Text of RM’s speech at the Convocation ceremony of Symbiosis Skills and Professional University in Pune.
आज, Symbiosis Skills and Professional University, के दीक्षांत समारोह में, आप सभी के बीच उपस्थित होकर, मुझे बड़ी खुशी हो रही है। सबसे पहले मैं, अपनी academic journey को complete करने वाले, हर student को बधाई देता हूँ। मैं यहाँ उपस्थित हर छात्र की आँखों में एक अलग प्रकार का उत्साह देख पा रहा हूँ। मैं समझ सकता हूँ, कि आपके अंदर का जो यह उत्साह है, वह सिर्फ आपकी degree पूरी होने का ही नहीं है, बल्कि आपके सपनों के साकार होने का प्रतीक भी है।
मैं Symbiosis Skills and Professional University से जुड़े हुए सभी stakeholders को, University administration को, तथा सभी professors को भी बधाई देता हूँ। महज 8 वर्षों में ही आपका संस्थान, skill development के क्षेत्र में quality और excellence का example बनकर उभरा है। Skill development की category में, National Institutional Ranking Framework की ranking में भी आप number 1 पर हैं। इसके अलावा न सिर्फ भारत में, बल्कि दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में भी आपका नाम है। इसके लिए आप सबने जो मेहनत की है, उसकी मैं सराहना करता हूँ, और भविष्य के लिए आपको ढेर सारी शुभकामनाएँ भी देता हूँ।
साथियों, आप सभी की, अब तक की जो यात्रा रही है, उस यात्रा में आप भले ही अकेले चले हों, लेकिन उसमें आपके माता-पिता, आपके गुरुजन, आपके दोस्त और यहां तक कि, इस विश्वविद्यालय के हर कर्मचारी का योगदान है। कभी-कभी हम यह भूल जाते हैं, कि शिक्षा केवल personal achievement नहीं होती, यह समाज के सहयोग, संस्कार और समर्थन का परिणाम होती है। इसलिए आज का यह दिन सिर्फ आपका नहीं है, यह उन सभी का है, जिन्होंने आपकी यात्रा को संभव बनाया है। मैं आपसे जुड़े प्रत्येक व्यक्ति, और प्रत्येक संस्थान को भी बधाई देता हूं।
आज, आप सभी के कारण, मुझे एक बार फिर पुणे आने का अवसर मिला है। पुणे की यह धरती अपने आप में, इतिहास की एक जीवित पाठशाला है। छत्रपति शिवाजी महाराज के हिंदवी स्वराज्य से लेकर बाल गंगाधर तिलक के पूर्ण स्वराज्य तक का सफर इस जमीन ने देखा है। पुणे केवल मराठा शक्ति का ही केंद्र नहीं रहा, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक चेतना, शिक्षा और राष्ट्रवाद का भी प्रमुख केंद्र रहा है। इस धरती पर मुझे आप सबकी वजह से आने का सौभाग्य मिला, इसके लिए मैं आपका आभार व्यक्त करता हूँ।
आज, जब मैं इस Convocation Ceremony में, आप सबके बीच उपस्थित हूँ, तो मैं कुछ अपने मन की बातें आपसे जरूर करूँगा। हमारे यहां Convocation Ceremony को दीक्षांत समारोह भी कहा जाता है। गुरुकुल परंपरा में जब विद्यार्थी शिक्षा पूरी करता था, तो गुरुजन उसे केवल विदा नहीं करते थे, वे उसे “जीवन के कर्तव्यों” के लिए तैयार करते थे। आज आप सभी अपने-अपने क्षेत्र में आगे बढ़ेंगे, कोई entrepreneur बनेगा, कोई engineer, कोई manager, कोई innovator, लेकिन चाहे आप किसी भी दिशा में जाएं, यह याद रखिएगा, कि आपकी सफलता का वास्तविक अर्थ तभी है, जब वह समाज के काम आए।
साथियों, कभी-कभी जीवन में, हम अपनी उपलब्धियों में इतने व्यस्त हो जाते हैं, कि यह भूल जाते हैं, कि वास्तविक शिक्षा वह होती है, जो दूसरों के जीवन में रोशनी लाए। मुझे पूरा विश्वास है, कि Symbiosis Skills and Professional University ने, आप सबको न सिर्फ skills सिखाए हैं, बल्कि वह values भी दी हैं, जो जीवन को अर्थपूर्ण बनाती हैं। आज आप सब अपने माता-पिता, अपने शिक्षकों और अपने विश्वविद्यालय इन तीनों के प्रति आभार ज़रूर व्यक्त कीजिए, क्योंकि इनकी ही बदौलत आप यहां तक पहुंचे हैं।
