सेनाओं के शौर्य के पीछे जो शक्तियाँ कार्य करती हैं, उनमें रक्षा लेखा विभाग की भी महत्वपूर्ण भूमिका है- रक्षा मंत्री

Text of RM’s speech at the Defence Accounts Department’s 278th Foundation Day.

 

आज, रक्षा लेखा विभाग के, 278वें स्थापना दिवस पर, आप सबके बीच आकर, मुझे बड़ी ख़ुशी हो रही है। मैं आप सभी को, इस महत्वपूर्ण दिन पर, बधाई और शुभकामनाएं देता हूं।

साथियों, आज का जो दिन है, यह इस विभाग के, स्थापना दिवस होने के कारण, बहुत बड़ा दिन है। यह दिन, हमें इस बात के लिए भी प्रेरित करता है, कि हम अतीत के अपने कार्यों का आकलन करें, और भविष्य के लिए कुछ योजनाएं बनाएं।

जैसा कि हम सब जानते हैं, Defence account department, हमारी Armed Forces और allied organisations के, financial management में बड़ी भूमिका निभाता है। Department द्वारा प्रदान की गई financial advice, आपके द्वारा किया गया audit, accounting और budget management, एक तरफ तो Defence Services की financial health को ensure करती हैं, तो वहीं दूसरी तरफ, आप लोग operational readiness को भी ensure करते हैं। जाहिर सी बात है, ये सारी चीज़े करते हुए, efficiency और transparency बनाए रखना भी बहुत जरूरी होता है। इस efficiency और transparency के लिए, information technology एक बड़ी enabler की भूमिका निभा सकती है।

Defence account department ने, information technology जैसी modern approach को अपनाने में, हमेशा ही तत्परता दिखाई है। मुझे बताया गया है, कि Digital India अभियान के तहत, ई-रक्षा आवास परियोजना का व्यापक स्तर पर प्रयोग किया गया है। इसके अलावा, NIDHI 1.0 को, NIDHI 2.0 में अपग्रेड कर दिया गया है, और TULIP 1.0 को, TULIP 2.0 में अपग्रेड करने की प्रक्रिया जारी है, जिसे शीघ्र ही पूरा कर लिया जाएगा। विभाग द्वारा “ज्ञान साथी” नामक एक Al chatbot भी, in-house ही develop किया गया है, जिससे documents की सटीक जानकारी मिलेगी। इन तमाम progressive reforms के लिए, मैं DAD को बधाई देता हूँ।

साथियों, किसी भी राष्ट्र की financial foundation कितनी मज़बूत है, उससे उस राष्ट्र की मज़बूती दिखती है। Finance किसी भी देश की जीवनरेखा होती है। जिस प्रकार हमारे शरीर में रक्त का संचार निरंतर बना रहना चाहिए, उसी प्रकार राष्ट्र की governance, और उसकी defence machinery को सुचारु रूप से चलाने के लिए, financial flow भी बहुत अनिवार्य है। रक्षा क्षेत्र के संदर्भ में, इस financial flow को बनाए रखने का काम आप सभी द्वारा किया जाता है।

मुझे बताया गया, कि कल तक, यानी 30 सितंबर तक, Capital Budget का 50% Expenditure book कर लिया गया है। मैं इस उपलब्धि के लिए Defence secretary, Financial advisor Defence Services, और आपकी team को बधाई देता हूँ। यह निश्चित ही एक अच्छा Sign है, और इसके लिए आप सभी बधाई के पात्र हैं। जिस तरीके से पिछले Financial Year में, इस Budget का 100% Utilization आप सभी ने Ensure किया है, मुझे पूरा विश्वास है कि इस Financial Year में भी आप लोग, पूरी कुशलता के साथ यह कार्य कर सकेंगे।

भारत सरकार ने, अभी हाल ही में, एक progressive step लेते हुए, GST rates को improvise किया है, उसमें revision किया है, जिसका procurements पर भी direct impact पड़ना तय है। यह हमारे लिए बहुत अच्छी बात है। चीज़ों के rates कम होने से, अधिक से अधिक procurements सम्भव हो सकेगा। आप लोग, सभी services, और acquisition wing के साथ मिलकर यह ensure करिए, कि इस reform के बाद, जो भी extra राशि हमारे पास बचती है, उसका अधिक से अधिक utilization आप लोग कर सकें।

