The Home Minister Shri Rajnath Singh, participated in plenary Session on Industrial and Infrastructure Security’ of the Uttar Pradesh Investors’ Summit – 2018 and delivered the inaugural speech of the session. Here is the full text of his speech:
उत्तर प्रदेश इन्वेस्टर्स समिट के अन्तर्गत आयोजित यह ‘Plenary Session’ जिस Industrial और Infrastructure Security विषय पर किया जा रहा है वह उद्योगों के विकास और विस्तार से सीधे तौर पर जुड़ा है।
बुनियादी तौर पर हम सुरक्षा को दो हिस्सों में रख कर देख सकते हैं। एक पक्ष जुड़ा है Law & Order से जो उद्योग धन्धे समेत विकास के हर काम की पहली प्राथमिकता है। यदि Law & Order’ नहीं ठीक होगा तो कोई भी Investor या Industrialist अपना पैसा वहां नहीं लगाएगा। यह मोटे तौर पर पुलिसिंग से जुड़ा मुद्दा होता है।
मगर जिस Industrial और Infrastructure Security की हम यहां बात कर रहे हैं वह सुरक्षा से जुड़ा दूसरा पक्ष है। इस तरह की सुरक्षा की जरूरत Investment आने के बाद पड़ती है। जब कोई सरकार Industrial और Infrastructure Security मबनतपजल मजबूत करती है तो वह मोटे तौर पर Investments के लिए एक तरह का Insurance होती ही है और Investors के लिए Assurance का काम भी करती है।
इसलिए जब भी Investors और Investments की बात चलेगी Industrial और Infrastructure Security की भी बात जरूर निकलेगी।
दुर्भाग्य से Infrastructure और Industrial Security की अच्छी समझ हमारी Police Forces में जरा कम होती है। इस विषय पर कोई चर्चा भी तभी प्रारंभ होती है जब किसी Installation में कोई दुर्घटना या हमले की घटना घटती है।
यही वजह थी कि केन्द्र सरकार ने पूरे देश के Strategic Installations हैं उनकी सुरक्षा के लिए अलग से एक Central Industrial Security Force गठित किया था जो देश में Industrial Security की आज प्रीमियर ‘Specialized Force’ है। लगभग पचास वर्षों से CISF इस क्षेत्र में काम कर रही है और इस दौरान CISF ने Industrial Security के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की है।
यह एक सुखद संयोग है कि इस समय उत्तर प्रदेश पुलिस की कमान भी एक ऐसे अधिकारी ने संभाल रखी है जो CISF के DG के रूप में काम करने का अनुभव रखते हैं। कम से कम इस बाबत तो Investors निश्चिंत रह सकते हैं कि उत्तर प्रदेश में Industrial Security का महत्व समझने वाला व्यक्ति ऊंचे पद पर बैठा है।
हाल के वर्षों में कुछ राज्य सरकारों ने भी अपने-अपने प्रदेशों में स्थित Vital Installation की रक्षा और Industrial Security की दृष्टि से अलग Forces बनाई हैं। उ.प्र. भी इन राज्यों में शामिल हो चुका है।
मैं मानता हूं कि एक अच्छा Industrial और Infrastructure Security तीन मजबूत खम्बों पर खड़ा होता है। इनमें पहला है Physical Security का जिसका मुख्य उद्देश्य होता है Installation की सुरक्षा के साथ आवाजाही पर नियंत्रण। यह काम आप पहरेदार खड़े करके, Security System लगा कर या कुछ अन्य तरीकों से कर सकते है।
दूसरा स्तम्भ है Data और Information Security का जिसको आजकल काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। Information के Leak होने से कई बार बड़ा नुकसान भी हो जाता है। इसको रोकना भी Industrial Security का अहम काम है।
इसमें तीसरा खम्भा है Contingency Plan का जिसमें किसी भी Emergency या Calamity में हम कैसे सुरक्षा करेंगे यह काफी मायने रखता है। हर प्दे Installation या Industry के लिए हमेशा
Contingency Plan Emergency Response की तैयारी होनी चाहिए।
जब भी सुरक्षा की बात होगी तो बचाव और जवाबी कार्रवाई उसका अहम हिस्सा होता है। अभी तक Industrial Security Planning में Threats 3 Dimensional ही होते थे। मगर अब जमाना बदल गया है और उसमें Cyber Space का चौथा Dimension जुड़ चुका है।