साथियों, आप सभी युवा हैं, दुनिया में जो भी बदलाव हो रहे हैं, वह सब आपसे होकर गुजर रहे हैं। इसलिए आप सभी महसूस कर पा रहे होंगे, कि आज की दुनिया बहुत तेजी से बदल रही है। हर दिन, हर पल कुछ नया हो रहा है, कहीं नई तकनीक आ रही है, कहीं नई सोच जन्म ले रही है, कहीं पुरानी व्यवस्था बदल रही है। ऐसे में अगर इस uncertain world में, एक चीज हमारा साथ दे सकती है, तो वो है Skill. क्योंकि आज सिर्फ ज्ञान होना काफी नहीं है, बल्कि उसे उपयोग में लाने की कला भी आनी चाहिए। यह जमाना “What do you know” से आगे बढ़ चुका है, अब यह “What can you do” का समय है। किताबों में लिखा ज्ञान तब तक अधूरा है, जब तक वो किसी काम में नहीं आता। इसलिए आज की शिक्षा का असली उद्देश्य यह होना चाहिए, कि जो सीखा है, उसे life में apply कैसे करना है।
आज भारत के लिए यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि हम दुनिया के सबसे युवा देश हैं। आप सोचिए, इतनी बड़ी युवा आबादी अगर सही दिशा में बढ़े, अगर उसके पास सही skill हो, तो भारत को आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक पाएगा। हमारी demographic dividend तभी ताकत बनेगी, जब हर युवा skilled और productive बनेगा। अगर हमारे पास skill नहीं है, तो इस दौड़ती दुनिया में टिके रहना मुश्किल है। और अगर skill है, तो कोई ताकत आपको रोक नहीं सकती।
2014 के बाद से जब देश ने “नए भारत” की दिशा में कदम बढ़ाया, तब प्रधानमंत्री जी ने बार-बार Skill India, Start-Up India और Make in India की बात की, क्योंकि उन्होंने समझा, कि अगर भारत को आत्मनिर्भर बनाना है, तो सबसे पहले युवाओं को skilled बनाना होगा। हमने सरकार में आने के साथ ही, skill development को बढ़ावा देने के लिए एक dedicated ministry की स्थापना की। पिछले 11 वर्षों में Ministry of Skill Development and Entrepreneurship ने skill development से जुड़े हुए challenges को opportunities में बदलने का काम किया है। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत, 1.63 crore candidates को skill enhancement training दी गई। जन शिक्षण संस्थानों के माध्यम से rural, tribal, और marginalized, community के 30 लाख से अधिक लोगों को tailoring, embroidery, handicrafts, food processing, और healthcare assistance की training प्रदान की गई। प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत हमने भारत के traditional artisans और craftsmen को empower किया। इस योजना के तहत, अब तक 22 लाख से अधिक artisans को हमने modern toolkits और certifications प्रदान किये हैं। ऐसे अनेक प्रयास हमारी सरकार ने किये हैं, जिससे देश में skill को लेकर एक positive environment create हुआ है।
साथियों, हमारे यहाँ तो skill का इतना importance है, कि भगवान विश्वकर्मा को हम skill के देवता के रूप में पूजते हैं। यहाँ तक कि, जब हमारे यहाँ गुरुकुल व्यवस्था थी, तबसे ही हमारे देश में शिक्षा का मतलब, सिर्फ किताबें पढ़ना या परीक्षा पास करना नहीं रहा है। हमारे यहाँ तो, सदियों पहले से यह मान्यता रही है, कि अगर इंसान को आगे बढ़ना है, तो उसे ज्ञान के साथ skill भी सीखना चाहिए। तभी तो हमारे गुरुकुलों में चौंसठ कलाएँ और चौदह विद्याएँ सिखाई जाती थीं। संगीत हो, नृत्य हो, चित्रकला हो, या फिर खेती-बाड़ी हो, ये सब कुछ शिक्षा का हिस्सा था। ताकि छात्र केवल विद्वान न बनें, बल्कि आत्मनिर्भर और हर स्थिति में सक्षम भी बनें।
आज जब हम ‘Skill India’ या ‘आत्मनिर्भर भारत’ की बात करते हैं, तो असल में हम उसी सोच को फिर से जी रहे हैं। अब वक्त आ गया है, कि हम सब मिलकर अपने कौशल से देश को आगे बढ़ाएँ। मुझे यह देखकर बड़ा अच्छा लग रहा है, कि Symbiosis Skills and Professional University, इसी दिशा में काम कर रही है। यहाँ शिक्षा, सिर्फ नौकरी पाने के लिए नहीं दी जा रही, बल्कि नौकरी देने की क्षमता पैदा करने के लिए भी दी जा रही है। मुझे यह देखकर गर्व महसूस हो रहा है, कि आप सब उस नई सोच के प्रतिनिधि हैं, जो यह मानती है, कि “Skill is not just a tool to earn, it is a power to build the nation.”
