असहिष्णुता का मामला बनावटीः राजनाथ सिंह ‘ सहिष्णुता हमारी संस्कृति और परंपरा में है, हम किसी के दबाव में सहिष्णु नहीं ’ 02-दिसंबर, 2015 .

असहिष्णुता का मामला बनावटीः राजनाथ सिंह ‘ सहिष्णुता हमारी संस्कृति और परंपरा में है, हम किसी के दबाव में सहिष्णु नहीं ’

केंद्रीय गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि पिछले कुछ समय से देश में उठाया जा रहा असहिष्णुता का मामला बनावटी है । कुछ दिनों से यह बनावटी बात कही जा रही है कि देश में असहिष्णुता का माहौल है। उन्होंने असहिष्णुता की बात उठाने वालों पर कहा कि उनके द्वारा उठाया गया यह विषय आत्मघाती है। ऐसे बयानों से हमें बचना चाहिए।

गृह मंत्री मंगलवार 1.12.2015 को लोक सभा में असहिष्णुता पर हुई बहस पर वक्तव्य दे रहे थे।

उन्होंने कहा कि असहिष्णुता का मामला अंतर्राष्ट्रीय जगत में भारत की छवि को खराब करने के लिए उठाया जा रहा है । उन्होंने इस बारे में प्रश्न करते हुए कहा कि क्या पूरे विश्व को संदेश देने की कोशिश की जा रही है कि भारत का वातावरण रहने लायक नहीं है ? क्या हम यह संदेश देना चाहते हैं कि भारत में निवेश करने के लिए दुनिया के अन्य देश यहां न आएं ? उन्होंने स्पष्ट किया कि देश परंपरा और संस्कृति के अनुसार सहिष्णु है। हम किसी के दबाव में सहिष्णु नहीं हैं। सहिष्णुता हमारी रगों में है , हमारी परंपरा में है , संस्कृति में है । यह देश सदियों से सहिष्णुता , सहयोग और अहिंसा के लिए जाना जाता रहा है और आज भी जाना जाता है।

श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि असहिष्णुता शब्द में अलगाव तथा कष्ट का भाव है । उन्होंने कहा कि समाज में अलगाव और कष्ट के भाव से समरसता और सुख का भाव नहीं लाया जा सकता । उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि जो कोई देश में सामाजिक और धार्मिक समरसता को बिगाड़ने का प्रयास करेगा उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सबसे अधिक असहिष्णुता का शिकार राजनीति में कोई हुआ है तो प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी सर्वाधिक असहिष्णुता का शिकार हुए हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी सबसे अधिक असहिष्णुता का शिकार होने वाली राजनीतिक पार्टी है ।

उन्होंने कहा कि अपने देश में असहिष्णुता की तीन बड़ी घटनाएं हुई हैं। पहली बार जब देश का विभाजन हुआ। दूसरी बार जब विरोध की आवाज को दबाने के लिए आपातकाल थोप दिया गया और तीसरी बार 1984 में जब देश भर में दंगे हुए। उन्होंने इन तीनों घटनाओं के लिए तत्कालीन सरकारों को दोषी ठहराया ।

उन्होंने कहा कि असहिष्णुता का माहौल बना कर सरकार को बदनाम किया जा रहा है। उन्होंने अफसोस व्यक्त करते हुए कहा कि बेमतलब विवाद खड़ा करने की कोशिश की जा रही है । गृह मंत्री ने असहिष्णुता का मामला उठाने वालों से पूछा कि जब कश्मीर का अमर साहित्य जल रहा था तो असहिष्णुता की बात करने वाले कहां थे? , लाखों कश्मीरी पंडितों को उनके जन्म स्थान से भगाए जाने के समय ऐसे लोग कहां थे ?, जब 1984 में बेकसूर सिख सड़कों पर जलाए जा रहे थे तो असहिष्णुता का मामला उठाने वाले कहां थे ? उन्होंने दादरी की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि घटना की जानकारी मिलते ही गृह मंत्रालय ने एडवाइजरी जारी की और राज्य सरकार से रिपोर्ट की मांग की । उत्तर प्रदेश सरकार के उत्तर में सांप्रदायिकता का जिक्र नहीं है। उन्होंने कहा कि यदि उत्तर प्रदेश सरकार दादरी कांड की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश करती है तो केंद्र सरकार इसके लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि गोविन्द पंसारे के मामले में सरकार चुप नहीं बैठी, गिरफ्तारी की गई। उन्होंने कहा कि यदि कर्नाटक सरकार कलबुर्गी मामले की जांच केंद्रीय एजेंसी से कराना चाहती है तो ऐसी जांच के लिए कहा जाएगा।

श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री क्यों नहीं बोलते। उन्होंने प्रश्न किया कि क्या पहले की घटनाओं पर बराबर इस देश के प्रधानमंत्री ने कोई प्रतिक्रिया दी है ?

उन्होंने देश के साहित्यकारों , कलाकारों , शिक्षकों , व्यंग्यकारों , शिल्पकारों, चित्रकारों , तथा वैज्ञानिक से अपील की कि जब उन्हें लगता है कि देश में असहिष्णुता बढ़ रही है तो वे हमारे पास आकर मिल-बैठ बात करें। उन्होंने एवार्ड पुरस्कार लौटाने वालों से आग्रह किया कि वह इसे वापस ले लें।