भारत के सैन्य, सामरिक और सांस्कृतिक इतिहास में, मेरठ का अपना एक विशेष महत्व है। मेरठ 1857 में हुए भारत के पहले स्वाधीनता संग्राम का एक प्रमुख केंद्र था। आज़ादी के बाद मेरठ ने शिक्षा की दृष्टि से भी अपनी एक पहचान बनाई है।
आज यहाँ मेरठ में IIMT यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में आप सभी के बीच उपस्थित होना मेरे लिए हर्ष का विषय है क्योंकि छात्रों से मिलने, बातचीत करने या उन्हें संबोधित करने का अवसर मुझे खुशी और संतोष दोनों को अनुभूति कराता है।
आज यहाँ दीक्षांत समारोह आयोजित किया गया है। दीक्षांत समारोह एक छात्र के जीवन का महत्वपूर्ण पड़ाव होता हैं। एक ऐसा पड़ाव जब आप अपनी शिक्षा हासिल करके, अपनी डिग्री प्राप्त करके, अपने जीवन के लक्ष्य को प्राप्त करने निकल पड़ते हैं। मैं मानता हूँ की, आप सभी इस बात से सहमत होंगे कि इस सफर के लिए, आपको तैयार करने मे आप के गुरुजनों और आपके माता-पिता एवं परिवार के अन्य सदस्यों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इसलिए आज का यह दिन उनके सामने अपनी कृतज्ञता और आभार व्यक्त करना, आपकी सबसे बड़ी प्राथमिकता होना चाहिए।
बाहर के विश्वविद्यालयों में Degree देने के लिए Convocation Ceremony होती हैं। लेकिन भारतीय संस्कृति में ‘दीक्षांत समारोह’ होता है, जो हमारे यहाँ एक संस्कार होता हैं। जब गुरूकुल में शिक्षा ग्रहण करने के बाद छात्रों को गुरूकुल से विदाई दी जाती थी, तो उनका “समावर्तन संस्कार” होता था। समावर्तन का शाब्दिक अर्थ है वापस लौटना। यानि अब आप अपनी शिक्षा-दीक्षा ग्रहण कर के वापस एक सक्षम व्यक्ति के रूप में, बाहर की दुनिया में प्रवेश करने जा रहे हैं। आप अब एक जिम्मेदार नागरिक के तौर पर अपने कार्यों से समाज और देश निर्माण में योगदान देंगे।
इस दीक्षांत का अर्थ यह बिल्कुल नहीं है कि अब आपकी शिक्षा समाप्त हो गई हैं। महान वैज्ञानिक Albert Einstein द्वारा कही एक बात बताना चाहता हूँ । Einstein ने कहा था “Education is Not the Learning of Facts, But the Training of the Mind To Think”. अब आपको इस Training का उपयोग करके लगातार यह सोचना और प्रयास करना है, कि आप अपने खुद की, अपने समाज की, देश और पूरी दुनिया की बेहतरी के लिए क्या कर सकते हैं? अगर आप ऐसा करने मे सफल होते हैं, तो आपकी शिक्षा सार्थक है।
प्रिय छात्रों, आप सभी जानते हैं कि हमने वर्ष 2047 तक एक विकसित देश बनाने का लक्ष्य रखा है। इस राष्ट्रीय संकल्प की सिद्धि और लक्ष्य की प्राप्ति में आपकी पीढ़ी के द्वारा किए गए कार्य निर्णायक भूमिका निभाएंगे। आपके द्वारा देखे गए नए सपने, आपकी नई सोच और आपके द्वारा किए गए काम भारत को दुनिया में एक नई पहचान दिलाने का काम करेंगे।
आज 11 जनवरी है और कल हम सभी के लिए और विशेष रूप से युवाओं के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है। कल 12 जनवरी — जो कि स्वामी विवेकानन्द जी की जयन्ती है, वह भारत में ‘युवा दिवस’ के रूप में मनाई जाती है।
मैं मानता हूँ कि युवा दिवस मनाने के लिए इससे उपयुक्त दिन और कोई हो भी नहीं सकता था, क्योंकि स्वामीजी सही मायनों में भारत के पहले ‘Global Youth’ थे, जिनका प्रभाव देश और विदेश दोनों जगह महसूस किया गया।
