Full Text of RM Rajnath Singh’s Speech at the Controllers’ Conference organised by Defence Accounts Department (DAD)

आज, रक्षा लेखा विभाग द्वारा आयोजित Controllers’ Conference में आप लोगों के बीच उपस्थित होकर मुझे बड़ी ख़ुशी हो रही है। यह Conference, विभाग के लिए नीतियों का निर्माण करने, व्यवस्था में आने वाली समस्याओं पर विचार-विमर्श करने और उनका समाधान खोजने, एवं विभाग की दिशा तय करने में बहुत अहम साबित होगा, ऐसा मेरा विश्वास है। इसके लिए मैं CGDA, और Conference से जुड़े समस्त लोगों को अपनी ओर से हार्दिक बधाई देता हूँ।

अभी कुछ दिन पहले ही, रक्षा लेखा विभाग के स्थापना दिवस के अवसर पर, आप लोगों से मेरी मुलाकात हुई थी। आज पुनः आपके बीच आना, हमारे बीच संवाद की एक महत्वपूर्ण कड़ी है।

मंत्रालय और विभाग में इस तरह के संवाद का सिलसिला काफी अहम होता है। वाद-संवाद नए-नए ideas को जन्म देते हैं। इसलिए जैसे ही मुझे इस आयोजन के बारे में बताया गया, मैंने तुरंत यहां आने के लिए अपनी सहमति दे दी।

साथियों, हमारे जीवन में लेखा-जोखा की क्या अहमियत है, इस पर बहुत बात करने की आवश्यकता नहीं है। कोई individual हो, अथवा परिवार, समाज हो या फिर संगठन, बिना लेखा-जोखा पर ध्यान दिए वह ज्यादा दिनों तक survive नहीं कर सकता है। हम सभी जानते हैं, कि सृष्टि में सभी संसाधन सीमित हैं। ऐसे में उपलब्ध और सीमित संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग आवश्यक हो जाता है। दुनिया में कोई कितना भी अमीर आदमी क्यों न हो, पर किसी न किसी मोड़ पर उसे भी वित्त और संसाधनों की सीमितता का अनुभव होता है। ऐसे में resources कहाँ, और कैसे व्यय किए जाएँ, इसका हिसाब-किताब रखना आवश्यक होता है। संसाधनों की सीमितता के कारण ही अर्थशास्त्र का जन्म हुआ है। Economics की परिभाषा अगर हम देखें, तो पाएँगे कि ‘Economics is the study of scarcity and its implications, for the use of resources, production of goods and services, growth of production and welfare over time, and a great variety of other complex issues of vital concern to society. और इस तरह की formal या informal study की जरूरत मानव को हमेशा ही रही हैI यही कारण है, कि हम इतिहास का कोई भी period उठाकर देख लें, उसमें वित्त व्यवस्था या वित्त के हिसाब-किताब की व्यवस्था अनिवार्य रूप से मिलती है।

आप लोग युवाल नोआ हरारी की book, Sapiens के बारे में अवगत होंगे। इस book में वह वर्णन करते हैं, कि इतिहास में हमें जो पहला written document प्राप्त होता है, वह एक accounting document होता है।

Mesopotamia में मिले इस accounting document में, एक जगह, 37 months के दौरान barley की 29,086 Units की receiving दर्ज की गई है, और उसके नीचे कुशिम नाम के किसी व्यक्ति के signature हैं। अंदाजा लगाया जाता है, कि इतिहास का वह प्रथम ज्ञात व्यक्ति कोई accountant ही रहा होगा, जिसका वह signature है। इस आधार पर यदि कहा जाए, कि लिखित रूप में विश्व इतिहास का प्रारंभ हिसाब-किताब और accountancy से शुरू होता है, तो यह गलत नहीं होगा। आप लोगों की जड़ें इतिहास के प्रारंभिक पन्नों से जुड़ी हैं, इसके लिए आप सभी बधाई के पात्र हैं।

Accountant की महत्ता इस बात से भी समझी जा सकती है, कि हमारे यहां हर घर में एक-दो accountant आपको जरूर मिल जाएंगे, जो घर, परिवार, दुकान-व्यापार, नाते-रिश्तेदारों से होने वाले लेनदेन का जुबानी record रखते हैं।

जो लोग गांव से जुड़े हैं, वह जानते होंगे, कि यह record अनेक परिवारों में प्रायः बूढ़ी माताओं के पास होता है। किसी परिवार में कब कोई शादी थी, और उसमें किस रिश्तेदार ने कितना शगुन, कितने कपड़े, बर्तन और मिठाई दी थी, उन्हें जुबानी याद रहता है। सामान तो सामान, उस समय किसी पड़ोसी या रिश्तेदार ने बात क्या बोली थी, यह तक याद रहता है उन्हें।

