Hindi Text of RM’s speech at the inaugural ceremony of 3rd production line of LCA Mk1A in Nasik
आज Hindustan Aeronautics Limited द्वारा निर्मित, Light combat aircraft Mark-1-A, तेजस की 3rd production line का उद्घाटन हो रहा है। इसके साथ ही HTT-40 Aircraft की 2nd production line का भी उद्घाटन हो रहा है। इन दोनों projects को, देश को समर्पित करते हुए मुझे बड़ी खुशी हो रही है। मैं HAL को, और इस project से जुड़े हर व्यक्ति को बधाई देता हूँ। मुझे इस बात की भी खुशी है, कि इस अवसर पर मुझे नासिक की पावन भूमि पर आने का मौका मिला है।
नासिक की धरती अपने आप में बड़ी ऐतिहासिक है। नासिक के त्र्यंबकेश्वर में भगवान शिव भी विराजमान हैं। जहाँ भगवान शिव ‘त्र्यंबक’ के रूप में हमें यह सिखाते हैं, कि सृष्टि की रचना, पालन और संहार, तीनों एक ही दिव्य चेतना से उत्पन्न होते हैं। यही कारण है, कि यहाँ आकर ऐसा लगता है, जैसे मैं किसी दिव्य भूमि पर आ गया हूँ।
हालाँकि साथियों, नासिक की यह भूमि केवल आस्था की ही नहीं, बल्कि self-reliant और capability की भी प्रतीक है। यहाँ एक ओर आस्था है, तो वहीं दूसरी ओर इसी नासिक की धरती पर Hindustan Aeronautics Limited का गौरवशाली कैंपस भी राष्ट्र की रक्षा शक्ति का प्रतीक बनकर खड़ा है। आज जब मैंने नासिक division में तैयार किए गए Sukhoi-30, LCA और HTT-40 विमानों की उड़ान देखी, तो मेरा सीना गर्व से चौड़ा हो गया। उन jets की उड़ान रक्षा क्षेत्र में भारत की ‘आत्मनिर्भरता की उड़ान’ थी।
साथियों, नासिक में स्थित HAL का भी अपना एक स्वर्णिम इतिहास है। कभी यहाँ MiG-21 और MiG-27 जैसे दिग्गज fighter jets का निर्माण और ओवरहॉल होता था, और आज यह स्थान modern Sukhoi-30 जैसे jets का production house बन चुका है। पिछले छह दशकों से भी अधिक समय से, HAL नासिक ने भारत की Defence manufacturing capability को, नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने में, एक strong pillar की भूमिका निभाई है। जैसा कि मैंने अभी कहा, नासिक भगवान शिव की भूमि है, जो एक तरफ शिवत्व यानी शांति के प्रतीक हैं, तो दूसरी तरफ संहार के भी प्रतीक हैं। ठीक उसी तरह से, नासिक एक तरफ defence manufacturing यानी कि निर्माण का प्रतीक भी है, और दूसरी तरफ जरूरत पड़ने पर दुश्मनों के संहार की भी क्षमता रखता है। तो एक तरह से नासिक में भी, और इस campus में, हमें भगवान शिव की भावना दिखती है।
साथियों, यह campus महज़ एक इमारत या किसी प्रोजेक्ट तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता का भी प्रतीक है। जब मैं आत्मनिर्भरता की बात कर रहा हूं, तो मेरे जेहन में वह पूरी यात्रा भी चल रही है, जिसकी शुरुआत हमने 2014 से की है। आप सब ने तो Defence sector में भारत की बदलती भूमिका को साफ-साफ देखा है।
एक समय था, जब देश रक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए अन्य देशों पर निर्भर था, और लगभग 65-70 प्रतिशत Defence equipment, import किए जाते थे। लेकिन आज इस स्थिति में बदलाव आया है, अब भारत 65 प्रतिशत manufacturing अपनी ही धरती पर कर रहा है। बहुत जल्द हम अपनी domestic manufacturing को भी 100% तक ले जाएँगे।
