रक्षामंत्री ने भारत-प्रशांत क्षेत्र में ‘सागर-क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास’ की भारतीय नीति पर बल दिया
कोरियाई प्रायद्वीप में शांति और स्थिरता के लिए भारत का समर्थन व्यक्त किया
रक्षामंत्री श्री राजनाथ सिंह ने आतंकवाद के दोषियों को नियंत्रित करने के लिए सामूहिक अंतर्राष्ट्रीय कार्रवाई का आह्वान किया। उन्होंने कि आतंकवाद को समर्थन और वित्तीय मदद देनेवालों तथा आंतकियों को आश्रय देने वालों के विरूद्ध कठोर कदम उठाये जाने चाहिए।
रक्षामंत्री कोरिया गणराज्य की अपनी यात्रा के दौरान ‘सोल रक्षा संवाद 2019’ में मुख्य भाषण दे रहे थे। उन्होंने कहा कि विश्व आज अनेक सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहा है और इनमेंआतंकवाद सबसे गंभीर चुनौती है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद से विश्व का कोई देश सुरक्षित नहीं है। उन्होंने कहा कि और भारत संयुक्त राष्ट्र तथा अन्य मंचों पर आतंकवाद के विरूद्ध द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक सहयोग के लिए सक्रिय भूमिका निभा रहा है।
श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि विश्व राजनीति आज कठिन दौर से गुजर रही है और इससे अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को वैश्विक तथा क्षेत्रीय चुनौतियां पैदा हो रही हैं। उन्होंने कहा कि नई और उभरती टेक्नालॉजी ने क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा माहौल पर प्रभाव डाला है। उन्होंने कहा कि हमारा क्षेत्र आतंकवाद, तनाव, पारदेशीय अपराध, समुद्री खतरों जैसी अन्य परंपरागत और गैर-पारंपरिक सुरक्षा खतरों का सामना कर रहा है। इसके अलावा ऊर्जा की कमी एक-दूसरे क्षेत्र में व्यापार में कमी और कनेक्टिविटी के अभाव सहित सतत विकास की चुनौतियां हैं।
श्री राजनाथ सिंह ने कोरियाई प्रायद्वीप में शांति और स्थिरता के लिए भारत का समर्थन व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि हमारी समृद्धि और सुरक्षा आवश्यकताओं के लिए भारत-प्रशांत क्षेत्रमें नियम आधारित समान व्यवस्था होनी चाहिए।उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था का आधार स्तम्भ, सम्प्रभुता, प्रादेशिक अखंडता और सभी देशों की समानता होनी चाहिए।
रक्षामंत्री ने कहा कि ‘सागर- क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास’ के सिद्धांत के आधार पर भारत ने भारत प्रशांत क्षेत्र में सहयोग को मजबूत बनाया है। उन्होंने कहा कि यह सिद्धांत भारत प्रशांत क्षेत्र के लिए भारतीय दृष्टिकोण का मूल है।