काठमांडू में 19 सितम्बर, 2014 को सार्क देशों के आंतरिक सुरक्षा/गृह मंत्रियों की छठी बैठक में गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह के संबोधन का मूल पाठ
गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह के संबोधन का मूल पाठ इस प्रकार है:
‘‘अध्यक्ष महोदय, महामहिम, सम्मानित मित्रों, देवियों और सज्जनों आप सभी को धन्यवाद।
मैं प्रारंभ में ही महामहिम को हमारी बैठक का अध्यक्ष चुने जाने के लिए बधाई देना चाहता हूं। मैं व्यक्तिगत रूप से तथा अपने शिष्टमंडल की ओर से परंपरागत स्वागत तथा गौरवपूर्ण आतिथ्य के लिए भी नेपाल सरकार को धन्यवाद देना चाहूंगा।
हम आज 22-27 नवम्बर को काठमांडू में होने वाले 18वें सार्क शिखर सम्मेलन से पूर्व ऐतिहासिक शहर काठमांडू में मिल रहे हैं। हमें याद है कि 4-6 जनवरी 2002 को काठमांडू में 11वें शिखर सम्मेलन में उस समय ऐतिहासिक निर्णय लिए गए जब हमारे नेताओं ने अपने लोगों के लिए आर्थिक समृद्धि का साझा लक्ष्य प्राप्त करने में आगे बढ़ने की दीर्घकालिक दृष्टि पेश की थी। तब हम वर्ष के अंत तक मुक्त व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने तथा दक्षिण एशियाई आर्थिक संघ बनाने के लिए चरणबद्ध तथा नियोजित प्रकिया दृष्टि को लागू करने पर सहमत हुए थे। यह तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाहजपेयी का सपना था। उन्होंने दक्षिण एशियाई मुद्रा संघ की स्थापना की बात भी कही थी।
भारत की जनता की ओर से मिले मजबूत और स्पष्ट जनादेश के साथ प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हमारी वर्तमान सरकार ने केवल 100 दिन पहले 26 मई को कार्यभार संभाला। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कार्यभार संभालने से पहले ही स्थाई शांतिपूर्ण तथा समृद्ध दक्षिण एशियाई पड़ोसियों के लिए प्रतिबद्धता के रूप में नई सरकार के शपथ-ग्रहण समारोह में सभी सार्क देशों के नेताओं को सम्मानित अतिथि के रूप में आमंत्रित करने का निर्णय लिया था। हमारे प्रधानमंत्री ने अपने कार्य में सबसे पहले सार्क के पड़ोसियों को आश्वस्त किया कि हम अपनी जनता के कल्याण और भलाई के लिए व्यक्तिगत तथा सामूहिक रूप से एक साथ काम करने के महत्व को प्राथमिकता देते है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की पहली द्विपक्षीय यात्रा दो पड़ोसी हिमालय देशों में हुई जिनके साथ हमारी सीमा खुली है और भारत तथा नेपाल के साथ हमारे घनिष्ठ संबंध है। मैं यह कहना चाहूंगा कि सभी सार्क पड़ोसी देशों के साथ संबंध सुधारने की प्राथमिकता के प्रति हम प्रतिबद्ध हैं।
आतंकवाद हम सभी के लिए सबसे बड़ी चिन्ता का विषय है। आतंकवाद आंतरिक, क्षेत्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय कारणों से देश के अंदर और राष्ट्रीय सीमाओं पर है। 11 सितम्बर, 2001 को अमेरिका में आतंकवादी हमलों के बाद अफगानिस्तान में नई सरकार के उदय के साथ हमारे पड़ोस के रणनीतिक माहौल में बड़ा परिवर्तन हुआ। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित अफगानिस्तान की सरकार को अप्रत्याशित समर्थन दिया है। लेकिन हमें अफगानिस्तान से विदेशी सेनाओं की वापसी से पूरे दक्षिण एशिया क्षेत्र पर पड़ने वाले प्रभाव का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करना होगा। अफगानिस्तान को स्थायित्व, शांति एवं प्रगति की राह पर आगे बढ़ने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहायता की आवश्यकता होगी। अफगानिस्तान में शांति, स्थायित्व तथा आर्थिक विकास के मामले में हम सभी का साझा और महत्वपूर्ण हित है। हम भारत, बांग्लादेश तथा श्रीलंका जैसे दक्षिण एशियाई देशों में चरमपंथ, आतंकवाद तथा हिंसा के प्रति स्वाभाविक रूप से चिंतित है।
