तीन दशक के इतिहास को तोड़ते हुए केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार आई तो राजनाथ सिंह पार्टी कप्तान की भूमिका में थे। मोदी प्रधानमंत्री की ड्राइविंग सीट पर पहुंचे तो राजनाथ सिंह को कैबिनेट में अहम गृह मंत्रालय का जिम्मा मिला जिसे सरकार में अक्सर नंबर टू माना जाता है। एक ऐसा मंत्रालय जिसकी पहुंच देश की सीमा से लेकर गांव-घर की सुरक्षा तक है। यह राजनाथ के स्वभाव से मिलता-जुलता मंत्रालय है। अंदर से सख्त, बाहर से नरम, जहां करने को बहुत कुछ हो लेकिन बताने को बहुत कम। तीन वर्ष के कामकाज को लेकर जब केंद्र सरकार जिलों तक पहुंचकर अपनी उपलब्धियों का प्रचार-प्रसार कर रही है तो राजनाथ बड़ी सादगी से कहते हैं- हम यह दावा नहीं करेंगे कि सबकुछ बदल दिया, लेकिन सधे कदमों से देश को दिशा देने में सफल रहे हैं। जनता के बीच विश्वसनीयता अर्जित की है और खुद में भरोसा पैदा किया है। ‘दैनिक जागरण’ की संपादकीय टीम के साथ हुई लंबी बातचीत का एक अंश-
प्रश्न- सुप्रीम कोर्ट के आदेश के दस साल बाद भी पुलिस सुधार लागू नहीं हो पा रहा है। सीसीटीएनएस जैसी व्यवस्था भी अटकी है। पुलिसकर्मियों की भारी कमी के कारण नागरिकों में सामान्य सुरक्षा की भावना पैदा करना मुश्किल हो रहा है। पुलिस सुधार की राह में सबसे बड़ा रोड़ा राज्य सरकारें थीं। अब अधिकांश राज्यों में भाजपा की सरकार है। ऐसे में आप अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर पुलिस सुधारों को लागू कराने में अहम भूमिका निभा सकते हैं।
उत्तर- हम इसे लेकर गंभीर हैं। काम हो रहा है। पुलिस पर काम का दबाव बहुत ज्यादा रहता है। समय-समय पर ट्रेनिंग कोर्सेस होते रहने चाहिए, जो नहीं हो पाते हैं। सब कुछ राज्य सरकारों को करना है। हम लगातार इसकी कोशिश कर रहे हैं कि काम तेज हो।
प्रश्न- पिछले दिनों में समाज में एक ऐसे छोटे वर्ग का आतंक फैल रहा है जो खुद को चर्चा में रखने के लिए आपसी सदभाव बिगाड़ने में लगे हैं। कभी गोरक्षा के नाम पर, तो कभी जातीय व धार्मिक सुरक्षा के नाम पर और कभी फतवा जारी कर। अलग-अलग जातीय व धार्मिक सेनाएं बना रहे हैं। इनके खिलाफ विशेष कानून बनाकर कठोर सजा का प्रावधान किया जाना चाहिए, और शिथिलता करने वाले पुलिस कर्मियों के खिलाफ भी सख्ती होनी चाहिए।
उत्तर- हम कठोरता से ऐसी मानसिकता की आलोचना करते हैं। खुद प्रधानमंत्री ने सख्त लहजे में संदेश दिया है कि कोई कानून अपने हाथ नहीं ले सकता है। यह स्वीकार्य नहीं है। पुलिस को तत्परता से काम करना चाहिए।
प्रश्न- गृहमंत्री के रूप में आप खुद तीन साल में आंतरिक सुरक्षा के हालात में बदलाव को किस तरह देखते हैं?
