पटना की पावन धरती विचार, ज्ञान और जनक्रांति की भूमि है: रक्षा मंत्री

साथियों, बिहार की धरती पर आने के कुछ दिन पहले मुझे SCO डिफेंस मिनिस्टर्स की बैठक में भाग लेने चीन जाना पड़ा। वहाँ जो कुछ हुआ है, उसकी मीडिया के माध्यम से आपको जानकारी होगी। मगर जो बात बहुत कम लोग जानते हैं कि बैठक के दौरान वहाँ जो बैकड्रॉप लगाया गया था, उसमें इस बार नालंदा विश्वविद्यालय को सम्मिलित कराया गया था क्योंकि भारत और चीन के बीच का जो सांस्कृतिक सेतु है वह बिहार की धरती है।

इतना ही नहीं चीन के साथ जो bilateral meeting यानि द्विपक्षीय बातचीत हुई उसके बाद जो गिफ्ट एक्सचेंज हुआ उसमें मैंने चीन के रक्षा मंत्री को एक मधुबनी पेंटिंग दी थी, जिसका नाम है ‘ट्री ऑफ़ लाइफ’। उसका भी बिहार की धरती से नाता जुड़ा हुआ है। ‘ट्री ऑफ़ लाइफ’ बिहार ही नहीं, बल्कि भारत की जीवन दायिनी शक्ति, आध्यात्मिक ऊर्जा और ज्ञान शक्ति का प्रतीक है। जब मैं पटना आ रहा था तो ‘ट्री ऑफ़ लाइफ’ के बारे में सोच रहा था।

अब जब मैं आप लोगों के बीच हूँ तो मुझे साफ़ दिख रहा है कि हमारा भाजपा का जो संगठन है वह भी एक तरह का वृक्ष ही है जिसकी जड़ों को मज़बूत करने का काम हमारा परिश्रमी और दृढ़ इच्छाशक्ति वाला कार्यकर्ता ही करता है। भाजपा में हर कोई कार्यकर्ता भाव से ही काम करता है, चाहे वह किसी भी पद पर क्यों न बैठा हुआ हो। यही हमारी पार्टी की मजबूती का आधार है, जिसका परिणाम यह हुआ है कि भारतीय जनता पार्टी पूरी दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के रूप में स्थापित हो चुकी है।

साथियों, आज हम सब पटना में बिहार प्रदेश भाजपा की कार्य समिति बैठक के लिए एकत्रित हुए हैं। पटना के बारे में एक जगह ऐसा लिखा गया है कि यह नगर पृथ्वी का तिलक तथा विद्वानों की निवास-स्थली है जिसे भगवान विश्वकर्मा ने भगवान ब्रह्मा को अपना कौशल दिखाने के लिए बनाया था।

पटना की पावन धरती विचार, ज्ञान और जनक्रांति की भूमि है। यह वही पाटलिपुत्र है, जहाँ से सम्राट अशोक ने शांति और धम्म का संदेश पूरी दुनिया में पहुँचाया था। यही वह भूमि है जहाँ चाणक्य ने राजनीति और राष्ट्रनीति के शाश्वत सिद्धांत रचे, और जहाँ आर्यभट्ट ने खगोल और गणित के क्षेत्र में भारत को विश्व-गुरु बनाया। इसलिए यह भूमि केवल इतिहास की ही नहीं, भविष्य की भी निर्माता रही है।

साथियों, बिहार की कमान अभी डा. दिलीप जायसवाल जी के हाथों में दी गई है। उनकी अध्यक्षता में यह प्रदेश कार्यसमिति की पहली बैठक हो रही है। इन्होंने हमेशा कार्यकर्ता भाव से काम किया है। मैं एक बात जो यहाँ जोड़ना चाहता हूं वो यह है कि यहां मौजूद आप सभी कार्यकर्ता स्वर्णिम बिहार के निर्माता हैं। आप सिर्फ पार्टी के सदस्य मात्र नहीं हैं। आप हमारी विचारधारा के योद्धा हैं। आप बिहार निर्माण की नींव हैं।

आज, बिहार प्रदेश कार्यसमिति की यह बैठक कोई साधारण आयोजन नहीं है — यह वह क्षण है जब हम अपने महान अतीत से प्रेरणा लेकर आने वाले चुनावों की रणनीति तय करेंगे, संगठन को नई दिशा देंगे और अपने कार्यकर्ताओं के संकल्प को जन आंदोलन में बदलेंगे।

हम सब जानते हैं भाजपा का बड़े से बड़ा पदाधिकारी हो या एक निष्ठावान कार्यकर्ता, वो सिर्फ चुनावों के वक्त नहीं  सक्रिय होता हैं बल्कि वह हर दिन राष्ट्र निर्माण की साधना में लगा रहता है। और आज बिहार में यही साधना, परिवर्तन की शक्ति बनकर उभर रही है।

यह केवल एक संगठन की बैठक मात्र नहीं है, बल्कि एक संकल्प सभा है — उस संकल्प की सिद्धि के लिए जो बिहार और भारत दोनों को नई ऊँचाइयों पर ले जाने के लिए हमें लेना है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने बीते 11 वर्षों में यह सिद्ध किया है कि भारत बदल सकता है, और भारत आगे बढ़ सकता है — बशर्ते नेतृत्व सुदृढ़ हो, नीयत साफ हो, नीति स्पष्ट हो और राष्ट्र-हित सर्वोपरि रखा जाए। अब हमें यह विश्वास बिहार के हर निवासी के दिल तक पहुँचाना है — कि अगर बिहार को उसका खोया हुआ गौरव कोई शक्ति लौटा सकती है, तो वह केवल भारतीय जनता पार्टी  है। NDA है।

