Text of Raksha Mantri’s speech at the DRDO Seminar in Bengaluru

आदरणीय

आज, Defence Research and Development Organisation द्वारा आयोजित सेमिनार में, आप सभी Scientists, academicians, senior defence officials और business leaders के बीच उपस्थित होकर मुझे बड़ी खुशी हो रही है।

 

Futuristic Aerospace Technologies, और Indigenous Aero Engines के विषय पर आयोजित हो रहा आज का सेमिनार, Government, Private sector और Academia को एक common platform provide करता है।

इस महत्वपूर्ण आयोजन के लिए मैं डीआरडीओ, और आयोजन से जुड़े सभी लोगों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देता हूँ।

 

साथियों, हमारी भारतभूमि का अनुसंधान से बड़ा पुराना नाता रहा है। यहाँ के ऋषियों-मनीषियों ने भौतिक तो भौतिक, उससे ऊपर उठते हुए, भौतिकता से परे तत्वों पर भी अनुसंधान किया। स्थूल ही नहीं, सूक्ष्म पर भी अनुसंधान किया, और तत्त्वज्ञान को प्राप्त करने में सफल रहे। अनुसंधान हमारे यहाँ केवल एक सामान्य प्रक्रिया भर नहीं रहा है, बल्कि वह परमात्मा तक पहुंचने का भी एक माध्यम रहा है; और इसलिए ज्ञान और अनुसंधान को देवत्व से जोड़कर देखा गया है। इसी के चलते हमारे यहाँ ज्ञान और बुद्धि के देवी-देवता के रूप में सरस्वती और गणेश जी की संकल्पना की गई है। इस प्रकार भारत ने भौतिक हो या आध्यात्मिक, जो भी प्रगति की थी,
उस प्रगति का मूल कारण अनुसंधान, अथवा research ही थाI

 

भारत ने अगर दुनिया को ‘योग’ दिया है, ‘पाई’, ‘ज़ीरो’ या कई प्रकार के theorems दिए हैं, तो यह सभी ज्ञान कोई एक दिन की उपज नहीं थेI सदियों-सदियों की जिज्ञासाओं, प्रयोगों और अनुसंधान के प्रतिफल हैं यह सभी ज्ञानI इसी तरह कला हो, साहित्य हो, आयुर्वेद हो, भौतिकी हो, इस देश ने अगर इन क्षेत्रों में लंबे समय तक योगदान दिया है, तो उसके पीछे यहाँ की research की एक लंबी परंपरा हैI Physics का तो मैं student और teacher रहा हूँI इसलिए हमारे देश के, Physics के क्षेत्र में उच्च कोटि के research tradition से मैं अवगत हूँI

 

न्याय और वैशेषिक जैसे वैदिक काल के literature में, Physics के अनेक सिद्धांतों के सूत्र परिलक्षित होते हैं, जिनका आज दुनिया भर में पठन-पाठन हो रहा हैI

 

विद्वान लोग बताते हैं, कि ‘महाविस्फोट’, जिसे Big-bang के रूप में interpret किया जा सकता है, का भी ज़िक्र हमें उन literatures में दिखाई देता हैI यह research की सुदृढ़ और सुदीर्घ परंपरा के बिना संभव नहीं हो सकता हैI आप में से कुछ लोग शायद न जानते हों, कि जिनेवा स्थित भौतिक विज्ञान की दुनिया की सबसे बड़ी प्रयोगशाला, जिसे ‘European Organization for Nuclear Research’ अथवा ‘CERN’ नाम से जाना जाता है, के बाहर भगवान नटराज की एक विशाल प्रतिमा लगी हैI यह सृष्टि के उद्भव और विकास के, प्राचीन भारतीय विज्ञान और अनुसंधान के प्रति कृतज्ञता का एक प्रतीक हैI

 

हम अपने समाज, राष्ट्र अथवा विश्व को क्या दे सकते हैं, यह इस बात पर निर्भर करता है, कि हमारी अपनी प्रगति क्या, और कितनी रही है। इसलिए आज हमारा देश,

अपने आप को पूर्ण आत्मनिर्भर बनाने, और दुनिया को कुछ सकारात्मक देने की आकांक्षा के साथ आगे बढ़ रहा है, तो इस आकांक्षा की पूर्ति के लिए सभी sectors में हमारी अपनी प्रगति निश्चित ही अत्यंत आवश्यक हो जाती है। इस उद्देश्य से हम अपनी defence R&D की प्रगति में महत्त्वपूर्ण प्रयास कर रहे हैं, और मुझे यह कहते हुए खुशी होती है, कि DRDO, इस दिशा में एक flag-bearer की भाँति लगातार आगे बढ़ता चला जा रहा है।

 