साथियों, DAD एक accounting organisation के साथ-साथ, राष्ट्र की economic cycle को सुचारु रूप से बनाए रखने वाला,  एक ऐसा enabler है, जो यह ensure करता है, कि budget allocation से लेकर final expenditure तक की हर प्रक्रिया stable और transparent हों। finance और national security का आपस में बहुत गहरा संबंध है। Financial discipline के बिना किसी भी सैन्य शक्ति को sustain नहीं किया जा सकता। चाहे हमारी सेना कितनी भी सक्षम क्यों न हो, यदि समय पर उनके लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध नहीं होंगे, तो उनकी क्षमता पर opposite प्रभाव पड़ सकता है। DAD वह अदृश्य सेतु है, जो finance और force को जोड़ता है।  मुझे विश्वास है, कि आप सभी इस ज़िम्मेदारी को आगे भी इसी तरह से निभाते रहेंगे, तथा इसी dedication और commitment के साथ राष्ट्र की सेवा करते रहेंगे।

साथियों, Operation Sindoor में पूरी दुनिया ने देखा, कि किस तरह से हमारी सेनाओं ने एक ऐतिहासिक और निर्णायक जीत हासिल की। हमने अपनी सेनाओं का शौर्य देखा, उनका पराक्रम देखा। लेकिन हमारी सेनाओं के शौर्य के पीछे जो powers होती हैं, उनमें DAD का एक बड़ा role है। Peace time में तो pensions और welfare schemes में आपकी भूमिका तो रहती ही है, लेकिन war time में भी आपलोग resources के utilization में, तथा war preparedness में जो भूमिका निभाते हैं, उसके लिए आप बधाई के पात्र हैं।

जहां तक मुझे याद है, मैं लगभग हर वर्ष आपके स्थापना दिवस पर, आप सब के बीच आता रहता हूं, आप सब से मिलता हूं, आप सब से बातचीत करता हूं। मेरा यह प्रयास रहता है, कि जब भी मैं आपसे मिलूं, तो आपके विचार सुनूं और कुछ अपने विचार भी रखूँ। मुझे याद आ रहा है, कि मैंने पिछले वर्षों में कभी performance audit की बात की है, कभी market intelligence की बात की है, कभी faceless transactions की बात की है, तो कभी इससे आगे बढ़कर हमारे Defence budget को, Economics के एक branch के रूप में study करने की बात की है।

मैं जानता हूँ, इनमें से कई सुझावों पर अपने काम किया है, और कई सुझावों पर आप काम कर भी रहे हैं। इसी क्रम में, मैं आपसे आज कुछ और बातें भी करना चाहूंगा, और साथ ही यह चाहूँगा भी, कि जहां तक संभव हो, आप उन सुझावों के ऊपर विचार करेंगे।

साथियों, जिस तरह से हमारे आसपास चीज़ें बदल रही हैं, उसे देखते हुए रक्षा के क्षेत्र में हमारी requirements भी बड़ी तेजी से बढ़ रही हैं। इसलिए रक्षा बजट का भी, लगातार विस्तार हो रहा है। आज प्रतिवर्ष, चाहे वह acquisition का budget हो, या फिर sustenance का, या फिर pay, allowances या pension का, इन सब में हमें लगातार बढ़ोतरी देखने को मिल रही है, और जाहिर सी बात है, यह बढ़ोतरी आगे भी जारी ही रहेगी।

इसके साथ ही यह भी स्वाभाविक है, कि जब हमारा बजट बढ़ेगा, तो आपका काम भी बढ़ेगा। वह अपने आप में एक चुनौती है। इस चुनौती के अलावा, रक्षा मंत्रालय में, Year of Reforms के अंतर्गत, जो नए बदलाव आ रहे हैं, जो Defence account से related हैं, वह बदलाव भी आपके सामने एक चुनौती की तरह खड़े हैं।