Industrial और Infrastructure Security में आजकल सबसे बड़ा और गंभीर खतरा हमें साइबर स्पेस से होने वाले अपराधों से है। आजकल साईबर क्रीमिनल्स न केवल Critical Infrastructure में सेंध लागने की कोशिश कर रहे हैं बल्कि सूचनाओं की चोरी और हैकिंग के जरिए Data में हेर-फेर करने की भी फिराक में है। मैं मानता हूं कि इस बारे में सरकार से लेकर सभी उद्योगों और संस्थाओं को एक Cyber Security Plan भी जरूर बनाना चाहिए।
केन्द्र सरकार ने साइबर क्राइम रोकने की दिशा में कुछ कदम उठाए है। अभी MHA ने भी एक साइबर क्राइम से निपटने की एक Dedicated Division तैयार की है।
साईबर अपराधियों से निपटना टेढ़ी खीर इसलिए साबित होता है क्योंकि वे मौका-ए-वारदात पर पहुंचे बिना अपराध करने में सक्षम होते है। कई बार आपका Data चुराने वाला व्यक्ति उस देश की सीमाओं में भी मौजूद नही होता।
हर Industrial या Financial या अन्य संस्थानों को अपने यहां नियमित Cyber security audit कराना चाहिए।
Cyber Security Audits और Assessments के साथ-साथ इस बात की भी जरूरत है कि कम्पनियां और संस्थान अपने Cyber Infrastructure को Upgrade करें। लगातार Monitoring के Skilled Manpower का भी होना जरूरी है।
हाल ही में एक सर्वे में पता चला है कि केवल 37 फीसदी Industrial companies अपने कारखानों में लगे यंत्रों और उपकरणों को ठीक मानिटरिंग करते है और केवल 20 फीसदी ही Regular Risk Assessment करते है। जबकि इनमें से 53 फीसदी Cyber Security Breach की घटना अनुभव कर चुके थे।
Industrial Cyber Security मजबूत करना सिर्फ Critical Infrastructure की सुरक्षा के लिए ही जरूरी नही है बल्कि IT (Information Technology) और OT (Operational Technology) के क्षेत्र में भी जरूरी है।
Antivirus बनाने वाली प्रख्यात कम्पनी ‘कैस्पर स्काई लैब’ के अनुसार आज के जमाने में Industrial Control System पर होने वाला Targeted Attack देश के Critical Infrastructure के लिए सबसे बड़ा खतरा है।
जिस तेज रफ्तार से देश में Infrastructure, Industrial और Digital Expansion हो रहा है उसके कारण देश में एक Sizeable Critical Infrastructure तैयार हो रहा है। हमारी Power Grids, Nuclear Plants, Railway Traffic System, Metro Rail Network, Airports सब मिल कर एक बड़ा Critical Infrastructure बनाते हैं। इसको निशाना बनाने की कोशिश अपराधियों के साथ-साथ आतंकी संगठनों की भी है। इसलिए Critical Infrastructure Security देश की Industrial Security के साथ-साथ Internal Security से भी जुड़ा है।
देश विदेश के कई उदाहरण हम सबके सामने है जब Critical Infrastructure पर सीधे हमला बोला गया। 2015 में हैकर्स द्वारा यूक्रेन की पावर ग्रिड पर हमला बोलकर घंटों तक हजारों घरों एवं उपक्रमों को अंधेरे में रखा गया। 2007 में इस्तोनिया में Cyber Attacks ने एक साथ कई संस्थानों और संगठनों की Web Sites हैक कर ली थी। भारत में भी इस तरह की कुछ कोशिशें की गई हैं। इसलिए हमें Critical और इसलिए हमें Critical Infrastructure Security के बारे में सचेत रहना होगा।
भारत सरकार ने Critical Infrastructure Security की दृष्टि से National Critical Information Infrastructure Protection Centre (NCIIPC) का गठन 2014 में किया है। यह इस क्षेत्र की Nodal Agency के रूप में काम कर रही है। हम इस संस्था को और मजबूत करने की दिशा में आगे बढ़ रहे है।
औद्योगिक सुरक्षा सिर्फ Policing या Policy Making का ही नहीं बल्कि Business Management & Planning का भी एक अत्यंत महत्वपूर्ण Concern होना चाहिए और इसकी शुरूआत Blue Print Stage से ही की जानी चाहिए।
जब कोई भी Industrial House किसी Plant या Building का Building तैयार करता है तो Stage 1 से ही Security Specifications & Requirements उस योजना का हिस्सा बनना चाहिए। इस बारे में लापरवाही कई बार महंगी पड़ जाती है। यदि Management इस बारे में लापरवाह होता है तो, Security Setup भी लापरवाह हो जाता है।
