New Delhi: June 15, 2023
आज, देश के prestigious institutions में से एक, ‘Nehru Memorial Museum and Library Society’ की annual general meeting में आप सभी के बीच उपस्थित होने पर मुझे बेहद खुशी हो रही हैI
साथियों, हम सब यहाँ एक प्रस्ताव पर विचार हेतु एकत्र हुए हैं। आप सब जानते हैं, परिवर्तन संसार का नियम है। यदि किसी व्यक्ति या संस्था को relevant बने रहना है, तो उसे बदलती परिस्थितियों के अनुसार स्वयं को परिवर्तित करते रहना पड़ता है।
जैसा कि हम सब जानते हैं, कि 1964 में नेहरू मेमोरियल museum and library की स्थापना इस उद्देश्य से की गई थी, कि यह Indian Democracy के इतिहास को संरक्षित रखेगा, और भावी पीढ़ी को मार्गदर्शन प्रदान करेगा। पिछले लगभग 60 वर्षों में हमने यह देखा है, कि कैसे इस संस्था ने सफलतापूर्वक उन उद्देश्यों की प्राप्ति की है, जिसके लिए इसकी स्थापना हुई थी।
स्थापना के समय इसका नाम प्रथम प्रधानमंत्री पं० जवाहर लाल नेहरू जी के नाम पर रखा गया। नेहरू जी आज़ाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री होने के साथ-साथ भारत में आधुनिक लोकतंत्र के प्रथम प्रतिनिधि भी थे। साथ ही हमारा यह मानना है कि नेहरू जी के साथ-साथ भारत के बाकी प्रधानमंत्रियों का भी भारत की लोकतंत्र की समृद्धि में महान योगदान रहा है। भारत में लोकतंत्र की जो महान परम्परा रही है, उसे यहाँ तक लाने में प्रथम प्रधानमंत्री नेहरू जी से लेकर वर्तमान प्रधानमंत्री मोदी जी तक का योगदान रहा है। इसलिए भारत के लोकतान्त्रिक विकास में सारे प्रधानमंत्रियों के योगदान को ध्यान में रखते हुए नेहरू मेमोरियल museum and library के नामकरण का जो प्रस्ताव रखा गया है, वह निश्चित रूप से एक स्वागत योग्य कदम है।
साथियों, भारत में अलग-अलग political parties से अलग-अलग prime ministers ने देश को serve किया है। राजनितिक स्तर पर विभिन्न parties के बीच वैचारिक मतभेद हो सकते हैं; और होते भी रहते हैं। लेकिन जैसा कि माननीय प्रधानमंत्री जी कई बार इसका जिक्र कर चुके हैं और हमारी सरकार भी वैचारिक तौर पर यह मानती है, कि देश में विकास की परम्परा को भारत के सभी प्रधानमंत्रियों ने अपने-अपने अनुसार आगे बढ़ाने का कार्य किया है। सभी प्रधानमंत्रियों के सामने उनके कार्यकाल में अलग-अलग तरह की चुनौतियाँ आईं, जिनका उन्होंने अपने तरीके से समाधान किया।
देश ने अपने अतीत में देखा है, कि कैसे लाल बहादुर शास्त्री जी ने, ‘जय जवान-जय किसान’ के नारे के साथ देश की आम जनता को, देश के सैनिकों की भावना से जोड़ा था। इंदिरा जी ने कैसे 1971 के युद्ध में देश का नेतृत्व करके, पाकिस्तान को 2 टुकड़ो में बाँटने में सफलता पाई। राजीव गाँधी जी ने देश में Computer का आगमन सुनिश्चित करके देश को IT sector में मजबूत बनाने की राह प्रशस्त की। पीवी नरसिम्हा राव जी ने किस प्रकार liberalisation, privatisation और globalisation reforms के माध्यम से भारत के economic revolution की नींव रखी।
देश जब 21वीं सदी की दहलीज पर खड़ा था, तो कैसे श्रद्धेय अटल जी ने अपने visionary दृष्टिकोण से भारत का नेतृत्व किया। यह उनके ही vision का परिणाम है कि हम एक शक्तिशाली परमाणु शक्ति बने। उनकी leadership में देश ने कारगिल युद्ध जीता। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी ने nuclear deal के माध्यम से देश को nuclear energy के क्षेत्र में आगे बढ़ाने का कार्य किया।
इसी प्रकार वर्तमान में भी हम देख सकते हैं कि कैसे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में देश बड़ी तेजी से आगे बढ़ रहा है। आज भारत की अर्थव्यवस्था की गति दुनिया के बाकी बड़े देशों की तुलना में कहीं ज्यादा तेजी से बढ़ रही है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत आज अपनी एक नई छवि गढ़ रहा है। आज भारत में जो एक नया confidence आया है, वह माननीय प्रधानमंत्री जी की बदौलत ही आया है। कहने का मतलब यह कि आज भारत जिस ऊंचाई पर है उसे यहाँ तक पहुँचाने में हमारे सभी Prime Ministers की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है।
पिछले वर्ष माननीय प्रधानमंत्री जी ने प्रधानमंत्री संग्रहालय राष्ट्र को समर्पित किया था। मुझे अलग-अलग माध्यम से प्रतिक्रियाएँ मिलती रहती हैं, कि कैसे आमजन अपने सभी प्रधानमंत्रियों की यात्रा और उनके योगदान को देखकर बड़े उत्साहित हो रहे हैं। प्रधानमंत्री संग्रहालय आमजन की आकांक्षाओं का प्रतिबिंब है।
साथियों, देश के सारे प्रधानमंत्रियों की यात्रा का अपना एक अलग-अलग रंग है जो आपस में मिलकर लोकतंत्र के इंद्रधनुष का निर्माण करते हैं। जिस प्रकार एक इंद्रधनुष उसके विभिन्न रंगों के कारण ही खूबसूरत दिखता है, उसी प्रकार भारत की सुंदरता उसकी विविधता के कारण है। इसलिए इंद्रधनुष में किसी एक रंग का ज्यादा हो जाना या किसी रंग को हटा देना इंद्रधनुष की सुंदरता के साथ समझौता करने जैसा है। हमें व्यक्ति से ऊपर उठकर संस्थाओं पर केंद्रित होने की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री कोई व्यक्ति नहीं होते बल्कि एक संस्था की भाँति राष्ट्र की सेवा करते हैं। इसलिए यह आवश्यक है कि हम इंद्रधनुष की भाँति अपनी संस्थाओं को भी वह विविधता प्रदान करें जो इस देश में है।
इसलिए मेरा आपसे यह आग्रह है कि NEHRU MEMORIAL MUSEUM AND LIBRARY SOCIETY का नामकरण PRIME MINISTERS MUSEUM AND LIBRARY SOCIETY से करने का जो प्रस्ताव आप सभी के समक्ष है, उस पर आप सभी विचार करें और इसे स्वीकृति प्रदान करें।