आप खुद सोचिये सिर्फ 39 वर्ष की अल्प आयु में उन्होंने कितनी ऊँचाई हासिल की। युवाओं में अपने दृढ़विश्वास को व्यक्त करते हुए, उन्होंने कहा था – “भविष्य के प्रति मेरी आशा, चरित्रवान, बुद्धिमान, दूसरों की सेवा के लिए सर्वस्व त्यागने में विश्वास रखने वाले, युवाओं में ही निहित हैं।”
हम सब जानते हैं कि विवेकानंद जी ने 1893 में शिकागो, अमेरिका, में आयोजित ‘विश्व धर्म महासभा’ में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया, और भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक ऊर्जा से अमेरिका और यूरोप के लोगो को परिचित कराया।
उन्हाेंने कहा था, मुझे गर्व है कि मैं एक ऐसे देश से हूं, जिसने इस धरती के सभी देशों और धर्मों के परेशान और सताए गए लोगों को शरण दी है। यह ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ का भाव ही भारत की सनातन संस्कृति है।
स्वामी जी कहा था कि हमारा सांस्कृतिक संदेश, लोगों को अलग-अलग धर्म संप्रदायों के खांचों में बांटना नहीं, बल्कि पूरी मानवता को एक सूत्र में पिरोना है। भारतीय संस्कृति की ऐसी सुन्दर परिभाषा देने वाले ऐसे महानायक को हम सब शत-शत नमन करते हैं।
विवेकानंद जी से जुड़े कई ऐसे प्रसंग हैं, जो हमें बहुत प्रेरणा देते हैं। उनमे से कुछ आपके साथ भी बांटना चाहता हूँ।
एक बार जब स्वामी विवेकानन्द जी विदेश गए, तो उनका भगवावस्त्र और पगड़ी देख कर लोगों ने पूछा, – “आपका बाकी सामान कहाँ हैं”? स्वामी जी बोले – “बस यही सामान है”।
तो कुछ लोगों ने व्यंग किया कि “अरे! यह कैसी संस्कृति है आपकी? तन पर केवल एक भगवा चादर लपेट रखी हैं, कोट – पैंट जैसा कुछ भी पहनावा नहीं हैं”?
इस पर स्वामी विवेकानंद जी मुस्कुराए और बोले, “In your country tailor makes the man, but in our country character makes the man”.
एक अद्भुत आत्मविश्वास विवेकानंद जी ने भारतीयों को दिया। यानि हर भारतवासी को अपनी संस्कृति और भाषा पर अभिमान तो होना ही चाहिए, साथ ही हमारे मन में दूसरी संस्कृति और भाषा के प्रति भी सम्मान का भाव होना चाहिए।
प्रिय छात्रों, आज जब भारत दुनिया में अपना सही स्थान हासिल करने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहा है, तो विवेकानंद जी जैसे महान व्यक्तित्वों की जीवन यात्रा और उनके आदर्श और मूल्य हमारा मार्गदर्शन कर रहे हैं। मुझे पक्का विश्वास है, भारत अमृतकाल में प्रवेश कर चुका है, 2047 तक विकसित भारत बन कर रहेगा ।
कहते हैं कि ‘Every age has its own heroes’। मैं मानता हूँ कि हमारे भविष्य के Heroes हमारा युवा वर्ग हैं, हमारा Youth हैं।
मुझे यह विश्वास होता जा रहा हैं कि जिस देश का प्रतिनिधित्व आप जैसे ऊर्जावान, कर्मठ और प्रगतिशील युवा कर रहे हैं, उसे विकास की ऊँचाइयों को चुने से कोई नहीं रोक सकता हैं।
मैं मानता हूँ, युवाओं की सबसे बड़ी ताक़त होती हैं -उनकी सोच और उनका अप्रोच। मुझे लगता है कि युवाओं का सबसे बड़ा गुण Optimism यानि आशावाद होता है, और मैं मानता हूँ कि optimist sees the opportunity in every difficulty.