उतार-चढ़ाव वाले सुरक्षा माहौल में अतिवादी तथा चरमपंथी विचारधारा वाले समूह वास्तव में अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं पर खतरा हैं। इन समूहों को पड़ोसी तथा क्षेत्रीय देशों के विरूद्ध सार्वजनिक रूप से खतरे की घोषणा से भी परहेज नहीं है। इसी से हमारे पड़ोस में बड़ी संख्या में फैली जाली मुद्रा का मामला भी जुड़ा है। सीमाओं पर जाली मुद्रा मामले से निपटने में नेपाल से मिले सहयोग के लिए मैं नेपाल के अतिथियों को धन्यवाद देता हूं। लेकिन हमें इस पर विचार करना होगा कि हम कैसे न केवल आंतकी गतिविधियों बल्कि आर्थिक रूप से अस्थिर बनाने की कोशिशों को विफल करने का सामूहिक प्रयास करेंगे। इसके लिए आवश्यक है कि सभी दक्षिण एशियाई देश कानून बनाएं जो राष्ट्रीय सीमाओं पर आतंकवाद और हिंसा की वकालत करने तथा भड़काने वाले व्यक्तियों, संगठनों तथा प्रकाशनों को कठोर सजा दिलाएं।
मैं बल देकर यह कहना चाहूंगा कि नवम्बर 2008 में महानगर मुंबई पर आतंकी हमलों में मरने वाले लोगों के परिवारों के लिए न्याय दिलाने के प्रति हमारी सरकार प्रतिबद्ध है। हमारी सरकार सार्क क्षेत्रीय समझौता तथा इसके अतिरिक्त प्रोटोकॉल को लागू करने के प्रति भी प्रतिबद्ध है। भारत का बल सभी देशों द्वारा व्यापक विधेयक लाने तथा प्रत्यर्पण प्रक्रिया को मजबूत बनाने तथा प्रत्यर्पण न मिलने की दशा में अपराधियों पर मुकदमा चलाने के लिए न्यायालयों को कारगर अधिकार देने के पहलू को घरेलू कानून के दायरे में लाने पर है। कुछ सदस्य देशों को आपराधिक मामलों पर पारस्परिक सहयोग संबंधी समझौते की पुष्टि करनी है। इस समझौते पर 2008 में हस्ताक्षर हुए थे। मैं ऐसे राष्ट्रों से आग्रह करूंगा कि वे इस समझौते की पुष्टि करें ताकि आपराधिक मामलों में व्यापक रूप से पारस्परिक कानूनी सहायता देना संभव हो सके।
मैं कहना चाहूंगा कि हम पंजाब की तरह अपनी सीमाओं पर मादक द्रव्यों की तस्करी की गंभीर समस्या का भी सामना कर रहे हैं। तस्करी से आतंकवाद को अक्सर वित्तीय मदद मिलती है। हमें अपने घरेलू कानून मजबूत बनाने की आवश्यकता है तथा मादक पदार्थों की तस्करी के वैश्विक आकार लेने पर बहुपक्षीय सहयोग बढ़ाने के लिए मादक पदार्थों के क्षेत्रीय समझौते को और प्रभावी रूप से लागू करने के लिए सहयेाग की जरूरत है।
यह बैठक साइबर अपराध, मानव तस्करी तथा राष्ट्रीय सीमाओं पर हथियारों की गैर-कानूनी आवाजाही जैसे समान हित के विषयों पर विचार का अवसर भी दे रही है। मैं मानता हूं कि हम सभी व्यक्तिगत तथा सामूहिक रूप से भ्रष्टाचार को दूर करने की बात स्वीकार करते हैं। हमने अपनी जनता से भ्रष्टाचार के प्रति सहन की शून्य नीति का वादा किया है। भारत ने 2005 में हुए भ्रष्टाचार पर संयुक्त राष्ट्र समझौते किया है। हम इस समस्या से क्षेत्रीय रूप से निपटने के तरीकों पर विचार कर सकते हैं और सहमत हो सकते हैं।
वास्तव में प्रशासनिक स्तर पर हम अपने अनुभवों को साझा कर सकते हैं। यहां मैं गुड गवर्नेंस के लिए सार्क केन्द्र स्थापित करने का सुझाव देना चाहूंगा। इस केन्द्र में सभी सदस्य देशों के प्रशासनिक अधिकारी एक साथ विकास तथा अच्छे प्रशासन संबंधी अपने अनुभवों का आदान-प्रदान करेंगे। इससे दक्षिण एशिया में न केवल विकास का सकारात्मक रूझान मजबूत होगा बल्कि इससे अच्छे शासन के हमारे साझे स्वप्न को साकार करने में भी मदद मिलेगी।
काठमांडू में 2002 में हुए सार्क सम्मेलन में हम दक्षिण एशिया के लोगों के कल्याण एवं प्रगति के लिए क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण के रोड मैप पर सहमत हुए थे। हम नवम्बर में काठमांडू में होने वाले शिखर सम्मेलन को क्षेत्र की जनता की शांति एवं प्रगति का आधार वाला सम्मेलन बनाने के लिए अपने विचारों के प्रति उत्साहित है। मैं आपको आश्वस्त करना चाहूंगा कि यह भारत और भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का परम उद्देश्य है।
महामहिम, अंत में मैं कहना चाहूंगा कि सार्क देशों के गृह मंत्रियों की वार्षिक बैठक भारत को क्षेत्र में विशेष रूप से आतंकवाद और सामान्य रूप से संगठित अपराध के मामले में सार्थक सहयोग की आवश्यकता का अवसर देती है। मैं सभी देशों से प्रासंगिक सार्क समझौतों तथा सुरक्षा संबंधी विषयों पर हुए समझौतों को उनकी भावना के अनुरूप लागू करने की आवश्यकता को दोहराना चाहूंगा।