Text of RM’s speech at “Shaurya Sandhya” on the occasion of Indian Army Day

सबसे पहले मैं आप सभी को, तथा इस मंच के माध्यम से समस्त देशवासियों को, भारतीय थल सेना दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं।

 

साथियों, पहले, थल सेना दिवस पर जो भी आयोजन किए जाते थे, वह दिल्ली में ही किए जाते थे, लेकिन फिर हमने सोचा, कि जब सेना में देश के अलग-अलग क्षेत्रों से युवा जाकर जुड़ रहे हैं, अलग-अलग हिस्सों से बेटे-बेटियाँ सेना में अपनी सेवाएँ दे रहे हैं, तो फिर थल सेना दिवस जैसा महत्वपूर्ण आयोजन का केंद्र सिर्फ दिल्ली ही क्यों हो? इसी सोच के साथ दिल्ली के बाद बेंगलुरु, और बेंगलुरु के बाद आज लखनऊ में इसका आयोजन, अधिक से अधिक लोगों को थल सेना दिवस से जोड़ने की मुहिम का एक हिस्सा है।

 

साथियों, लखनऊ में, मैं समझता हूँ थल सेना दिवस का आयोजन तो और महत्वपूर्ण हो जाता है। इसलिए नहीं कि लखनऊ मेरा संसदीय क्षेत्र है, बल्कि इसलिए, क्योंकि यह धरती वीरों की धरती है। देश की सुरक्षा के लिए लड़ी गई हर लड़ाई में यहाँ के सैनिकों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। लखनऊ बेगम हजरत महल का शहर है, जिन्होंने लीक से हटकर प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में एक टुकड़ी को अपना नेतृत्व प्रदान किया था। यह धरती, कैप्टन मनोज पांडे की धरती है, जिनकी वीरता की मिसाल देश के बच्चे-बच्चे की जुबान पर है। इसलिए मैं समझता हूँ कि लखनऊ में हो रहा आज का यह कार्यक्रम, अपना ऐतिहासिक महत्त्व रखता है।

 

साथियों, थल सेना दिवस, हम सबके लिए, भारतीय सैनिकों के शौर्य, पराक्रम व साहस को याद करने का दिवस है। आज का दिन भारतीय सैनिकों को समर्पित है, इसलिए मैं इनके ऊपर ही आपसे कुछ बातें करना चाहूंगा।

 

आप सबने कभी सोचा है, कि एक भारतीय सैनिक होने का अर्थ क्या होता है? यह दो शब्दों से मिलकर बना है। एक तो ‘भारतीय’, और दूसरा ‘सैनिक’। जाहिर सी बात है, कि इसका एक सामान्य अर्थ होगा। कि यदि कोई योद्धा है, जो सीमा पर खड़े होकर मातृभूमि की रक्षा कर रहा है, तो वह सैनिक है। दूसरी तरफ, वह सैनिक यदि भारत का है, तो उसे हम भारतीय सैनिक कहते हैं। यह एक सामान्य सा अर्थ हुआ, जिसे ऊपरी तौर पर समझा जाता है। लेकिन भारतीय सैनिक होने का अर्थ इससे कहीं खास है, विशिष्ट है।

 

आप सबने शायद गुस्टाल्ट प्रिंसिपल के बारे में सुना होगा। यह सिद्धांत कहता है, कि the whole is greater than the sum of its parts. इसका अर्थ यह हुआ, कि कोई वस्तु, अपने components का समुच्चय भर नहीं होती है, उससे कहीं विशिष्ट होती है।

 

इसे आप इस उदाहरण से समझ सकते हैं, कि हमारा जो mind है, यह अनेक cells, bones और न्यूरॉन्स से मिलकर बना होता है। हालांकि कोशिकाओं, हड्डियों और न्यूरॉन्स का अपना महत्व है, लेकिन mind इन्हीं सबके मिलने से नहीं बन जाता है। mind तब बनता है, जब उसमें consciousness आती है, उसमें चेतना आती है। इसलिए mind, कुछ अंगों का केवल योग भर नहीं होता है, बल्कि उससे कहीं बढ़कर होता है।

 

