आज, रक्षा लेखा विभाग के 277वें स्थापना दिवस समारोह में, आप सबके बीच आकर मुझे अत्यंत प्रसन्नता हो रही है। सबसे पहले मैं आप सभी को, Defence Accounts Department के स्थापना दिवस की, ढेर सारी बधाई देता हूँ।
मैं आप सभी को, अभी launch हुए projects के लिए भी बधाई देता हूँI ये projects, वह चाहे Market Intelligence report हो, SPARSH audit manual हो, Stats handbook 2024 हो, या फिर D-A-D documentary हो, ये सभी, आप सब के regular improvement, और updation की commitment को दिखाते हैंI मुझे याद है, कि पिछले साल आज के ही दिन, Defence Accounts Day के अवसर पर, Defence Equipment की procurement को और बेहतर बनाने के लिए, और Market की बेहतर समझ के लिए, मैंने आपसे in-house economic intelligence and research team develop करने के लिए कहा थाI आज, Market intelligence report को release करते हुए मुझे बड़े संतोष का अनुभव हो रहा हैI
आज का दिन, Defence Accounts Department की स्थापना के उत्सव का ही दिन नहीं है। आज का दिन, आप सबके द्वारा, हमारे defence ecosystem को मजबूत करने की दिशा में जो प्रयास किया जा रहा है, उसको रेखांकित करने वाला भी दिन है।
साथियों, पिछले कुछ वर्षों से लगातार मैं, Defence Accounts Day के समारोह में आ रहा हूं। हर बार आपकी उम्र में 1 वर्ष का इजाफा होता जाता है। पर आप जिस तरह से अपने को लगातार update करते जा रहे हैं, अपने को नए-नए तरीकों और technologies से equip करते जा रहे हैं; उसे देखकर कहा जा सकता है, कि आपकी उम्र जितनी अधिक होती जा रही है, उतने ही आप जवान होते जा रहे हैं- Only 277 years young organization. बदलते समय को ध्यान में रखते हुए, जिस प्रकार से आप resources का optimum utilization करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, अपनी efficiency, transparency और अपने clients के ease of doing business को ensure कर रहे हैं, वह निश्चित रूप से आपके discipline और commitment को दिखाता है। हमारे defence ecosystem को मजबूत करने की दिशा में आपका प्रयास, तथा Technology के adoption, और adaptation तथा defence sector के modernisation के प्रति आप सब की जो प्रतिबद्धता है, उसके लिए आप प्रशंसा के योग्य हैं।
आज, जब Defence Accounts Department के स्थापना दिवस के अवसर पर मैं आपसे मुखातिब हुआ हूं, तो मैं अपने कुछ अनुभव भी आप से साझा करूंगा, तथा भारत की रक्षा व्यवस्था को और मजबूत बनाने की दिशा में हम सब क्या प्रयास कर सकते हैं, इस दिशा में भी आपसे कुछ बातें करूंगा।
मैं अपनी बातचीत की शुरुआत एक प्रसंग से करूंगा। आप सब में से कुछ लोग ग्रामीण पृष्ठभूमि से होंगे। कुछ लोग क्या, मुझे ऐसा लगता है कि अधिकांश लोग ग्रामीण पृष्ठभूमि से होंगे। मैं खुद भी एक ग्रामीण पृष्ठभूमि से आता हूं। मैं इस पृष्ठभूमि का जिक्र इसलिए कर रहा हूं, क्योंकि आप सब ने बचपन में अपने-अपने गांव में कुएं देखे होंगे। मेरे गांव में भी एक कुआं था। अभी कुछ दिन पहले मेरे एक परिचित मुझसे मिले थे, हमारी बातचीत होने लगी, तो हमारी बातचीत के दौरान उस कुएं का जिक्र चला।
वह कुआं कितना पुराना है, यह किसी को नहीं पता। हमने तो जब से होश संभाला, तब से उसी कुएं के आसपास खेलते हुए बड़े हुए। हमारे बचपन के समय उस कुएं से बैल के माध्यम से पानी निकाला जाता था। हमारे गांव में उसे ‘पुर’ या ‘रहट’ कहा जाता था, जिसमें बैल कुएं के किनारे-किनारे चलते थे और रस्सी से बंधी हुई बाल्टी पानी भर के कुएं से ऊपर आती थी।