आज तो accountants के पास बड़ी सुविधाएं हैं, पढ़ने-लिखने और record रखने का एक proper system है, बावजूद इसके, कभी-कभी मुझे पता चलता है, कि हिसाब-किताब में छोटी मोटी error आ जाती है। पर क्या मजाल, कि गांवों में record रखने वाले उन लोगों के हिसाब-किताब में कभी कोई गलती निकल जाए। बिल्कुल error free. और इस तरह हर एक परिवार में आपको कोई न कोई accountant मिल जाएगा, जो परिवार की आर्थिक व्यवस्था संभालता है। और जिस घर में हिसाब-किताब रखने वाले ऐसे लोग नहीं होते हैं, उनके घर त्यौहार मनाना या कोई बड़ा कार्य करना कठिन काम हो जाता हैI इसलिए समाज में इन accountants का बड़ा सम्मान होता है। ऐसे में मेरे लिए यह बड़ी खुशी और गर्व की बात है, कि मैं उन accountants के परिवार के मुखिया की भूमिका में हूँ, जो देश में रक्षा वित्त की व्यवस्था संभाल रहे हैं।

साथियों, जैसा कि मैंने अभी कहा, दुनिया में सभी संसाधन सीमित हैं। यही बात किसी राष्ट्र, और उसके रक्षा क्षेत्र पर भी लागू होती है। ऐसे में संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग की अत्यंत आवश्यकता होती है। जब मैं संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग की बात कर रहा हूँ, तो उससे मेरा तात्पर्य दो बातों से है। पहली, कि resources का सही जगह पर उपयोग हो। और दूसरी, उनकी किसी प्रकार से wastage न हो। ‘A Penny Saved is a Penny Earned’ वाली बात resources पर भी पूरी तरह लागू होती है।

आप सभी इस बात से अवगत हैं, कि देश के combat readiness के लिए न केवल समुचित वित्तीय संसाधन का उपलब्ध होना आवश्यक है, बल्कि इसके लिए त्वरित और पारदर्शी निर्णय लेने की भी उतनी ही आवश्यकता होती हैI क्योंकि निर्णय लेने में की गई देरी से समय और धन दोनों की हानि तो होती ही है, साथ ही इससे देश की combat readiness पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है। इसे सुनिश्चित करने की दिशा में रक्षा लेखा विभाग की अत्यंत महत्त्वपूर्ण भूमिका होती हैI

रक्षा लेखा विभाग का एक प्रमुख कार्य रक्षा मंत्रालय के संगठनों को वित्तीय सलाह प्रदान करना है। इस वर्ष रक्षा बजट के लिए25 लाख करोड़ allot किए गए हैं, जिनके उचित खर्च सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी रक्षा लेखा विभाग की है। मुझे पूरा विश्वास है, कि विभाग, financial prudence के सिद्धांतों को अपनाते हुए, रक्षा सेवाओं को उनके वित्तीय संसाधनों के प्रबंधन में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दे रहा है।

जब मैं यहाँ financial prudence की बात कर रहा हूँ, तो उससे मेरा मतलब एक साधारण समझ रखने वाले इंसान के वित्तीय विवेक से है। तकनीकी भाषा में इसे General Financial Rules के नाम से जाना जाता है। यानि finance से जुड़े किसी भी officer से यह expect किया जाता है, कि सरकारी धन का इस्तेमाल वह उसी विवेक से करेगा, जिस विवेक से कोई भी सामान्य इंसान अपने स्वयं के पैसों का इस्तेमाल करता है। सरकारी धन किसी भी मौके पर जरूरत से ज्यादा खर्च न हो, उसमें authority का अपना या किसी अन्य खास व्यक्ति का कोई हित न जुड़ा हो, यह सब financial prudence है।

ऐसे में रक्षा मंत्रालय में आप के जो प्रमुख roles हैं, चाहे वह financial advice देने का role हो, accounting, billing और payments का role हो, या फिर internal audit का role हो, इन roles को मैं बहुत महत्वपूर्ण समझता हूं।

आप लोगों ने अपनी मेहनत और लगन से इस कार्य में पिछले कुछ समय में एक प्रतिमान स्थापित किया हैI इसके लिए भी मैं आप लोगों को बधाई देता हूँI

साथियों, अभी मैं इस conference के sessions देख रहा थाI मुझे यह देखकर ख़ुशी हुई, कि आप लोगों ने conference में ऐसे topics रखे हैं, जो विभाग की सेवाओं में बढ़ोत्तरी करने, विभाग के कामकाज में पारदर्शिता लाने, और Human Resource Management को और अधिक improve करने की दिशा में सहायक होंगेI इसमें से कुछ sessions का ज़िक्र मैं करना चाहूँगाI