साथियों, हमारे सैनिकों के मामले में भी यही बात लागू होती है। जैसा कि मैंने अभी जिक्र किया, कि भारतीय सैनिक का साधारण अर्थ तो भारत के किसी सैनिक से है। लेकिन जब हम इसके खास अर्थ को ढूंढते हैं, तो हम पाते हैं कि एक भारतीय सैनिक वह है, जो भारतीय मूल्यों से ओतप्रोत होता है। भारतीय सैनिक वह होता है, जो एक सैनिक होने के साथ-साथ भारत के मूल्यों को भी आत्मसात करता हो। जिसकी रगों में हमारे सांस्कृतिक मूल्य दौड़ते हों।

 

अब यह सांस्कृतिक मूल्य क्या हैं। वैसे तो सांस्कृतिक मूल्यों पर लंबी बात हो सकती है। बचपन से ही परिवार, रिश्तेदार, समाज और शिक्षकों के द्वारा भारतीय मूल्य बच्चों को दिए जाते हैं। लेकिन मैं समझता हूं कि एक सैनिक के लिए जो सबसे महत्वपूर्ण चार मूल्य हैं, वो हैं राष्ट्रप्रेम, साहस, मानवता और भारतीय संवैधानिक मूल्यों के प्रति निष्ठा।

 

साथियों, राष्ट्रप्रेम की जब बात आती है, तो मुझे ऐसा लगता है कि इस बारे में हमारे सैनिकों का बखान शब्दों से तो किया ही नहीं जा सकता। किसी भारतीय सैनिक के अंदर देश प्रेम की कैसी लहर दौड़ रही है, इस बात का परिचय आपको कारगिल की वह चोटियाँ देंगी, जहां पर सांस लेने के लिए ऑक्सीजन तक की कमी है। लेकिन हमारे सैनिक इस मातृभूमि के प्रति अपने प्रेम के कारण वह कष्ट भी हंसते-हंसते सह रहे हैं। हमारे सैनिकों के राष्ट्रप्रेम का परिचय आपको थार के रेगिस्तान देंगे, जहां 50 डिग्री सेल्सियस तापमान में भी हमारे सैनिक मुस्तैद हैं, तो सिर्फ और सिर्फ इस राष्ट्र के प्रति अपने प्रेम के कारण।

 

एक सैनिक सोचता है, कि उसका जीवन इस राष्ट्र की सुरक्षा को समर्पित है। यदि यह राष्ट्र सुरक्षित रहेगा, यहां के लोग सुरक्षित रहेंगे तो उसका अस्तित्व भी सुरक्षित रहेगा। “मैं रहूँ या ना रहूँ, मेरा देश रहना चाहिए” जैसे भाव के साथ मातृभूमि की सुरक्षा करने वाला भारतीय सैनिक, एक अनुकरणीय देशप्रेमी होता है। भारत माता के प्रति उसका प्रेम उसे संबल प्रदान करता है।

 

भारतीय सैनिक का जो दूसरा सबसे महत्वपूर्ण मूल्य होता है, वह है उसका साहस। साथियों, साहस और राष्ट्रभक्ति दोनों एक दूसरे से जुड़े हुए होते हैं। यह राष्ट्रभक्ति ही है, जो सैनिक को साहस प्रदान करती है। और साहस भी ऐसा, कि जिसकी मिसाल पूरी दुनिया में दी जाती है। हमारे सैनिकों के साहस की अनेक कहानियाँ हैं। लेकिन मैं इस समय उत्तर प्रदेश में मौजूद हूं। लखनऊ में ही मौजूद हूँ। इसलिए मैं लखनऊ के ही जांबाज कैप्टन मनोज पांडे का जिक्र करना चाहूंगा, जिन्होंने एक बार यहां तक कह दिया था, कि “यदि उनके और उनके कर्तव्य के बीच में मौत भी आई तो वह मौत को भी मार देंगे।”

 

