भारत और कोरिया गणराज्य ने द्विपक्षीय रक्षा उद्योग सहयोग को अगले स्तर तक ले जाने के लिए एक प्रगतिशील रूपरेखा तैयार की है। रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने आज सोल में कोरिया गणराज्य के रक्षा खरीद एवं योजना प्रशासन मंत्री श्री वांग जुंग-होंग की मौजूदगी में कोरिया और भारत के रक्षा उद्योग से जुड़े सीईओ को संबोधित करते हुए यह बात कही। रक्षा मंत्री ने कहा कि इस रूपरेखा में जल, थल, नभ प्रणालियों, अनुसंधान एवं विकास में सहयोग और परीक्षण, प्रमाणन एवं गुणवत्ता की गारंटी के कई संभावित क्षेत्रों को सूचीबद्ध किया गया है।
श्री राजनाथ सिंह ने कोरियाई उद्योग जगत को भारतीय रक्षा उपक्रमों (पीएसयू) द्वारा अपनी मुख्य हथियार प्रणालियों में इस्तेमाल होने वाली वस्तुओं के स्थानीय उत्पादन की संभावना का पता लगाने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने ऐसी वस्तुओं का पता लगाने के लिए एक टॉस्क फोर्स गठित करने का प्रस्ताव किया, जो भारत में आर्थिक रूप से व्यवहारिक हैं और जिनका स्थानीय स्तर पर उत्पादन किया जा सकता है, ताकि आयात लागत को कम रखा जा सके।
श्री राजनाथ सिंह ने कहा, ‘भारत उदार लाइसेंस व्यवस्था, आकर्षक एफडीआई प्रावधानों, मजबूत एवं कुशल औद्योगिक कार्यबल, एकल मंजूरी विंडो, निवेशकों की सुविधा के लिए रक्षा निवेशक सेल के गठन और विभिन्न उद्योग अनुकूल पहलों के साथ अपने यहां कोरियाई रक्षा उद्योगों को जबरदस्त व्यापारिक अवसरों की पेशकश करता है।’
रक्षा मंत्री ने कोरिया के रक्षा उद्योग जगत के प्रतिनिधिमंडल को 05-08 फरवरी, 2020 में उत्तर प्रदेश के लखनऊ में होने वाले डिफेंस एक्स्पो 2020 में हिस्सा लेने के लिए भी आमंत्रित किया। उन्होंने भारत में विभिन्न रक्षा प्रदर्शनियों में बड़ी ओईएम, एमएसएमई और कोरियाई इंडस्ट्री की भागीदारी को सुविधाजनक बनाने से जुड़े समझौता ज्ञापन (एमओयू) का भी संज्ञान लिया। उन्होंने कहा, ‘ऐसी कंपनियों को आकर्षक छूट भी प्रदान की जा सकती है, जो डिफेंस एक्स्पो 2020 में हिस्सा लेने के लिए आगे आएंगी।’
श्री राजनाथ सिंह ने भरोसा जताया कि भारत और कोरिया गणराज्य सहभागिता, सहयोग, सह-उत्पादन एवं सह-विकास के जरिये दोनों के लिए लाभदायक इस मौके को हाथ से नहीं जाने देंगे। उन्होंने कोरियाई इंडस्ट्री को भरोसा दिलाया कि भारत सरकार निवेश एवं संयुक्त उद्यमों को सुविधाजनक बनाने के लिए हरसंभव कदम उठाएगी।
इससे पहले, सीईओ के मंच को कोरिया गणराज्य के रक्षा उद्योग को भारत के रक्षा गलियारों में निवेश के लिए आकर्षित करने की खातिर भारत द्वारा की गई पहलों के बारे में विस्तृत ब्यौरा दिया गया। इस मंच का आयोजन भारतीय दूतावास और रक्षा मंत्रालय (एमओडी) के तहत आने वाले रक्षा उत्पादन विभाग द्वारा संयुक्त रूप से किया गया था।
इस अवसर पर रक्षा उत्पादन सचिव श्री सुभाष चंद्रा, रक्षा सचिव डा. अजय कुमार, कोरिया गणराज्य में भारत की राजदूत श्रीमती सुप्रिया रंगनाथन और भारत तथा कोरिया गणराज्य के कई दूसरे वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