सुरक्षा बल के पास भी पर्याप्त अधिकार होना चाहिए क्योंकि उन्हें कई Check and Controls लगाने होते हैं। हमारे कानून और नियम सुरक्षा कर्मियों को सशक्त बनाएं यह आवश्यक है। ऐसा न होने पर सुरक्षा उपाय प्रभावहीन हो जाएंगे।
जो लोग Security Set up को Manage करते है उन्हें सुरक्षा बलों को काम करने का अधिकार देना चाहिए और जब आप सुरक्षा कर्मियों को ताकत देंगे तभी वे Effective तरीके से काम कर सकेंगे और आपके लिए भी ताकत बनेंगे।
Industrial Security तभी अच्छे ढंग से काम करेगी जब उसे Autonomy दी जाए। उसकी Reporting Authority direct Chief Executive की होनी चाहिए।
सुरक्षा की Cost भी हमेशा Evaluat और Reevaluate की जानी चाहिए। हिन्दी में एक मुहावरा है जिसमें कहते हैं ‘अरहर की टाट/गुजराती ताला।’ इसका मतलब यह हुआ कि सुरक्षा की कीमत सुरक्षित सामान की कीमत से ज्यादा न होने पाए। उद्योगों की सुरक्षा Cost Effective होनी चाहिए।
हर सरकारी और निजी संस्थानों में आतंकी हमलों, तोड़फोड़, चोरी, दंगों और आपदाओं की रोकथाम के लिए किए जाने वाले उपायों की योजना पहले ही बनाई जानी चाहिए और ये Fool proof होनी चाहिए। Access control, सामान और वाहनों की आवाजाही, जुलूसों और प्रदर्शनों के नियंत्रण के लिए उपाय Effective होने चाहिए और सुरक्षा सजावटी सामान नहीं होनी चाहिए।
Industrial और Infrastructure assests की physically safeguarding के अलावा सामान्य पुलिसिंग भी निवेश हेतु अनुकूल वातावरण तैयार करने मंे महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। कानून और व्यवस्था की अच्छी स्थिति के बिना विकास और समृद्धि प्राप्त नहीं की जा सकती है। विकास सुनिश्चित करने के लिए, राज्य सरकारों द्वारा modern व Professional पुलिस बल के निर्माण हेतु पर्याप्त निवेश किया जाना चाहिए।
आपको संभवतः इस बात की जानकारी होगी कि केन्द्र सरकार ने पिछले साल ही Modernisation of Police Forces के लिए 25000 करोड़ रूपए स्वीकृत किए हैं। यह बड़ी धनराशि जहां Police Forces को Internal Security और Law & Order की चुनौतियों से लड़ने के लिए तैयार होने में मदद करेगी वहीं इसका लाभ Industrial Security Apparatus को भी प्राप्त होगा।
इस Industrial और Infrastructure Security का विस्तार करना अधिक है कि सिर्फ Police Forces के सहारे इसे अंजाम नही दिया जा सकता। इस मामले में प्राइवेट सिक्योरिटी सर्विसेज भी एक अहम भूमिका निभा सकती है। इस क्षेत्र को हम कितना महत्व दे रहे है इसका अन्दाजा आप इस बात से लगा सकते है कि इसमें हमने FDI के रास्ते भी खोल दिए है।
यहां यह कहना जरूरी है कि हमारे देश में प्राइवेट सिक्योरिटी सर्विसेज क्षेत्र में संभावनाएं बड़ी तेजी से बढ़ने की आशा है। इस क्षेत्र के अगले कुछ सालों में 20 प्रतिशत की दर से बढ़ने की आशा है जो कि 2020 तक 80 हजार करोड़ रूपए के बिजनेस तक पहुंच जाएगा। इस क्षेत्र में देश में दूसरे नंबर पर सबसे ज्यादा रोजगार देने की क्षमता है साथ ही यह देश का Tax Revenue भी बढ़ाएगा।
भारत में Industrial एवं प्द Infrastructure Development में काफी boom आया है और इससे भारत के Overall development में तेजी आ रही है। देश में World Class infrastructure के creation पर सरकार के focus करने से Economic Survey 2017.18 के अनुसार Infrastructure development के लिए वर्ष 2040 तक 4.5 ट्रिलियन US $ से अधिक के Investment की उम्मीद है। Strong manufacturing activities से industrial sector के वर्ष 2025 तक 1 trillion डालर तक पहुंचने की संभावना है। इसके अतिरिक्त, देश में हो रहे digital revolution से भी Service Sector को काफी मजबूती मिल रही है।
चूंकि यह Investor Summit लखनऊ में हो रही है और इसका फोकस उत्तर प्रदेश पर है इसलिए हमें इस बात पर भी रोशनी डालनी होगी कि यहां पर Security Environment कैसा है।
