Text of Raksha Mantri’s speech at the IAF Seminar, ‘INDISEM-23’ in Bengaluru.

आदरणीय…,

आज, Aero-India महोत्सव में, Indian Air-force द्वारा आयोजित ‘INDISEM 2023’ में, आप सभी महानुभावों के बीच उपस्थित होकर मुझे बड़ी ख़ुशी हो रही हैI

 

“Indian Air Force’s Operational Capability Enhancement, Through Atmanirbharta” जैसे विषय पर हो रहा आज का यह सेमिनार, न केवल अत्यंत relevant है, बल्कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के vision ‘आत्मनिर्भर भारत’ के बिलकुल अनुकूल हैI यह सेमिनार, भारतीय वायुसेना के, आत्मनिर्भरता के प्रयासों को बढ़ावा देने में मददगार साबित होगा, ऐसा मेरा विश्वास हैI

 

इसके लिए मैं Indian Air-force, और सेमिनार के आयोजन से जुड़े समस्त लोगों को अपनी ओर से बधाई और शुभकामनाएँ देता हूँI

 

सबसे पहले मैं Indian Air-Force को, इसकी कर्तव्यपरायणता के लिए बधाई देना चाहूँगाI अभी हाल ही में हमने सीरिया और टर्की में भूकंप के कारण हुए विनाश को देखा हैI इसमें बड़ी संख्या में जानमाल के नुकसान की खबर आई हैI ऐसे विपरीत समय में, भारत की ‘वसुधैव कुटुम्बकं’ की प्राचीन भावना के अनुरूप, भारत सरकार के निर्देशानुसार, First-responder की भूमिका का निर्वहन करते हुए, Indian Air-force ने वहाँ पर अनेक प्रकार की मदद पहुँचाने का कार्य किया हैI यह international relations में, Indian Air Force के योगदान, और दुनिया के प्रति हमारे राष्ट्र के कर्तव्य को प्रदर्शित करता हैI इसके लिए वायुसेना निश्चित ही बधाई की पात्र हैI

मुझे इस बात की ख़ुशी है, कि आज भारतीय वायुसेना Electronic Maintenance Management System यानी e-MMS का implementation शुरू कर रही हैI इस नई शुरुआत के लिए मैं Indian Air-force को बधाई देता हूँI

 

साथियों, आजादी से लेकर अब तक भारत की संप्रभुता को सुरक्षित रखने में, Indian Air-force की बड़ी शानदार भूमिका रही है। न केवल राष्ट्र की सुरक्षा के प्रति, बल्कि स्वदेशी रक्षा उत्पादन के प्रति भी, Indian Air-force का पूरा support रहा है। आज का यह सेमिनार भी, स्वदेशी उत्पादों के प्रति भारतीय वायुसेना के भरोसे का एक और बड़ा प्रमाण है I

 

साथियों, पिछले कुछ वर्षों में हमारा राष्ट्र, अपनी एक नई, और विशिष्ट पहचान के साथ विश्वपटल पर उभरा हैI आमतौर पर हम किसी राष्ट्र की पहचान की बात करते हैं तो सबसे पहले हमारे ध्यान में क्या आता है। हमारे ध्यान में आता है कि कोई राष्ट्र अपनी भूमि, अपने जन, अपनी भाषा और अपनी संस्कृति की वजह से जाना जाता है। इसमें आप देखें, कि चाहे भूमि हो, जन हो, भाषा हो, या संस्कृति हो, उनमें एक बात common है, और वह है अपनी। कोई भी राष्ट्र अपनी चीज़ों के कारण जाना जाता है, दूसरे की चीज़ों से नहीं। भूमि और जन ही क्यों, पेड़-पौधे, जीव-जंतु नदियाँ, पहाड़ भी किसी राष्ट्र की पहचान का अंग होते हैं।

 

भारत के संदर्भ में हम देखें, तो हमारा देश पीपल और बरगद के कारण जाना जाता है, ग़म ट्री के कारण नहीं। हमारा देश गंगा और यमुना, कृष्णा और गोदावरी के कारण जाना जाता है, नील और अमेजन के कारण नहीं। हमारा देश हिमालय के कारण जाना जाता है, आल्प्स और एंडीज़ के कारण नहीं। हमारा देश शेर के कारण जाना जाता है, Penguin और कीवी के कारण नहीं।

 

वैसे, बाहर देशों की चीज़ों के प्रति हमारा पूरा सम्मान है। ग़म ट्री, नील, अमेजन, आल्प्स, एंडीज़, Penguin और कीवी के प्रति हमारा पूरा सम्मान है। ये सभी किसी देश की पहचान और उससे भी प्रमुख, प्रकृति के अभिन्न अंग हैं। इनमें से कुछ चीज़ें हमारे देश में, और हमारी कुछ चीज़ें बाहर देशों में पाई भी जाती हैं। इससे इनकार नहीं किया जा सकता है। बावज़ूद इसके, जब-जब भी हमारे देश की बात होगी, देश की पहचान की बात होगी, राष्ट्र के आत्मविश्वास की बात होगी, तो वह निश्चित ही अपनी ही चीज़ों से होगी।