जब हम Challenge को एक Opportunity के रूप मे देखते हैं, तभी हम कुछ बड़ा कर पाते हैं। कोरोना महामारी के शुरुआत मे हमने इस Challenge को एक Opportunity के रूप मे देखा। हमने इसे भारत को एक ‘आत्मनिर्भर राष्ट्र’ बनाने के अवसर के रूप मे देखा, जिसके परिणाम स्वरूप आज भारत स्वास्थ्य से लेकर रक्षा तक, सभी क्षेत्रों मे ‘आत्मनिर्भर’ बन रहा हैं।
आज़ादी के दशकों बाद तक भारत को एक ‘Third World Country’ कहा गया। मैं मानता हूँ कि आज़ादी के बाद हमारे सामने बहुत सी चुनौतियाँ रही, पर किन्ही कारणो से इन चुनौतियाँ ने एक निराशा का भाव पैदा कर दिया।
हमारे युवा सपने देखने से डरने लगे। सपने देखे भी तो ‘अमेरिकन’। Our Youth Started Having American Dreams.
आजादी के बाद दशकों तक हमारे देश के युवावर्ग को अपने सपनों को पूरा करने के लिए विदेश जाना पड़ता था। पार आज आपके पास अपने सभी सपनों को पूरा करने के साधन और संसाधन दोनों हैं। जरूरत हैं तो सिर्फ संकल्प शक्ति की। Will Power की ।
पर आज समय बदल गया हैं। यह Indian Dream का समय हैं। आज आप अपने इस देश में, अपने भारत में रहकर कोई भी सपने देख सकते हैं, और उन्हें अपने संकल्प और साधना से पूरा भी कर सकते हैं। और यह कोई statement नहीं fact हैं।
भारत वैश्विक स्तर पर सबसे ‘वाइब्रन्ट स्टार्टअप इकोसिस्टम’ में से एक के रूप में उभरा है। इसने तीसरे सबसे बड़े स्टार्टअप हब के रूप में अपनी जगह बनाई है। 100 से अधिक यूनिकॉर्न के साथ, भारतीय स्टार्टअप परिदृश्य Innovation और Entrepreneurship के भविष्य को आकार दे रहा है।
आज भारत सशक्त डिजिटल अर्थव्यवस्था बन के उभर रहा हैं। वर्ष 2024 में 171 Billion Unified Payments Interface (UPI) Transactions हुए जिसकी Value लगभग 245 Lakh Crore हैं। आप इसका मतलब समझते होंगे। आज भारत, विश्व की सबसे विकसित अर्थव्यवस्थाओं के साथ खड़ा हैं।
भारत में Entrepreneurship की Spirit में पिछले दशक में Paradigm Shift आया हैं। बेंगलुरु, हैदराबाद, मुंबई और दिल्ली-एनसीआर जैसे शहर Innovation के केंद्र बन गए हैं।
Affordable Internet और Young Dynamic Workforce नेफिनटेक, एडटेक, हेल्थ-टेक और ई-कॉमर्स (fintech, edtech, health-tech, and e-commerce) सहित विविध क्षेत्रों में स्टार्टअप के विकास को बढ़ावा दिया है।
इन सभी बातों का मतलब यह हैं कि आज यदि आपके पास प्रतिभा और दूरदृष्टि है, और आप कड़ी मेहनत करने और बदलाव लाने के लिए तैयार हैं, तो आपके पास अपार अवसर हैं।
प्यारे छात्रों, जीवन में हम जैसे-जैसे बड़े होते हैं, हम बड़ी-बड़ी किताबें पढ़ने लगते हैं, बड़े-बड़े Philosophical Doctrines से प्रेरित होने लगते हैं। अच्छी बात हैं, जितना संभव हो उतना पढ़ना चाहिए। ज्ञान प्राप्ति की प्रक्रिया निरंतर चलनी चाहिए। पर साथ में हमे कभी भी बचपन में सिखाई बातों को नहीं भूलना चाहिए ।