मैं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्य नाथ को बधाई देता हूं, जिनके नेतृत्व में राज्य सरकार की अपराध के प्रर्ति Zero Tolerance Policy से उत्तर प्रदेश में Law & Order की स्थिति में उल्लेखनीय परिवर्तन दिखाई पड़ रहा है। प्रदेश सरकार Organized Crime और Corruption के प्रति सख्त कार्रवाई कर रही है और एक Business Conducive Environment पैदा करके उत्तर प्रदेश को Investors के लिए Destination बनाने की दिशा में काम चल रहा है।
Industrial Units को सुरक्षा प्रदान करने के लिए एक Dedicated Police Force का गठन भी इसी दिशा में एक सराहनीय कदम है। Dial 100 Emergency response facilities, जो तत्काल Emergency और Security Services प्रदान करती हैं, उससे प्रदेश में लोगों और खासतौर पर Investors का विश्वास बढ़ा हैं।
यदि Economic Potential की बात करे तो उत्तर प्रदेश (UP) यानि यू.पी. को हम दूसरे शब्दों में ‘Unlimited Potential’ भी कह सकते है। उत्तर प्रदेश अनंत अवसरों की भूमि है और इसमें भारत Growth Engine बनने का Potential भी छिपा हुआ है।
जब मैं उत्तर प्रदेश में अपार संभावनाओं की बात करता हूं तो मेरे सामने गंगा यमुना का विशाल उपजाऊ मैदान, यहां की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के साथ-साथ एक बड़ी और Vibrant Economy की तस्वीर उभरती है। यहां के लोग मेहनतकश हैं और सही मौके मिलने पर किसी को भी पीछे छोड़ने की प्रतिभा और क्षमता रखते हैं। आपको यह जानकर खुशी होगी कि उत्तर प्रदेश में करीब बारह करोड़ Working Age Group में आते है। ये आंकड़े उ.प्र. की एक नायाब स्थिति बयान करते है।
उ.प्र. Golden quadrilateral (स्वर्णिम चतुर्भुज) पर अवस्थित है और देश में सबसे बड़ा रेल नेटवर्क यहां उपलब्ध है जो लगभग 8,949 कि.मी. तक फैला हुआ है और यह पूरा इलाका Production Warehousing और Transportation Activity के लिए हर तरह से उत्तम ही नहीं सर्वोत्तम है।
एक समय उत्तर प्रदेश की गिनती भारत के Frontline States में होती थी। कुछ कारणों से वह दूसरे States से पिछड़ा और उसने अपनी Leading State की Position गंवा दी। मगर उ.प्र. में अब Turn around साफ दिख रहा है। आंकड़ों के हिसाब से आज उ.प्र. में Double Digit Growth (13.9%) हो रही है। Investors के लिए Investing opportunities के साथ-साथ यहां पर Market Potential भी काफी बड़ा है क्योंकि भारत की जनसंख्या के 16.5% लोग इस राज्य में रहते हैं। साथ ही उत्तर प्रदेश भारत में Top 5 Manufacturing States में से भी एक है।
भारत सरकार ने उत्तर प्रदेश समेत पूरे देश में मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम प्रारंभ किया है। इस योजना के अन्तर्गत विश्व भर की नामी गिरामी कम्पनियों को भारत में Manufacturing करने का न्यौता दिया जा रहा है।
भारत में प्रचुर मात्रा National Resources और Human Resources मौजूद है। उ.प्र. में तो खासतौर पर सस्ता कुशल श्रम/ Cheap Skilled Labour उपलबध है। इसलिए यहां आकर Manufacturing Units लगाना हर हाल में बड़ा ही फायदे का सौदा है।
MHA ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा देने के लिए हाल ही में Arms Rules परिवर्तन किए हैं ताकि भारत में भी Arms और Ammunition का उत्पादन करने Manufacturing Units लगाए जा सके। इस नई नीति से उत्तर प्रदेश समेत हर प्रदेश में Defence Production Units लगाने का रास्ता खुल गया है। मुझे यह जानकर बेहद खुशी हुई है कि उ.प्र. सरकार बुन्देलखण्ड में Defence Production Corridor बनाने का प्रयास कर रही है। इसे उ.प्र. के युवाओं को तो रोजगार मिलेगा ही भारत के Defence Production को भी बढ़ावा मिलेगा।
मुझे आज इस बात की सबसे अधिक खुशी है कि उत्तर प्रदेश में भी Investment और Investors पर गंभीर चर्चा शुरू हो गई है। चैदह सालों तक विकास इस प्रदेश की चर्चाओं से बाहर रहा है। इस Investor Summit से विकास की धमाकेदार घर वापसी/Entry की घोषणा हो गई है।