साथियों, साहस की ऐसी मिसाल आपको दुनिया में विरले ही देखने को कहीं मिलेगी। और जैसा कि मैंने कहा, कि साहस और राष्ट्रभक्ति दोनों एक दूसरे से बहुत जुड़े हुए होते हैं। भारतीय सैनिक जब अपनी आखिरी सांस तक दुश्मन से लड़ता है, तो वह इसलिए नहीं लड़ता क्योंकि वह दुश्मन से नफरत करता है, बल्कि वह इसलिए लड़ता है क्योंकि वह अपने देश से प्यार करता है। यही देशभक्ति उसके अंदर साहस की ऐसी भावना भरती है, जिससे प्रेरणा पाकर वह अपने प्राणों तक को दाँव लगाने में भी पीछे नहीं हटता।

 

देशभक्ति और साहस के अलावा किसी भारतीय सैनिक का तीसरा सबसे महत्वपूर्ण मूल्य उसकी मानवता होती है। हमने दुनिया को गांधी और बुद्ध जैसे शांति के संदेशवाहक दिए। हमने दुनिया को न सिर्फ शांति, बल्कि मानवता का भी पाठ पढ़ाया। यह मानवता तथा विश्व शांति के लिए हमारा प्रयास ही था, कि हमने भारत से कई हज़ार किलोमीटर दूर कोरियाई युद्ध में भी शांति के लिए सफल प्रयास किये थे। अपने इसी सद्गुण के कारण भारतीय सैनिक, UN Peacekeeping missions के माध्यम से पूरी दुनिया में शांति अभियानों में अपना योगदान दे रहे हैं। यह भाव हमारे मूल्य में है, इसलिए स्वाभाविक है, कि एक भारतीय सैनिक इन मूल्यों को भी आत्मसात करता है। भारतीय सैनिक के अंदर मानवता की सेवा करने का भी गुण होता है।

 

साथियों, मानवता का यह गुण हमारे सैनिकों में तब और ज्यादा निखर कर आता है, जब भारत के किसी क्षेत्र का सामना किसी दुर्भाग्यपूर्ण आपदा से होता है। उस समय हमारे सैनिक सीमा पर नहीं, बल्कि सीमा के अंदर भी हमारे नागरिकों की सेवा करते हैं। यह भारतीय सैनिकों की मानवता ही है, कि 90,000 से अधिक पाकिस्तानी सैनिकों के समर्पण के बावजूद, हमने उनके साथ कभी कोई दुर्व्यवहार नहीं किया। हम उन सैनिकों के साथ भी हमेशा वैसे ही पेश आए, जैसा एक इंसान दूसरे इंसान के साथ पेश आता है।

 

साथियों, राष्ट्रभक्ति साहस व मानवता जैसे मूल्य भारतीय सैनिकों में अंतर्निहित हैं। इन मूल्यों के ऊपर भारतीय सैनिकों की ज्यादा प्रशंसा करना, मुझे लगता है सूरज को दिया दिखाने के बराबर है। लेकिन मैं यहाँ एक बेहद महत्वपूर्ण बात का जिक्र करना चाहता हूँ, जो भारतीय सेना से जुड़ी हुई है।

 

साथियों, जिस तरह से भारतीय सेना ने भारत के सांस्कृतिक मूल्यों के साथ-साथ भारत के संवैधानिक मूल्यों के प्रति अपनी निष्ठा प्रदर्शित की है, वह अतुलनीय है। हमें ज्यादा दूर जाने की जरूरत नहीं। हम अपने पड़ोस में ही देख सकते हैं, कि वहां पर उनकी सेना और उनके संवैधानिक मूल्यों के बीच कैसा संबंध है। एक नहीं, अनेक बार उन देशों में संवैधानिक मूल्यों का अपमान होता दिखाई दिया है। लेकिन भारत इस मामले में, अपने region में एक मिसाल बनकर खड़ा हुआ है।

 

साथियों, जब हम भारतीय सैनिक, तथा भारतीय सेना की बात करते हैं, तो हम सब अपने पारंपरिक मूल्यों के बारे में तो बात करते ही हैं, कि किस प्रकार से हमारे पारंपरिक मूल्य हमारी सेना में अंतर्निहित हैं, तथा हमारे सैनिकों में सद्गुण का समावेश करते हैं। लेकिन हमारी सेना की एक और बड़ी विशेषता यह है, कि हम सिर्फ परंपरा पर ही अपना ध्यान केंद्रित नहीं करते हैं, बल्कि हम नवाचारों के माध्यम से अपनी परंपरा में एक सकारात्मक बदलाव लाकर उसमें नई-नई चीजों का समावेश भी करते हैं।