मैं तो हमेशा मानता हूँ कि जो व्यक्ति skilled होता है, वह कभी destroyer नहीं हो सकता, वह हमेशा creator होता है, कुछ न कुछ नया करने की कोशिश में रहता है। एक skilled व्यक्ति चाहे किसी भी क्षेत्र में हो Art, Science, Industry, Agriculture या Technology, वह हर जगह कुछ बनाने, सुधारने और आगे बढ़ाने की भूमिका निभाता है। आप ही सोचिए, जब भी समाज में कोई बड़ा बदलाव आया है, तो उसके पीछे किसी न किसी skilled mind का ही योगदान रहा है।
Creation ही मानव की असली पहचान है। जो निर्माण करता है, वही समाज को दिशा देता है। आप अपने आसपास जो कुछ भी देखते हैं, चाहे वह सड़कें हों, पुल हों, उद्योग हों, ये सब किसी न किसी के creation का ही परिणाम हैं। यह creation तभी संभव होता है, जब हमारे पास skill होती है। मानवता की अब तक की यात्रा भी, skill की यात्रा ही रही है।
साथियों, आप Homo sapiens की कहानी देखिये। जब सबसे पहले इंसान ने पत्थरों से औजार बनाया होगा, तो मुझे लगता है, वह मानव का पहला “Skill Development Program” था। किसी ने पहिया बनाया, किसी ने आग जलाना सीखा, किसी ने खेती की कला सीखी, यही सब तो creation के शुरुआती रूप थें । कृषि भी तो अपने आप में एक skill ही है। किसी ने खेती की skill सीखी, उसने सभ्यता को स्थायित्व दिया। किसी ने घर बनाना सीखा, किसी ने व्यापार की समझ विकसित की, किसी ने संगीत और चित्रकला का कौशल पाया। यही सब तो वह skills थीं, जिन्होंने समाज को आकार दिया। बाद में बाजार बने, उद्योग शुरू हुए, शहर बसे, और यह सब उन्हीं skilled hands और creative minds की देन थे।
इतिहास गवाह है, हर युग की पहचान उसके Skilled creators से हुई है। आपको सिर्फ Ancient era में ही नहीं, बल्कि Modern era में भी इसके examples दिखेंगे। Industrial Revolution कब आया, जब मानव ने मशीन चलाने की skill सीखी। IT Revolution कब आया, जब मानव ने कंप्यूटर चलाना सीखा। और आज Artificial Intelligence भी तभी आया है, जब मानव नई technologies सीख रहा है। यानि, हर युग में मानव तभी आगे बढ़ा, जब उसने अपने skills को निखारा, update किया और नए समय के अनुसार खुद को बदला।
इसलिए, जब मैं आपसे कहता हूँ, कि आज के इस बदलाव भरे युग में आपकी भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है, तो यह कोई formal बात नहीं है। वास्तव में, आप ही वह पीढ़ी हैं, जो Next Generation Technological Revolution को आगे बढ़ाएगी।
लेकिन साथियों, जब हम skill की बात कर रहे हैं, तो उसके साथ-साथ, मैं यह भी मानता हूँ, कि हमारे पास skill के साथ ही Sensitivity भी जरूरी है। कोई भी skill तभी सार्थक है, जब वो समाज के काम आए। अगर आपका कौशल सिर्फ अपने तक सीमित है, तो वह अधूरा है। आप Symbiosis जैसे संस्थान से शिक्षा लेकर जा रहे हैं, जहाँ Learning by doing की परंपरा है। यहाँ सीखा गया हर विषय, हर प्रयोग, हर अनुभव आपके जीवन का हिस्सा बनेगा। यहाँ का माहौल, यह शिक्षा, यह exposure आपको न सिर्फ नौकरी दिलाएगी, बल्कि आपके जीवनभर सीखने की आदत को भी जारी रखेगी।
साथियों, यहाँ से निकलकर अब, बाहरी दुनिया के लिए आपका सफर शुरू होने वाला है। अब आप एक ऐसे दौर में प्रवेश कर रहे हैं, जहाँ चुनौतियाँ भी बड़ी हैं और संभावनाएँ भी बड़ी हैं। लेकिन मुझे भरोसा है, कि आप उन चुनौतियों से डरेंगे नहीं, बल्कि उन्हें सीखने का अवसर समझेंगे।