इस दिशा में मैं आप सभी कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों से पाँच बातें कहना चाहता हूँ:

पहला : जनता से निरंतर संवाद करें, लेकिन वो केवल भाषण नहीं, विश्वास का संवाद हो।

हर बूथ, हर मोहल्ले, हर पंचायत में जाकर मोदी जी के नेतृत्व की बात कहें, भाजपा की बात करे लेकिन उसे सिर्फ भाषण न बनाएं। उनके कामों की सफलता की बात करें। उनसे पूछें सरकार की योजनाओं के बारे में, जैसे प्रधानमंत्री आवास योजना, आयुष्मान भारत, गरीब कल्याण अन्न योजना से उनके जीवन में कैसे सकारात्मक बदलाव आया है। जब लोग अनुभव से जुड़ते हैं, तो भरोसा गहराता है।

दूसरा : बिहार के आत्मविश्वास को फिर जगाइए — अतीत के गौरव को भविष्य की प्रेरणा बनाइए। लोगों को याद दिलाइए कि यह वही धरती है जहाँ भारत का सबसे पहला गणराज्य था, जहाँ महात्मा बुद्ध और भगवान महावीर ने ज्ञान दिया। जहाँ से संविधान सभा का नेतृत्व करने वाले बाबू राजेन्द्र प्रसाद जी आए। और जहां से संविधान को बचाने वाले जयप्रकाश नारायण जी आए जिन्होंने संपूर्ण क्रांति का आह्वान किया।

तीसरा: लोगों को समझाएँ कि भाजपा केवल सरकार नहीं चलाती,  समाज निर्माण करती है। कांग्रेस और आरजेडी जैसी पार्टियाँ केवल कुर्सी पाने की लालसा से प्रेरित हैं, लेकिन भाजपा की प्रेरणा है सिर्फ और सिर्फ राष्ट्र-निर्माण। कांग्रेस और आरजेडी जैसी पार्टियों का केवल एक ही मोटिवेशन होता हैं—सत्ता में बने रहना। हम राजनीति केवल सरकार बनाने के लिए नहीं बल्कि समाज बनाने के लिए करते है।

जबकि भारतीय जनता पार्टी का उद्देश्य है भारत के हर नागरिक का गरिमामय जीवन सुनिश्चित करना। ऐसी नीतियां बनाना जिसमें हर वर्ग का विकास हो। सभी को आत्मसम्मान के साथ जीवन जीने का अधिकार सुनिश्चित हो। भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बने।

आज मोदी जी के नेतृत्व में भारत तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर बढ़ रहा है। हमें लोगों को यह अहसास दिलाना है कि बिहार भी तब तेज़ी से आगे बढ़ेगा जब राज्य और केंद्र दोनों में NDA भाजपा के विचार की मति और कार्य की गति होगी। और जब हमारे मिशन और विजन के साथ कार्य होगा।

चौथा : हर कार्यकर्ता को ‘मोदी मिशन’ का वाहक बनाइए। हमारी सरकार की उपलब्धियाँ और मोदी जी की लोकप्रियता अभूतपूर्व है, लेकिन अब हमें इन उपलब्धियों की कहानी  को हर घर तक पहुँचाना है। हर कार्यकर्ता को ‘मोदी सरकार के 11 साल की कहानी जो की जन-सेवा और राष्ट्रनिर्माण की कहानी हैं, उसे घर-घर जाकर पहुँचाना होगा। 2024 का जनादेश हमारे साथ था — अब 2025 में बिहार की जनता के सामने मोदी जी के काम और भाजपा के विचार को पूरी स्पष्टता से रखने का समय है।

पाँचवा: विपक्ष की झूठी बातों और भ्रम फैलाने की राजनीति को तथ्यों और आत्मविश्वास से जवाब दीजिए। हमें यह भावना घर-घर पहुँचानी है कि बिहार पिछड़ा नहीं है —पिछड़ा बनाया गया है।

आरजेडी और कांग्रेस फिर से विभाजन की राजनीति को हवा देंगे। लेकिन हम विकास और विश्वास की राजनीति करते हैं। इसलिए जब विपक्ष नफरत की राजनीति की बात करे तो उसका जवाब हमें सेवा की राजनीति से देना है।

जब वे बिहार को पीछे धकेलने वाली बाते करें, तो हम उज्ज्वल भविष्य का Roadmap बताएंगे। जब वो विभाजन की राजनीति करें तो हमें लोगों को जोड़ने वाली बात करनी है। जब वो बिहार के लोगों को मुद्दों से भटकाएं तो, हम शिक्षित बिहार की बात करें। हम लोगों को बताएं आत्मनिर्भर बिहार कैसे बनेगा। NDA के शासनकाल में बिहार की GDP में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। 2005 में प्रति व्यक्ति आय 7914 थी, आज 2025 में 66,828 है।

हमें लोगों तक यह सन्देश पहुँचाना है कि Cooperative Federalism के साथ कार्य करते हुए केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने हर क्षेत्र में नई ऊँचाइयां प्राप्त की हैं।

इसी वर्ष अप्रैल में, प्रधानमंत्री मोदीजी ने राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के अवसर पर बिहार के मधुबनी में 13,480 करोड़ रुपये से अधिक के विकास कार्यों का शुभारंभ किया है। और पिछले महीने ही विकास की इस यात्रा को आगे बढ़ाने के लिए 5736 करोड़ रुपये की 22 परियोजनाओं की सौगात बिहार को दी है।

आप सभी को पता है कि मखाना को GI टैग दिया गया है। आज बिहार का हमारा मखाना, सिर्फ एक पारंपरिक खाद्य पदार्थ नहीं रहा, बल्कि अब वह सुपरफूड के रूप में वैश्विक मान्यता प्राप्त कर चुका है। यह सभी बिहार-वासियों के लिए गर्व का विषय है।