 

साथियों, मेरी नजर में परंपरा को जड़ता की अवस्था में नहीं भेजना चाहिए। क्योंकि आपने देखा होगा, पानी जब एक जगह पर इकट्ठा होता है, तो कुछ दिनों बाद उसमें सड़न पैदा होने लगती है। इसलिए पानी का लगातार प्रवाहमान होना आवश्यक है। ठीक उसी प्रकार परंपरा को भी प्रवाहमान होना चाहिए, उसे बदलते समय के अनुसार खुद में सकारात्मक परिवर्तन लाना चाहिए। इसलिए यह परिवर्तन हम पूरे देश में लाने का प्रयास कर रहे हैं। इसका एक-दो उदाहरण मैं आपके सामने रखना चाहूँगा।

 

परंपरा और प्रगति के बीच समन्वय का पहला उदाहरण तो हमारा लखनऊ ही है। यह लखनऊ तहजीब की नगरी मानी जाती है, जो यहां की परंपरा है। यह एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की नगरी मानी जाती है। लेकिन हमने इस पारंपरिक शहर को भी प्रगति के पथ पर अग्रसर किया है। Roads, highways, railways, airways, स्कूल, कॉलेज hospitals जैसी आधारभूत संरचनाओं, तथा defence industrial corridor के विकास के साथ लखनऊ, लगातार खुद की पारंपरिक विरासत को development से जोड़ रहा है। न केवल लखनऊ, बल्कि पूरा उत्तर प्रदेश, अपने नए विचारों और नए कामों की वजह से लगातार उत्तम प्रदेश बनने की राह में अग्रसर है।

 

परम्परा और प्रगति के समन्वय का एक दूसरा उदाहरण खुद हमारी सेना है। आप देखिये, कि Army Day का celebration हमारी परम्परा का ही एक प्रतीक है। कई वर्षों से थल सेना दिवस मनाया जाता रहा है। इस परंपरा में हमने यह बदलाव किया, कि माननीय प्रधानमंत्री जी के Vision से अब Army Day दिल्ली से बाहर दूसरे शहरों में भी आयोजित किया जा रहा है।

 

इसी progress की श्रृंखला में, देश यह भी देख रहा है, कि किस प्रकार से हमारी सेना लगातार नए और आधुनिक हथियारों से सुसज्जित हो रही है। हमारी सेना drones, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से संचालित weapons से सुसज्जित हो रही है। हमारी सेना में नारी शक्ति का प्रतिनिधित्व बढ़ रहा है। आज सेना द्वारा दिखाए गए करतबों में, आप सब ने हमारी सेना में innovation के तत्वों को देखा। हर व्यक्ति को सेना में जाने का अवसर तो नहीं मिलता। लेकिन जिन लोगों ने आज के करतबों को देखा है वह निश्चित रूप से इस बात को अनुभव कर पाएंगे, कि किस प्रकार से हमारे सैनिक राष्ट्र की सुरक्षा में तत्पर है। आज का दिन, हमारी जनता को हमारे सैनिकों के और नजदीक लेकर आएगा। आज हमारे सैनिकों ने जो करतब दिखलाए, वह निश्चित रूप से यहां उपस्थित जनता, तथा हमारे युवाओं के मन में प्रेरणा का भाव पैदा करेगी, कि वह भी, बिना वर्दी वाले सैनिक बनकर इसी प्रकार से राष्ट्र की सेवा करें।

 