DRDO के Scientists, Engineers और Technicians को, मैं हमारे सैनिकों के ही दूसरे स्वरूप में देखता हूँI आयुध के बारे में सोचने वाले सैनिक I आयुध का विकास, और निर्माण करने वाले सैनिकI आप सभी अवगत होंगे, कि प्राचीन काल में, जब युद्ध पद्धतियाँ बहुत विकसित नहीं थीं, प्रत्येक योद्धा अपने सभी कामों के लिए स्वयं ज़िम्मेदार होता था।

 

उदाहरण के लिए, लड़ाई करने के मूल काम के साथ-साथ उसे अपने खाने-पीने की भी व्यवस्था करनी होती थी, अपने पहनने-ओढ़ने, और रहने की भी व्यवस्था करनी होती थी, और साथ ही अपने अस्त्रों-शस्त्रों, और साजो-सामानों को भी तैयार करना होता था।

 

पर जैसा कि परिवर्तन सृष्टि का नियम है; योद्धाओं की इस अवस्था में भी बदलाव आया, और युद्ध के अलावा उनके बाकी के काम specialized तरीके से specialists द्वारा किए जाने लगे। ये specialists लोग योद्धाओं के साथ-साथ युद्ध के मैदान में भले न जाते हों, पर इनके बनाए अस्त्र-शस्त्र योद्धाओं को मजबूती प्रदान करने लगे। इससे लाभ यह हुआ, कि योद्धा अपने मूल कार्य पर focus करने लगे, जिससे उनकी efficiency में वृद्धि हुई, और आयुध के specialists अपने कार्य पर ध्यान देने लगे, जिससे उनकी efficiency में वृद्धि हुईI

ये specialists कोई और नहीं, हमारे DRDO के Scientists, Engineers और Technicians ही हैं, जो परदे के पीछे के heroes के रूप में दिन-रात मेहनत करते हैं, और हमारे सैनिकों को मज़बूती प्रदान करते हैं।

 

साथियों, आज़ादी के बाद से अब तक हमारा Defence & aerospace sector अगर लगातार मजबूत हुआ है, तो DRDO की उसमें महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। अपने researches और innovations से, DRDO ने हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा को सुदृढ़ करने में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया हैI Ammunition से लेकर Guns, Radar system और Missiles तक के design और development के माध्यम से, DRDO ने स्वयं को, National Security को मज़बूत बनाने में सहायक सबसे strong pillars में से एक साबित किया हैI

 

यह बड़े हर्ष और गर्व की बात है, कि पिछले कुछ वर्षों में देश ने TAPAS, AEW&C, Medium Range Artillery Gun, Helicopter, Radar जैसे State-of-the-Art Platform और weapon system विकसित किए हैं। दुनिया ने हमारी achievements को notice किया है, और कई देश अब हमसे defence equipment import कर रहे हैं, जबकि कई और देश Indian Weapon system हासिल करने की प्रक्रिया में हैं। Aerospace industry में LCA तेजस विमान game changer साबित हो रहा है।

 

एक अत्यंत सक्षम aerial platform, LCA तेजस का flight safety में एक सराहनीय record है, जो इसकी quality के बारे में बहुत कुछ बताता है। इसकी सफलता के आधार पर, सरकार ने अब Indian Air Force के लिए LCA Mk II को मंजूरी दे दी है, जबकि Twin Engine Deck Based Fighter, भारतीय नौसेना के लिए विचाराधीन है। हमने 5th generation के stealth aircraft के रूप में, Advanced Medium Combat Aircraft के डिजाइन और निर्माण की राह में भी अपने कदम आगे बढ़ाने शुरू कर दिए हैं। कहने का अर्थ है कि जल हो, थल हो, या नभ हो, सर्वत्र सुरक्षा व्यवस्था को मज़बूत करने में DRDO सदैव forefront पर रहा हैI

 

साथियों, आज भारत में Aerospace sector अपने एक महत्त्वपूर्ण पड़ाव पर है, और इसे एक नई दिशा देना आज की जरूरत है। Global super power बनने की ओर लगातार प्रगति करते भारत के पास next level की defence forces का मजबूत support होना चाहिए, जो किसी भी नई चुनौती का सामना करने में सक्षम हो। इसलिए मेरा मानना है, कि हमारे देश को Artificial Intelligence, drones, stealth, hypersonic, quantum computing जैसी niche technologies का उपयोग करके, आवश्यक weapon systems के indigenous design & development पर ध्यान केन्द्रित करने की आवश्यकता है।

 