इसका एक उदाहरण, मैं आपको देना चाहूंगा। बीते वर्षों में हमने research and development में, अच्छा-खासा investment किया है। लेकिन यह भी एक सच्चाई है, कि research and development से जुड़े हुए investment का, जो return होता है, वह अपने आप में बड़ा uncertain होता है। कई बार आप जो investment करते हैं, उसका direct return आपको मिल जाता है, और कई बार उसका return कुछ नहीं मिलता। यह बातें सिर्फ Defence sector पर ही लागू नहीं होती, बल्कि किसी भी क्षेत्र में आप research and development करेंगे, तो उसका क्या return आपको मिलेगा, यह लगभग uncertain ही होता है।

दूसरी तरफ, जिस तरह से Modern Warfare आज, Technology oriented होता जा रहा है, वह अविश्वसनीय है। आज के युद्ध में नई-नई प्रकार की technologies ने, बड़े स्तर पर एक surprise element के रूप में काम किया है। यह हमारे लिए भी एक concerning situation पैदा कर सकती है। क्योंकि यह तो जाहिर सी बात है, कि आज के time पर जो modern technology इस warfare में use हो रही है, वह research and development पर ही based है। वर्षों की research के बाद उन technologies को develop किया गया है। इसलिए research and development को तो, ignore किया ही नहीं जा सकता।

हमारे यहां भी स्थितियां ऐसी ही है। i-DEX हो, technology development fund हो, या फिर DRDO के projects हों, इन सबके माध्यम से हम technology development के लिए ही, dedicated रूप से काम कर रहे हैं। कहना मैं यह चाहता हूं, कि आज के समय में research and development की जो need है, उसको देखते हुए DAD के पास एक बड़ा challenge यह है, कि किस प्रकार से वह budgetary equation को बरकरार रखते हुए, research and development की funding को भी facilitate करे। वैसे तो आप सब, इस दिशा में पहले से ही काम कर रहे हैं, लेकिन आज मैं यह इसलिए बोल रहा हूं, क्योंकि अब यह समय की मांग है, कि हम भारत में एक ऐसा innovative ecosystem तैयार करें, जो research and development based technology को, हमारे Defence sector में बढ़ावा दे। मेरा मानना है, कि as a custodian of defence budget, आप सभी का role बहुत important है। इसलिए आप R&D को facilitate करने की दिशा में भी, जरूर विचार-विमर्श करें।

साथियों, अभी कल ही मैंने, Tri-services seminar में, तीनों सेनाओं के बीच Jointness, और Integration को लेकर, हमारी सेनाओं और रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों से बातचीत की। आज मैं Defence Accounts Department के इस महत्वपूर्ण Event में उपस्थित हूं, तो Jointness को लेकर, मैं आप लोगों के सामने भी अपनी कुछ अपेक्षाएं रखना चाहता हूं। Defense Accounts Department, एक ऐसा Department है, जिसकी पहुंच, तीनों services के, Field Level Formation से लेकर Head Quarters Level तक है। तीनों सेनाओं की requirements को, आप भलिभांति समझते हैंI

ऐसे में आप लोग इस बात पर विचार करिए, कि जब हमारी तीनों सेनाएं अपनी पूरी क्षमता के साथ Jointness और Integration की ओर आगे बढ़ रही हैं, तो उसमें Defense Accounts Department की क्या भूमिका हो सकती है। इसके लिए आप सभी, हमारी Services के साथ बैठकर, विचार-विमर्श करें और यह देखें, कि आप लोग Tri-services के बीच Jointness, और Integration को, कितना Facilitate कर सकते हैं। यह हमारी Tri-services के jointness, और integration में अच्छे results दे सकता है, ऐसा मेरा विश्वास है।

साथियों, जैसा कि आप सभी को मालूम है, कि National Security Environment बहुत ही dynamic है। इस security environment में ज़रूरतें बहुत तेजी से बदलती हैं, और नई ज़रूरतें पैदा होती हैं। इसलिए यह जरूरी हो जाता है कि, defence procurement चाहे वह capital procurement हो, या revenue procurement हो, वह तेजी से हो।

मैंने defence procurement को लेकर कई सारी meetings ली हैं। नए Defence Procurement Manual 2025 को भी launch किया गया है। यह revenue procurement में तेजी लाने के साथ-साथ, आत्मनिर्भरता और defence R&D को भी promote करेगा।

