‘Time has come for Pvt sector to take lead in defence manufacturing’

Text of RM’s speech at the DRDO Industry Workshop on defence technology acceleration in New Delhi.

सबसे पहले मैं, Defence Research and Development Organisation को, इस महत्त्वपूर्ण workshop के आयोजन के लिए, बधाई देता हूं। आपके द्वारा आयोजित यह workshop, भारत में, defence sector से जुड़े हुए सभी stakeholders को, न सिर्फ एक साथ बैठकर knowledge sharing का अवसर प्रदान करेगा, बल्कि defence sector में innovation की नई राहें भी प्रशस्त करेगा।

मुझे यह देखकर ख़ुशी हो रही है, कि इस workshop में, scientists, industrialists, academia, start-ups, MSMEs, और हमारे young entrepreneurs की अच्छी-खासी भागीदारी है। मुझे आशा ही नहीं, बल्कि पूरा विश्वास है, कि DRDO के प्रयासों से आयोजित यह workshop, अपने उद्देश्यों में पूरी तरह से सफल होगा।

इस workshop को महत्त्वपूर्ण मैं इसलिए नहीं कह रहा हूं, कि यह workshop रक्षा मंत्रालय के तत्वावधान में आयोजित की जा रही है, बल्कि ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूं, क्योंकि इस workshop का जो लक्ष्य है, वह वर्तमान और भविष्य की परिस्थितियों को देखते हुए निर्धारित किया गया है। आज दुनिया जिस तरह से बदल रही है, Technology, और research and development का महत्व भी उसी अनुपात में बढ़ रहा है।

साथियों, Technology की वर्तमान समय में क्या भूमिका है, तथा भविष्य में क्या भूमिका होने वाली है, इससे हम सभी परिचित हैं। भारत सरकार और रक्षा मंत्रालय खुद, भारत के defence sector को और भी ज्यादा innovative और Technology oriented बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैI हम सब उसके लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। आप इस बात से अवगत हैं, कि भारत सरकार, defence sector में research and development को encourage कर रही है। DRDO, ऐसे अनेक initiative लेता रहता है, जिससे वह न सिर्फ रक्षा क्षेत्र में, बल्कि पूरे देश में research and development का environment मज़बूत कर सके, तथा देश में scientific temperament को बढ़ावा मिले।

साथियों, आज इस मंच से कई सारी चीज़ें शुरू हो रही हैं, और कई सारी चीज़ें संपन्न भी हो रही हैं। यानि एक तरफ हम कई सारे initiatives शुरू कर रहे हैं, कई सारे नए challenges दे रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ आज कई सारे initiatives पूरे भी हो रहे हैं। Challenges को पूरा करने वाले कई start-ups, industries, scientists और MSMEs को आज award भी दिया जा रहा है। इसलिए आज इस मंच को, मैं आप सबके लिए सिर्फ एक अवसर के रूप में ही नहीं देख रहा हूँI इस मंच को मैं, अतीत की सफलताओं और भविष्य में आने वाली सफलताओं के एक junction के रूप में देख रहा हूँ। आज जो challenges दिए गए हैं, या फिर जो challenges पूरे हुए हैं, ये सारी चीज़ें बताती हैं, कि DRDO, तथा इसके labs, हमारे young innovators, हमारे Technology leaders, हमारी academia, या कहें कि पूरा defence industrial ecosystem, अपने tasks and challenges को लेकर पूरी तरह से तैयार है। हमारे नए generation के scientists तथा engineers, भारत के defence sector के future को protect करने को लेकर committed हैं। मैं समझता हूँ, कि आप सब भी, हमारी armed forces के warriors की तरह ही, देश के मज़बूत warriors हैं।

साथियों, समय और समाज में जिस तरह से लगातार परिवर्तन हो रहा है, हमें उसे गहराई से समझने, और उसके अनुसार भविष्य के लिए तैयार होने की जरूरत हैI आज समय के जिस पड़ाव पर हम हैं, इसका सही तरह से मूल्यांकन करने के लिए थोड़ा सा पीछे जाना उचित होगा। मैं ज्यादा पुरानी बात नहीं करूँगा, मैं बस आपके सामने इतिहास की उन चीजों का जिक्र करूंगा, जहां से industrial research and development की भूमिका महत्वपूर्ण होनी शुरू हो गई।