साथियों, Defence sector में आत्मनिर्भरता की सोच कोई आज की नहीं है। दस साल पहले से ही, प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में, हमारी सरकार ने यह स्पष्ट रूप से समझ लिया था, कि बिना आत्मनिर्भर हुए, हम कभी भी वास्तविक रूप से सुरक्षित नहीं हो सकते। हालाँकि उस समय हमारे पास चुनौतियाँ बहुत थीं। हमारी सबसे बड़ी समस्या यह थी, कि हमारा defence preparedness बहुत limited था, और हम important military hardware के लिए लगभग पूरी तरह imports पर निर्भर थे। हमारे defence production system में private industrial sector की भी कोई खास भागीदारी नहीं थी, सबकुछ केवल सरकारी उपक्रमों तक सीमित था। इसके अलावा, Defence Planning, Advanced Technology और Innovation पर भी पर्याप्त focus नहीं था। यही कारण था, कि critical equipment और cutting-edge systems के लिए हमें बाहरी देशों की ओर देखना पड़ता था, जिससे न केवल cost बढ़ती थी, बल्कि strategic vulnerability भी पैदा होती थी। जाहिर सी बात है, ऐसी स्थिति लंबे समय तक sustainable नहीं रह सकती थी, और इसी चुनौती ने हमें नई सोच और नए reforms की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।
उसी दिशा में आगे बढ़ते हुए, हमने न सिर्फ import dependence को घटाया, बल्कि indigenisation की commitment को मज़बूती दी। यदि मैं आंकड़ों की बात करूँ, तो वर्ष 2014-15 में जहां हमारा Defence production 46,429 करोड़ रूपये था, वहीं 2024-25 में यह बढ़कर 1,46,000 करोड़ रूपये से भी अधिक हो गया है। यह केवल facts नहीं हैं, यह हमारे देश की आत्मनिर्भरता की उड़ान है।
इसी तरह, हमारा defence export जो कभी 1,000 करोड़ रूपये से भी कम हुआ करता था, आज वह record 25 हजार करोड़ रूपये तक पहुँच चुका है। अभी हमने 2029 तक, domestic defence manufacturing को 3 लाख करोड़ रूपये और Defence export को 50,000 करोड़ रूपये तक करने का लक्ष्य रखा है।
साथियों, पिछले 10–12 वर्षों में जिस रफ्तार से, भारत ने Defence और technology के क्षेत्र में, आत्मनिर्भरता हासिल की है, वह वाकई अद्भुत है। पहले हम जो कुछ बाहर से खरीदते थे, आज वही चीजें अपने देश में बना रहे हैं। Fighter aircrafts, missiles, engines, electronic warfare systems, इन सभी क्षेत्रों में भारत ने जबरदस्त प्रगति की है।
मैं अक्सर कहता हूं, कि जब हम high defence technology की बात करते हैं, तो यह सिर्फ मशीनों या हथियारों की बात नहीं होती, यह हमारी सोच, हमारी क्षमता और हमारे आत्मविश्वास की कहानी होती है। आपने देखा होगा, कि भारत ने space technology और indigenous defence manufacturing के क्षेत्र में भी बड़ी सफलता हासिल की है। आज हम स्पेस में भी अपनी जगह मजबूत कर चुके हैं। आज हमारी Aerospace Industry भी, Rapid Growth Show कर रही है। हमनें Make In India के अंतर्गत, Local Manufacturing को Encourage करने, और Aerospace Equipment के Production जैसे Initiative उठाए हैं।
साथियों, आज के समय में, युद्ध के तौर-तरीके बदल रहे हैं। आज Artificial Intelligence, cyber warfare, drone systems और next-generation aircraft जैसी चीज़ें, भविष्य की दिशा तय कर रही हैं। अब युद्ध सिर्फ ज़मीन या आसमान में नहीं, बल्कि अनेक frontiers पर भी लड़े जा रहे हैं। भारत को इस नई रेस में हमेशा आगे रहना है, पीछे नहीं।
यही वजह है कि आज हम state of the art, indigenous technologies पर इतना ज़ोर दे रहे हैं। मुझे यह देखकर बड़ी ख़ुशी हो रही है, कि Hindustan Aeronautics Limited इस दिशा में भारत का एक मज़बूत प्रतिनिधित्व कर रहा है। 1940 के दशक में स्थापित हुआ यह संस्थान आज हमारे देश के रक्षा क्षेत्र का backbone बन चुका है। अभी कुछ दिनों पहले हमने MiG-21 की decommissioning की। लंबे समय तक MiG-21 ने राष्ट्र की सेवा की, और उसकी operational needs को पूरा करने में, HAL ने बहुत बड़ा योगदान दिया है। MiG-21, को operational support देने में आपका जो योगदान है, मैं उसकी सराहना करता हूँ।