फिर जैसे-जैसे समय बदला, मशीनें आईं, तो उस कुएं में इंजन लगाया जाने लगा। इस बीच कुएँ में भी बहुत बदलाव आया। पहले वह कच्चा हुआ करता था, बाद में पक्का बन गया था। अभी कुछ वर्षों पहले तो sub-mersible pump का जमाना आ गया। मोटर के सहारे कुएं से पानी निकाला जाने लगा। मेरे कहने का मतलब यह है, कि आज भले ही वह कुआं अपने पहले के स्वरूप में न हो, लेकिन sub-mersible pump से हम जो पानी निकाल रहे हैं, वह उस कुएं का ही पानी है।
तो आप देखिए, कि समय बदल गया, कुएँ का स्वरूप बदल गया, लेकिन उसका उद्देश्य एक रहा है। आज भी वह सबको पानी पिला रहा है। मेरे कहने का अर्थ आप समझ पा रहे होंगे, कि Defence Accounts Department भले ही 277 वर्ष पूरे कर चुका हो, इन लगभग तीन शताब्दियों में आपके स्वरूप में न जाने कितनी बार बदलाव आया होगा, लेकिन आपका उद्देश्य अभी भी वही है। इन 277 वर्षों में आपका ध्येय यही रहा है, कि किस प्रकार Defence accounting में efficiency और economy ला सकें।।
साथियों, मैंने अपने इतने लंबे राजनीतिक जीवन में अनेक पदों पर देश की सेवा की है। प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में या फिर केंद्र सरकार में भी अनेक मंत्रालयों का कार्यभार मैंने संभाला है। लेकिन मेरा जो वर्तमान मंत्रालय है, यह मेरे past के सभी portfolios में सबसे अलग है।
रक्षा मंत्रालय स्वयं में इतना बड़ा मंत्रालय है, कि इसके departments तथा तीनों सेनाओं के अलावा Indian Coast Guard, Border Roads Organization जैसे अनेक बड़े-बड़े संगठन इस मंत्रालय से जुड़े हुए हैं। रक्षा मंत्रालय का mandate, और इसका size औरों की अपेक्षा अलग है।
आप जानते हैं, कि करीब 15 से 16 लाख defence personnel हमारी armed forces में कार्यरत हैं। इसके लगभग दो गुने, हमारे पास ex-servicemen के रूप में pensioners हैं। साथ ही, इस मंत्रालय से जुड़ा एक बहुत बड़ा civilian component भी है। मैं समझता हूँ, कुल मिलाकर लगभग 50 लाख के आसपास personnel इस मंत्रालय से जुड़े हुए हैं। और यदि बजट की बात की जाए, तो यह भारत का सबसे ज्यादा बजट प्राप्त करने वाला मंत्रालय भी है। जितना बजट रक्षा मंत्रालय को प्राप्त होता है, इतनी तो कई छोटे देशों की GDP भी नहीं होती। जहां दूसरे मंत्रालयों में, कुछ करोड़ों में बात होती है, वहीं रक्षा मंत्रालय में तो हजारों और लाखों करोड़ तक की बातें होती हैं।
मेरे कहने का अर्थ यह है साथियों, कि जब मैंने इस मंत्रालय का कार्यभार संभाला, तो मेरे लिए भी यह बड़ा रुचि का विषय था, कि आखिर इतने बड़े मंत्रालय की accounting कार्यप्रणाली कैसी है? इतने बड़े बजट को कैसे handle किया जाता है? मेरे लिए वास्तव में कौतूहल का विषय था, कि आखिर इतने बड़े बजट की accounting आप लोग कैसे करते हैं? लेकिन जैसे-जैसे आप लोगों से बातचीत होती गई, आप लोगों के बारे में जानता गया, मुझे आपकी कार्य प्रणाली के बारे में भी पता चला। मैं यह कह सकता हूँ कि यह सिर्फ एक service नहीं है, बल्कि यह एक तरह का hub है, जो कई सारे spokes को अपने साथ जोड़ता है। आप एक कड़ी की भांति सेना की सारी units और civilian organizations, तथा defence related कई सारे dimensions को एक साथ जोड़ते हैं।