 

कहना मैं क्या चाहता हूँ साथियों, कि जिस तरह किसी राष्ट्र की पहचान उसकी अपनी चीज़ों से होती है, राष्ट्र का आत्मविश्वास उसकी अपनी चीज़ों से पुष्ट होता है, उसी तरह हमारी सेनाओं का भी आत्मविश्वास हमारी अपनी चीज़ों, हमारे अपने साजो-सामान से पुष्ट होगा, इसमें कोई दो राय नहीं है। बड़े लंबे समय से हम Aircraft से लेकर हेलीकॉप्टर, गन, मिसाइल, रेडार सिस्टम आदि import करते रहे हैंI हमारी अधिकांश उड़ाने दूसरों के पंखों के सहारे भरी जाती रही हैं I

पर मुझे यह कहते हुए ख़ुशी होती है कि पिछले कुछ सालों में हमारे देश में यह परिस्थिति बदली हैI हाल के geo-political developments को देखते हुए, रक्षा क्षेत्र में हमने अपने पैर मज़बूत करने शुरू किए हैंI

 

साथियों, National security को मज़बूत बनाए रखने के क्रम में हमारा यह हमेशा प्रयास रहता है, कि हमारी armed forces, best equipment और platforms से सुसज्जित रहें। दुनिया में geopolitical scenario कैसा भी हो, पर National security को हरदम चौकस रखना हमारी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। इन सबको देखते हुए, हमारी सरकार ने defence production, और preparedness में आत्मनिर्भरता पर बल दिया है। यानी न केवल युद्ध कौशल में बढ़ोत्तरी के लिहाज से, बल्कि युद्ध के सामानों और उपकरणों में, अपनी आत्मनिर्भरता बढ़ाने के लिहाज से भी सरकार द्वारा अनेक कदम उठाए गए हैं।

 

इन सबका परिणाम यह हुआ है, कि हमारा देश रक्षा उत्पादन की दिशा में तेजी से आगे बढ़ा है I हमारी वायुसेना के संदर्भ में मैं कहूं, तो अभी कुछ समय पहले सरकार द्वारा 15 Light Combat Helicopter ‘प्रचंड’ के order के बारे में आप सभी अवगत हैंI आगे हमारी Armed Forces में इसकी कुल संख्या 160 होनी हैI इसी तरह ‘Akash weapon system’, ‘LCA-Tejas’, ‘Long Range Surface to Air Missile’ और ‘Advanced Medium Combat Aircraft’ की प्रगति के बारे में भी आप सभी अवगत हैंI यह सब रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के प्रति सरकार के प्रयासों, और Indian Air Force के support को दिखाते हैंI मुझे विश्वास है, कि सरकार के initiatives, और defence forces के support से हम अपने external dependence से काफी हद तक उबरने में सफल होंगेI

 

इसका अर्थ यह नहीं कि हम दुनिया में मौजूद best equipment और systems तक पहुँचने का प्रयास नहीं करेंगेI जरूरत पड़ने पर हम उनका भी procurement करेंगे; और करते भी हैंI पर हमारा यह प्रयास होना चाहिए, कि हम अपने यहाँ इन equipment और systems को develop करने की ओर आगे बढ़ें, और रक्षा क्षेत्र में अपने कदम और अधिक मज़बूत करेंI

 

साथियों, आज जब रक्षा मंत्रालय, और Air-force के senior officials यहाँ उपस्थित हैं, तो मैं अपनी ओर से एक सुझाव आप सभी लोगों के बीच रखना चाहूँगा, जिस पर आप विचार करेंI हमारी Armed Forces को अपने आप को मज़बूत बनाए रखने के लिए aircraft, helicopters, warships, submarines जैसे complex equipment और systems acquire करने की जरूरत होती हैI आप सभी जानते हैं, कि इन equipment और systems की अच्छी-खासी Life cycle cost भी होती है, जो उसकी service, और maintenance आदि के रूप में हमें बाद में चुकाना पड़ता हैI

 

ऐसे में, क्या हम इन high value equipment की इस Life cycle cost को इनकी acquisition के समय ही examine नहीं कर सकते हैं? क्या हम पहले ही vendors से एक clear estimate नहीं ले सकते हैं, कि आने वाले 10-20-50 सालों, या जब तक उस equipment की usable life है, तब तक उसकी service और maintenance आदि का खर्च कितना होगाI इन जानकारियों से हम acquisition में better value for money प्राप्त कर सकेंगेI मैं आप लोगों के सामने एक उदाहरण रखना चाहूँगा, जिससे हम सभी इस बात को relate कर सकते हैंI

 