हमारी सरकार ने इस वर्ष के बजट में मखाना बोर्ड के गठन की घोषणा भी की है। मखाना research center को राष्ट्रीय दर्जा भी प्राप्त हो गया है, जिससे इसमें वैज्ञानिक शोध और नवाचार को और बढ़ावा मिलेगा। अब हमारा मखाना अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंचेगा और दुनिया में बिहार की अलग पहचान बनेगी।

बिहार की प्रगति से देश की प्रगति होगी। हमारी सरकार ने वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प लिया है। मेरा विश्वास है कि विकसित भारत का मार्ग विकसित बिहार से ही निकलेगा।

प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन और मजबूत नेतृत्व में तथा बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी के कुशल नेतृत्व में हम सभी को विकसित भारत और विकसित बिहार के संकल्प की सिद्धि को प्राप्त करना है। हमें लोगों को यह यकीन दिलाना है — अगर कोई पार्टी बिहार को उसके गौरवपूर्ण इतिहास की तरह गौरवमयी और उज्ज्वल भविष्य दे सकती है, तो वह भारतीय जनता पार्टी है, NDA है।

साथियों, जब आज़ादी से पहले श्री सच्‍चिदानंद सिन्हा जी के नेतृत्‍व में बिहार के युवा बुद्धिजीवियों ने अलग राज्य की मांग की थी, तो उनके दिलों में एक उम्मीद थी। वह उम्मीद थी कि इस रत्न-गर्भा भूमि के खजाने से एक समृद्ध और खुशहाल बिहार बनेगा।

जब स्वामी सहजानंद सरस्वती ने छोटे से गांव बिहटा से किसान आंदोलन की शुरुआत की थी, जब के.बी. सहाय खून से सनी पट्टियों के साथ ज़मींदारी उन्मूलन का प्रस्ताव लेकर विधानसभा में खड़े हुए थे, जब राहुल सांकृत्यायन व कार्यानंद शर्मा जैसे सेनानी Permanent Settlement’ जैसी व्यवस्था को हिलाकर रख देने निकले थे — तब बिहार में उम्मीद थी और यहाँ के लोग भविष्य के प्रति आश्वासित थे।

बिहार भारत के सुनहरे भविष्य की एक प्रयोगशाला थी जब छोटानागपुर की पहाड़ियों में जमशेदजी टाटा के लिए शापुरजी शाकलातवाला ने आयरन ओर (Iron Ore) खोजा था और साकची गाँव में स्टील प्लांट की नींव पड़ी थी। जब बोकारो-रांची में  Temples of Technology खड़े हुए थे तब बिहार के लोगों ने चेकोस्लोवाक और रूसी इंजीनियरों के साथ मिलकर विकसित बिहार और भारत का सपना गढ़ा था।

और फिर, जब अगस्त 1974 में बीमार जेपी ने गांधी मैदान में भारी बारिश में भी डटे हुए जनसमूह से कहा था — “भ्रष्टाचार मिटाना है, नया बिहार बनाना है,” — तब एक बार फिर, पूरे राज्य में बदलाव की मशाल जल उठी थी।

लेकिन अफ़सोस, लंबे समय तक चली कांग्रेस और आरजेडी की विफल, भ्रष्ट और परिवार-वादी सरकारों ने इन सभी उम्मीदों और आशाओं को गहरी निराशा में बदल दिया।

विकास का पहिया सिर्फ थमा नहीं, वो उल्टा चलने लगा। यहाँ की असाधारण प्रतिभा पलायन करने पर मजबूर हो गई। बिहार — जो भारत की राजनीति, समाज और विचार का सिरमौर था — पिछड़ेपन और कुशासन की गिरफ्त में धकेल दिया गया। पर अब वह कहानी बदल रही है।

साथियों, बिहार कभी भारत के विकास का अगुवा बन सकता था — इसकी धरती, यहाँ के लोगों की प्रतिभा और मेहनत में वह सामर्थ्य था कि यह राज्य पूरे राष्ट्र के लिए एक आदर्श बनता। लेकिन उस सपने को नष्ट किया गया। कांग्रेस और फिर आरजेडी के वर्षों के कुशासन ने उस सपने की हत्या कर दी।

आरजेडी से पहले दशकों तक कांग्रेस भी बिहार के पिछड़ेपन और दुर्दशा का कारण रही है। 1980 के दशक में जब बिहार में कांग्रेस का कुशासन था, तो सिर्फ मुख्यमंत्री बदले जा रहे थे — विकास की दिशा नहीं। भ्रष्टाचार को संस्थागत रूप दिया गया। बिहार में Governance की रीढ़ ही तोड़ दी गई।

आप ज़रा सोचिए साथियों, जिस धरती ने साहित्य से लेकर विज्ञान तक, धर्म से लेकर आत्मज्ञान तक — हर क्षेत्र में भारत को दिशा दी, उस बिहार को कांग्रेस और आरजेडी की विफल, भ्रष्ट और जातिवादी राजनीति ने किस गर्त में पहुँचा दिया!