जब HAL की मेहनत पर बात हो रही है, तो मैं Operation Sindoor के दौरान HAL की जो बड़ी भूमिका रही है, उस पर भी कुछ बातें करूंगा। भारत की सुरक्षा से जुड़ा हुआ जो पूरा इतिहास है, उसमें महज़ कुछ ही पल ऐसे रहे हैं, जब एक साथ पूरे सिस्टम की असली परीक्षा ली गई है। Operation Sindoor ऐसा ही एक मिशन था। इस मिशन में हमारी सेनाओं ने, न सिर्फ अपने शौर्य का परिचय दिया, बल्कि स्वदेशी प्लेटफॉर्म्स पर अपने भरोसे को भी साबित किया।
इस दौरान HAL की टीम ने 24 घंटे लगातार विभिन्न operational sites पर सपोर्ट दिया। fighter jets जैसे Sukhoi, Jaguar, Mirage, Tejas और Helicopters के maintenance और repairs तुरंत किए, ताकि भारतीय वायुसेना की operational readiness बनी रहे। यह इस बात का प्रतीक था, कि जब बात देश की सुरक्षा की आएगी, तो “हम equipment खुद बना भी सकते हैं, और उन equipment से खुद की रक्षा भी कर सकते हैं।” मैं इस अवसर पर, पूरे HAL परिवार को हार्दिक बधाई देता हूं। आपने साबित किया है कि जब dedication और innovation साथ चलें, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं रहता।
मुझे यह जानकर भी बड़ी ख़ुशी हुई, कि नासिक की टीम ने Sukhoi-30 पर BrahMos Missile की establishment का महत्वपूर्ण कार्य किया। यह वही ब्रह्मोस है, जिसने operation sindoor के दौरान, आतंकियों के ठिकानों को नेस्तनाबूद किया था।
आज इस नई production line के उद्घाटन के साथ, यहाँ made in India Fighters and Trainers के production का भी एक नया युग शुरू हो रहा है। यह एक औद्योगिक उपलब्धि तो है ही, साथ ही साथ हमारे युवाओं, Engineers और scientists की मेहनत, लगन और सपनों का प्रतिफल है।
इसके अलावा, LCA तेजस और HTT-40 Aircraft का निर्माण जो हो रहा है, वह भी हमारे देश के अलग-अलग industry partners के collaboration का परिणाम है। यह collaboration इस बात का प्रमाण है कि जब government, industries और academia मिलकर काम करते हैं, तो कोई भी चुनौती बड़ी नहीं रह जाती। वैसे भी हम सब नासिक में एकत्र हुए हैं। अगले वर्ष यहाँ कुंभ का आयोजन होने वाला है। आज यहाँ पर मुझे youth, innovators, industries और academia का भी एक महाकुम्भ देखने को मिल रहा है। जिस तरह से कुंभ स्नान के बाद लोगों को एक नई ऊर्जा मिलती है, ठीक उसी तरह से मुझे विश्वास है कि इस महाकुंभ से निकलने के बाद, आप सब भी एक नई ऊर्जा के साथ राष्ट्र निर्माण में लगेंगे।
साथियों, यहाँ मैं यह कहना चाहता हूँ, कि हमें अब सिर्फ LCA तेजस या HTT-40 तक सीमित नहीं रहना है। अब समय है, कि हम next generation aircrafts, unmanned systems और civil aviation के क्षेत्र में भी अपनी पहचान बनाएं। और मुझे पूरा विश्वास है, कि HAL नासिक आने वाले समय में, इन सब क्षेत्रों में अपनी अहम भूमिका निभाएगा।
मुझे यह जानकर बहुत अच्छा लगा, कि नासिक division में अब Civil और Military Aviation दोनों के लिए, एक साथ MRO सुविधा स्थापित की गई है। यह दिखाता है, कि भारत में अब Civil और Military Aviation, दोनों एक ही platform पर मिलकर आगे बढ़ रहे हैं।
इस नई शुरुआत के साथ, मैं यह भी विश्वास के साथ कह सकता हूं, कि इससे नासिक और आसपास के क्षेत्रों में हजारों नए रोज़गार के अवसर भी बनेंगे। यहां के युवाओं के लिए training और employment के भी नए रास्ते खुलेंगे। महाराष्ट्र और पड़ोसी राज्यों का पूरा industrial ecosystem इससे और ज्यादा सशक्त होगा। मैं भारतीय वायुसेना के उन वीर सैनिकों को भी प्रणाम करता हूं, जिन्होंने Tejas और HTT-40 जैसे भारतीय विमानों पर भरोसा जताया। यह भरोसा ही हमारी सबसे बड़ी ताकत है।