इसी तरह से, capital procurement में भी तेजी लाने के लिए, DAP review का कार्य तेजी से चल रहा हैI कार्य किया जा रहा है। लेकिन, मैं समझता हूं कि सिर्फ document में revision करने से, procurement में तेजी नहीं आएगी। हम सभी को एक sense of urgency के साथ काम करना पड़ेगा। यह सब बातें मैं यहाँ इसलिए कह रहा हूँ, कि पिछले कुछ समय में, हमें Emergency procurement की जरूरत पड़ी है। ऐसे में आप लोग यह देखें, और जहाँ जरूरत हो, services एवं acquisition wing के साथ बैठकर विचार-विमर्श करें, और provisions को इस तरह stremline करें, कि आने वाले समय में, Emergency procurement की जरूरत ही न पड़ेI

साथियों, एक और बात मैं यहाँ कहना चाहूँगा। मेरे सुझाव पर CGDA ने दो Market Intelligence Reports जारी कीं। इन reports में, GeM procurements के base पर, रक्षा बजट के आर्थिक प्रभाव का आकलन किया गया है। यह एक अच्छी शुरुआत है। मेरा मानना है, कि ‘SAMPURNA’ के लागू होने के बाद, यह आर्थिक विश्लेषण, और भी व्यापक, और real time basis पर, एक automated system के ज़रिए किया जाएगा।

हाल ही में हुई Controller’s Conference में, मैंने एक vision document जारी किया था। इसमें, Defence Finance and Economics के क्षेत्र में, DAD को एक Centre of Excellence की तरह, खुद को स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया था। इसलिए, मेरा यह सुझाव है, कि CGDA, रक्षा बजट से जुड़े defence finance, और economics से संबंधित एक sectoral report तैयार करे, जिसे भारत के Economic Survey में शामिल किया जा सके।

चूंकि Defence Accounts Department को, ‘Centre of Excellence for Defence Finance and Economics’ बनाने का vision document पहले ही जारी किया जा चुका है, इसलिए मैं चाहूँगा, कि CGDA इसका एक पूरी Action Plan तैयार करें, ताकि इस vision document को, सही मायनों में लागू किया जा सके।

साथियों, मैं देख पा रहा हूँ, कि यहां बहुत से नए IDAS बैठे हुए हैं। मैं समझता हूं, आपका ज्यादातर काम Office में ही रहता है। मुझे लगता है, कि आपको सिर्फ Offices में बैठकर ही Financial Rules को नहीं देखना चाहिए, बल्कि आप यह भी देखें, कि वे Financial Rules कहां Apply होते हैं, किन Soldiers के लिए Apply होते हैं, और किस Border की Security के लिए Apply होते हैं। वहां पर भी, यानी Ground पर जाकर आप चीजों को देखें। आप देखें कि हमारे soldiers कितनी कठिन परिस्थितियों में काम करते हैं। इससे आपको, अपनी Financial Advice देते समय, Ground Situation और Market Environment की भी Awareness रहेगी, और आपके Financial Work का Impact और ज्यादा रहेगा।

साथियों, मैं भली-भांति जानता हूँ, कि आप सभी जिस क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं, वह बड़ा complex है। आपका कार्य एक ऐसी जिम्मेदारी है, जो सीधे-सीधे हमारी national security और हमारे सैनिकों के मनोबल से जुड़ी हुई है। कई बार परिस्थितियाँ ऐसी हो जाती हैं, जब आपको एक ही समय में दो बिलकुल अलग-अलग जिम्मेदारियों का निर्वहन करना पड़ता है।

एक ओर आपको financial rules and regulations का सख्ती से पालन करना होता है। यह आवश्यक भी है, क्योंकि राष्ट्र की संपत्ति का हर एक पैसा जनता की गाढ़ी कमाई का है, और उसका सही-सही उपयोग सुनिश्चित करना, हमारी जवाबदेही है। वहीं दूसरी ओर, operational readiness, यानी हमारी सेनाओं की तत्परता, और उनकी capability को बढ़ाते रहना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।

कभी-कभी यह दोनों बातें contradictory लगती हैं। कई बार यह लग सकता है, कि rules और जिम्मेदारियों के बीच टकराव हो रहा है। लेकिन साथियों, मेरा अपना अनुभव यही कहता है, कि यह contradiction केवल ऊपरी तौर पर दिखने वाला भ्रम है।