यह degree तो आपके पासपोर्ट की तरह है, और आपकी असली यात्रा तो अब शुरू होगी। अब तक आपकी शिक्षा की यात्रा इस विश्वविद्यालय की सीमाओं तक ही रही, लेकिन अब यह सीमाएँ खत्म हो रही हैं। अब पूरी दुनिया आपका विद्यालय होगी। अब तक आपकी दुनिया यह campus थी, लेकिन अब पूरी दुनिया आपका campus होगी। आपको इस campus में जो Experience मिला होगा, वह आपकी आने वाली ज़िंदगी के लिए भी बड़ा Beneficial होगा। अब जिस दुनिया में आप जा रहे हैं, वहाँ न तो कोई तय पाठ्यक्रम है, और न ही कोई निर्धारित समय है।
वैसे भी आप सभी बच्चे skilled हैं। और एक skilled mind कभी रुकता नहीं, वो हर परिस्थिति में रास्ता खोज लेता है। मुझे पूरा विश्वास है, कि आपका हर कदम किसी creation की दिशा में उठेगा, और अपने कौशल, अपने परिश्रम और अपने संकल्प से, आप History create करेंगे। यह समय की जरूरत है, कि आप इस ambition के साथ आगे बढ़ें।
साथियों, जब मैं Ambition की बात कर रहा हूँ, तो मुझे एक बात याद आ रही है। रटगर ब्रेगमैन की एक पुस्तक है- Moral Ambition. उसमें उन्होंने एक बहुत सुंदर बात कही है। उन्होंने कहा है, कि असली महत्वाकांक्षा वह नहीं होती, जो हमें दूसरों से आगे निकलने की होड़ में लगाए, बल्कि वह होती है, जो हमें किसी के जीवन में अच्छा बदलाव लाने की प्रेरणा दे। और सच कहूं तो, आज की दुनिया को ऐसे ही लोगों की जरूरत है। ऐसे युवाओं की जरूरत है, जो सिर्फ ये न कहें, कि “बदलाव आना चाहिए”, बल्कि ये ठान लें कि “हम ही बदलाव लेकर आएँगे।”
आपका ज्ञान, आपकी समझ, और आपका हुनर यही हमारे देश की असली ताकत है। आने वाले समय में आप ही वो लोग हैं, जो भारत की दिशा तय करेंगे। इसलिए मैं बस इतना कहना चाहता हूं, कि आगे बढ़िए, लेकिन सिर्फ सफलता पाने के लिए नहीं, बल्कि एक अच्छा इंसान बनने के लिए भी। कोशिश कीजिए कि आप जहां भी जाएं, वहां कुछ अच्छा छोड़कर आएं, किसी के चेहरे पर मुस्कान लाएं, किसी की मदद करें, या फिर किसी को नई उम्मीद दें। यही हम सबके जीवन की असली उपलब्धि है। यही वह Moral ambition है, जिसकी बात ब्रेगमैन करते हैं, कि बात “दुनिया में सबसे अच्छे बनने” की नहीं है, बल्कि “दुनिया के लिए सबसे अच्छा बनने” की है। और जब यह सोच हर युवा के भीतर होगी, तो देश अपने आप और मजबूत, संवेदनशील और बेहतर बनता जाएगा।
आप सब तो जानते ही हैं, कि आज हम सब Social Media से घिरे हुए हैं। आपमें से शायद ही कोई ऐसा होगा, जो social media के इस social dillema को न जानता हो। आप social media पर देखिये, हर तरफ दिखावे की ज़िंदगी का जाल फैला हुआ है। कई बार ऐसा होता है, कि हम दिनभर दूसरों की ज़िंदगी देखते रहते हैं, और अनजाने में उसी के हिसाब से अपनी ज़िंदगी को मापने लगते हैं। हमें लगता है, कि Success वही है, जो सामने वाले ने हासिल की है। लेकिन असल में हर किसी की सफलता की अपनी अलग परिभाषा होती है। किसी का सपना बड़ा बिज़नेसमैन बनना हो सकता है, तो किसी का सपना अपने गांव के बच्चों को पढ़ाना भी हो सकता है। लेकिन होता क्या है, कि हम दूसरों के सपनों को ही अपना सपना बना लेते हैं, और फिर उसी दौड़ में लग जाते हैं, जो दौड़ हमारी