उत्तर प्रदेश को लेकर निवेशकों के मन में यदि कोई शंका है तो यह Investors Forum उसके समाधान की उपयुक्त मंच है। संयोग से केन्द्र से भी विकास को पूरी ताकत दी जा रही है।
हमारे प्रधानमंत्री भी यह बात अच्छी तरह जानते है कि भारत के विकास का हाईवे सिर्फ दिल्ली मुम्बई बंगलौर से गुजरते हुए अपनी मंजिल तक नही पहुंचेगा। उसे लखनऊ समेत पूरे उत्तर प्रदेश से गुजरना होगा। मुझे खुशी है कि अब विकास का एक्सप्रेस-वे दिल्ली से लखनऊ तक जुड़ चुका है। आइए इस उत्तर प्रदेश की संभावनाओं में निवेश कीजिए और समृद्धि और खुशहाली के एक नए युग में प्रवेश कीजिए।
English Translation of the Speech:
The subject of this plenary session of ’Uttar Pradesh Investors Summit, 2018’ is both, crucial and having a direct bearing on the industrial development of the state in particular, and its overall economic development in general.
Although security has multiple aspects, the two most important one of common concern are: the ‘Law and Order’ and ‘Industrial and Infrastructure Security’. Law and Order is the first and foremost priority of any Government, not only for Industrial Development but for anything related to development of a state or a nation. However, an equally important and established fact is that the law and order prevailing in a state is also an important enabler for investment. Investors would not like to risk their capital in any state where Law and Order is a problem.
The other dimension of security with which we are more concerned today is that of Industrial and Infrastructure security. This security is a kind of insurance on the investment which works as assurance for the investors. Therefore, industrial and infrastructure security finds mention whenever we talk of investors and investments.
Unfortunately, our police force is either little or are less equipped to deal with the infrastructure and Industrial security. This subject does find place in public discourse unless a disaster is struck or a vital installation comes under attack.
It was against this background that Government of India raised a specialised force for the very purpose of Industrial and Infrastructure Security in the name of CISF. CISF has remained a premier and specialised force for the last 50 years guarding the nation’s Industrial and Critical Infrastructure. It has earned several accolades and added a number of achievements to its credit, in this area.
It is indeed a happy coincidence that UP Police is headed by someone who has had experience of working as Director General of CISF. This must be very reassuring to those who either have invested or are prospective investors in the State of Uttar Pradesh that a person of his caliber is heading the UP Police Force. Few State Governments have raised specialised forces for safeguarding vital installations in the recent years. UP also has followed the suit.
The edifice of a good Industrial and Infrastructure Security architecture rests on 3 Pillars. The first is that of physical security, the main objective of which is access control. This is achieved by ensuring perimeter and campus security through fences, patrolling, sentry post, flood lighting and alarm systems.
The Second Pillar is that of security of Data and Information. This aspect has assumed significance in recent years as there are instances where data and information leakages have caused huge damages. Plugging these leaks is an important aspect of Industrial security.
