रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने आत्म-निर्भरता हासिल करने के लिए रक्षा में और अधिक अनुसंधान एवं विकास प्रयास करने का आह्वान किया

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने आत्म-निर्भरता हासिल करने के लिए रक्षा में और अधिक अनुसंधान एवं विकास प्रयास करने का आह्वान किया

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने आज कहा कि रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने के लिए भारत को अधिक अनुसंधान, विकास, नवोन्‍मेष और आधुनिक तकनीक की आवश्यकता है। श्री राजनाथ सिंह ने बेंगलुरु में इंजीनियर्स कॉन्क्लेव 2019 के 7 वें संस्करण का उद्घाटन करते हुए यह बात कही। इस वर्ष की बैठक दो विषयों पर आधारित है, ‘ रक्षा टेक्नोलॉजी और नवोन्‍मेष’ और ‘डिजिटल टेक्नोलॉजी के इस्‍तेमाल से ग्रामीण भारत में परिवर्तन’।

रक्षा मंत्री ने कहा कि भारतीय रक्षा उद्योग ने अतीत में अपनी पूरी क्षमता का प्रदर्शन नहीं किया है जिसके कारण आयातित हथियारों पर देश की निर्भरता बढ़ गई। उन्होंने जोर देकर कहा कि महत्वपूर्ण और आधुनिक प्रौद्योगिकी को देश में ही विकसित करने से देश आत्मनिर्भर बनेगा, जिससे बहुमूल्‍य विदेशी मुद्रा की बचत होगी, जिसका उपयोग देश में अन्य विकास कार्यों में किया जा सकता है। उन्होंने निरंतर होने वाले नव परिवर्तन को किसी भी राष्ट्र के लिए सफलता की कुंजी बताया, उन्‍होंने कहा कि तेज गति से हर बी‍तते हुए दिन के साथ प्रौद्योगिकी पुरानी हो जाती है।

श्री राजनाथ सिंह ने कहा, “यह पूरी तरह सही है कि जब देश युद्ध पर जाते हैं, तो वही विजयी होता है जिसके पास सबसे अच्छी तकनीक होती है।”

रक्षा में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की आवश्यकता पर जोर देते हुए, श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि एआई भविष्य में सैन्य संचालन के तरीके में महत्वपूर्ण बदलाव लाने में सक्षम है। उन्होंने कहा कि भारत को रक्षा में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग की एक महत्वपूर्ण शक्ति बनाने के लिए सरकार ने एक रोडमैप तैयार किया है।

रक्षा क्षेत्र में प्रौद्योगिकी और नवोन्मेष पर जोर दिया गया है क्योंकि आम जनता को इसका बहुत बड़ा लाभ है।

इस दिशा में सरकार द्वारा शुरू की गई पहलों को सूचीबद्ध करते हुए, श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सूक्ष्‍म, लघु और मध्‍यम उद्योग, स्टार्ट अप, व्यक्तिगत अन्‍वेषक और अनुसंधान और विकास संस्थानों सहित उद्योगों द्वारा रक्षा और एयरोस्पेस में नवाचार और प्रौद्योगिकी विकास को बढ़ावा देने के लिए इनोवेशन फॉर डिफेंस एक्सीलेंस (आईडीईएक्‍स) योजना शुरू की गई है। नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए, उन्होंने कहा, ‘मेक इन इंडिया’ पहल ने यह सुनिश्चित किया है कि एमएसएमई और स्टार्ट-अप कंपनियों को अवसर दिए जा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘स्टार्ट-अप इंडिया’ नए विचारों को आला तकनीक में बदलने और उसके उपयोग के लिए एक मंच प्रदान कर रहा है।

भारत को 2024 तक पाँच ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर और बाद में 2030 तक 10 ट्रिलियन अमरीकी डालर की अर्थव्यवस्था बनाने के सरकार के संकल्प को दोहराते हुए, रक्षा मंत्री ने कहा कि रक्षा प्रमुख क्षेत्र है जिसे विकास के इस स्तर की प्राप्ति में महत्वपूर्ण योगदान देना है। उन्होंने 2025 तक एयरोस्पेस और रक्षा वस्तुओं और सेवाओं में 26 बिलियन अमरीकी डालर का कारोबार हासिल करने की उम्मीद जताई, जिससे लगभग 2-3 मिलियन लोगों को रोजगार मिलेगा।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और केंद्रीय कृषि मंत्री के रूप में अपने पिछले कार्यकाल में  ‘डिजिटल प्रौद्योगिकी के इस्‍तेमाल से ग्रामीण भारत में परिवर्तन’ के बारे में उन्‍होंने कहा कि  उन्होंने हमेशा यह सुनिश्चित करने की कोशिश की कि सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों को ग्रामीण भारत की चिंताओं को ध्यान में रखकर प्रतिपादित किया जाए। उन्होंने कहा कि भारत के समग्र विकास के लिए गांवों का परिवर्तन बुनियादी आवश्यकता है।

रक्षा मंत्री ने ग्रामीण भारत में रहने वाले किसानों और लोगों के जीवन को बदलने के लिए सरकार के संकल्प को एक बार फिर दोहराया। उन्होंने कहा कि इस परिवर्तन को लाने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने जन-धन, आधार और मोबाइल (जेएएम) की त्रिमूर्ति पर सही तरीके से जोर दिया।

उद्घाटन समारोह में रक्षा विभाग, अनुसंधान और विकास के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. जी सतीश रेड्डी, इंडियन नेशनल एकेडमी ऑफ इंजीनियरिंग (आईएनएई) के अध्यक्ष  डॉ. सनक मिश्रा, और डीआरडीओ, इसरो, डीपीएसयू के अन्‍य अधिकारियों, शिक्षाविदों और उद्योगों के अधिकारी मौजूद थे। ।

‘इंजीनियर्स कॉन्क्लेव’ आईएनएई ने सार्वजनिक क्षेत्र के नवरत्‍न रक्षा उपक्रम भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बेल) के सहयोग से 19-21 सितंबर, 2019 तक भारत इलेक्ट्रॉनिक्स अकादमी फॉर एक्सीलेंस (बीएई), बेंगलुरु में आयोजित किया है।