कभी थी ही नहीं। दिखावे की ज़िंदगी जीना आसान नहीं है। ऐसा करना अंदर से थका देता है, खाली कर देता है। जब हम अपने असली सपनों को नहीं समझते, और उन्हें पूरा करने की कोशिश नहीं करते, तो हम ज़िंदगी जैसे कीमती तोहफ़े को बेकार कर देते हैं। आप सोचिए, अगर गांधी जी या वीर सावरकर सिर्फ बड़े वकील बनने में लग जाते, तो क्या आज हम उन्हें ऐसे याद करते? अगर नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने अंग्रेजों की नौकरी ठुकराने की हिम्मत न की होती, तो क्या वे आज भी हमारे प्रेरणा स्रोत बनते?
जिन्हें हम सफल मानते हैं, उन्होंने अपनी सफलता अपने स्वभाव, अपनी सोच और अपने असली मकसद के हिसाब से हासिल की है। इसलिए हमारी सबसे बड़ी ताकत यही है, कि हम खुद को पहचानें, अपने मूल को समझें और उसी दिशा में काम करें। हां, यह रास्ता हमेशा आसान नहीं होता। ज़िंदगी में कई बार हालात ऐसे आते हैं, कि विश्वास डगमगा जाता है, हिम्मत कमजोर पड़ती है। लेकिन याद रखिए हम अपने हालातों से नहीं, अपने decisions से तय करते हैं, कि हम क्या करेंगे और क्या बनेंगे।
जब भी मुश्किल वक्त आए, दो चीजें हमेशा याद रखिए पहला, conviction यानी दृढ़ विश्वास और दूसरा, patience यानी धैर्य। अगर आपके अंदर विश्वास है और आप धैर्य रखते हैं, तो कोई भी ऊंचाई आपके लिए दूर नहीं है। अक्सर हम जल्दबाज़ी में अपना भरोसा खो देते हैं या पुराने अनुभवों के डर में जीने लगते हैं। “यह संभव नहीं” वाली सोच धीरे-धीरे हमारी हकीकत बन जाती है। इसलिए ज़रूरी है कि आप अपनी पिछली असफलताओं को बोझ नहीं, सबक बनाएं। उन्हें सीढ़ी बनाएं, ठोकर नहीं। याद रखिए, कोई भी चुनौती चाहे वो आर्थिक परेशानी हो, पारिवारिक दिक्कत हो, या व्यक्तिगत असफलता, वह आपको परिभाषित नहीं करती। असली बात यह है कि आप उन हालातों में कैसा व्यवहार करते हैं, कितना धैर्य और आत्मसंयम रखते हैं। और जब भी आप किसी समस्या में उलझें, बस दो रास्ते याद रखिए या तो रास्ता खोजिए, या नया रास्ता बनाइए। यही जीवन का असली मंत्र है।
मैं आपको हाल का एक उदाहरण देता हूँ। भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम करना शुरू किया, तो यह हमारे लिए बहुत मुश्किल लग रहा था। हम पूरे Defence sector को ही change करने की तरफ बढ़ रहे थें, क्योंकि आजादी के बाद से ही लगातार, हम हथियारों के लिए दूसरे देशों पर dependent रहे। हमारे पास अपने खुद के बनाए equipment न के बराबर थे।
लेकिन रक्षा क्षेत्र में आजादी के बाद से जो स्थितियां थी, उसको हमने तोड़ा। हमने इस बात पर जोर दिया, कि भारत अपने सैनिकों के लिए, हथियार खुद अपने देश में बनाएगा। और यह काम भी हमारे लिए बहुत आसान नहीं था। एक राष्ट्र के रूप में हम एक comfort zone में जा चुके थे। हम हथियार खरीदने के आदी हो चुके थे। भारत में हथियार बनाने के लिए हमारे पास न तो Political will power थी, न हमारे पास ऐसे laws थे जो Defence Manufacturing को promote करें, और न ही हमारे युवाओ में वह जूनून था, कि वह भारत की इस आत्मनिर्भर यात्रा में अपना सहयोग दे पाएँ।