क्या मैं यहां विद्यार्थी से पूछ सकता हूं की बचपन में आप सबने सबसे पहली कहानी कौन सी सुनी थी। मैं बताता हूँ, एक ऐसी कहानी हैं जो आप सबने सुनी होगी। ‘खरगोश और कछुए की दौड़ की कहानी’ तो हम सभी ने निश्चित तौर पर सुनी ही होगी।
यह एक ऐसी कहानी है जिसे हम सभी जीवन भर याद रखते हैं, पर शायद उस कहानी का संदेश भूल जाते हैं। यह वह कहानी है जो हमें Patience, Persistence और Perseverance का मूल्य बताती है। यह कहानी हमें बताती है कि दृढ़ता और कड़ी मेहनत से आप किसी भी फील्ड में विजय हासिल कर सकते हैं।
अभी हाल ही में एक 18 साल के युवक ने अपनी प्रतिभा से पूरी दुनिया को चौंका दिया। जी हाँ, मैं बात कर रहा हूँ, भारतीय ग्रैंडमास्टर डी गुकेश की, जिसने हाल ही में सिंगापुर में ‘वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप’ जीतकर इतिहास रच दिया।
गुकेश की जीत हर मायने में असाधारण है, क्योंकि उन्होंने 1985 में गैरी कैस्परोव के 22 साल की उम्र में ‘वर्ल्ड चेस चैंपियन’ बनने का रिकॉर्ड तोड़कर, 18 साल की उम्र में यह खिताब जीता है।
बहुत लोग गुकेश के टैलेंट को God-Gifted मान सकते हैं। पर मैं मानता हूँ कि यह कठिन परिश्रम और उसके फोकस का परिणाम हैं। 7 साल की उम्र में, जी हाँ, सात साल के उम्र में गुकेश ने अपना मन बना लिया था, की वे भारत के लिए यह ख़िताब जीतेंगे। और यह उनका ख़ुद पर विश्वास, उनकी कड़ी मेहनत और फोकस ही था, की उन्होंने अपना यह सपना इतनी कम उम्र में पूरा कर लिया।
आज जब आप सभी विद्यार्थी अपने अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए इस कैंपस से बाहर की दुनिया में कदम रखने के लिए तैयार हैं, तो याद रखियेगा। तीन बातें आपको जीवन में बड़ी – से – बड़ी चुनौतियों से निपटने में मदद करेंगी। और वह तीन बातें है : ईश्वर में आपकी आस्था, अपनी क्षमताओं पर आपका भरोसा, और अपने प्रयासों के सर्वोत्तम परिणाम की आशा।
मैं एक उदाहरण देता हूॅॅ। जब एक पिता अपने छोटे से बच्चे को हवा में उछालता हैं, तो वह बच्चा हंसता है, डरता नहीं हैं, क्योंकि वह जानता है, उसे विश्वास होता है कि उसके पिता उसे पकड़ लेंगे, गिरने नहीं देंगे।
आपको ईश्वर पर, अपने माता-पिता पर और अपने गुरुओं पर ऐसा ही विश्वास करके सिर्फ़ पूरी निष्ठा से अपना काम करना हैं।
प्रिय छात्रों, आप सभी के इर्द गिर्द ऐसी बहुत सी घटनाए घटित हो रही हैं, जिन्हे हम सही मायने मे Epoch Making यानि ‘युग प्रवर्तक’ कह सकते हैं। मैं मानता हूँ यह सभी घटनाए आपके लिए प्रेरणा का स्त्रोत हैं।
आप सभी जिस Age Group को Belong करते हैं उसे Generation Z कहते हैं। आप सभी उस पीढ़ी का हिस्सा हैं, जो कम उम्र से ही Internet Access और Portable Digital Technology के साथ बड़े हुए हैं।