मैंने देखा कि conference का एक session, “Efficiency of IFA system: An aid to effective decision” पर केंद्रित है, जिसमें वित्तीय सलाहकारों को नवीनतम delegation of financial powers से परिचित कराया जाएगा।

सही समय पर वित्तीय सलाह प्रदान के लिए Domain Expertise के साथ Client की जरूरतों की संवेदनशील समझ होना भी बहुत जरूरी है। मुझे यह बताया गया है कि IFA-CFA का GeM portal पर integration जून 2022 से आरंभ हो गया है जिससे procurement concurrence और sanction की प्रक्रिया digital हो गयी है। इससे पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता और शुचिता आएगी। ऐसे में यह session, financial powers की delegation, और decision making से जुड़े मुद्दों की समझ में बहुत सहायक होगा, ऐसा मेरा मानना हैI

मैंने देखा कि इस सम्मेलन का एक सत्र Efficiency and Performance Audit पर है, जो top level management को reliable objective और independent information के माध्यम से महत्वपूर्ण input देगा। इसी तरह एक सत्र Human Resource Management को भी dedicated है,

जिसमें विभाग की मानव संसाधन नीति पर चर्चा होगी जिससे विभाग में long term productivity में बढ़ोत्तरी होगी।

साथियों, विभाग से मेरी यह अपेक्षा रहती है, कि payment services के सभी beneficiaries, यानि सैनिक, पेंशनधारी और third party सभी को सही समय पर सही भुगतान मिले। साथ ही साथ इस प्रक्रिया में कहीं कोई समस्या आए तो उसका भी त्वरित और निष्पक्ष समाधान होI इसी के चलते हमारी पिछली मुलाकात में मैंने Income Tax Department की तर्ज़ पर faceless mechanism स्थापित करने की बात की थी। मुझे यह देख कर खुशी हुई कि, conference में एक सत्र आप लोगों ने ‘Faceless transactions in defence as a means of increasing efficiency and transparency’ पर रखा है, जिससे defence financial transactions में पारदर्शिता का मार्ग प्रशस्त होगा।

साथियों, आज आप जब इतने महत्त्वपूर्ण conference की शुरुआत कर रहे हैं, मैं अपनी कुछ बातें आप लोगों के बीच रखना चाहूँगा, जिस पर आप सभी लोग चर्चा करें और एक outcome के साथ सामने आएंI आप लोगों को यह हमेशा ध्यान में रखना है, कि आप जो advice देते हैं, या auditing करते हैं, उसका प्रभाव और परिणाम केवल services अथवा clients तक ही नहीं रहता हैI उसका प्रकारांतर से एक long term effect होता है।

आपकी advice से, अगर services या मंत्रालय द्वारा सरकारी खर्च में कुछ बचत होती है, तो उसे देश में health, education, infrastructure building या अन्य विकास कार्यों में लगाया जा सकता है। यह पैसे प्रकारांतर से देशवासियों से ही आते हैं। ऐसे में देश का पैसा, देश में कहां सर्वाधिक उपयुक्त तरीके से लगना चाहिए, इसके निर्धारण में आप अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

पर कई बार क्या होता है, कि इस service में आने के बाद officers, केवल numbers और आंकड़ों में खेलने लगते हैं, और धीरे-धीरे वे नंबर और आंकड़े ही उनकी दुनिया बन जाते हैंI पर मैं कहना चाहूंगा, कि आप लोग advice देते समय, या audit करते समय उन numbers का background भी देखेंI एक holistic mind set से उसका परिप्रेक्ष्य भली-भांति समझेंI कहीं पर कोई गलती नज़र आ रही है, तो उसे point-out करने में कोई संकोच न करें। पर कहीं कोई गलती केवल इसलिए न निकालें, क्योंकि आपको गलती निकालनी ही है और आपके पास गलतियाँ निकालने का अधिकार है।

इसे आप यूँ समझिए, कि auditors का काम finance system में watchdog का है, एक प्रहरी का है। पर कुछ auditors blood-hound का कार्य करने लगते हैं। हमारे अंदर कहीं ऐसी मानसिकता न पनपने लगे, इसका हमें पूरा खयाल रखना है।
आप ध्यान दें, कि आपको भले ही controller कहा जाता हो, पर आप controller नहीं, बल्कि collaborator की मानसिकता से अपना कार्य करें। Client के साथ मिलकर, integrated होकर काम करें, यह दोनों parties के लिए लाभकारी होगा।

