लोकसभा में गृह मंत्री का वक्‍तव्‍य (गृह मंत्रालय की अनुदान मांगों पर चर्चा ) 28-अप्रैल, 2015 .

लोकसभा में गृह मंत्री का वक्‍तव्‍य

अध्‍यक्ष महोदया,

सबसे पहले तो मैं आपके प्रति आभार व्‍यक्‍त करना चाहता हूं कि आपने गृह मंत्रालय की अनुदान मांगों पर चर्चा करने का हमें अवसर दिया है। मैं उन सभी सम्‍मानित सदस्‍यों के प्रति भी आभार व्‍यक्‍त करना चाहता हूं, जिन्‍होंने इस चर्चा में हिस्‍सा लिया है। मेरी जो जानकारी है, उस जानकारी के आधार पर लगभग 22 मेम्‍बर्स ने गृह मंत्रालय की अनुदान मांगों पर हुई चर्चा में हिस्‍सा लिया है। साथ ही साथ 33 मेम्‍बर्स ने अपनी रिटेन स्‍पीच सदन के पटल पर रखी है।

अध्‍यक्ष महोदया, मैं सभी सम्‍मानित सदस्‍यों के भाषण को सुन रहा था और मुझे इस बात की खुशी है कि किसी को अपने नजरिए से यदि कोई कमी नजर आई तो उस ओर मेरा ध्‍यान आकर्षित करने की उन्‍होंने कोशिश की है।

अध्‍यक्ष महोदया, मैंने सभी माननीय सदस्‍यों के प्रति आभार व्‍यक्‍त किया है, जिन्‍होंने अपने रचनात्‍मक सुझाव दिए हैं। मैंने उनके प्रति भी आभार व्‍यक्‍त किया है, जिन्‍होंने हमारे गृह मंत्रालय के कामकाज की आलोचना की है, क्‍योंकि एक स्‍वस्‍थ लोकतांत्रिक व्‍यवस्‍था में आलोचना का भी अपना एक महत्‍व होता है। आलोचना को भी हमने सकारात्‍मक तरीके से लिया है। साथ ही साथ, जो सुझाव दिए गए हैं, उन्‍हें भी हमने सकारात्‍मक तरीके से लिया है।

जहां तक गृह मंत्रालय का प्रश्‍न है, गृह मंत्रालय को कई प्रकार की जिम्‍मेदारियों का निर्वहन करना पड़ता है। इंटर्नल सिक्‍यूरिटी से संबंधित बहुत सारी ऐसी जिम्‍मेदारियां हैं, जिनका उसे निर्वाह करना पड़ता है। वहीं बॉर्डर मैनेजमेंट, सेन्‍टर-स्‍टेट रिलेशंस, इंटर स्‍टेट रिलेशंस, केन्‍द्र शासित प्रदेशों का प्रशासन और इसके साथ ही साथ सेंट्रल आर्म्‍ड पुलिस फोर्स का भी प्रबंधन गृह मंत्रालय के अंतर्गत आता है। इसके अतिरिक्‍त डिजास्‍टर मैनेजमेंट की जिम्‍मेदारी भी गृह मंत्रालय को ही संभालनी पड़ती है।

मैं उन सारी चीजों का यहां बहुत विस्‍तार में जाकर उल्‍लेख नहीं करना चाहता हूं, क्‍योंकि इसमें लंबा समय लगेगा। इंटेलिजेंस विभाग के बारे में मैं कहना चाहूंगा कि यह बहुत ही इफेक्टिविली काम कर रहा है। तकनीकी दृष्टि से इसकी ताकत को और कैसे बेहतर किया जा सकता है, हम उसे करने की पूरी तरह से कोशिश कर रहे हैं।

एक महत्‍वपूर्ण जिम्‍मेदारी गृह मंत्रालय को निभानी पड़ती है कि समाज का जो वलनरेबल सेक्‍शन है, जो कमजोर वर्गों के लोग हैं, चाहे वे महिलाएं हों, चाहे वे अनुसूचित वर्ग के लोग हों, आदिवासी हों या चाहे अल्‍पसंख्‍यक समुदाय के लोग हों, सबको सुरक्षा की गारंटी देना। इसे मैं स्‍वीकार करता हूं कि इसमें एक महत्‍वपूर्ण भूमिका राज्‍यों की भी होती है, क्‍योंकि लॉ एंड ऑर्डर का सवाल केवल सेंटर का सब्‍जेक्‍ट नहीं है, बल्कि यह स्‍टेट सब्‍जेक्‍ट है। मैं किसी राज्‍य की आलोचना नहीं करना चाहता हूं। सभी राज्‍यों की लॉ एंड ऑर्डर की सिचुएशन को मेंटेन रखने के जो भी संसाधन उनके पास उपलब्‍ध हैं, उनके माध्‍यम से वे उसकी कोशिश करते हैं।

हमारे सामने बैठे हुए कांग्रेस लोक सभा दल के नेता श्रीमान मल्लिकार्जुन खड़गे जी एक बहुत ही अनुभवी नेता हैं। उन्‍होंने गृह मंत्रालय को लेकर अपनी चिंताएं व्‍यक्‍त की हैं। पहली चिंता श्रीमान खड़गे जी की यह रही है कि जो राष्‍ट्रपति जी का अभिभाषण था, उस अभिभाषण में गृह मंत्रालय का जितना विस्‍तारपूर्वक उल्‍लेख किया जाना चाहिए था, उतना नहीं किया गया है। साथ ही उन्‍होंने यह भी चिन्‍ता व्‍यक्‍त की कि बजट अलोकेशन पहले की अपेक्षा कम हुआ है। मैं बजट अलोकेशन के बारे में बतलाना चाहता हूं कि बजट अलोकेशन पहले से कम नहीं हुआ है, पहले से बजट अलोकेशन बढ़ा है। वर्ष 2013-14 में बजट अलोकेशन जहां 67,978 करोड़ 15 लाख था, वहीं वर्ष 2014-15 में बढ़कर 74,884 करोड़ हो गया और वर्ष 2015-16 में बढ़कर 78,470 करोड़ तक पहुच गया है। यदि रिवाइज्‍ड एस्‍टीमेट के हिसाब से देखें तो तकरीबन 11.52 प्रतिशत की वृद्धि इसमें हुई है। इसलिए किसी भी प्रकार से गृह मंत्रालय को कहीं से कोई कमजोर कर रहा हो अथवा उसकी उपेक्षा कर रहा हो, यदि यह आशंका खड़गे जी को है, तो उन्‍हें इसे दूर करना चाहिए। उन्‍होंने स्‍वयं ही इस बात को कहा है कि यदि हम किसी देश का विकास करना चाहते हैं, तो जब तक उस देश की सिक्‍योरिटी इंश्‍योर नहीं होगी, तब तक विकास किसी भी सूरत में संभव नहीं है। यह हमारी सरकार की प्राथमिकता है कि यह देश सुरक्षित रहना चाहिए, इस देश के लोग सुरक्षित रहने चाहिए और इस देश की सीमाएं सुरक्षित रहनी चाहिए।