आप सभी सिर्फ Digital Literate ही नहीं बल्कि Digital Natives हैं। यानि Digital और Information Technology आप के जीवन का अभिन्न हिस्सा रहा है।
इसलिए आप सभी इस बात को बाखूबी समझेंगे, कि भारत का खुद के दम पर 5G Technology को हासिल करना कोई साधारण घटना नहीं हैं, बल्कि एक Giant Leap हैं।
2G, 3G, 4G के समय भारत Technology के लिए दूसरे देशों पर निर्भर रहा। लेकिन 5G के साथ भारत ने नया इतिहास रच दिया है।
5G के साथ भारत पहली बार Telecom Technology मे, Global Benchmarks बना रहा है। भारत Lead कर रहा है।
आप सब इस बात को भली-भाँति समझते हैं, कि 5G, Internet का पूरा Architecture बदल कर रख देगा। इसलिए भारत के युवाओं के लिए आज 5G बहुत बड़ी Opportunity लेकर आया है। आपको यह जानकर खुशी होगी कि आज भारत के लगभग हर शहर और क़स्बे में 5G कनेक्टिविटी पहुँच गई है। आज चीन और अमेरिका के बाद भारत में सबसे ज़्यादा 5G यूज़र्स हैं।
अभी 5G की कनेक्टिविटी भारत के गाँवों में पहुँच रही है, और हमारे प्रधानमंत्री मोदीजी ने देश में 6G लाने की दिशा में काम करना शुरू कर दिया है। यानि 6G के spectrum allocation की तैयारी शुरू हो गई है।
आज भारत हर एक क्षेत्र मे आत्मनिर्भर बन रहा हैं। आज भारत एक सशक्त राष्ट्र के रूप मे खुद को स्थापित कर रहा हैं। ऐसे मे आप सभी एक नए आत्मविश्वास और ऊर्जा के साथ भारत का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं।
आज अगर आपके पास Idea और Skill-Set है और आप मेहनत करने के लिए तैयार हैं, तो आपको ना अवसरों की ना संसाधनों की कोई कमी होगी। आज अगर आपको कोई चीज आगे बढ़ने से रोक सकती हैं तो सिर्फ आपकी कमजोर इच्छाशक्ति। इस संदर्भ मे मैं अक्सर युवाओं को एक कहानी सुनता हूँ।
एक बार एक व्यक्ति शहर घूम रहा था। अचानक वह एक सर्कस के बाहर रुक गया और वहां रस्सी से बंधे हुए एक हाथी को देखने लगा और सोचने लगा कि जो हाथी जाली, मोटे चैन या कड़ी को भी तोड़ देने की शक्ति रखता है, वह एक साधारण रस्सी से बंधे होने पर भी क्यों कुछ नहीं कर रहा हैं।
उस व्यक्ति नें तभी देखा कि हाथी के पास में एक ट्रेनर (Trainer) खड़ा था। यह देखकर उस व्यक्ति ने ट्रेनर से पुछा यह हाथी अपनी जगह से इधर-उधर क्यों नहीं भागता या रस्सी क्यों नहीं तोड़ता है? ट्रेनर ने जवाब दिया की जब यह हाथी छोटा था, तब से हम इसी रस्सी से बांधते थे। तब यह बार-बार इस रस्सी को तोड़ने की कोशिश करता था, पर कभी तोड़ नहीं पाया और बार बार कोशिश करने के कारण हाथी को यह विश्वास हो गया कि रस्सी को तोड़ना असंभव हैं। आज जबकी वह इस रस्सी को तोड़ने की ताकत रखता है, फिर भी वह यह सोच कर कोशिश भी नहीं कर रहा है कि जब पूरा जीवन मैं इस रस्सी को तोड़ नहीं पाया, तो अब क्या तोड़ पाऊंगा?
