रक्षा क्षेत्र में ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा देने के उद्देश्य से रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह कल विज्ञान भवन एनेक्सी में रक्षा एवं एयरोस्पेस उद्योग जगत के दिग्गजों के साथ बातचीत करेंगे। रक्षा मंत्रालय के रक्षा उत्पादन विभाग की ओर से ‘रक्षा उद्योग में मेक इन इंडिया गोलमेज’ का आयोजन किया गया है। इसका उद्देश्य निवेश को आकर्षित करना, उद्योग जगत की चिंताओं को दूर करना और रक्षा क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देना है।
रक्षा मंत्रालय ने लाइसेंसिंग को आसान बनाने, निर्यात को बढ़ावा देने और रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के लिए कई कदम उठाए हैं।
‘रक्षा व्यवसाय में सुगमता’ को पर्याप्त रूप से बढ़ाने के लिए रक्षा उद्योग लाइसेंस हासिल करने की प्रक्रिया को सरल बनाया गया है। विभिन्न कंपनियों की ओर से इसके लिए आवेदन मिले हैं। वर्ष 2018-19 में एक निश्चित समयावधि के भीतर इनमें से 63 का निपटारा कर दिया गया।
रक्षा निर्यात को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2018-19 के दौरान कंपनियों को 668 अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी किए गए हैं। निर्यात की अनुमति देने में लगने वाले समय को घटाने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) को युक्तिसंगत बनाने के लिए कदम उठाए गए हैं। इसमें लगने वाले औसत समय में 100 प्रतिशत की कमी आई है और यह 32 दिन पर आ गया है। वर्ष 2018-19 रक्षा निर्यात में पर्याप्त उछाल आया है। यह बढ़कर 10,745 करोड़ रुपये पहुंच गया है। वर्ष 2017-18 में यह 4,682 करोड़ रुपये था।
रक्षा एवं एयरोस्पेस में पिछले पांच वर्ष के दौरान प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 1,664 करोड़ रुपये था। वर्ष 2014 से पहले यह आंकड़ा 1,321 करोड़ रुपये था।
रक्षा उत्पादन के लिए ‘मेक इन इंडिया’ पोर्टल में सुधार करते हुए इसे फिर से शुरू किया गया है। एंड टू एंड प्रोसेसिंग और निर्यात लाइसेंस आवेदनों से संबंधित संचार तथा निर्यात बाजार के सुराग के सृजन एवं प्रसार के लिए एक नया पोर्टल www.defenceexim.gov.in बनाया गया है।
इसके अतिरिक्त रक्षा निर्यात, रक्षा ऑफसेट, ‘मेक इन इंडिया’ के तहत रक्षा परियोजनाओं, रक्षा क्षेत्र में स्टॉर्टअप, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में बन रहे रक्षा गलियारों में निवेश तथा रक्षा क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमत्ता यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस परियोजनाओं समेत रक्षा उत्पादन के बड़े घटकों पर नजर रखने के लिए रक्षा मंत्रालय ने एक डैशबोर्ड भी लांच किया है।
उद्योग जगत के दिग्गजों के साथ रक्षा मंत्री की यह बातचीत रक्षा उत्पादन एवं निर्यात में नए और अभिनव यानी इनोवेटिव प्रस्तावों पर चर्चा करने का अवसर प्रदान करेगी।