हमें कभी एक Car खरीदनी होती है तो हम क्या बस यही देखते हैं, कि उस Car की on-road price कितनी है? नहींI हम Car की कीमत के साथ-साथ आने वाले समय में होने वाले बाकी खर्चे भी लगे हाथ देखते हैं; मसलन वह गाड़ी mileage कितना देगी,
उसकी maintenance cost कितना पड़ेगी, post delivery service कितने की पड़ेगी, market में उसके spare parts की availability है या नहीं, और अगर है तो उसकी cost किस range में होगी आदि-आदिI ये सब देख लेने के बाद ही हम किसी Car के बारे में अपना अंतिम निर्णय लेते हैंI Car तो फिर भी बड़ी चीज़ हैI मैंने दफ़्तरों में एक छोटे से printer लेने के पहले लोगों को बड़ा सोच-विचार करते हुए देखा है; कि कोई ऐसा printer न आ जाए जिसकी बाद में servicing में दिक्कत आए, या ऐसा printer न आ जाए, कि खरीदते समय तो उसकी cost कम पड़े, पर बाद में उसके cartridges लेने भारी पड़ जाएँI यह सब सोचना भी चाहिए, अच्छी बात हैI

 

तो अगर इन छोटी-छोटी चीज़ों का सौदा करते समय हम उसकी पूरी कुंडली निकाल सकते हैं, तो इतने costly defence equipment और systems को acquire करते समय, क्या हमें उसके भविष्य के बारे में नहीं सोचना चाहिए? सो मैं चाहूँगा कि आप लोग इस बात पर विचार करें, कि हम इस प्रकार की खरीदों के समय equipment की life cycle cost की जानकारी भी ले सकते हैं क्याI यह हमें अनेक प्रकार से सहायक हो सकता हैI इससे हमें किसी equipment के लगभग overall financial implication के बारे में पता चल सकता हैI और इसका लाभ केवल cost तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इससे हम यह आकलन भी कर सकेंगे, कि उस particular equipment में indigenous content का कितना स्तर हैI

 

अभी हम किसी equipment को acquire करते समय उसमें indigenous content की तो जाँच करते हैं। उदाहरण के तौर पर, हम कोई procurement, ‘Buy Indian- IDDM’ category के तहत करते हैं, तो उसमें हम यह देखते हैं कि equipment cost के आधार पर उसमें minimum 50% content indigenous है कि नहींI पर जब उस equipment की maintenance की बारी आती है, तो पता चलता है, कि वह तो देश के बाहर ही होगा, या फिर भारत में होगा तो उसमें indigenous content 50% से कम होगा। तो ऐसे में, क्या हम यह भी देख सकते हैं, कि equipment की procurement cost में minimum 50% indigenous content ही नहीं, बल्कि maintenance एवं support में भी 50% indigenous content हो। तब ही सही मायने में हमारा acquisition Buy Indian- IDDM होगा और हमारी आत्मनिर्भरता की राह प्रशस्त होगी।

 

इसी चीज़ से एक और बात जुड़ी है जिसका मैं यहाँ ज़िक्र करना चाहता हूँ; और वह है हमारे देश में MRO की स्थितिI MRO, निश्चित ही आज के समय में देश की सबसे महत्त्वपूर्ण आवश्यकताओं में से एक हैI जिस तरह किसी इन्सान को अपने स्वास्थ्य की देखभाल करने की जरूरत होती है, उसी तरह हमारे defence equipment और systems के स्वास्थ्य की देखभाल की भी तो जरूरत होती हैI ऐसे में हमारे देश में MRO की सुविधा का होना, और उसमें बढ़ोत्तरी होना वर्तमान समय की बड़ी जरूरत हैI

हमारी सेना के लोग अपना सबकुछ दाँव पर लगाकर हमारी सुरक्षा करते हैं, और MRO से जुड़े लोग equipment और systems के maintenance के माध्यम से हमारी सेनाओं की रक्षा करने में सहायक होते हैंI इसलिए MRO से जुड़े लोगों को मैं हमारे रक्षकों के रक्षक के रूप में देखता हूँI इसलिए हमारा देश आने वाले समय में MRO hub के रूप में उभरे, इसके लिए हम सभी को सम्मिलित प्रयास करने की जरूरत हैI

 

मैं इस मंच से सभी देशवासियों को आश्वस्त करता हूँ, कि राष्ट्र की रक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है, और इसे सुनिश्चित करने के लिए हम पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं। मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूँ, कि आने वाले समय में जल्द ही, दुनिया में military power समेत जब भी superpowers की बात होगी, तो भारत का नाम सबसे पहले गिना जाएगा।

हमारी वायुसेना न केवल सुरक्षा के क्षेत्र में, बल्कि आत्मनिर्भरता के क्षेत्र में भी लंबी और ऊँची उड़ान भरेगा, ऐसा मेरा विश्वास हैI

 

इस अवसर पर और अधिक कुछ न कहते हुए, मैं Indian Air-Force को अपनी बधाई देता हूँI

मैं इस सेमिनार की सफलता की कामना करते हुए, अपना निवेदन समाप्त करता हूं।

धन्यवाद, जय हिंद!