उस हाथी की तरह ही हम भी कई बार असफल होने के बाद कोशिश करना छोड़ देते हैं। आने वाले समय में आप सब अपनी लड़ाई खुद लड़ेंगे, जहाँ सफलताओं के साथ असफलताए भी होंगी, जो भी हो, कोशिश हमेशा जारी रखियेगा।
हमें अपने युवाओं को यह बात समझानी होगी की उन्हे अपने आपको साबित करने के लिए किसी डिग्री या पोस्ट की आवश्यकता नहीं होती हैं। ऐसा होता, तो विश्व के सभी बड़े वैज्ञानिक, बुद्धिजीवी, Inventors, Innovators सिर्फ बड़े Educational Institutions से निकलते। पर ऐसा नहीं हैं।
आज का भारत Transformation, Innovation और Dynamism को Celebrate कर रहा हैं, प्रोत्साहित कर रहा हैं, इसलिए आपसे कहूँगा की “It is Innovation and Dynamism and ‘Ability for Transformation’, that distinguishes between a Leader and a Follower.
आप सब अपने अपने ‘Transformation Abilities’ और Innovative Ideas, को अपने मेहनत से Execute करिए, और आपको आपके क्षेत्र मे लीडर बनने से कोई नहीं रोक सकता।
प्यारे बच्चों, आज आप सब यहाँ से ग्रेजुएट होकर नयी चुनौतियों का सामना करने जा रहे है, तो मैं आप को बताना चाहता हूँ, कि आशंका के पलो में, अपने इतिहास के स्वर्णिम पन्नो को ज़रूर पढियेगा। हमारा इतिहास जीवन के, बहुमूल्य पाठों का भण्डार है।
सदियों से भारत ने ज्ञान और आत्म-खोज के नये मापदंड स्थापित किए है। चाहे वह भौतिक विज्ञान या सामाजिक विज्ञान हो, हर फील्ड में नए कीर्तिमान स्थापित किए है।
प्रिय बच्चों, वायरलेस ट्रांसमिशन के आविष्कार का श्रेय गुल्येल्मो मार्कोनी को दिया जाता है, पर भारतीय वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बोस ने भी उसी समय वायरलेस की खोज कर ली थी।
बोधायन ने पाइथागोरस प्रमेय (Pythagoras Theorem) पाइथागोरस से 300 साल पहले ही खोज लिया था। भारत ‘आर्यभट्ट, वराहमिहिर, ब्रह्मगुप्त, बोधायन, चरक, सुश्रुत, नागार्जुन, कणाद से लेकर सवाई जयसिंह’ तक वैज्ञानिकों की एक लंबी परंपरा का साक्षी रहा हैं।
इसी तरह आइजक न्यूटन से 1000 वर्ष पूर्व ही ब्रह्मगुप्त ने पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत की पुष्टि कर दी थी, यह एक अलग बात है कि किन्हीं कारणों से इन सब खोजों का श्रेय पाश्चात्य वैज्ञानिकों को मिला।
साल 2019 में एक किताब आई थी जिसका नाम था ‘The Mosquito: A Human History of Our Deadliest Predator’. इसके लेखक अपनी किताब में स्पष्ट तौर लिखते हैं, कि सुश्रुत ने 1500 ईसा पूर्व में ही मलेरिया मच्छरों के काटने की वजह से होता हैं, इस बात की खोज कर ली थी। जबकि अगले 3300 वर्षों तक, पश्चिमी देश यही मान कर चल रहे थे कि मलेरिया बुरी गंध के कारण होता है।
विज्ञान में भारत की उपलब्धियों की लिस्ट बहुत लम्बी है पर भारत अन्य क्षेत्रों में भी कोई पीछे नही था।
Economics, History, Political Science, Public Administration इन सब विषयो में भी हमारा देश Pioneer रहा है।
भारत ज्ञान का भंडार था। और इस बात को पूरी दुनिया मानती थी। अभी एक नयी किताब आई हैं : The Golden Road: How Ancient India Transformed the World जिसे पढ़ कर आपको पता चलेगा कि हमारी इतिहास, कितना Rich था।
उस किताब में लिखी एक छोटी सी घटना का उल्लेख करता हूँ। वर्ष 773 में, उज्जैन से ज्योतिषियों का एक समूह बगदाद पहुँचा।
वह समूह अपने साथ एक दुर्लभ पांडुलिपि ले कर गया था, जिसे अरब के लोग “The Great Sind-Hind” कहने लगे। इसमें भारत में विज्ञान, गणित, ज्योतिष और खगोल विज्ञान पर की गई महत्वपूर्ण खोजो का वर्णन था।
Arab geographer al-Masudi ने इस बारे में लिखा: It contained all that the Hindus knew of the spheres and the stars. It was a compilation of important scientific texts, and therefore, in an age, when such knowledge was scattered and fragmented, a gift of incalculable value.