यह वही बिहार है जिसने बुद्ध को जन्म दिया, आर्यभट्ट को दुनिया को दिया, चाणक्य नीति दी, नालंदा और विक्रमशिला जैसे विश्वविख्यात विश्वविद्यालय दिए।

काँग्रेस की सरकारों ने भी असफलता की कहानी लिखी और जब कांग्रेस सत्ता से बाहर हुई, तो बागडोर आरजेडी और लालू जी जैसे लोगों के हाथों में आ गई। उन्होंने बिहार को बेहतर करने की कसमें खायीं थी लेकिन बद से बदतर करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

RJD-काँग्रेस राज के दौरान अपराध, जातिवाद और जंगलराज ने बिहार को ऐसे अंधकार में धकेला, जहां से बाहर निकलने का रास्ता आज तक बिहार ढूंढ रहा है। हमारी सरकार इस अंधेरे से निकालने के लिए पूरी ताकत से काम कर रही हैं।

साथियों, आज NDA का संकल्प केवल सत्ता प्राप्ति नहीं है, यह उस ऐतिहासिक अन्याय का प्रतिकार है, जिसे बिहार ने दशकों तक झेला है। अब समय आ गया है कि बिहार अपने अतीत से सीखे और उस उम्मीद को फिर से जिए जिसका वो हकदार है। और बिहार और बिहार के लोग विकास और सुशासन के भागीदार बनें।

पिछले दो दशकों में, भाजपा और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी के नेतृत्व में बिहार ने अभूतपूर्व प्रगति की है। पुरानी जंगलराज की छवि को तोड़ा है। इससे सकारात्मक बदलाव स्पष्ट रूप से दिखा है।

सन् 2013 में नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री जोसेफ स्टिग्लिट्ज़ जब नालंदा के किसानों से मिले, तो उन्होंने कहा था कि बिहार के जैविक किसान “वैज्ञानिकों से भी बेहतर” हैं और उनकी खेती की पद्धतियों को दुनिया भर में दोहराया जाना चाहिए। यानि जिस बिहार को कभी बर्बाद हो गया, कहा गया था, अब वह नवाचार और आत्मनिर्भरता की मिसाल बन चुका है।

The Economist पत्रिका, जिसने एक समय बिहार को “India’s armpit” कहा था, उसी ने नीतीश कुमार जी के शासन में बिहार की सराहना करते हुए लिखा कि “बिहार भारत की सबसे अप्रत्याशित लेकिन शानदार turnaround story है।” उन्होंने लिखा कि कैसे बिहार में सड़कें बनीं, स्कूलों में बच्चे पहुंचे, कानून व्यवस्था सुधरी, और विकास की एक नई धारा शुरू हुई।

यही अंतर दिखता है कि जब नेतृत्व मजबूत हो, नीयत साफ हो, और शासन में ईमानदारी हो। इसीलिए मेरा विश्वास है कि वही बिहार, जिसे दुनिया कभी हिकारत से देखती थी, आज प्रेरणा बन सकता है।

साथियों, लालू यादव जी कहते थे उन्होंने बिहार को ‘स्वर्ग नहीं, स्वर दिया’ — लेकिन सच यह है साथियों कि उन्होंने बिहार को न स्वर्ग दिया, न स्वर और  न ही स्वाभिमान। बस दिया तो डर, भ्रष्टाचार और दबंगों का राज!

जिस दौर में शिक्षा की जगह जाति का कार्ड चलता था, नौकरी की जगह टिकट और ठेका बंटता था, उस दौर को क्या स्वर कहेंगे आप?

स्वर तो तब आता है जब हर वर्ग, हर तबका बोले — लेकिन लालू जी के राज में तो बोलने का हक़ बस कुछ बाहुबलियों और उनके दरबारी अफसरों को था।

गरीब, पिछड़ा, दलित – सबकी आवाज़ को कुचल कर सत्ता को अपनी संपत्ति बना दिया। उस समय को याद कीजिए जब किडनैपिंग केस की सेटलमेंट सीएम हाउस में हुआ करती थी।

और आज जो आरजेडी या कांग्रेस की टीम वापिस लौटने का ख्याली सपना देख रही है, ये वही लोग हैं, जिन्होंने बिहार को बंजर किया है।

लेकिन बिहार की जनता अब जाग चुकी है। इसलिए अब यहाँ जातिवाद नहीं बल्कि विकासवाद चलेगा। इस बार चुनाव सिर्फ़ विकास पर होगा, और जवाब मिलेगा उन सभी को, जो बिहार को फिर अंधेरे में धकेलना चाहते हैं।

साथियों, बिहार की इस माटी ने एक ऐसा सपूत को जन्म दिया जिसने राजनीति को सत्ता का साधन नहीं, समाज सेवा का माध्यम बनाया—जननायक कर्पूरी ठाकुर। उन्होंने पिछड़ों, अतिपिछड़ों और वंचितों को उनकी हिस्सेदारी देने के लिए जो “कर्पूरी फॉर्मूला” दिया, वह सिर्फ आरक्षण का गणित-मात्र नहीं था, वह सामाजिक न्याय का पूरा दर्शन था।

आज जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी कहते हैं “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास”, तो वो उसी दर्शन का विस्तार है।

हमारी सरकार ने सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने के लिए जाति जनगणना की अनुमति दे दी है। मोदी जी ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक मान्यता दिलाई है। यही तो है कर्पूरी ठाकुर की विरासत को आगे ले जाना।

यह कितना बड़ा राजनीतिक और नैतिक विरोधाभास है कि लालू प्रसाद यादव, जो हर मंच पर कर्पूरी ठाकुर जी को अपना गुरु कहते हैं, उनके विचारों, उनकी सादगी और उनके सिद्धांतों की सबसे अधिक उपेक्षा उन्हीं की सरकार में हुई। कर्पूरी जी ने जिन मूल्यों — समाजवाद, ईमानदारी और अंतिम व्यक्ति तक न्याय — के लिए अपना जीवन समर्पित किया, उन्हीं मूल्यों को लालू यादव ने अपने शासन में कुचल डाला।

हालांकि, लालू जी सार्वजनिक रूप से तो कर्पूरी के साथ अपनी घनिष्ठता का प्रदर्शन करते थे  लेकिन निजी तौर पर उनके लिए अपशब्दों का प्रयोग करते थे, ऐसा लोग कहते है।

