नेताओं की कथनी और करनी में अंतर: राजनाथ

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भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने कहा है कि नेताओं और राजनीतिक दलों को यह समझना होगा कि उनका उद्देश्य सिर्फ सरकार बनाना नहीं बल्कि समाज और देश को सुदृढ़ बनाना होना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के बाद राजनीतिक दलों और नेताओं ने जितने वादे जनता से किए हैं उन पर यदि आंशिक रूप से भी काम किया जाता तो आज भारत सुपर पावर होता। भाजपा अध्यक्ष ने दिल्ली विश्वविद्यालय के विधि संकाय में सुशासन पर आयोजित व्याख्यान कार्यक्रम में उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा कि सत्ता की बागडोर जिसके हाथ में है, उस पर यदि जनता विश्वास करे तो समझिए यह सुशासन है। उन्होंने कहा कि दृष्टि, जुनून और मिशन सुशासन के पहिये हैं। सुशासन के मुद्दे पर राजनाथ सिंह ने कहा कि वर्तमान समय में नेताओं की कथनी और करनी में काफी अंतर है। कार्यक्रम में राजनाथ सिंह जब छात्रों से कोई भी प्रश्न पूछते तो सभी छात्र जवाब में एक स्वर में मोदी का नाम लेते। मसलन, भाजपा अध्यक्ष ने छात्रों से पूछा कि सबसे अच्छा शासक कौन है तो छात्रों ने जवाब दिया मोदी। इसी तरह पड़ोसी देशों से रिश्ते अच्छे के लिए बेहतर राजनेता कौन और देश का सबसे विश्वसनीय नेता कौन के सवाल के जवाब में छात्रों ने मोदी का नाम लिया। इस पर राजनाथ ने कहा कि मोदी का जलवा यहां भी है। राजनाथ सिंह ने कहा कि आज का युवा स्वाभिमान और रोजगार चाहता है न कि बेराजगारी भत्ता। लोकपाल बिल पर भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि इससे भ्रष्टाचार पर पूरी तरह अंकुश लग जाएगा यह दावा नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सुशासन के लिए कभी कड़े कदम भी उठाने पड़ें तो सरकारों को पीछे नहीं हटना चाहिए। भाजपा अध्यक्ष ने शिक्षा मंत्री रहते हुए यूपी में नकल विरोधी कानून पास कराने के अपने अनुभव को भी छात्रों से साझा किया। कार्यक्रम में लॉ फैकल्टी के डीन अश्वनी कुमार बंसल समेत विधि संकाय के अन्य पदाधिकारियों ने हिस्सा लिया।

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