साथियों, आप सब industrial revolution के बारे में जानते हैं। मानव जीवन में व्यापक स्तर पर modern science का समावेश, industrial revolution ने ही किया था। 18वीं-19वीं सदी में यूरोप में बड़े पैमाने पर अलग-अलग आविष्कार हुए। Steam engine, power loom और अनगिनत मशीनों का आविष्कार हुआ, और दुनिया ने बड़े पैमाने पर manufacturing industry को बढ़ते हुए देखा।

लगभग 200 वर्षों में मानव सभ्यता ने जितनी प्रगति की है, उतनी तो मानव सभ्यता के पूरे इतिहास में नहीं हुई थी। लगातार बढ़ते हुए industrial manufacturing sector ने जो कदम उठाए, वह unparalleled रहे। शुरुआती दौर में textile, power और उससे आगे बढ़ते हुए मानव ने trains, motorised vehicle इत्यादि का आविष्कार किया, और उसके बाद petroleum की खोज ने तो, पूरी दुनिया में मानो एक क्रान्ति लाते हुए लोगों को एक दूसरे के करीब लाकर खड़ा कर दिया। इसमें कोई शक नहीं कि दो विश्व युद्धों ने मानव सभ्यता की इस लगातार हो रही प्रगति पर थोड़ी सी रोक तो लगाई, फिर भी, Industrial development का दौर चलता रहा।

थोडा और आगे आएँ, तो computer के आगमन ने इस development का नया दौर शुरू किया। कंप्यूटर के आगमन के बाद बड़ी से बड़ी सूचनाओं को छोटी से छोटी मशीनों में कैद किया जाने लगा। मशीनों की क्षमता बढ़ी, और लगभग 15 से 20 वर्षों के अंदर कंप्यूटर ने पूरी दुनिया पर अपना प्रभाव स्थापित कर लिया।

साथियों, इस computer age ने आज विश्व को Industrial revolution से अगले phase में, यानि Technological revolution तक ले जाने में बड़ी भूमिका निभाई। आज का युग technology का युग है, आज हम प्रतिदिन अपने रोजमर्रा के जीवन में ऐसी वस्तुएं देखते हैं, जिनके पीछे पूरी तरह से technological forces काम कर रही हैं। और यह technological परिवर्तन जितनी तेजी से हो रहे हैं, वह अपने आप में mind boggling है।

यहाँ पर इन बातों का जिक्र मैं आपसे इसलिए कर रहा हूँ, क्योंकि यह सारे परिवर्तन जो हमें technology की वजह से दिखे, उन परिवर्तनों से हमारा defence sector भी अछूता नहीं है। आप सभी जानते हैं, कि technology ने किस तरह से इस sector को transform किया है।

आज conventional warfare का जो स्वरूप हम अपने आसपास देखते हैं, वह आज से 50-60 साल पहले के स्वरूप से कहीं ज्यादा अलग है। जमीन पर, हवा में, या फिर समुद्र में जिन arms and equipment का प्रयोग होता था, आज technology की वजह से उनमें बड़ा परिवर्तन देखने को मिल रहा है।

लेकिन साथियों, defence sector पर technology का प्रभाव सिर्फ conventional warfare तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि Technology ने defence sector में एक नए, unconventional warfare को जन्म दिया है। Drones, cyber warfare, bio-weapons और space defence जैसे अनेक elements, defence sector के लिए चुनौती बनकर उभरे हैं।

ऐसी स्थिति में, एक परिवर्तनकारी दौर में, जिस तरह से आप Defence R&D के क्षेत्र में कदम बढ़ा रहे हैं, वह निश्चित रूप से हमारे defence sector को और भी ज्यादा सशक्त और मज़बूत करेगा। और सबसे बड़ी बात यह है साथियों, कि  यह काम कोई एक संस्था अकेले नहीं कर रही है, बल्कि देश के scientists, industrialists, academia, startups, MSMEs और हमारे young entrepreneurs एक साथ मिलकर यह काम कर रहे हैं।

