इंदिरा गांधी राजभाषा पुरस्कार – 2014
नई दिल्ली 15 नवंबर, 2014 को प्लेनरी हाल, विज्ञान भवन, नई दिल्ली में राजभाषा समारोह, 2014 का आयोजन किया गया । जिसमें माननीय राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी के कर कमलों से राजभाषा हिंदी के प्रयोग में सर्वश्रेष्ठ प्रगति हासिल करने वाले केंद्र सरकार के मंत्रलयों/विभागों/सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, बोर्डों/स्वायत्त निकायों तथा नगर राजभाषा कार्यान्वयन समितियों को इंदिरा गांधी राजभाषा शील्ड प्रदान कर सम्मानित किया गया । इस अवसर पर माननीय गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह, माननीय गृह राज्यमंत्री श्री किरेन रीजीजू एवं सांसद श्री सत्यव्रत चतुर्देवी जी भी उपस्थित थे ।
इसी वर्ष 14 सितम्बर, 2014 को राष्ट्रपति भवन में मनाया गया हिंदी दिवस समारोह आयोजित किया गया था जिसमें इंदिरा गांधी राजभाषा पुरस्कार योजना के अंतर्गत 2012-13 के लिए पुरस्कार दिये गए थे । ऑनलाइन सूचना प्रबंधन प्रणाली के लागू हो जाने के कारण राजभाषा विभाग के पास मंत्रालयों/विभागों/कार्यालयों/बैंकों एवं उपक्रमों के वर्ष 2013-14 के आंकड़ें समय पर उपलब्ध होने पर विभाग द्वारा वर्ष 2013-14 के लिए पुरस्कारों का वितरण करने हेतु इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया । आज के इस कार्यक्रम में कुल 48 शील्ड एवं 18 प्रमाण पत्र प्रदान किए गए ।
गृह राज्य मंत्री श्री किरेन रीजीजू ने अपने स्वागत संबोधन में कहा कि राजभाषा हिंदी का अधिक से अधिक विकास इस बात पर निर्भर करता है कि कामकाज में उसका कितना प्रयोग किया जाता है । कोई भी भाषा तभी लोकप्रिय बनती है जब जन-मानस पर वह अपना अधिकार जमा सके । यह अधिकार यदि प्रेम और सदभावना के जरिए जमाया जाए तो ज्यादा टिकाऊ होता है । निरंतर प्रयोग में लाने से कोई भी भाषा स्वत: अपनी लगने लगती है तथा इस भाषा के कठिन शब्द भी सरल लगने लगते हैं ।
गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने अपने भाषण में कहा कि सभी विकसित अपना काम अपनी भाषा में करते हैं । भारत में 75 प्रतिशत से अधिक लोग या तो हिंदी जानते हैं या समझते हैं लेकिन इतनी अधिक जनसंख्या होने के बावजूद हम अपना काम अपनी भाषा में नहीं करते हैं । इसके लिए हमें हिंदी दिवस मानने की आवश्यकता पड़ती है । उन्होंने कहा कि संस्कृत सभी भारतीय भाषाओं की जननी है और सभी भारतीय भाषाएं परस्पर सहोदर हैं । महान वैज्ञानिक आइजनहावर के अनिश्चितता के सिंद्धांत का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इस सिद्धांत की प्रेरणा उन्हें हमारे वेदांतों से प्राप्त हुई है जो संस्कृत भाषा में है । बालीवुड सबसे बड़ी इंडस्ट्री है और यहां भी हिंदी चलचित्र को लोग ज्यादा देखते हैं । इससे हिंदी का विस्तार हुआ है । स्वंतत्रता आंदोलन में सार्वजनिक रूप से हिंदी की वकालत गुजराती भाषी महात्मा गांधी, बंगला भाषी आचार्य केशवचंद्र सेन, राजाराम मोहन राय, रविन्द्रनाथ टैगार, सुभाष चंद्र बोस, मराठी भाषी लोकमान्य तिलक, आचार्य विनोबा भावे, डॉ0 भीमराव अम्बेडकर, पंजाबी भाषी लाला लाजपत राय तथा तमिल भाषी चक्रवर्ती राजगोपालाचारी आदि ने की । इनके नाम इतिहास में अमर हैं ।
राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी ने अपने उदबोधन में हिंदी के महत्व का उल्लेख करते हुए कहा कि 12वी शताब्दी तक नालंदा और तक्षशिला जैसे हमारे विद्यालय विश्व को शिक्षा देते थे । हमें फिर से वह गौरव वापस लाना होगा । आज 150 विश्वविद्यालयों में हिंदी को बढ़ावा दिया जा रहा है । लोकतंत्र में सरकार और जनता के बीच प्रशासनिक संपर्क को सशक्त बनाने में भाषा की महत्वपूर्ण भूमिका है । सरकारी नीतियों और योजनाओं को जनता तक जनता की भाषा में पहुंचाना होगा । मुझे खुशी है कि इस दिशा में सरकार द्वारा सार्थक प्रयास किया जा रहा है । यदि हम चाहते हैं कि हमारा लोकतंत्र प्रगतिशील हो तथा विकास योजनाएं जनता तक सुचारू रूप से पहुंचे तो हमें संघ के कामकाज में हिंदी का तथा राज्यों के कामकाज में उनकी प्रांतीय भाषाओं का प्रयोग बढ़ाना होगा । राष्ट्रपति महोदय ने इस बात पर जोर दिया कि विज्ञान और तकनीकी की पुस्तकें विद्यार्थियों को उनकी भाषा में उपलब्ध हों । उन्होंने राजभाषा विभाग की प्रशंसा की कि वह ज्ञान- विज्ञान के क्षेत्र में मौलिक पुस्तक लेखन को प्रोत्साहन दे रहा है ।
अंत में सचिव(राजभाषा) सुश्री नीता चौधरी ने माननीय राष्ट्रपति, गृह मंत्री, गृह राज्य मंत्री, सांसद, संयुक्त सचिव, पुरस्कार विजेताओं तथा कार्यक्रम में उपस्थित सभी गणमान्य लोगों को धन्यवाद दिया । उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति महोदय और गृह मंत्रीजी ने हिंदी दिवस के अवसर पर जो भी कहा है वह हमारे लिए निर्देश है और हम उसका पालन करेंगे ।
( Source : PIB )