आपको पता हैं इस ग्रंथ के लेखक और संकलनकर्ता कौन थे? जी हाँ, वे थे भारतीय इतिहास के सर्वोच्च वैज्ञानिक दिमागों में से एक, ब्रह्मगुप्त। 628 में, जब वे तीस वर्ष के थे, उन्होंने गणित पर 25 अध्यायों का एक ग्रंथ लिखा, जिसे बाद में ‘Opening of the Universe’ के नाम से जाना गया।
इस ग्रंथ को एक “Work of extraordinary subtlety and genius” के रूप में पहचान और सम्मान मिला।
भारत और इसकी वैदिक संस्कृति अपने समय से बहुत आगे थी। It was far ahead of its time. और इस बात का प्रमाण industry, metallurgy, science, textiles, medicine, surgery, mathematics, philosophy और spirituality इन सभी क्षेत्रों मे हमारे achievements मे साफ दिखाई पड़ता हैं।
किन्ही कारणों से हमारी इन उपलब्धियों को वह ख्याति नहीं मिल पाई, जो मिलनी चाहिए थी। Pythagoras को जानना और उससे प्रेरणा लेने मे कोई बुराई नहीं हैं, पर Bodhayan को न जानना, यह हमारे Education System की विफलता को दर्शाता हैं।
भारत हमेशा से हर क्षेत्र मे Pathbreaker और Leader रहा हैं। Lin Yutang, who was a Chinese scholar and author had said, that “India was China’s teacher in trigonometry, quadratic equations, grammar, phonetics”.
French Philosopher Francois Voltaire also stated that “everything has come down to us from the banks of the Ganges.”
आज, जब हम सब New India के निर्माण के लिए काम कर रहे है, तो हम सब के लिए ज़रूरी है कि अपनी धरोहर को समझे। इतिहास के मूल्यों को समझ कर भविष्य की ओर बढ़े।
मेरा मानना हैं, की जब आप Individual Achievements से आगे बढ़कर, Social Betterment के बारे मे सोचने लगते हैं, तो आप कुछ ऐसा कर गुजरते हैं जिसके लिए आप हमेशा याद किए जाते हैं।
आप सबने Frederick Grant Banting और Charles Best का नाम तो जरूर सुना होगा। इन्हे 1923 मे नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
नोबेल पुरस्कार बहुत बड़ा सम्मान होता हैं, पर दुनिया इन्हे नोबेल पुरस्कार के विजेता के रूप मे नहीं बल्कि कृत्रिम इंसुलिन की खोज करने वाले वैज्ञानिक के रूप याद करती हैं।
आज पूरे विश्व मे करोड़ों लोग मधुमेह से ग्रसित हैं और अगर वो एक सामान्य जीवन जी पा रहे हैं, तो सिर्फ इंसुलिन की मदद से।
जब आप अपने Knowledge का उपयोग Human Welfare के लिए करते हैं, तब आपका Knowledge Priceless हो जाता हैं, जिसकी कीमत दुनिया का कोई भी Pay Cheque नहीं लगा सकता हैं।
इस दृढ़ विश्वास के साथ कि आप सभी अपने ज्ञान का उपयोग मानवजाति की भलाई के लिए करेंगे और राष्ट्र निर्माण में भरपूर योगदान देंगे, मैं आप सभी को इस प्रतिष्ठित कॉलेज से अपनी डिग्री प्राप्त करने के लिए बधाई देता हूं। और आपके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ।
आप सभी को बहुत धन्यवाद!