आज रक्षा मंत्रालय के साथ कई सारी चीज़े जुड़ी हैं। चाहे वह आत्मनिर्भरता का हमारा संकल्प हो, या MSMEs और Start-ups को defence sector में बढ़ावा देने का हमारा प्रयास हो, या फिर तीनों सेनाओं से जुड़े मुद्दे हो, ये तमाम बातें भले ही अलग-अलग dimension की हों, लेकिन ये सारी बातें ultimately आपके पास आकर मिल जाती है।
एक कड़ी के रूप में आपकी जो कार्य-प्रणाली है, वह ‘The devil is in the detail’ नामक मुहावरे को चरितार्थ करती है। आप financial proposal को , detail में analyse करके ही, उसमें कमियाँ निकालते हैं, जिससे defence related policies और proposals में आवश्यक सुधार हो पाता हैI इसलिए मुझे लगता है, कि जब तक कोई व्यक्ति एकदम detail में नहीं जाएगा, जब तक कोई व्यक्ति गहराई से आपके कार्यों का आकलन नहीं करेगा, तब तक वह आपके महत्व को पहचान नहीं पाएगा। यह डिटेल में जाने के बाद ही पता चलता है, कि defence ecosystem में आपका स्थान कितना महत्वपूर्ण है।
मुझे यह देखकर भी बहुत खुशी होती है, कि आप लोग अपने महत्व को स्वीकार रहे हैं, और समय के अनुसार खुद को लगातार modern, और Technology oriented बना रहे हैं। चाहे Defence Travel System 2.0 को launch करना हो या ‘FALCON’ प्रणाली विकसित करना हो, या फिर नई-नई technologies को अपनाना हो, आप लगातार अपने Service Delivery mechanism को मजबूत कर रहे हैं।
साथियों, जब Defence Accounts Department के Technology Oriented होने की बात चल रही है, तो मैं आपके बीच ‘Sparsh’ का जिक्र जरूर करना चाहूँगा। मुझे याद है कि जब Sparsh portal के शुरुआत की बातचीत हो रही थी, तो उसकी कई meetings को तो मैंने खुद chair किया था। उस दौरान Sparsh portal को लेकर कई सारी चुनौतियां हमारे सामने थी। कि हम कैसे इस पोर्टल के माध्यम से, इतने बड़े manpower को, manual से digital platform पर transfer कर पाएंगे? कैसे हमारे ex-servicemen इस पोर्टल का लाभ उठा पाएंगे। ऐसी तमाम चिंताएं उस समय हमारे पास थी। कभी-कभी खुद मेरे मन में भी यह बात आती थी, कि हम जो यह समाधान खोज रहे हैं, यह समाधान कहीं स्वयं में एक समस्या न बन जाए।
लेकिन इन तमाम चुनौतियों के बावजूद जिस तरह से आप लोगों ने समय के साथ, लगातार trial and error method के माध्यम से इसमें सुधार किया; जिस तरह से आप लगातार इसमें आ रही चुनौतियों को tackle करते गए; उन्हीं का ही नतीजा है कि आज यह portal सफल रूप में हमारे सामने खड़ा है। अब तक कुल 32 लाख defence pensioners में से 30 लाख pensioners को सफलतापूर्वक स्पर्श पोर्टल से जोड़ा जा चुका है। यह कोई छोटी बात नहीं है, बल्कि निश्चित रूप से यह आपकी बहुत बड़ी उपलब्धि है। मुझे पूरा विश्वास है कि आपकी यह लगन तथा आपका यह संकल्प आपकी भविष्य की परियोजनाओं में भी दिखेगा।
साथियों, इसके साथ मैं आपसे एक दो बातें और करना चाहूंगा। आपको याद हो, कि पिछली बार जब ‘चिंतन शिविर’ हुआ था, तो अनेक departments ने अपनी निकट भविष्य की योजनाओं को, तथा दूरगामी भविष्य की योजनाओं को हमारे सामने रखा था। आपने भी Faceless bill processing and payment system तथा performance and efficiency audit की योजना सामने रखी थी। इसके अलावा भी उस चिंतन शिविर में और अनेक अच्छे-अच्छे विचार आए थे। मेरा आपसे यह भी कहना है कि उन विचारों को लेकर कहां तक प्रगति हुई है या फिर उनको लागू करने को लेकर कहां आपको परेशानी आ रही है, इस बारे में आप विचार करें और आवश्यकतानुसार मुझे भी अवगत कराएं।