कहने का मतलब यह है, कि चीज़ें हमारे लिए बहुत प्रतिकूल थीं। लेकिन हमने हार नहीं मानी। हमने Defence manufacturing को बढ़ाने के लिए हरसम्भव प्रयास किया। और हमारे प्रयासों का सकारात्मक परिणाम मिलना हमें शुरू हुआ। Operation Sindoor अपने आप में, हमारी आत्मनिर्भरता का जीता-जागता प्रमाण है। Operation sindoor के दौरान, हमारी सेनाओं ने जिस शौर्य का प्रदर्शन किया, उसे पूरी दुनिया ने देखा। बड़ी बात यह है, कि Operation sindoor के दौरान हमारी सेनाओं ने भारत में बने equipment का इस्तेमाल बड़ी मात्रा में किया है।
आपको यह जानकर गर्व होगा, कि हमारे युवाओं ने बढ़-चढ़कर Defence manufacturing में अपना योगदान दिया है। पिछले दस वर्षों में भारत का Defence Production ₹46,000 करोड़ से बढ़कर record ₹1.5 लाख करोड़ तक पहुँच गया है। और इसमें से लगभग ₹33,000 करोड़ का योगदान तो हमारे private sector से आ रहा है। अब हम सबका लक्ष्य है, कि 2029 तक हम इस domestic defence manufacturing को 3 लाख करोड़ रूपए तक ले जाएँ और करीब 50,000 करोड़ रुपये का Defence Export भी करें। यह अपने आप में बहुत ambitious vision है, लेकिन मुझे भरोसा है, कि इस देश के युवा, इस vision को ज़रूर साकार करेंगे।
साथियों, मुझे यह जानकर भी बहुत अच्छा लगा, कि Symbiosis Skills and Professional University ने, अब Defence Technology में एक नया इंजीनियरिंग प्रोग्राम शुरू किया है। मैं सच कहूं तो, यह कदम मुझे बेहद दूरदर्शी लगता है। आज जब हमारा देश रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है, तो ऐसे संस्थान और ऐसे कोर्स, हमारे लिए बहुत जरूरी हो जाते हैं। हमें आज ऐसे युवाओं की जरूरत है, जो सिर्फ पढ़े-लिखे न हों, बल्कि स्वदेशी तकनीक को समझें, उसे बनाएँ और आगे बढ़ाएँ।
मैं Symbiosis परिवार को, इसके सभी शिक्षकों को और यहाँ पढ़ने वाले हर छात्र को दिल से बधाई और शुभकामनाएँ देता हूँ। आपने जो पहल की है, यह एक Academic Effort होने के साथ-साथ Nation building का संकल्प भी है। आपका यह program, हमारे देश में New jobs, New startups और New technological innovation का मार्ग प्रशस्त करेगा। मुझे पूरा विश्वास है, कि Next Generation Defence equipment, Drone या Missile system, आप में से ही कोई युवा design करेगा।
वैसे भी पुणे की धरती, अपने Defence importance के लिए भी जानी जाती है। यह शहर जितना traditional है, उतना ही modern भी है। भारत के defence sector के लिए यह शहर बहुत important center है। भारतीय सेना की Southern Command का मुख्यालय यहीं स्थित है। इसके अलावा Defence sector से जुड़े हुए कई important establishment भी इस शहर में हैं। कुल मिलाकर कहें, तो पुणे अपने आप में परम्परा और प्रौद्योगिकी, दोनों का संगम है। इसलिए ऐसे स्थान पर आप सभी का skilled होना, आप सबके लिए inspiring भी है। मुझे पूरा विश्वास है, कि जो inspiration आपको यहाँ से मिली है, उसे आप पूरी ज़िंदगी carry करेंगे