उत्तर- आंतरिक सुरक्षा के क्षेत्र में बड़ा सुधार या कोई करिश्मा करने का दावा नहीं कर रहा हूं। ऐसा करना बड़बोलापन होगा। भारत विविधताओं का देश है। कई भाषाओं, जातियों और धमरें के लोग यहां निवास करते हैं। यह जरुर है कि तीन वषरें में आंतरिक सुरक्षा की दिशा में कई प्रभावी कदम उठाए गए हैं। पूर्वोत्तर में सभी इस सच्चाई को स्वीकार करते हैं कि उग्रवाद में 70 फीसद से अधिक की कमी आयी है। जब हम सत्ता में आए थे, उस वक्त बोडो उग्रवादियों ने 63 आदिवासियों की हत्या कर दी थी। उस वक्त यूनीफाइड कमांड की मीटिंग में मैंने प्रजेंटेशन से इतर परिणाम पर जोर दिया। मीटिंग आधे मिनट ही चली। इसके बाद ऐसी कार्रवाई हुई, जिसका पूरे पूर्वोत्तर में जबरदस्त संदेश गया। इसके साथ ही लोगों के साथ वार्ता शुरु की गयी। पूर्वोत्तर में करीब 100 उग्रवादी ग्रुप हैं। देश की आजादी के पहले से इस तरह के उग्रवादी ग्रुप सक्रिय है, जो कि खुद को भारतीय मानने को तैयार नहीं थे। लेकिन आज यह बड़ा बदलाव आया है कि वहां के लोग भारत की संप्रभुता को स्वीकार करते हैं।
प्रश्न- गृहमंत्री बनने के बाद आपने कहा था कि नक्सलवाद को जड़ से खत्म किया जाएगा। लेकिन अब भी बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ में स्थिति काफी खराब है। यह समस्या कितने दिनों में समाप्त हो जाएगी?
उत्तर– ऐसी चीजों में समय नहीं दिया जाता है। नक्सलवाद में कमी होनी शुरु हो गई है। अब यह कुछ जिलों तक सिमट कर रह गया है। झारखंड में हमें काफी हद तक कामयाबी मिली है। छत्तीसगढ़ में माओवादी सक्रिय हैं। घने जंगलों की वजह से सैन्य बलों को काफी चुनौतियां आ रही है। वहां तैनात सैन्य बलों का मनोबल बढ़ाने के लिए मैंने खुद चिंता गुफा का दौरा किया, जिसे माओवादियों की राजधानी माना जाता है। लेकिन आज वहां भारतीय सुरक्षा बल के जवान रह रहे हैं। यह पहला मौका होगा जब बारिश के दिनों में भी नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। जंगलों में अब भी वे सक्ति्रय हैं। कभी-कभी कुछ लोग कहते हैं कि आप क्यों नहीं एयर स्ट्राइक कर देते हैं। लेकिन पता होना चाहिए कि ऐसी कार्रवाई में निर्दोष गांव वालों के मारे जाने का खतरा है।
प्रश्न- सरकार का ध्यान उन राच्यों तक सीमित जहां माओवादी सक्रिय हैं। लेकिन इसका संचालन महानगरों से किया जा रहा हैं। उत्तराखंड जैसे राज्यों में भी इसका वैचारिक जुड़ाव रहा है?