The Third Pillar is the emergency response system which requires us to prepare a Contingency Plan to be able to respond to any emergency to minimise risk and to mitigate & reduce the extent of loss. This is very critical to Industrial and Infrastructure Security.
The perceived threats to Industrial and Infrastructure Security till recent times were 3 dimensional. Cyber Crimes has added the 4th dimension to these threats.
Cyber-crime has posed as the biggest threat to Industrial and Infrastructure Security. Cyber criminals not only attempt to attack the critical infrastructure but also look for opportunities to hack information and data critical to vital installations. Therefore, the Government and the industry must put in place a robust Cyber Security Plan.
Government of India, having realized the magnitude of cyber menace, has taken definitive steps to prevent Cyber Crimes. It is with this objective in mind that MHA has setup a dedicated Division of Cyber Information Security (CIS) in order to meet the challenges being posed by perpetrators of cyber-crimes.
It is not easy to nab cyber criminals as they are capable of committing crimes without actually being present on the spot. Many a times, these criminals are even sitting at far distances across or beyond territorial borders of our nation.
It is important for every industrial and financial institution to get a cyber security audit done of their installations. It is equally important that the installations get their cyber infrastructure upgraded on a regular basis and also put in specialized and skilled manpower for constant monitoring to prevent any cyber attack.
A recent survey has indicated that only 37 percent industrial companies monitor their tools and equipments and a meager 20 percent indulge in Risk Management on regular intervals. This rings an alarm bell as 53 percent of these industrial companies have experienced breach of Cyber Security in their installations.
It would be important to mention that Kaspersky Labs, a very renowned company which manufacturers antivirus, rates targeted attack on Industrial Control System as the biggest threat to critical infrastructure.
Efforts are on to put in place adequate critical infrastructure to keep pace with the rapid development in the field of Industrial and Digital Sector in the country. Our Power Grids, Nuclear Plants, Railway Traffic Systems, Metro Rail Network, Airports, etc together constitute a major chunk of critical infrastructure which run the risk of attack from various terrorist organisations. Security of critical infrastructure, therefore, is also linked with internal security of any country.
We have a number of examples before us where critical infrastructure of a country has been subject to attack, causing huge losses.
In the year 2015, thousands of houses and installations were kept in dark (devoiding them of electricity) by attacking Power Grid in Ukraine. In the year 2007, websites of several institutions and organisations were hacked in Estonia.
GOI has set up National Critical Infrastructure Protection Centre (NCIIPC) in 2014 as the nodal agency to coordinate efforts to strengthen Critical Infrastructure Security Systems in India. We are trying to further strengthen this organisation in times to come.
Industrial security should be an important concern of the management and the planning for security starts from the blue print stage. The construction of the plant and the buildings should be designed keeping security features in mind and should leave enough scope for upgrading the security measures, as and when needed. If the management is lax about security considerations, then the security set up also tends to become lax.
The security force concerned should also have full authority, as they have to impose a number of checks and controls to provide fool proof security. Laws and rules should be framed to empower the security personnel to implement them, failing which, security measures become ineffective. The security force should be independent of all other departments of the undertaking and function directly under the Chief Executive.
Security should also be cost effective as the Industries are inherently profit oriented. Unless the expenditure on security is commensurate with the value of the property to be protected, it becomes counterproductive.
The relations between the workers and security personnel must be cordial. The workers should be made aware of security concern and their co-operation should be sought. The attitude and behaviour of the security personnel should be helpful and polite towards workers. All preventive measures should be planned meticulously.
Measures taken for prevention of terror attack, sabotage, theft, pilferage, riots and calamities should be planned in advance to avoid any loopholes. All the controls exercised by the security force over access to installations, movement of materials and vehicles, regulation of processions and demonstrations etc., should be effective and the security force should not be merely ornamental
Besides, physical safeguarding of Industrial & Infrastructure assets, efforts need to be undertaken to improve regular policing as it plays a very crucial role in attracting investment to any State or the country as a whole.
No country or State can prosper without good law and order situation. Governments have to invest in making the Police Force modern and professional in order to enable them to tackle all kinds of threat to security of critical Infrastructure and to maintain law and order situation of a State and that of a country as a whole.