मुझे यह देखकर भी बड़ा अच्छा लग रहा है, कि HAL एक public sector के रूप में, private sector के साथ कदम से कदम मिलाकर दुनिया के best standards को हासिल कर रहा है। यह भी अच्छी बात है, कि HAL का यह पूरा complex, अब paperless, digital और पूरी तरह से sustainable है। इसमें Industry 4.0 और Quality 4.0 systems को अपनाया गया है यानी यह आधुनिक भारत की तकनीकी उड़ान का असली प्रतीक है। आज का यह अवसर केवल fighter jet को देश को समर्पित करने का अवसर ही नहीं है, बल्कि, यह भारत के नए आत्मविश्वास का भी प्रतीक है।
आज मैं खास तौर पर उन सभी संस्थाओं को बधाई देना चाहता हूं जैसे ADA, CEMILAC, DGAQA, हमारे इंडस्ट्रियल पार्टनर्स और HAL के सभी कर्मचारी जिन्होंने मिलकर इतने उन्नत और आधुनिक विमान भारत में ही तैयार कर रहे हैं। यह वाकई बहुत बड़ी उपलब्धि है। इन नई सुविधाओं से हमारी वायुसेना को और अधिक शक्ति, आत्मविश्वास और आधुनिकता मिलेगी। जहाँ तक हमारी वायुसेना की बात है, तो जिस शौर्य और पराक्रम के साथ, इन्होंने भारत की वायु सीमा को सुरक्षित रखा है, वह अपने आप में incredible है। हमारे प्रत्येक air warrior के पराक्रम पर इस देश के बच्चे-बच्चे तक को भरोसा है। और मैं समझता हूँ, कि जिस तरह से उन air warriors का भरोसा HAL के ऊपर है, वह भी अपने आप में, आपलोगों के लिए inspiring है।
साथियों, आप सभी Avionics के विशेषज्ञ हैं, आप सभी technical expert हैं, इसलिए मैं ज़्यादा technical बातें आपसे नहीं करूंगा। मैं खुद Physics का प्रोफेसर रहा हूँ, इसलिए जब भी Avionics की बात होती है, तो मुझे उसमें सिर्फ मशीनें नहीं दिखतीं, बल्कि जीवन के गहरे संदेश दिखाई देते हैं।
आप जानते हैं, कि किसी भी aircraft के लिए उसका Navigation System बहुत ज़रूरी होता है। इसका मुख्य काम होता है, aircraft को सही दिशा में बनाए रखना, यानी उसे यह बताना कि वह कहाँ है और किस रास्ते पर जा रहा है। बिल्कुल वैसे ही जैसे हमारे जीवन में navigation बहुत जरूरी होती है। अगर हमारे पास एक स्पष्ट लक्ष्य या कोई मार्गदर्शक नहीं है, तो हम चलते तो रहेंगे, लेकिन शायद सही मंज़िल तक नहीं पहुंच पाएंगे। इसलिए जैसे aircraft को GPS की ज़रूरत होती है, वैसे ही हमें भी अपने अंदर एक moral compass रखना चाहिए, जो हमें हर समय सही रास्ता दिखाता रहे।
किसी senior pilot का quote मुझे याद आ रहा है, Takeoff is optional, but landing is mandatory. इसका मतलब यह है कि किसी भी काम की शुरुआत करना आसान है, लेकिन उसे अंत तक सफलतापूर्वक पूरा करना ही असली जिम्मेदारी होती है। जब हम कोई नया project शुरू करते हैं, तो उत्साह तो बहुत होता है। लेकिन असली परख तब होती है, जब कठिनाइयाँ आती हैं। उस समय धैर्य, ध्यान और सही निर्णय ही हमें सफलता तक पहुँचाते हैं।
एक अच्छे pilot की तरह हमें भी calm रहना चाहिए, और हर स्थिति में सही फैसला लेना चाहिए। हर project को एक उड़ान की तरह संभालें। शुरुआत जोश से करें, बीच में संतुलन बनाए रखें और अंत में उसे सुरक्षित तरीके से पूरा करें, क्योंकि जैसे avionics, aircraft को aware, connected, stable और powered रखता है, वैसे ही हमें भी रहना है। हमारी दिशा साफ़ हो, communication मजबूत हो, आदतें अनुशासित हों, मन सतर्क रहे, और ऊर्जा हमेशा सकारात्मक बनी रहे। और मुझे लगता है कि ये जो pilot mindset है, यही आपमें से हर व्यक्ति की होनी चाहिए, क्योंकि इसी mindset से हम मनोवांछित सफलता तक पहुंचेंगे। 2047 तक हम जिस विकसित राष्ट्र के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रहे हैं, उस लक्ष्य की प्राप्ति तभी संभव हो सकेगी, जब हम इसी mindset के साथ आगे बढ़ेंगे।
इसी विश्वास के साथ, कि हम सभी इसी प्रकार, एकजुटता के साथ मिल-जुलकर काम करते रहेंगे, मैं HAL को, इस project से जुड़े हर stakeholder को, और सभी देशवासियों को बधाई देते हुए अपनी बात समाप्त करता हूं।
बहुत-बहुत धन्यवाद