साथियों, defence के क्षेत्र में, हमारे प्रयासों से कई उल्लेखनीय परिवर्तन हो रहे हैंI इस sector का एक नए तरीके से विकास हो रहा हैI इस संदर्भ में भी मैं आपसे कुछ कहना चाहूँगा। एक समय था, जब हमारे defence acquisitions मुख्य रूप से imports पर dependent थे। हम defence sector में एक importer के रूप में देखे जाते थे। हमारा पैसा बाहर जा रहा थाI ऐसे में defence expenditure का, हमारी economy पर positive impact बहुत limited था। लेकिन अब स्थिति वैसी नहीं है। अब भारत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ गया हैI अब हमारी गिनती defence exporters में भी होती है।
ऐसे में हमारी economy पर defence expenditure के economic impacts को जानने की जरूरत हैI जैसा कि advanced countries इस दिशा में आगे बढ़ रही हैं, हमें भी इसे analyse करना चाहिए, तथा analytical reports के साथ-साथ defence economic data को generate करना चाहिएI ये reports और data, हमारी defence policy decisions में बहुत ही मददगार साबित हो सकते हैंI मुझे याद है कि आपने, कुछ समय पहले ‘Defence finance और economics’ पर एक international conference का आयोजन किया थाI आपने ‘Defence Finance’ से ‘Defence finance and economics’ की ओर बढ़ने की पूरी commitment जताई थी। इस संबंध में मैं चाहूंगा, कि आप सभी निकट भविष्य में दो काम करें।
पहला, कि अपने विभाग को Defence finance और economics के क्षेत्र में ‘Center of Excellence’ बनाने के लिए एक रोडमैप तैयार करें। और दूसरा, कि एक robust और comprehensive data management system स्थापित करें, जो सरकार को देश की अर्थव्यवस्था पर defence expenditure के impact, जैसे revenue generation और employment generation में defence vendors का क्या योगदान है, इन विषयों पर analytical reports दें। मुझे विश्वास है कि आप मेरे इन सुझावों को गंभीरता से लेंगे और इस दिशा में प्रयास करेंगे।
मेरे इन सुझावों को आप इस तरह से लें, कि आपका department, समय के साथ चलते हुए, एक futuristic organization बन पाएI दूसरी तरफ, इन कदमों से भारतीय अर्थव्यवस्था पर, जैसे रोजगार, income generation, skill development, MSMEs के विकास के ऊपर पड़ने वाले सकारात्मक प्रभावों को भी हम जान सकेंI यह सब हमारे लिए एक holistic policy regime को स्थापित करने में मददगार साबित होंगे, और हमारे अंदर एक ‘Whole of the Government approach’ की भावना का विकास होगाI
यह कुछ बातें थीं, जिसे मैंने आपसे साझा किया। मुझे पूरा विश्वास है कि आप सब मेरी बातों पर विचार करेंगे। मैं इस बात को भी लेकर आशान्वित हूँ कि जैसे-जैसे एक विभाग के रूप में आपकी उम्र बढ़ती जाएगी, आपकी सोच में भी उतना ही नवाचार आता जाएगा। क्योंकि मेरा यह मानना है, कि संस्थाएं भले पुरानी हों, लेकिन उनकी सोच कभी पुरानी नहीं होनी चाहिए। आप नए-नए frontiers खोलिएI अभी बहुत कार्य बाकी हैI जैसा कि हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी का vision है; 2047 तक अगर देश को विकसित बनाना है, तो इसमें सबका contribution चाहिएI आपने अब तक इस बात को चरितार्थ किया है, मुझे पूरा विश्वास है कि आप आगे भी इस बात को चरितार्थ करेंगे।
इसी के साथ मैं एक बार फिर आप सभी को Defence Accounts Department के वार्षिकोत्सव पर ढेर सारी बधाइयां देते हुए, अपनी बात समाप्त करता हूं।
बहुत-बहुत धन्यवाद!
जय हिंद!