जब मैं आप सभी से integrated होकर काम करने की बात कर रहा हूँ, तो उसके साथ एक और सावधानी बरतने की हमें जरूरत है। आप ध्यान में रखें कि client के साथ इतना भी व्यवहार न बढ़ जाए, कि आप अपने comments रखते हुए हिचकिचाने लगेंI आप लोगों ने पुरइन, यानी कमल का पत्ता देखा होगाI वह लगातार पानी में रहते हुए भी कभी गीला नहीं होता, यानि उससे प्रभावित नहीं होता हैI इस balance का आपको भी हमेशा ध्यान रखना हैI कोई decision लेते समय, आप लोग executives के साथ बैठें, उनसे बातचीत करें, उनके concerns को समझें, तब कोई decision लें।
मैं समझता हूँ यह रक्षा व्यवस्था और रक्षा वित्त, दोनों के लिए लाभदायक होगा।

साथियों, इन सबके साथ ही, मैं समझता हूँ रक्षा लेखा विभाग को, अपने अंदर सुधारों की एक प्रक्रिया चलाने की भी जरूरत है। उदाहरण के लिए, हमको अपनी IT capabilities, financial knowledge आदि develop करनी चाहिए, ताकि हम और अधिक efficiency के साथ audit इत्यादि का काम कर सकें। आप सभी जितनी सक्रियता और तत्परता के साथ काम करेंगे, हमारी रक्षा व्यवस्था को अपनी मजबूती बनाए रखने में उतनी ही सहायता मिलेगी।

इसी तरह Internal Vigilance mechanism को भी बेहद मजबूत करने की आवश्यकता, मैं समझता हूं रक्षा वित्त विभाग को है। जैसा कि मैंने अभी कहा, कि आप सभी defence finance system में watchdog और प्रहरी की भूमिका निभाते हैं।

पर कई बार देखा जाता है, कि प्रहरी स्वयं दीवार में सेंध लगाना शुरू कर देते हैं, और व्यवस्था की कमियों का गलत फायदा उठाना शुरू कर देते हैं। ऐसे में अगर हमें कहीं कुछ bad apples दिखाई देते हैं, तो उनके भी खोजे जाने और छांटकर अलग किए जाने की जरूरत है। किसी अधिकारी के कामकाज में संदेह दिखाई देता है, तो उसका त्वरित review किया जाए, और कोई शंका शिकायत है, तो उसका तुरंत निपटान किया जाए। अगर विभाग में कुछ grievances pending हैं, तो weekly अथवा monthly उनकी audit का भी प्रावधान किया जाए, और यथासंभव उनपर कार्रवाई की जाए।

आप सभी जानते हैं, कि finance की दुनिया लगातार, और अधिक complicated होती जा रही है। इस क्षेत्र में रोजाना नई-नई समस्याएं उभर कर सामने आती जा रही हैं। इसलिए हमारे अधिकारियों को नई-नई तकनीकों से रूबरू कराया जाए, समय-समय पर उनका skill test लिया जाए,
उनके updation के लिए seminars, workshops और training programs कराए जाएं, यह आज के समय की महत्वपूर्ण जरूरत है। मैं चाहूंगा कि आप सभी इस पर भी विचार विमर्श करें।

मैं आशा करता हूँ, कि इस नियंत्रक सम्मेलन में उपरोक्त मुद्दों एवं अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा होगी जिससे सभी नियंत्रक लाभान्वित होंगे और विभाग किसी ठोस निर्णय पर पहुंच कर उस पर पूर्ण रूप से अमल करेगा। कहा भी गया है कि, “Working hands are better than talking lips.” मैं यह भी चाहूँगा, कि service organizations विभाग को आवश्यक सहयोग दें, ताकि विभाग द्वारा शुरू किए गए महत्त्वपूर्ण initiatives का सभी को पूरा लाभ मिल सके।

आखिर में मैं, भारतवर्ष के हर कोने और कमान से आए नियंत्रक और वित्तीय सलाहकारों को अपनी शुभकामनाएं देता हूँ।

मैं कामना करता हूँ कि विभाग का भविष्य भी उतना ही गौरवशाली होगा, जितना कि उसका अतीत रहा है। आप सबके नेतृत्व में यह विभाग निष्ठा और लगन से अपना उत्तरदायित्व निभाते हुए, राष्ट्र निर्माण में अपनी सक्रिय और सकारात्मक भूमिका निभाता रहेगा, ऐसा मेरा विश्वास है।

इस अवसर पर अधिक कुछ न कहते हुए, मैं विभाग में चल रही समस्त योजनाओं की सफलता की कामना करता हूँ। मैं आप लोगों के भविष्य के प्रयासों में सफलता की कामना करते हुए अपना निवेदन समाप्त करता हूँI

धन्यवाद,

जय हिन्द!