यह इनका दोहरा चरित्र है। (वरिष्ठ पत्रकार संकर्षण ठाकुर ने अपनी किताब ‘ब्रदर्स बिहारी’ में भी इसका जिक्र किया है।)

एक और घटना मैं आपके सामने रखना चाहता हूं जिसे पढ़ कर मेरा मन बहुत व्यथित हो गया था। (प्रसिद्ध पत्रकार संकर्षण ठाकुर ने अपनी पुस्तक में स्वर्गीय लक्ष्मी साहू की बताई एक घटना का ज़िक्र किया है।)

कर्पूरी ठाकुर जी जब विपक्ष के नेता थे तो बहुत बीमार चल रहे थे। लेकिन विधानसभा में एक अहम बहस में हिस्सा लेने के लिए उन्हें मजबूरी में घर से निकलना पड़ा।

कर्पूरी जी का जीवन अत्यंत सादा था — न गाड़ी, न तामझाम। उन्होंने अपने सहयोगी शिवनंदन पासवान से कहा कि लालू यादव से पूछो, अगर संभव हो तो वे अपनी जीप से मुझे विधानसभा छोड़ दें।

अब सोचिए — एक बीमार, वरिष्ठ और सम्मानित नेता की छोटी-सी मदद की बात थी। वो लालू यादव जी, जो खुद को “कर्पूरी भक्त” कहते थे, उन्होंने क्या जवाब दिया होगा?

लालू जी ने कहा था “मेरी जीप में तेल नहीं है… और वैसे भी कर्पूरी जी इतने बड़े नेता हैं तो अपनी कार क्यों नहीं खरीद लेते?” कर्पूरी ठाकुर जी को लालू प्रसाद यादव ने सिर्फ जुबान से “गुरु” कहा लेकिन कभी मन से सम्मान नहीं दिया।

लेकिन उन्हीं कर्पूरी बाबू को सच्चा सम्मान तब मिला जब नरेंद्र मोदी जी ने उन्हें मरणोपरांत “भारत रत्न” से अलंकृत किया।

यह सिर्फ एक पुरस्कार नहीं था — यह एक राजनीतिक और नैतिक घोषणा थी कि जो लोग सच्चे समाजवादी थे, जो वंचितों की आवाज़ थे, जो सत्ता में रहकर भी सादा जीवन जीते थे, वे ही भारत के असली रत्न हैं।

लालूजी के मुख्यमंत्री रहते समय कर्पूरी जी की विरासत और मूल्यों दोनों को हाशिए पर डाल दिया गया। यहाँ तक की न कोई स्मृति स्थल, न कोई ठोस योजना उनके नाम पर, न कोई विचारधारा का प्रचार।

मोदी जी ने न सिर्फ कर्पूरी जी का नाम नई पीढ़ी को फिर से याद दिलाया, बल्कि उनकी जीवन शैली और सिद्धांतों को 21वीं सदी की राजनीति का आदर्श बनाया।

साथियों, महापुरुषों का अपमान करना कुछ दलों की आदत बन चुकी है। सम्मान देना तो दूर, उन्हें अपनी राजनीति की चौखट पर बिछा देना ही इनकी शैली है।

हाल ही में देश की अंतरात्मा को झकझोर देने वाला एक दृश्य वायरल हुआ, जिसमें लालू जी के जन्मदिन समारोह में बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर की तस्वीर लालू यादव जी के पैरों के पास रखी गई।

सोचिए साथियों — यह कोई सामान्य गलती नहीं थी, यह उस मानसिकता का प्रतीक था जिसमें दलितों और पिछड़ों के अधिकारों के प्रतीक पुरुष के लिए सम्मान की कोई जगह ही नहीं है।

और मैं जानता हूँ — इनसे माफ़ी की उम्मीद करना भी व्यर्थ है, क्योंकि जिनके दिलों में बाबासाहेब के लिए सम्मान नहीं, वो कभी पश्चाताप नहीं कर सकते। आरजेडी जैसे दल बाबासाहेब की तस्वीर ही नहीं उनके विचारों को भी कोई मोल नहीं देते हैं।

लेकिन भारतीय जनता पार्टी बाबासाहेब और उनके दिए मूल्यों को अपने दिल में बसाती है। भाजपा की सरकार ने बाबासाहब से जुड़े स्थानों को पंचतीर्थ के रूप में विकसित करने का कार्य किया है।

हमारी सरकार ने बाबासाहेब के विचारों को नीति में बदला है। उनके दिखाए रास्ते और मूल्यों का अनुसरण किया है। बाबासाहब के दिशानिर्देश को मानते हुए समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुँचने का कार्य किया है। यही फर्क है प्रचार और प्रतिबद्धता में, यही फर्क है दिखावे और भक्ति में।

साथियों, कुछ लोग पूछ सकते हैं कि हम बार-बार अतीत की बात क्यों करते हैं? हम इसलिए बात करते हैं कि ऐसे लोगों का असली चेहरा जनता को याद रहे। वो इन लोगों की चिकनी-चुपड़ी बातों में न आ जाएं। क्योंकि वो खतरा अभी पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है।

वो सोच, वो व्यवस्था, वो भ्रष्टाचार, जिसने बिहार को वर्षों तक अंधेरे में धकेला — वो आज भी नया रूप लेकर हमारे सामने खड़ी है।

साथियों, आरजेडी और कांग्रेस ने मिलकर बिहार को पिछड़ेपन, बेरोज़गारी और अपराध की गर्त में धकेला। उन्होंने सत्ता को जनसेवा का माध्यम नहीं, परिवार सेवा का साधन बना दिया। युवाओं से रोज़गार छीना, किसानों को दर-दर भटकने पर मजबूर किया, और महिलाओं को असुरक्षा का भय दिया, युवाओं के भविष्य को अंधकार में धकेल दिया।