You might be aware that the Centre has sanctioned an ambitious scheme of Modernisation of Police Forces with an outlay of 25000 crores. While this scheme aims to equip our forces with modern weapons, best of the training modern amenities in order to enable them to fight any threats being posed to our internal security and law and order. I am very hopeful that this would have a positive impact on Industrial Security scenario for sure.
The mammoth task of Industrial and Infrastructure Security cannot only be taken care by Police Force alone. Private Sector and Private Security Agencies have to come forward and combine their efforts with that of the Government. Having realised this, Government of India has allowed FDI in this sector. It would be worthwhile to mention that this sector has immense opportunities to grow manifold in the next few years. This sector is likely to grow at the rate of 20 percent and is likely to become a business of 80,000 crores. This sector has the potential to be the second most employment generating sector. It would also contribute to the Tax revenue of the country.
The Industrial and Infrastructure development in the India has been witnessing a huge boom and is propelling India’s overall development. With intense focus from Government for initiating policies that would ensure time-bound creation of world class infrastructure in the country, it is expected that India will require investments of over US$ 4.5 trillion by 2040 for the development of its infrastructure, according to the Economic Survey 2017-18. The industrial sector backed by India’s strong manufacturing activities has the potential to touch US$ 1 trillion by 2025. Moreover, the digital revolution that the country is witnessing is also contributing towards a new era of service sector in the country.
I would like to congratulate Shri Yogi Adityanath under whose leadership the State Government with its zero tolerance to crime and criminals in the state, is committed as per its Industrial Investment and Employment Promotion Policy 2017 to provide safety and security to the industries in the state. As per the policy, dedicated police force headed by specialised officer will be deputed at industrial clusters/ areas and integrated police cum fire station will also be established in major industrial clusters/ areas. Emergency response facilities like Dial 100, CCTV cameras, smart technologies adopted by the State Police etc. are ensuring investor confidence.
Uttar Pradesh is a land of infinite opportunities and it has the potential of being the growth engine of India. Lying along the fertile plains of Ganges with highest irrigated land in the Country, the state of Uttar Pradesh has very hard working populace. They have the talent and ability to race ahead of anyone, if given right opportunities. You will be glad to know that approximately 12 crore people in Uttar Pradesh are in Working Age Group. This gives the state unique proposition to reap maximum demographic dividend.
The State is strategically located on the golden quadrilateral, and has largest rail network in the country spanning over 8,949 km making it an ideal location for production, warehousing and transportation activity. The population of over 200 million provides one of the largest prospective consumer bases in the world. Once, Uttar Pradesh was considered as front runner State of India. Due to various reasons, state lagged behind and lost its lead position. Now, again we are witnessing the turnaround in fortunes of Uttar Pradesh. In view of the data available today, Uttar Pradesh has double digit growth (13.9%). As 16.5% of the India’s population lives in this state of Uttar Pradesh, for investors in addition to immense investing opportunities, there is a huge market potential. In addition, Uttar Pradesh is also one of the top 5 Manufacturing States of India.
The Government’s ‘Make in India’ initiative been appreciated globally and we are seeing huge investments coming to India. In Uttar Pradesh there is availability of cheap skilled labour and it provides a big incentive to investors on opening manufacturing plants in the state.
Ministry of Home Affairs has liberalised the Arms Rules to boost “Make in India” manufacturing policy of the Government as also to promote employment generation in the field of manufacturing of arms and ammunition in the country. The liberalised rules will apply to licences granted by MHA for small arms & ammunition and licences granted by Department of Industrial Policy and Promotion (DIPP), under powers delegated to them, for tanks and other armoured fighting vehicles, defence aircrafts, space crafts, warships of all kinds, arms and ammunition and allied items of defence equipment other than small arms. I am extremely happy to know that the Government of Uttar Pradesh is planning for ‘Defence Production Corridor’ in Bundelkhand region. This will not only generate employment for the youth in Uttar Pradesh but also boost India’s defence production.
I am delighted today to note that the State of UP is putting in concerted efforts to reach out to investors and attracting investment by providing a conducive investment climate for investors. Development has never found mention in this State in the last 14 years during the previous dispensations but development has made a big-bang entry with this Investors Summit.
This Investor forum is the apt forum to remove all doubts of prospective investors, if they have any. I would also assure that the Government of India would extend all support to the endeavour of State Government.