रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने भारतीय तटरक्षक पोत ‘वराह’ का जलावतरण किया; तटीय सुरक्षा और अधिक मजबूत होगी

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने भारतीय तटरक्षक पोत ‘वराह’ का जलावतरण किया; तटीय सुरक्षा और अधिक मजबूत होगी

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने राष्‍ट्रीय सुरक्षा का साझा लक्ष्‍य प्राप्‍त करने के लिए तटीय सुरक्षा में जुटी सभी एजेंसियों और हितधारकों के बीच सक्रिय सामंजस्‍य स्‍थापित करने का आह्वान किया है। श्री राजनाथ सिंह आज चेन्‍नई में भारतीय तटरक्षक पोत (आईसीजीएस) ‘वराह’ के जलावतरण समारोह में उपस्थित लोगों को संबोधित कर रहे थे। रक्षा मंत्री ने विश्‍वास जताया कि आईसीजीएस ‘वराह’ समुद्री आतंकवाद के खतरों, तस्‍करी और समुद्री कानून को लागू करने के मार्ग में मौजूद चुनौतियों से निपटने में संलग्‍न तटरक्षक बेड़े को और अधिक मजबूत करेगा। उन्‍होंने उम्‍मीद जताई कि आईसीजीएस ‘वराह’ से भारतीय तटरक्षक की निगरानी एवं गश्‍ती क्षमताएं बढ़ेंगी और ‘हमारे समुद्र के प्रहरी’ के रूप में उसकी भूमिका और भी महत्‍वपूर्ण हो जाएगी।  

रक्षा मंत्री ने ‘क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास (सागर)’ से संबंधित प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के विजन पर प्रकाश डालते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि एक जिम्‍मेदार समुद्री ताकत होने के नाते समुद्र भी सरकार की अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण नीतिगत प्राथमिकताओं में शामिल है।

रक्षा मंत्री ने आईसीजीएस ‘वराह’ को उद्योग जगत के साथ गठबंधन और ‘मेक इन इंडिया’ का एक उत्‍कृष्‍ट उदाहरण बताया, जिसके तहत लार्सन एंड टूब्रो (एलएंडटी) शिपबिल्डिंग ने हमारी समुद्र आधारित परिसंपत्तियों के उत्‍पादन और रख-रखाव में अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई है।

श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि ‘वराह’ नाम पुराण से लिया गया है, जो भगवान विष्‍णु के अवतार थे और जिन्‍होंने धरती माता की रक्षा के लिए जंगली सुअर का रूप धारण कर अपने दांतों के जरिए पृथ्‍वी को समुद्र से सुरक्षित बाहर निकाला था। उन्‍होंने कहा कि यह किवंदती हमें धरती माता की रक्षा करने से जुड़े बलिदान एवं मुक्ति के सिद्धांत का स्‍मरण कराती है।

रक्षा मंत्री ने पर्याप्‍त संख्‍या में वाणिज्यिक जहाजों और युद्ध पोतों दोनों ही तरह की विश्‍वस्‍तरीय परिसंपत्तियों की उपलब्‍धता सुनिश्चित करने की आवश्‍यकता पर भी बल दिया, ताकि समुद्री क्षेत्र में वर्चस्‍व संभव हो सके। उन्‍होंने कहा कि एक मजबूत एवं जीवंत जहाज निर्माण उद्योग को सुनिश्चित किए बगैर पर्याप्‍त संख्‍या में इनकी उपलब्‍धता सुनिश्चित करना संभव नहीं है।

रक्षा मंत्री ने कहा कि विशाल बेड़ों को खरीदा नहीं जा सकता, उनका निर्माण सुनिश्चित करना होगा।

जहाज निर्माण प्रौद्योगिकी के स्‍वदेशीकरण में निजी कंपनियों द्वारा निभाई गई महत्‍वपूर्ण भूमिका की सराहना करते हुए श्री राजनाथ सिंह ने उनसे उत्‍कृष्‍ट मानदंडों वाले नौसेना उपकरणों को विकसित करने का अनुरोध किया।

रक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार ने युद्धपोत-निर्माण के विशिष्‍ट क्षेत्र में प्रवेश करने के लिए निजी यार्डों सहित अन्‍य शिपयार्डों को प्रोत्‍साहित करने का निर्णय लिया है। उन्‍होंने इस बारे में मिली प्रतिक्रिया को अत्‍यंत उत्‍साहवर्धक बताया।

रक्षा मंत्री ने कहा कि विश्‍व भर में ऐसे कुछ ही देश हैं जिनके पास फास्‍ट अटैक क्राफ्ट से लेकर विमान वाहक युद्धपोतों का निर्माण करने की क्षमता है।

श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि ‘मेक इन इंडिया’ के सरकारी विजन पर अमल करते हुए एक मार्गदर्शक दस्‍तावेज के रूप में ‘भारतीय नौसेना स्‍वदेशीकरण योजना 2015-2030’ तैयार की गई है। उन्‍होंने कहा कि दस्‍तावेज का उद्देश्‍य अगले 15 वर्षों के दौरान विभिन्‍न उपकरणों और प्रणालियों का स्‍वदेशी विकास सुनिश्चित करना है।

रक्षा मंत्री ने ‘स्‍वच्‍छ भारत अभियान’ की तर्ज पर चलाए जा रहे भारतीय तटरक्षक के ‘स्‍वच्‍छ सागर अभियान’ की सराहना करते हुए कहा कि स्‍वच्‍छ समुद्र भारत की आर्थिक समृद्धि और स्थिरता के लिए अत्‍यंत आवश्‍यक है। उन्‍होंने कहा कि आईसीजीएस ‘वराह’ प्रदूषण नियंत्रण उपकरणों को ले जाने में सक्षम है। उन्‍होंने आईसीजी की विभिन्‍न पहलों की भी सराहना की। इनमें सामुदायिक संवाद कार्यक्रमों और मछुआरों के लिए सुरक्षा जागरूकता अभियानों के साथ-साथ उन्‍हें राष्‍ट्रीय प्रयोजन के लिए ‘आंख-कान’ बनाए जाने की पहल भी शामिल हैं।

इससे पहले, आईसीजीएस ‘वराह’ को तटरक्षक बेड़े में शामिल किया गया। अत्‍याधुनिक अपतटीय गश्‍ती पोत आईसीजीएस ‘वराह’ उन सात पोतों में चौथा पोत है, जिन्‍हें एलएंडटी द्वारा उपलब्‍ध कराया जाएगा। यह अत्‍याधुनिक नौवहन, संचार सेंसर और मशीनरी से लैस है। इसका संचालन विशिष्‍ट आर्थिक जोन से लेकर कन्‍याकुमारी तक को कवर करने वाले पश्चिमी तट पर स्थित न्‍यू मंगलोर बंदरगाह से किया जाएगा।

आईसीजीएस ‘वराह’ हिंदुस्‍तान एयरोनॉटिक्‍स लिमिटेड (एचएएल) द्वारा स्‍वदेश में विकसित उन्‍नत हल्‍के हेलिकॉप्‍टर का संचालन करने में सक्षम है। यह पोत अत्‍यंत तेज गति से चलने वाली नौकाओं, चिकित्‍सा सुविधाओं और आधुनिक निगरानी प्रणालियों से लैस है।

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने आईसीजीएस ‘वराह’ से भ्रमण भी किया। आईसीजी के महानिदेशक श्री के. नटराजन ने श्री राजनाथ सिंह को इस पोत की विशेषताओं से अवगत कराया।