साथियों, मुझे ऐसा लगता है, कि वक्त आ गया है, कि defence sector में private sector की भागीदारी को अब lead लेना चाहिए। ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूं, क्योंकि private industry के अंदर तेजी से हो रहे परिवर्तनों को न सिर्फ absorb करने की क्षमता है, बल्कि नई चीजे create करने की भी क्षमता है। आज के industry leaders,  innovators, entrepreneurs और researchers इसके लिए naturally placed हैं, और मैं मानता हूं कि आप सभी, भविष्य में भी technology के क्षेत्र में रोज़ नई ऊँचाइयाँ छुएँगे।

चूँकि आज की gathering, Science and Technology से जुड़े लोगों की है, तो मैं आप सब से भी कुछ बातें करना चाहता हूं। मैं समझता हूं कि technology दो प्रकार की होती है। एक वह, जो continuous improvement oriented होती है, और दूसरी disruptive प्रकार की। आज भारत के defence sector में, दोनों ही प्रकार की technologies पर काम करने की आवश्यकता है। जब हम आपको नए-नए challenges देते हैं, और आप उन्हें पूरा करके दिखाते हैं, तो निश्चित ही आप incremental, और disruptive, दोनों प्रकार की technologies के critical gap को fill कर रहे होते हैंI

मैं आपको इस बात की बधाई देना चाहूँगा, कि आप ‘Dare to dream’ का 5th edition launch कर रहे हैं। यह initiative, ठीक अपने नाम के ही अनुरूप है। हमारे युवा कुछ नया स्वप्न देखने का साहस करेंगे, तभी उस सपने तक पहुँचने का मार्ग भी प्रशस्त होगाI आज मानव सभ्यता अपने जिस पड़ाव पर है, वह हमारे पूर्वजों द्वारा देखे गए सपनों का ही परिणाम हैI उन्होंने अगर सपने नहीं देखे होते साथियों, तो मानव अब तक शायद जंगलों, पहाड़ों और गुफाओं में ही जीवन बिता रहा होताI इसलिए अगर उनके सपनों ने हमें यहाँ तक पहुँचाया है, तो हमारी भी यह ज़िम्मेदारी बनती है, कि नए सपनों के सहारे हम आगे बढ़ें, और आने वाली पीढ़ी को और ऊँचे मुकाम तक पहुँचाएंI

यहाँ मैं यह भी जरूर जोड़ना चाहूँगा, कि सपने देखना या सपनों के अनुरूप innovative सोच develop करना कोई आसान बात नहीं हैI यह हमेशा से ही मुश्किल रहा है। यदि मुश्किल न रहा होता, तो हर व्यक्ति innovative ही नहीं हो जाता? ऐसा क्यों है, कि करोड़ो में कोई एक ही आर्यभट्ट निकलता है, और Zero की खोज करके पूरी दुनिया की गणितीय दिशा को बदल देता है। ऐसा क्यों होता है, कि करोड़ों में कोई एक ही वराहमिहिर, कोई एक ही चरक, कोई एक ही सुश्रुत, कोई एक ही एम्. विश्वेश्वरैया या कोई एक ही जे. सी. बसु निकलता है, जो अपने great ideas से revolution ला देता है।

पर इसके साथ ही एक दूसरी बात भी ध्यान देने योग्य है साथियोंI वह यह, कि माना कि unconventional तरीके से काम करना बहुत कठिन होता है, यह किसी दैवीय कृपा से कम नहीं है, इसीलिए हर कोई innovation कर भी नहीं पाता हैI पर जब आप लगातार अपनी मेहनत, और लगन से इसके पीछे पड़े-रहते हैं; बिना रुके, बिना थके इसकी ओर आगे बढ़ते रहते हैं, तो innovation आपके लिए कोई दैवीय कृपा नहीं रह जाता हैI यह भी आपका एक सहज कर्म हो जाता हैI इसके साथ आपका deep connection स्थापित हो जाता हैI इसलिए आपने देखा होगा, कि इस दुनिया में अनेक लोग ऐसे हैं, जो सिर्फ पुराने रास्ते पर चल रहे हैं, अपनी तरफ से कोई जोखिम नहीं उठाते। वहीँ कई सारे लोग ऐसे भी हैं, कि जिनके नाम पर एक नहीं, बल्कि कई सारे अविष्कार दर्ज हैं, कई सारे patents दर्ज़ हैं।