उत्तर- ऐसी जगहों पर बहुत सावधानी से कदम उठाया जाता है। जैसा कि आप जानते ही हैं कि थोड़ी सी कार्रवाई पर एनजीओ शोर शराबा मचाने लगती हैं। फिर भी कार्रवाई हो रही है और बहुत सारे लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है। दरअसल किसी क्षेत्र में विशेष आपरेशन शुरू होने पर माओवादी दूसरे क्षेत्रों में भी वो पैठ बनाने की कोशिश करते हैं। मध्य प्रदेश भी वो जाने की कोशिश कर रहे हैं। ये फीडबैक हमारे पास है। इसे लेकर हम राज्य सरकारों को समय-समय पर आगाह करते रहते हैं। एक बात साफ कर दूं कि नक्सलवाद के खिलाफ केंद्र सरकार सीधे तौर पर कोई कार्रवाई नहीं करती है। केंद्र राज्य सरकार को जरूरी सहायता मुहैया कराता है। इसमें खुफिया जानकारी और अर्ध सैनिक बल आदि शामिल हैं। कार्रवाई का नेतृत्व राज्य सरकार ही करती है।
प्रश्न- लेकिन सुकमा में 25 जवान मारे गए, उनके साथ राज्य पुलिस का कोई जवान नहीं था। तो क्या राज्य सहयोग नहीं कर रहे हैं।
उत्तर- ऐसा नहीं है। राज्य सरकारें सहयोग कर रही हैं। आपरेशन में राज्य पुलिस सहयोग कर रही है।
प्रश्न- हिजबुल मुजाहिद्दीन आतंकवादी सय्यद सलाहुद्दीन को आंतरराट्रीय आतंकवादी घोषित किया गया। यह एक सांकेतिक बड़ी जीत है। लेकिन जमीन पर क्या फर्क पड़ेगा। वो गिरफ्तार होंगे या उन्हे भारत को सौंपा जाएगा।
उत्तर- कुछ भी हो सकता है। दुनिया के दूसरे देशों में उसकी संपत्ति है, उसे भी जब्त किया जा सकता है। यही प्रावधान है। गिरफ्तारी भी हो सकती है। वहां की सरकार उसकी गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा सकती है।
प्रश्न- आपने कश्मीर सीमा को सील करने की बात कही थी। लेकिन अब भी आतंकी घुसपैठ जारी है। आखिर कब तक सीमा सील हो पाएगी?
उत्तर- कश्मीर ही नहीं, मैंने पूरे पश्चिमी सीमा को सील करने की बात कही थी। पहली बार इस पर गंभीर प्रयास शुरू किया है। हमने आते ही सेवानिवृत गृहसचिव मधुकर गुप्ता के नेतृत्व में इसके लिए कमेटी बनायी थी। उन्होंने विस्तार से बताया है कि सीमा को सील करने के लिए क्या क्या किया जाना है। सभी जगह बाड़ नहीं लगाए जा सकते हैं। कहीं नदी है, कहीं पहाड़ है और कहीं कुछ और है। हम लोगों ने काम शुरु कर दिया है। सीमा को पूरी तरह से चाक-चौबंद करने के अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग किया जा रहा है।
प्रश्न-कश्मीर में धार्मिक कट्टरता घोलने की कोशिश की जा रही है। आतंकी जाकिर मूसा ने शरीयत लागू करने की मांग की है?
उत्तर- मेरा मानना है कि भारत का मुसलमान इसे कतई स्वीकार नहीं करेगा। उन्होंने आइएसआइएस की अपील को अस्वीकार कर दिया। जम्मू कश्मीर समेत देश के अन्य हिस्सों में इस्लाम को मानने वाले मां-बाप नहीं चाहते हैं कि उनका बेटा उग्रवाद की चपेट में आाए। लेकिन इंटरनेट के आगमन के बाद से घर बैठे बच्चे उग्रवाद की ओर अग्रसर हो रहे हैं। घर वालों को भी बाद में पता चलता है। वहां इस्लामिक स्टेट का विरोध करने वाले को काफिर कहा जाता है फिर चाहे वो हिंदू हो या मुसलमान। लेकिन सरकार की ओर से भी ऐसी कोशिशों को रोकने की लगातार कोशिश की जा रही है। गुमराह युवाओं को मुख्यधारा में लाया जा रहा है।
प्रश्न- देश में आतंकी हमले का खतरा बरकरार है। गुरुदासपुर और पठानकोट में आतंकी सीमा पार से घुसपैठ कर हमला करने में सफल रहे हैं। आखिर कब तक उन्हें रोका जा सकेगा?
उत्तर- देश में गुरुदासपुर और पठानकोट को छोड़कर कोई बड़ी वारदात नहीं हुयी है। सुरक्षा बलों ने आतंकवादियों के सफाया करने में कामयाबी हासिल की है। मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूं कि कोई भी देश यह गारंटी नहीं दे सकता कि हमारे यहां आतंकी घटनाएं नहीं होंगी। भारत जैसे देश की बात अलग है। अमेरिका में कितना बड़ा टॉवर धराशायी हो गया। साइबर सिक्योरिटी की दिशा में भी कार्य किया जा रहा है।
प्रश्न- चीन ने कांठमांडू से लेकर चाइना बार्डर तक सड़क बना ली है। लेकिन भारत की ओर सीमा पर सड़कों का बुरा हाल है। इससे निपटने की क्या कोई कार्य योजना?