यदि हम सही सोच और coordination के साथ काम करें, तो नियमों का पालन करते हुए भी, हमारी सेनाओं की आवश्यकताओं को समय पर पूरा किया जा सकता है। यही balance हमारे कार्य का सबसे important factor है। जब यह संतुलन साध लिया जाता है, तब चाहे कितनी भी बड़ी चुनौती क्यों न आ जाए, हम उसे न केवल पार कर सकते हैं, बल्कि उससे और मजबूत बनकर भी निकलते हैं।

साथियों, जब हम किसी भी पद पर होते हैं, तो चाहे वह छोटा हो या बड़ा, हमें अनेक प्रकार की चुनौतियों का सामना करना ही पड़ता है। कभी संसाधनों की कमी, कभी अचानक बदलती परिस्थितियाँ, कभी human errors, तो कभी external pressure, ये सभी जीवन का हिस्सा हैं।

मैं स्वयं सार्वजनिक जीवन में लगभग 50 वर्षों से हूँ। इन पाँच दशकों में, मैंने अनगिनत जिम्मेदारियों का निर्वहन किया है, कभी संगठन में, तो कभी सरकार में। मेरे इतने लंबे अनुभव की summary यही है, कि कठिनाइयाँ और चुनौतियाँ जीवन का अंग हैं। चुनौतियों से भागना, या उन्हें टालना, किसी समस्या का समाधान नहीं है। समाधान तब होता है, जब हम चुनौती का सामना सीना तानकर करें। और यह तभी संभव है, जब हमें यह स्पष्ट हो, कि हमारा अंतिम लक्ष्य यानी ultimate goal क्या है। यदि हमारा अंतिम लक्ष्य राष्ट्र की सेवा, और देशवासियों के कल्याण से जुड़ा हो, तो कोई भी कठिनाई हमें हरा नहीं सकती।

साथियों, हम सबको अपने मन में, यह बात बहुत स्पष्ट रखनी चाहिए,  कि हम जो भी काम कर रहे हैं, वह केवल “काम करने के लिए काम” न हो। यह केवल एक duty या profession न हो। यह हमारे लिए सेवा हो, साधना हो। हमें यह समझना होगा, कि हमारा हर decision, सीधे-सीधे हमारे जवानों की सुरक्षा, उनके मनोबल और हमारे राष्ट्र की शक्ति से जुड़ी है। मुझे पूरा विश्वास है, कि आपके अंदर यह भावना अवश्य होगी, कि आप राष्ट्र उत्थान में योगदान देना चाहते हैं। लेकिन मैं चाहता हूँ, कि यह भावना केवल एक sudden motivation के रूप में न रहे, बल्कि यह आपके अंदर स्थायी रूप से inculcate हो जाए।

साथियों, आखिर में, मैं केवल यही कहना चाहता हूँ, कि किसी भी राष्ट्र की शक्ति, उसकी सेनाओं के साथ-साथ, उन लोगों की निष्ठा में भी होती है, जो पर्दे के पीछे रहकर उस सेना को मजबूत करते हैं। आप लोगों की जिम्मेदारियां, और आप लोगों का importance, दोनों ही बहुत ज्यादा है। आपका काम आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को सुरक्षित करने का भी कार्य है। आपके भीतर यह विश्वास होना चाहिए, कि आप सिर्फ आज का नहीं, बल्कि आने वाले कल का भारत भी गढ़ रहे हैं।

मुझे विश्वास है, कि आज जो बातें मैंने आपसे कहीं, आज जो सुझाव मैंने आपको दिए, उन बातों पर, उन सुझावों पर, आप सब विचार विमर्श करेंगे, और उस दिशा में आगे बढ़ेंगे। आप सब ने मुझे यहां आमंत्रित किया, अपने विचार रखने का अवसर दिया, इसके लिए मैं आप सभी का आभार प्रकट करता हूं।

मैं एक बार फिर से, आप सभी को DAD के स्थापना दिवस की बधाई देता हूँ। अंत में आप सभी को, विजयादशमी और दशहरा की, ढेर सारी शुभकामनाएं देते हुए, मैं अपनी बात समाप्त करता हूं।

बहुत-बहुत धन्यवाद।