आप सबने लियोनार्दो दा विंची का नाम सुना हैI उन्हें सिर्फ मोनालिसा नामक पेंटिंग की वजह से ही नहीं जाना जाता है, बल्कि उन्होंने engineering में, architecture में, तथा और भी कई विधाओं में expertise हासिल की। अलग-अलग क्षेत्रों में उनके नाम पर कई सारे अविष्कार दर्ज हैं। इसी तरह न्यूटन, आइंस्टाइन, आर्कीमिडीज, और ग्राहम बेल जैसे अनेक लोग हैं, जिनके नाम पर एक-एक नहीं बल्कि अनेक अविष्कार दर्ज हैं। मेरे कहने का अर्थ यह है, कि आपके लिए भी, innovative तरीके से काम करना, लीक से हटकर काम करना किसी दैवीय घटना जैसी नहीं होनी चाहिए, बल्कि यह आपकी आदत बन जानी चाहिए। आदत का मतलब यह है, कि challenges को accept करना, आपके जीवन का एक अहम् हिस्सा हो जाना चाहिएI मैं चाहता हूँ कि challenges को आप जीना सीखें।

अगर हमें unconventional warfare में प्रगति करनी है, तो उसके लिए हमें unconventional रास्तों को अपनाना होगा, उसके लिए हमें उन ideas को अपनाना होगा, जिससे दुनिया अब तक अनजान रही है। जाहिर सी बात है, यह अपने आप में एक challenge है और Dare to dream, हमारे युवाओं को, हमारे scientists को, हमारे industrialists को, और हमारी MSMEs को दिया गया वही challenge है।

साथियों, हम आपको इस challenge में अकेला नहीं छोड़ रहे, बल्कि हम यह challenge भी दे रहे हैं, और इसको पूरा करने के लिए आवश्यक मदद भी कर रहे हैं। आप सबको मालूम है, कि TDF, eligible industries को, total project cost का 90% तक grant, support के रूप में दे रहा है। यह total support लगभग 50 करोड़ रूपये तक होता है, जो कि किसी MSME और start-up के लिए, defence R&D में invest करने के लिए अच्छी—खासी रकम है। मतलब हम यह चाहते हैं, कि आप तरह-तरह के ideas के साथ यह challenge पूरा करें। क्योंकि जब आप challenge पूरा करेंगे, तो इससे भारत का पूरा defence sector लाभान्वित होगा।

जैसे आप देखिए, कि जब Dare to dream 4th edition launch हुआ था, तो हमने अनेक challenge आपके समक्ष रखे थे, और आप सभी ने उन challenges को न सिर्फ accept किया, बल्कि उन पर काम करके भी दिखाया। जिसका परिणाम यह निकला, कि TDF scheme को अनेक innovative ideas देखने को मिले। Dare to dream, 4th edition के सभी winners को मैं अपनी तरफ से ढेर सारी बधाई देता हूं। सिर्फ winners को ही नहीं बल्कि मैं तमाम participants को भी बधाई देना चाहता हूँ, क्योंकि यह सिर्फ एक शुरुआत है, आप सबको यहां पर नहीं रुकना है। यह challenge आपके ideas को नींव प्रदान करने वाले होने चाहिए, इस पर आपको innovation और technology की एक बुलंद इमारत तैयार करनी है।

अब Dare to dream के 5th edition के challenges भी launch हो रहे हैं। Compact electro mechanical actuators, digital twin of Aero-engines और purification of rare metals जैसे projects बहुत ही deep tech projects हैं, जो हमारे defence sector को edge प्रदान करने वाले हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि ये challenges आप सभी के लिए interesting होंगे।