आज जब एक नई पीढ़ी आगे बढ़ रही है, तो हमारा कर्तव्य है कि उन्हें सच्चाई से परिचित कराएँ। उन्हें बताएं कि अगर बिहार को कोई बदनाम कराता रहा तो वो यही दल थे, और अगर बिहार को कोई नया भविष्य दे सकता है, तो वो केवल और केवल मोदी जी और नितीश जी के नेतृत्व वाला NDA है।

हम सब जानते हैं कि सीवान की धरती ने भारत को डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जैसा महान सपूत दिया — एक स्वतंत्रता सेनानी, संविधान सभा के अध्यक्ष और हमारे पहले राष्ट्रपति, जिनकी ईमानदारी और राष्ट्रभक्ति पीढ़ियों के लिए आदर्श रही। लेकिन दुर्भाग्य से, लालू यादव के जंगलराज में यही पवित्र धरती अपराध और आतंक की प्रयोगशाला बन गई।

RJD-काँग्रेस के राज में, बिहार, जहाँ कभी संविधान की गूंज सुनाई देती थी, वहाँ गोलियों की आवाज़ गूंजने लगी। एक सभ्य समाज की जगह खौफ का साम्राज्य कायम हुआ, और उस अंधेरे दौर का प्रतिनिधित्व करती थी आरजेडी की लालटेन। उस लालटेन ने रोशनी देने कि जगह  लोगों के घरों में आग लगायी।

आपको नई पीढ़ी को इस इतिहास को याद दिलाना है। क्योंकि यह इतिहास हमें याद दिलाता है कि जब शासन दिशाहीन और मूल्यहीन हो जाता है, तब कैसे महान भूमि भी अंधकार, अराजकता और अपराध से बंजर हो जाती है।

हम अतीत को इसलिए याद करते हैं, ताकि भविष्य में वही गलती न दोहराई जाए। कुछ सामंतवादी मानसिकता के लोगों ने (लालू) बिहार में समाजवाद का चोला पहनकर लोगों को बहुत दिन तक बरगलाया  है।

जिन लोगों ने जनता को बेवकूफ बनाया, जनता को मरने के लिए छोड़ दिया, जनता को समाजवाद का जुमला बस दिया। इसलिए यह ज़रूरी है कि हर कार्यकर्ता, हर जनप्रतिनिधि, हर मतदाता को बार-बार बताया जाए — कि जिन्होंने बिहार को बर्बाद किया, उन्हें दोबारा मौका देना सिर्फ अतीत की त्रासदी को दोहराना होगा।

साथियों, नालंदा विश्वविद्यालय, जिसे कभी चीन के महान विद्वान ह्वेनसांग (Xuanzang) ने दुनिया का अद्वितीय ज्ञानपीठ बताया था — उन्होंने लिखा था, “नालंदा के हज़ारों आचार्य अद्वितीय प्रतिभा और बुद्धिमत्ता के धनी हैं” — वही नालंदा सदियों तक खंडहरों में पड़ा रहा।

एक समय था जब पूरी दुनिया भारत के इस ज्ञान के मंदिर की ओर देखती थी, और एक समय ऐसा भी आया जब वह इतिहास के पन्नों तक सीमित रह गया। लेकिन आज, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, नालंदा को फिर से एक नई पहचान, एक नई ऊर्जा और एक नया जीवन मिला है।

यह सिर्फ एक विश्वविद्यालय का पुनरुद्धार नहीं है, यह भारत की ज्ञान परंपरा के पुनर्जागरण का प्रतीक है। सिर्फ ईंट-पत्थर से बनी Building का पुनर्निर्माण नहीं है, ये भारत की ज्ञान परंपरा को फिर से विश्व मंच पर स्थापित करने का संकल्प है।

आप सभी को पता होगा कि जगत जननी मां जानकी की जन्मस्थली पुनौराधाम, सीतामढ़ी को समग्र रूप से विकसित किए जाने हेतु भव्य मंदिर सहित अन्य संरचनाओं का डिजाइन अब तैयार हो गया है, जिसे नीतीश कुमार जी ने कुछ दिन पहले ही साझा किया है।

आप सभी को पता ही होगा कि यहाँ भी अयोध्या के भगवान श्री राम के मंदिर की तर्ज पर एक विशाल और भव्य मंदिर का निर्माण किया जाएगा। साथ-साथ अन्य धार्मिक और सांस्कृतिक संरचनाओं का भी विकास किया जाएगा, जिससे यह स्थल आध्यात्मिक पर्यटन का केंद्र भी बन सके। इसी नीति को हम कहते हैं “विकास भी विरासत भी”।

साथियों, पूरे भारत ही नहीं विश्व भर में प्रधानमंत्री मोदी जी के 11 वर्षों के नेतृत्व को ऐतिहासिक युगांतकारी परिवर्तन के रूप में मान्यता मिली है।

यह 11 वर्ष, सुशासन के साथ-साथ, एक प्रगतिशील विचार, एक विकासपरक दृष्टि और राष्ट्र के प्रति समर्पण, के प्रतीक रहे हैं, जिसने भारत की दशकों पुरानी जड़ता को तोड़ा और उसे विकास, आत्मनिर्भरता और वैश्विक नेतृत्व के मार्ग पर अग्रसर किया।

प्रधानमंत्री जी ने प्रधान-सेवक का पद संभालते ही देश को एक नई दिशा दी। कांग्रेस की बरसों तक चली दिशाहीन और वोटबैंक आधारित राजनीति की जगह प्रधानमंत्री मोदी जी ने दीर्घकालिक रोडमैप और संरचनात्मक सुधारों को प्राथमिकता दी।