उत्तर-जहां तक भारत-नेपाल बार्डर का सवाल है। नेपाल बार्डर पर सड़क बनाने की मंजूरी दी गयी है। उत्तर प्रदेश के नेपाल से लगने वाल सीमा पर कार्य जारी है। इस सड़क का निर्माण चार-पांच साल से शुरु हुआ था। मैने उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम से भी इस पर बातचीत की। इस संबंध में पहले भी मुख्यमंत्री से मैं बात कर चुका हूं। उप्र मौजूदा सीएम के समक्ष भी इस मुद्दे को नए सिरे से उठाऊंगा।
प्रश्न- आतंरिक सुरक्षा राज्य का मामला है। लेकिन दिल्ली पुलिस केंद्र के अंतर्गत आती है। वह भी संसाधनों की कमी और अन्य समस्याओं से उसी तरह जूझ रही है, जैसे दूसरे राज्यों की पुलिस जूझ रही है। आखिर क्यों?
उत्तर- मैं मानता हूं कि दिल्ली पुलिस में सुधार की गुजाइंश है। यहां करीब चार हजार पुलिसकर्मियों की भर्ती की जानी है। दिल्ली में अपराध पर नियंत्रण के लिए कई ऐप शुरु किए गए हैं। आनलाइन एफआईआर की शुरुआत की गयी है। लेकिन सिस्टम वहीं पुराना है। ऐसे में सुधार आने में समय लगेगा। लेकिन मैं यह नहीं मानता कि यहां कि स्थिति पहले से खराब हुई है।
प्रश्न- दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का कहना कि हमे दे दो तो दिल्ली पुलिस तत्काल सुधार दूं।
उत्तर-वे दिल्ली पुलिस पर कंट्रोल के बजाय दूसरे कारणों से ज्यादा परेशान रहते हैं।
प्रश्न- दार्जिलिंग में छह साल बाद एक बार फिर हिंसक आंदोलन का दौर शुरू हो गया है। गोरखा जन मुक्त मोर्चा का कहना है कि केंद्र के साथ तो बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन राज्य सरकार के साथ नहीं।
उत्तर- मुश्किल यह है कि जब तक राज्य सरकार उसमें शामिल नहीं होती, तो केंद्र सीधे उसमें दखल नहीं दे सकती है। इस संबंध में राज्य सरकार से भी बातचीत की है।
प्रश्न- उत्तरप्रदेश में भाजपा की सरकार आने के बाद कानून व्यवस्था की बड़ी गंभीर समस्या उत्पन्न हो गयी है। यहां तक कि पुलिस पर भी हमले बढ़ गए हैं?
उत्तर- राज्य के मसले में हम लोग दखल नहीं करते हैं। संघीय ढांचा में राज्यों के अधिकार का सम्मान करते हैं। जहां तक उत्तर प्रदेश है, वहां हमारी सरकार अभी 100 दिन हुए हैं। कानून व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त करने की कोशिश की जा रही है। उत्तर प्रदेश सरकार आत्म विश्र्वास से है और कानून व्यस्था को सुधारने के लिए उनके कार्य जारी हैं।
प्रश्न- योगी सरकार के 100 दिन के कार्यकाल पर कुछ कहना चाहेंगे?
उत्तर-मैं योगी जी को जानता हूं, वो इमैजिनेटिव, क्रिएटिव और डिसाइसिव है। उन्हें समय मिलना चाहिए और वो कामयाब होंगे।
प्रश्न- भाषा को लेकर आंदोलन का नया दौर चला है, जिससे हिंदी की अस्मिता को लेकर सवाल उठते हैं। ऐसे मे क्या आठवीं अनुसूची को खत्म हीं कर दिया जाना चाहिए?
