बेंगलुरू | समाचार डेस्क: आडवाणी ने पार्टी की बेंगलुरु में राष्ट्रीय कार्यकारिणी में मौन रह कर अपने युग के अंत को मान लिया. जिस आडवाणी ने दो सीटों पर सिमटी भाजपा को राम मंदिर के मुद्दे पर फिर से पुनर्जीवित किया था उसी आडवाणी को पार्टी में मोदी-शाह के युग के आगाज़ का मौन दर्शक बने रहना पड़ा. सबसे बड़ी बात यह है