जन-धन योजना, डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया, आत्मनिर्भर भारत जैसी योजनाओं ने केवल नीतिगत परिवर्तन नहीं किया, बल्कि करोड़ों भारतीयों के जीवन को सकारात्मक रूप से बदला और बेहतर किया है।

हमारी सरकार ने समावेशी विकास का एक उत्कृष्ट मॉडल तैयार किया  जिसके चार प्रमुख स्तंभ—गरीब, युवा, महिला और किसान हैं। हमारे विकास का माडल, जाति पंथ, मजहब पर आधारित नहीं है। इंसाफ और इंसानियत पर है।

PM-KISAN योजना, मुद्रा योजना, स्टार्टअप इंडिया, नारी शक्ति वंदन अधिनियम और राष्ट्रीय शिक्षा नीति जैसे कदमों ने इन चारों स्तंभों को न केवल सशक्त किया, बल्कि उन्हें विकास प्रक्रिया का निर्णायक भागीदार भी बनाया।

आज महिलाएं अर्थव्यवस्था की मुख्यधारा में हैं, किसान अन्नदाता से ऊर्जा-दाता भी बन रहे हैं और युवा भारत के भविष्य को आकार दे रहे हैं।

बीते 11 वर्षों में हमारी सरकार ने GST, DBT, UPI, और Ease of Doing Business जैसे ऐतिहासिक कदम उठाकर न केवल एक पारदर्शी और कुशल अर्थव्यवस्था की नींव रखी, बल्कि निवेशकों का विश्वास भी प्राप्त किया। आज भारत डिजिटल ट्रांजेक्शन के मामले में दुनिया में नंबर वन है।

PM Gati Shakti, UDAN, वंदे भारत, भारत-माला, और जलमार्ग विकास जैसी परियोजनाओं ने देश की अधोसंरचना को एक नई ऊंचाई पर पहुंचाया।

मोदी सरकार ने आत्मनिर्भर भारत के तहत रक्षा उत्पादन में स्वदेशीकरण को बढ़ावा दिया। रक्षा निर्यातों में भारी वृद्धि हुई है और भारत अब एक डिफेन्स इम्पोर्टर के तौर पर नही बल्कि डिफेन्स एक्सपोर्टर के रूप में जाना जा रहा है।

आयुष्मान भारत, पीएम हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन, ई-संजीवनी, जन औषधि योजना जैसी योजनाएं भारत को एक सक्षम, किफायती और समावेशी स्वास्थ्य प्रणाली की ओर ले जा रही हैं।

Digital India, UMANG, प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान ने डिजिटल क्रांति को गांव-गांव पहुंचाया है।

मोदी सरकार के Solar Energy, Biofuel Alliance, GOBARdhan, PM-KUSUM, One Sun One World One Grid जैसे कदमों से न केवल पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता मिली है, बल्कि भारत को वैश्विक नेतृत्व करने का अवसर भी मिला है। इसलिए भारत अब दुनिया के अग्रणी Green Growth मॉडल्स में शामिल है।

हमने सुरक्षा के मुद्दे पर भी ऐसा कार्य किया जैसा पहले कभी नहीं हुआ है। सर्जिकल स्ट्राइक और आतंकवाद पर निर्णायक कार्रवाई ने देश की सुरक्षा नीति को नई धार दी है। आज तक ऐसा नहीं हुआ PAK में 100 km घुसकर कर स्ट्राइक की।

अब हमारी नीति है कि आतंकवादी जहाँ भी हैं हम उन्हें समाप्त करने से नहीं हिचकेंगे। साथ ही आतंकवाद को प्रायोजित करने वाली सरकार और आतंकवाद के मास्टरमाइंड के बीच अंतर किए बिना मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।

साथियों, प्रधानमंत्री मोदी जी की नेतृत्व में भारत 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने के स्पष्ट लक्ष्य की दिशा में बढ़ रहा है।

Zero Poverty, 100% Education & Healthcare, Skill & Employment, Women Participation, Global Food Hub—जैसे लक्ष्य केवल नीतिगत घोषणाएं नहीं, बल्कि एक राष्ट्र के संकल्प की घोषणा हैं।

इन संकल्पों की प्राप्ति के लिए बिहार का विकसित राज्य बनना अति आवश्यक है। इस संकल्प को हमें जन-जन तक पहुंचाना है।

साथियों, साल 2025 में देश में भारतीय संविधान का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। एक नई बहस देश में छिड़ गई है कि भारतीय संविधान की प्रस्तावना में से सोशलिज्म और सेक्युलरिज्म शब्द को हटा देना चाहिए क्योंकि इन्हें आपातकाल के दौरान ज़बरदस्ती शामिल किया गया था। यह बहस इस देश में कई बार छिड़ चुकी है मगर इस बार आरजेडी के लोग इसे बाबा साहेब का अपमान बता रहे हैं। अरे भाई बाबा साहेब अंबेडकर का अपमान कैसे हो गया? सच्चाई यह है कि यह दोनों शब्द बाबा साहेब के लिखे और डा. राजेंद्र प्रसाद जी की अध्यक्षता वाली संविधान सभा द्वारा पारित संविधान का हिस्सा कभी नहीं थे।

भारत एक ऐसा देश है जहाँ की संस्कृति में ही सर्व धर्म सम्भाव का भाव है। भारतीय संस्कृति स्वभाव से ही पंथनिरपेक्ष रही है। यह तो वह धरती है जहाँ पर हर किसी को अपनी बात का प्रचार करने की छूट रही है। यह भारत ही है जहाँ पारसी समाज को खुले मन से स्वीकार किया गया और वे सबसे पहले गुजरात के सूरत पहुंचे और आज वे भारत के कई नगरों में सैकड़ो वर्षों से रह रहे हैं।

