कर्नाटक में भाजपा के लिए चुनौती बने पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येद्दयुरप्पा के प्रभाव को चारों ओर से सीमित करने की कोशिश शुरू हो गई है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने भी राज्य के दो दिवसीय चुनावी दौरे पर कोई विकल्प नहीं छोड़ा। सद्भावना का कार्ड खेला, तो हाई सिक्योरिटी घेरा तोड़कर मतदाताओं से सीधे संवाद और संबंध बनाने से भी नहीं चूके। कर्नाटक में शिमोगा वह जिला है जो यूं तो भाजपा का गढ़ माना जाता है, लेकिन हाल के स्थानीय निकाय चुनाव में येद्दयुरप्पा ने पार्टी की फजीहत करा दी थी। येद्दयुरप्पा का यहां जबरदस्त प्रभाव है। चुनावी दौरे पर राजनाथ शिमोगा के सागर पहुंचे, तो परिस्थिति ने उनके लिए अनुकूल माहौल बना दिया। सागर विधानसभा के ही एक मैदान में तीन-चार विधानसभा क्षेत्रों के मतदाता बड़ी संख्या में मौजूद थे। उस वक्त मंच पर बैठे स्थानीय नेताओं के लिए असहज स्थिति हो गई जब राजनाथ बोलने खड़े हुए और कुछ खराबी के कारण माइक बंद हो गया। राजनाथ ने बिना देर लगाए स्थानीय उम्मीदवार का हाथ पकड़ा और नीचे उतर गए। कई नेताओं के लिए असमंजस की स्थिति थी। शायद कुछ नेताओं का मानना था कि राजनाथ नाराज हो गए, लेकिन वह उतरे और सिक्योरिटी को पीछे छोड़ते हुए जनता के बीच पहुंच गए। फिर तो हाथ मिलाने वालों की भीड़ उमड़ पड़ी। दस मिनट के बाद जब वह वापस मंच पर आए तो उम्मीदवार गदगद था। उन्हें भरोसा था कि येद्दयुरप्पा के इस गढ़ में अब उनकी जीत पक्की है। जो काम भाषण नहीं करता वह व्यक्तिगत संवाद और स्पर्श ने कर दिया था। शायद यही कारण था कि कइयों को हिंदी अच्छी तरह समझ नहीं आ रही थी फिर भी वे हर बयान पर ताली बजाने से नहीं चूके।