साथियों, एक सरकार के रूप में हम अपने सैनिकों के प्रति जो जिम्मेदारी है, उसे बखूबी निभा रहे हैं। माननीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में जब से हमारी सरकार आई है, तब से हमने सेना के सुदृढ़ीकरण की ओर विशेष ध्यान दिया है। आप सब तो जानते ही हैं, कि सरकार द्वारा किसी भी काम के लिए जब funds release किए जाते हैं, तो उसके पीछे वित्त-मंत्रालय काफी सोचता समझता है। बहुत विचार करता है; कि यह fund किस लिए चाहिए, इसका कहाँ-कहाँ use होगा। यह जरूरी भी है या नहीं? लेकिन जब भारतीय सेना के लिए funds की बात आती है, तो मैं यह बात दावे के साथ कह सकता हूं, कि बिना किसी विशेष सोच-विचार के, बिना किसी न-नुकुर के, सेना की मजबूती के लिए मुंह-मांगा fund दिया जाता है। यह सेनाओं के प्रति हमारी निष्ठा और समर्पण का एक प्रतीक है।

 

साथियों, सरकार सिर्फ वर्तमान सैनिकों के लिए ही नहीं, बल्कि भूतपूर्व सैनिकों के कल्याण के लिए भी पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। चाहे वह one rank one pension की बात हो, उनके लिए Health Care coverage provide करने की बात हो, उनके re-employment की बात हो या फिर उनके सम्मान की बात हो, हमारे veterans की wellbeing के लिए हम हरसम्भव प्रयास कर रहे हैं।

 

वर्तमान समय उपभोक्तावाद की संस्कृति का है। आपने इस बात पर गौर किया होगा, कि जिस भी वस्तु का उपयोग समाप्त हो जाता है, उस वस्तु को कोई खास महत्व नहीं दिया जाता। आपने प्रसिद्ध कवि रहीमदास जी का एक दोहा भी सुना होगा, कि-

काज परे कछु और है, काज सरे कछु और।

रहिमन भंवरी के भए, नदी सिरावत मौर ।।

अर्थात्, रहीमदास जी इस व्यवहार की तुलना शादी-विवाह के समय सिर पर लगाए हुये ‘मौर’ यानी दूल्हे की पगड़ी से करते हैं; जिसका विवाह में बहुत महत्त्व होता है। लेकिन विवाह सम्पन्न होते ही, उस पगड़ी को, जो सर पर विराजमान थी, नदी की धारा में प्रवाहित कर दिया जाता है।

 

मैं आप सबसे इस बात का जिक्र, अपने veterans को ध्यान में रखते हुए कर रहा हूं। हमारी सेना के जो भूतपूर्व सैनिक हैं, वह आज भले ही रिटायर हो गए हों,  लेकिन एक समय पर वह हमारी सेना के जांबाज सिपाही थे। आज भले ही वह active रूप से सेना में participate न करते हों, लेकिन अतीत में भारतीय सेना के लिए तथा इस मातृभूमि के लिए जो उनका योगदान रहा है, उसको acknowledge करना, तथा उसका सम्मान करना हम सब का नैतिक और राष्ट्रीय दायित्व है; और हम सभी इसका निर्वाह कर रहे हैं।

 

यह एक सुखद संयोग है, कि आज 15 जनवरी को हम भारतीय थल सेना दिवस मना रहे हैं, और कल ही, यानी 14 जनवरी को हमने veterans’ day मनाया है। अब आप इसे संयोग कहें, या फिर कुछ, और लेकिन यह संयोग भी इस बात को दर्शाता है कि हम अपने veterans के सम्मान को, सैनिकों से भी आगे रखते हैं। हम ईश्वर से यही प्रार्थना करते हैं, कि मां भारती हमें इतना सामर्थ्य दें, कि हम सब जिस भी स्थिति में रहें, अपने सैनिकों व भूतपूर्व सैनिकों के लिए हमेशा काम करते रहें।

 

इस अवसर पर अधिक कुछ न कहते हुए, मैं एक बार फिर से आप सभी को थल सेना दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं; मैं हमारे देश की सुरक्षा में दिन रात लगे सैनिकों को नमन करता हूँ। मैं आशा करता हूं कि आज का यह कार्यक्रम लखनऊ की जनता और हमारे सैनिकों के बीच की आत्मीयता को और बढ़ाने में सहायक होगा। इस विश्वास के साथ मैं अपनी बात को समाप्त करता हूं।

आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद,

जय हिंद!