केरल में भारत का ही नहीं बल्कि दुनिया के सबसे पुराने चर्चो में से एक आज भी मौजूद है। अगर मैं इस्लाम की बात करूँ, तो पूरी दुनिया में केवल भारत में ही इस्लाम के 72 के 72 फिरके सुरक्षित जीवन जी रहे हैं। यह हमारे देश की सहिष्णुता और पंथ निरपेक्षता का जीता जागता प्रमाण है।

पूरे विश्व में अगर कहीं माइनॉरिटीज़ सबसे सुरक्षित हैं तो हमारे देश भारत में हैं। हमारे पड़ोसी देशों की हालत देखिए। पाकिस्तान में माइनॉरिटी कम्यूनिटी की बुरी हालत है। माइनॉरिटीज की छोड़िये वहाँ तो शिया सुन्नी और अहमदिया को लेकर भी आए दिन फ़साद होते रहते हैं। बांग्लादेश में भी परिस्थिति काफ़ी ख़राब होती जा रही है। वहाँ हिंदू समुदाय के साथ जो कुछ हो रहा है वह किसी भी सभ्य समाज के माथे पर कलंक से कम नहीं है।

पड़ोसी देशों में माइनोरिटी कम्युनिटी पर ढाए जा रहे ज़ुल्म को देख कर हमारी सरकार ने CAA यानि Citizenship Amendment Act पारित किया जिसका विरोध उन राजनीतिक दलों ने सबसे ज़्यादा किया जो दिन रात minorities के घड़ियाली आँसू बहाते हैं। पूरे देश को गुमराह करने की कोशिश इन तथाकथित सेक्युलर लोगों ने की। पूरे विश्व में भारतीय जनता पार्टी ही ऐसी अकेली पार्टी है, जिसने पड़ोसी देशों में माइनॉरिटीज़ पर होने वाले ज़ुल्म को ख़त्म करने के लिए नागरिकता क़ानून में संशोधन की न केवल वकालत की बल्कि सरकार बनते ही उस पर काम शुरू किया और उसे बाद में पारित भी कर दिया। इसे कहते हैं, सच्चा सेक्युलरिज्म।

मैं सेक्युलरिज्म के नक़ली पैरोकारों से पूछना चाहता हूँ कि जब साल 1976 में आपातकाल के दौरान संविधान के 42वें संशोधन के माध्यम से सेक्युलर शब्द जोड़ा गया तो क्यों इन शब्दों को जम्मू एवं कश्मीर के संविधान में नहीं जोड़ा गया। क्या जम्मू एवं कश्मीर को सेक्युलर नहीं होना चाहिए था जहाँ पर कश्मीरी पंडितों को मज़हब के आधार पर टारगेट किया जा रहा था। हमने भारतीय संविधान की धारा 370  समाप्त किया और तब जाकर J&K वास्तव में सेक्युलर हो पाया है।

भारतीय संविधान एक living document है। उस पर स्वस्थ तरीके से बहस का चलना लोकतंत्र की ताकत की निशानी है। मगर जनता को संविधान के नाम पर गुमराह करने की जो कोशिश एक बार फिर कांग्रेस और आरजेडी के लोग करना चाहते हैं उसमें वे इस बार कामयाब नहीं होंगे। इस देश में सेक्युलरिज्म को सबसे अधिक खतरा अगर किसी से है तो इन छद्म सेक्युलरों से है।

इस बार लोकसभा चुनावों में हमने देश के सामने सेक्युलर सिविल कोड को लागू करने का संकल्प व्यक्त किया है। भाजपा के संकल्प पत्र के निर्माण समिति का भी मैं अध्यक्ष रहा हूँ। मैं तो यही कहूँगा कि मोदीजी जो कहते हैं, वो करते हैं। यह काम भी वो ज़रूर करेंगे। जो लोग भी secularism को सही मायनों में मानते हैं, उन्हें सेक्युलर सिविल कोड के निर्माण में अपना समर्थन देना चाहिए।

साथियों, गांधी जी ने किसी भी कार्य को करने का जंतर दिया है। उन्होंने कहा है कि सबसे गरीब और कमजोर आदमी तुमने देखा हो, उसकी शक्ल याद करो और अपने दिल से पूछो कि जो कदम उठाने का तुम विचार कर रहे हो, वह उस आदमी के लिए कितना उपयोगी होगा।

आज मैं भी आप सभी को एक जंतर देना चाहता हूं कि आप जब यहाँ से बाहर जाओ तो सिर्फ चुनाव प्रचार के लिए कार्य मत करना।

कार्य करना बिहार के उस बच्चे के लिए जिसके पिता को अपना प्रदेश छोड़ना पड़ा था क्योंकि यहाँ विकास नहीं था। कार्य करना हर उस अपमान का दाग मिटाने के लिए जो बिहार के सीने में दाग दिया गया था क्योंकि कुछ लोगों ने बिहार को जंगलराज में बदल दिया था। कार्य करना हर सम्मान के लिए जिसका बिहार हकदार है। कार्य करना हर उस माँ के लिए जिसका बेटा उस जंगल राज में मार दिया गया था। कार्य करना हर उस बहन के लिए जिसके भाई का अपहरण कर लिया गया था। कार्य करना हर उस बिहार के इंसान के लिए जो अपने प्रदेश और देश को विश्व का सबसे उन्नत स्थान बनते देखना चाहता है।

इसी बात के साथ मैं अपनी बात को विराम देता हूं।

धन्यवाद, जय हिन्द! जय भारत!