साथियों, आज हम 21वीं सदी में हैं। एक ऐसे दौर में, जिसमें हम Fourth Industrial Revolution देख रहे हैं। आज हर दिन कोई न कोई, नई तकनीक हमारे सामने आ रही हैं । Artificial Intelligence, Machine Learning, Internet of Things, Blockchain और ये सब मिलकर हमारे जीवन को बदल रही हैं। काम करने का तरीका, सोचने का तरीका, यहां तक कि सीखने का तरीका भी अब अलग हो गया है। हालाँकि AI को लेकर, बहुत सारे confusions भी create किये जाते हैं, कि यह jobs खा जाएगा या फिर humans की utility खत्म हो जाएगी। लेकिन मैं इन परिवर्तनों को लेकर बहुत आशावादी रहता हूँ। जब-जब भी कोई नई क्रांति आई है, तो उसको लेकर कुछ confusions, कुछ डर हमेशा रहे हैं, लेकिन हर Technological revolution मानव के हित के लिए ही हुआ है। हम उस Technology का कैसे उपयोग करते हैं, इस पर बहुत कुछ निर्भर करता है। यह महज़ बातें हैं, कि मशीनें या रोबोट इंसानों की जगह ले लेंगे। इंसान को बदलने की क्षमता किसी मशीन में नहीं है, क्योंकि मानव में जो संवेदना है, विवेक है, निर्णय क्षमता है, वह ईश्वर प्रदत्त है।
AI को लेकर मैं इस बात से सहमत हूँ, कि ‘AI will not replace humans, but those who use AI will replace those who don’t. मतलब यह कहना गलत है, कि AI इंसानों को replace कर देगा। सच्चाई यह है, कि जो इंसान AI का सही उपयोग करना सीख जाएगा, वही आने वाले समय में आगे बढ़ेगा। और जो इससे दूरी बनाएगा, वह पीछे रह जाएगा। AI एक tool मात्र है, इसलिए उसको Competative tool के रूप में नहीं, बल्कि Cooperative tool के रूप में देखना चाहिए।
आज तकनीक ने हमारे जीवन के लगभग हर हिस्से को छू लिया है। अब, AI और नई-नई तकनीकों को अपनाना बहुत अच्छी बात है। इससे काम आसान होता है, उत्पादकता बढ़ती है और नई संभावनाएं खुलती हैं। लेकिन जैसा कि किसी ने कहा है, ‘Embrace technology, but don’t become it’. यानी तकनीक को अपनाइए, लेकिन खुद तकनीक मत बन जाइए। यह याद रखना बहुत ज़रूरी है कि technology एक साधन है, साध्य नहीं। यह हमारी मदद के लिए है, हम उसके लिए नहीं। इसलिए, हम सबको नई तकनीक को अपनाते हुए, अपने संस्कार, अपनी मानवता और अपनी संवेदना को बनाए रखते हुए आगे बढ़ना है।
जैसा कि आप सभी जानते हैं, हमारा देश अब अमृत काल में प्रवेश कर चुका है। 2047 तक, हमने भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य रखा है। इसलिए आज के समय में, भारत अपने इतिहास के सबसे निर्णायक दौर से गुजर रहा है। और मैं यहां उपस्थित सभी युवाओं से भी यह कहना चाहता हूं, जिस प्रकार भारत का अमृत काल चल रहा है, ठीक उसी प्रकार यहां से निकलने के बाद, आप भी अपने जीवन के अमृत काल में प्रवेश कर रहे हैं।
आने वाले 20–25 साल सिर्फ आपके Career या Personal growth को ही तय नहीं करेंगे, बल्कि एक राष्ट्र के रूप में भारत की Destiny को भी shape करेंगे। जिस energy, vision और values के साथ आप यहां से निकलेंगे, वही आने वाले भारत की दिशा तय करेगी। इसलिए मैं आप सभी को अपनी ओर से हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं, कि आपके जीवन का यह अमृत काल, भारत के अमृत काल की तरह ही bright, purposeful और inspiring बने।
साथ ही, मैं इस अवसर Vice Chancellor, विश्वविद्यालय प्रशासन, शिक्षकों और सभी कर्मचारियों को बधाई देता हूं, जिन्होंने वर्षों से छात्रों के Holistic Development के लिए निरंतर काम किया है। मेरी शुभकामना है कि यह विश्वविद्यालय आने वाले वर्षों में भी इसी तरह शिक्षा और संस्कार, दोनों के क्षेत्र में एक Benchmark Institution बना रहे।
अंत में, आप सभी को दीपावली के लिए अग्रिम शुभकामनाएं देते हुए, मैं अपनी बात को समाप्त करता हूं।