्चित ही बड़ी खुशी की बात है। इन medals ने आपका मान बढ़ाया है। आपके परिवार में, आपके स्कूल, कॉलेज, गली-मोहल्ले में आप अब ख़ास निगाह से देखे जाएँगे। आप कितने लोगों के लिए रोल मॉडल बनेंगे। पर इसके साथ ही इन medals को, इन जीतों को मैं एक और नज़रिए से देखता हूँ।

 

आप जिन लोगों ने पदक जीते हैं, मैं समझता हूँ उनके ऊपर थोड़ी जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। क्योंकि जब आप पदक जीत कर भारत आए हैं तो अब समाज आपको उस दृष्टि से नहीं देखेगा, जैसा वह पहले देखता था। अब समाज आपके अंदर एक हीरो देखेगा, अब समाज आपके अंदर एक role model देखेगा, एक inspiration देखेगा। अब जब समाज आपको एक inspiration और एक role model के रूप में आपके ऊपर विश्वास कर रहा है, तो आपकी भी जिम्मेदारी है कि आप उस विश्वास को बनाए रखें। आपकी जो जिम्मेदारी है, उसे स्वीकार करें तथा अपने आचरण को इस प्रकार बनाएं कि आने वाली पीढ़ियां लंबे समय तक आपसे प्रेरणा ले सके। युवाओं को आपसे यह प्रेरणा सिर्फ sports के क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि आम जीवन में भी मिलनी चाहिए। अर्थात भारत का युवा केवल यह न कहे कि उन्हें आपके जैसा खिलाड़ी बनना है, बल्कि यह कहे कि उन्हें आपके जैसा इंसान बनना है।

 

आप सभी ऐसे ही खेलते रहें, ऐसे ही अपना, अपने परिवार, समाज और राष्ट्र का नाम रोशन करते रहें। इन्हीं शुभकामनाओं के साथ मैं अपना निवेदन समाप्त करता हूँ।

धन्यवाद, जय हिंद।