दोनों पक्षों के वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों एवं उद्योग जगत के प्रतिनिधियों के बीच बिजनेस-टू-गवर्नमेंट (बी2जी) बैठक भी हुई। इसमें उन्होंने उत्तर प्रदेश एवं तमिलनाडु के रक्षा गलियारों में उपलब्ध निवेश के विभिन्न अवसरों और आगामी डिफेंस एक्स्पो 2020 के बारे में जानकारी दी।
इससे बाद, रक्षा मंत्री ने सोल में भारतीय दूतावास द्वारा दिए गए भोज में भारत और कोरिया गणराज्य के रक्षा उद्योग जगत के दिग्गजों को संबोधित किया। उन्होंने दक्षिण कोरिया के उद्योग जगत के दिग्गजों को भरोसा दिलाया कि सरकार भारत के रक्षा गलियारों में निवेश के लिए सभी सुविधाएं देगी और नीति के अनुसार, सभी तरह के प्रोत्साहन एवं रियायतें प्रदान करेगी। उन्होंने कहा कि इन कंपनियों को इस क्षेत्र के अन्य देशों के बाजार तक सुलभ पहुंच मिल सकेगी।
श्री राजनाथ सिंह ने कहा, ‘हम रक्षा उपकरणों के निर्माण का बड़ा केंद्र बनने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। निवेशक भारत में निर्मित रक्षा उपकरणों को दक्षिण पूर्व एशिया, मध्य एशिया, मध्य पूर्व एशिया, दक्षिण एशिया एवं अफ्रीका के विभिन्न मित्रवत देशों को निर्यात के लिए हमें एक स्प्रिंग बोर्ड के रूप में उपयोग कर सकते हैं।’
रक्षा मंत्री ने इस बात पर प्रसन्नता जताई कि रणनीतिक हितों के एकीकरण एवं पारस्परिक साझा सद्भाव से भारत और कोरिया गणराज्य के रक्षा संबंधों में हाल के वर्षों में काफी विस्तार हुआ है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और कोरिया गणराज्य के राष्ट्रपति श्री मून जेई-इन के बीच करीबी जुड़ाव है, जिसने उद्देश्यों की ज्यादा समझ के साथ रिश्तों पर प्रभाव डाला है। श्री राजनाथ सिंह ने कहा, ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी के तहत भारत कोरिया गणराज्य को सहयोग के लिए अनिवार्य साझेदार मानता है। हम इस तथ्य की भी जानकारी है कि कोरिया गणराज्य का लक्ष्य नई दक्षिण नीति के जरिये भारत के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करना है।’
रक्षा मंत्री ने इस अवसर पर इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) के चंद्रयान-2 मिशन को लेकर अपनी प्रसन्नता भी जाहिर की, जो चांद की सतह पर उतरने जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि भारत की तकनीकी विशेषज्ञता, वैज्ञानिक एवं तकनीकी समुदाय की क्षमता को अभिव्यक्त करते हुए बताती है कि यह देश ऐसा कर सकता है। उन्होंने कहा कि यह किसी भी देश की अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा की गई सबसे किफायती उड़ान है।
श्री राजनाथ सिंह ने अपनी बात यह कहते हुए समाप्त की कि उनका कोरिया गणराज्य का दौरा अत्यधिक संतोषजनक रहा है। उन्होंने भरोसा जताया कि उनका दौरा भारत और कोरिया गणराज्य के बीच रक्षा सहयोग के क्षेत्र में संबंधों को और मजबूती देगा।