इसी तरह Indian Aerospace sector को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाने के लिए, indigenous Aero-Engine का design और development भी, मैं समझता हूँ वर्तमान समय की सबसे महत्त्वपूर्ण आवश्यकता हैI आज जब हम अपनी आज़ादी के 75 वर्ष पूरे कर ‘अमृत काल’ में प्रवेश कर चुके हैं, हमें इस बात पर फिर से विचार करने की जरूरत हैI हम कब तक दूसरों के Engine से अपनी उड़ान भरते रहेंगेI हम कब तक कहते रहेंगे कि ‘हमारा प्रयास जारी है’, ‘हमारा प्रयास जारी हैI’ कभी तो हमें result देना ही पड़ेगा नI यह Aero-Engine का development न हो, पानीपत का युद्ध हो गया, कि जो दादा जी ने रटा, वही पिता जी ने, और वही बच्चा भी रट रहा है, कि ‘प्रयास जारी है’I

 

हम जब स्कूल में पढ़ते थे, तो एक रूपए की ‘General Knowledge’ की एक किताब आती थी; मालूम नहीं अब आती है कि नहींI

उसका publisher ऐसा चालाक आदमी हुआ करता था, कि आधा साल बीतते-बीतते वह अगले साल का edition market में उतार देता था, जिससे उसकी बिक्री अधिक होI जैसे, अभी फरवरी 2023 चल रहा है, और कुछ ही दिन में ‘General Knowledge 2024’ की किताब हमारे सामने आ जाएI और उस किताब में होता क्या था, कि ‘पानीपत की लड़ाई कब हुई थी’, ‘सबसे बड़ा दरवाजा कौन सा है’, सबसे लंबी नदी कौन सी है’ आदि-आदिI अब इन सब facts में कोई change तो होना है नहीं, तो क्या फ़र्क पड़ता है कि वह ‘General Knowledge’ 2024 की है या 2050 कीI इसलिए साल-दर-साल वह नई-नई किताबें निकालता जाता था, और कमाई करता जाता थाI

 

कहना मैं यह चाहता हूँ मित्रों, कि हम सभी यह प्रयास करें कि Aero-Engine के लिए हमारा ‘प्रयास’ भी, उन्हीं facts की तरह न बन जाए, जो कभी बदले ही न I हमारा target यह हो, कि हम Aero-Engine का विकास कर, न केवल ‘General Knowledge’ की नई किताब लिखें, बल्कि अपने पुरुषार्थ से देश का एक नया इतिहास लिखेंI मुझे पूरा विश्वास है कि DRDO अपनी सामर्थ्य, अपने संकल्प और समर्पण के बल पर इसे यथाशीघ्र करके दिखाएगाI आज का यह seminar, इस दिशा में बड़ा महत्त्वपूर्ण साबित होगा, ऐसा मेरा मानना हैI

 

DRDO से मैं एक बात और कहना चाहूँगा, कि जो incremental innovations हैं, minor sub-systems और उनकी technologies हैं, उनके development के लिए आप Technology Development Fund, और iDEX जैसी schemes के माध्यम से Start-ups और नए R&D establishments को सामने लाएंI आप अब defence R&D के लिए अकेले service provider नहीं है, बल्कि अब आप in-house industrial R&D, Start-ups और private sector labs के लिए एक facilitator की भूमिका में भी आ गए हैं। इनकी synergy का आप लाभ उठाएंI

और आप स्वयं, एक target के तहत बड़ी और disruptive, cutting-edge या frontier technologies पर काम करें, जिससे आप अधिक focused होकर काम कर सकेंगे और आगे बढ़ सकेंगेI आप अपने लिए कुछ Short term, mid-term और Long term goals set करें, और उसके अनुसार dedicated होकर आगे बढ़ेंI

 

याद रखें, कि आप वही DRDO हैं, जिसने अपने innovations और products से दुनिया का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया हैI आपने पृथ्वी से लेकर आकाश तक अपने अग्नि के तेज को प्रदर्शित किया हैI ऐसा कोई कारण नहीं कि Aero-Engine के निर्माण की दिशा में आप सफलता प्राप्त न कर सकेंI मुझे मालूम है कि यह मुश्किल है, पर असंभव नहीं है। मुझे इस बात की ख़ुशी है कि रक्षा मंत्रालय और DRDO, देश में
इसके स्वदेशी निर्माण के details पर काम कर रहे हैं।
जल्द ही हमें इसका प्रतिफल देखने को मिलेगा, ऐसा मेरा विश्वास हैI

 

मैं यहां उपस्थित सभी stakeholders से, गंभीरता से इन मुद्दों पर चर्चा करने, और भारत को technology hub में बदलने के लिए आगे का रास्ता तैयार करने का अनुरोध करता हूं।

इस अवसर पर अधिक कुछ न कहते हुए, मैं एक बार फिर, इस महत्त्वपूर्ण आयोजन के लिए आप सभी को अपनी ओर से बधाई देता हूं।

मैं seminar की सफलता की शुभकामनाएँ देते हुए, अपना निवेदन समाप्त करता हूँ।

धन्यवाद!

जय हिंद