साथियों, TDF, iDEX या अभी launch हुई ADITI Scheme, ये सभी सरकार द्वारा इसी critical gap को दूर करने के लिए चलाई जा रही हैं। Defence sector में आपकी भागीदारी को अभी और मजबूत करना है, बल्कि मैं तो यह कहूंगा कि अभी तो यह शुरुआत भर है। हमारी सेनाओं के सामने आ रहे technological challenges के solution को आप देख रहे हैं। मेरा विश्वास है, कि बहुत कम समय में ही ये challenges और ये solutions, क्रांति का रूप लेते हुए दिखाई देंगे I

मुझे इस बात की भी प्रसन्नता है, कि TDF ने, critical और emerging technical collaboration को लेकर आत्मनिर्भरता हासिल करने के संबंध में एक panel discussion का भी आयोजन किया है। इस प्रकार के discussions, हमें अलग-अलग perspectives को समझने में सहायक सिद्ध होते हैं।

साथियों, एक-दो बातें और कहकर मैं अपनी बात समाप्त करना चाहूंगा।

हम देख रहे हैं, कि Technology Development Fund को शुरू हुए, लगभग 6 वर्ष हो गए हैं। इन 6 वर्षों में, मुझे बताया गया है, कि लगभग 79 projects sanction हुए हैं, जो कि अच्छी बात है। इनमे से 18 projects में technology सफलतापूर्वक develop कर ली गयी है I मुझे यह भी बतलाया गया है, कि किसी एक technology को develop करने में लगभग 38 महीनों का वक्त दिया जाता हैI इस बात पर भी हमें गौर करना होगा, कि क्या यह संख्या और समय, हमारी वर्तमान जरूरतों को देखते हुए sufficient है I

इसके अतिरिक्त, पूरी दुनिया में जिस तेज गति से technological changes हो रहे हैं, उसको ध्यान में रखते हुए भी आप कुछ बिंदुओं पर ध्यान दें। पहला तो यह, कि हम Technological development के लिए इस scheme के तहत जिन projects को identify कर रहे हैं, वो Projects, cutting edge technology पर based हैं या नहीं? दूसरी बात यह, कि हम technological development के लिए जिन projects को select कर रहे हैं, वैसी technology कहीं और पहले से तो उपलब्ध नहीं है। मेरा मानना है, कि TDF में एक comprehensive technological scan का system भी होना चाहिए, ताकि हम Re-invention of wheels से बचे रहें, उसमें न फँसें। हम technologies के दोहराव से बचें।

एक और बात यह है, कि मैं देख रहा हूँ कि इस project के अंतर्गत technological development का जो time frame दिया जाता है, वह लगभग 3 से 4 साल तक का होता है। अब जैसा कि मैंने जिक्र किया, कि आज के समय में जिस तेजी से technological changes हो रहे हैं, ऐसे में औसतन 3-4 साल बाद जो नई technology हमारे पास आने वाली है, उस समय उसकी situation क्या होगी? क्या वह technology उस समय के हिसाब से फिट बैठ रही है, या फिर कहीं वह आने के पहले ही तो outdated नहीं हो जाएगी।

ये जो बिंदु मैंने आपके सामने रखे, मैं चाहूंगा कि आप इसको broad frame में evaluate करते रहिए, ताकि हमारी technology में नयेपन का element हमेशा बना रहे।

मुझे पूरा विश्वास है, कि आप सबके द्वारा जो भी कदम उठाए जा रहे हैं, वह भारत के रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के प्रयासों को और गति प्रदान करेंगे। मैं समझता हूं, आने वाले समय में आप सभी cutting edge technology के माध्यम से भारत को दुनिया की सबसे मजबूत force बनाने में अपना योगदान देंगे।

मैं आपको इस workshop की सफलता की, तथा आपकी आने वाली भविष्य की योजनाओं के लिए, आपको अपनी तरफ से ढेर सारी शुभकामनाएं देता हूँ। आप सबने मुझे यहाँ पर आमंत्रित किया, और अपनी तरफ से कुछ बातें रखने का अवसर दिया, इसके लिए भी मैं आप सबका आभार प्रकट करते हुए, अपना निवेदन समाप्त करता हूँ।

बहुत बहुत धन्यवाद! जय हिंद।