उत्तर- बहुत गंभीर सवाल है..।
प्रश्न- आपने पीएम मोदी के साथ मिलकर नागा पैक्ट की घोषणा की थी। दो साल हो गये है। लेकिन नागा पैक्ट की सच्चाई अभी सामने नहीं आयी है।
उत्तर- नागा पैक्ट पर प्रगति है। फ्रेम वर्क एग्रीमेंट पर काम हो रहा है।
प्रश्न- पिछले कुछ सालों से माब लिंचिंग यानी भीड़ द्वारा पीट-पीटकर मार दिये जाने की घटनाएं बढ़ी हैं। केंद्र सरकार इसे रोकने के लिए क्या कर रही है?
उत्तर- माब लिंचिंग की घटनाएं पहले भी हुआ करती थी। यह गलत है। इसे रुकना ही चाहिए। हम गंभीर हैं। प्रधानमंत्री ने खुद भी सख्त संदेश दिया है।
प्रश्न- अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों को लेकर भाजपा का एजेंडा रहा है। लेकिन तीन साल में अभी तक कोई आंकड़ा नहीं आया कि कितने लोगों को बांग्लादेश भेजा गया ?
उत्तर-ऐसा नहीं है कि उन्हें वापस नहीं भेजा जा रहा है। उन्हें चिन्हित करने का कार्य हो रहा है। दिसंबर 2017 तक यह कार्य पूरा कर लिया जाएगा। इसके लिए ट्रिब्यूनल पहले 36 थे, उस पर कार्य जानबूझकर नहीं किया जा रहा था, उन ट्रिब्यूनल का नंबर बढाकर मैंने 100 कर दिया। वहां के मुख्यमंत्री और अफसर को बुलाकर मैने बैठक की और कहा कि अब इससे आगे हम समय नहीं बढ़ाएंगे। घुसपैठ की संख्या काफी ज्यादा है। इसे प्रारंभ में भी रोका जा सकता था।
प्रश्न- रोहिंग्या मुसलमान बर्मा से चलकर लगभग तीन हजार किलोमीटर दूर कश्मरी तक आ जाता है। इसे रोकने के लिए कोई कार्य नहीं किया जा रहा है।
उत्तर- ध्यान दिया जा रहा है इस ओर।
प्रश्न- पश्चिम बंगाल का मालदा जाली नोटों का सबसे बड़ा हब बन गया है। इसे रोकने के लिए क्या प्रयास किये जा रहे हैं?
उत्तर- देखिए यह सब पड़ोसी देश है। उनको विश्र्वास में लेकर, उन्ही से आग्रह करते हैं कि यह सारी चीजें इधर न आने पाएं। पड़ोसी देश से बातचीत में यह मुद्दा उठाया गया। पहले की अपेक्षा रिकवरी ज्यादा हुई है।
प्रश्न- नागालैंड चाहता है कि बर्मा सीमा खुली रहे, जबकि अरुणाचल प्रदेश चाहता है कि बंद हो जाए। इस पर क्या किया जा रहा है?
उत्तर- वहां सीमा पार शादी व रिश्ते चलते रहते है। इलाज कराने के लिए भी लोग सीमा पार इधर से उधर आते जाते रहते हैं। भारत-बर्मा सीमा पर भी पुलिस स्टेशन बनने चाहिए और उस पर और कार्य करना चाहिए। इसपर काम किया जा रहा है।
प्रश्न- पंजाब और हरियाणा के बीच पानी बंटवारे को लेकर ठनी हुई है। दोनों के बीच तनाव कम करने लिए क्या उपाय किये जा रहे हैं?
उत्तर- इस संबंध में मैंने हरियाणा और पंजाब के मुख्यमंत्री से बातचीत कर समस्या का हल निकालने के लिए कहा है। जरुरत पड़ने पर राजस्थान के मुख्यमंत्री को भी इसमें शामिल किया जा सकता है। अभी हाल ही में चंढ़ीगढ़ में जोनल काउंसिल की हुई थी। जिसमें सारे मुख्यमंत्रियों को बुलाया गया था। इसमें भी पंजाब और हरियाणा के मुख्यमंत्री ने आपसी सहमति से समस्या के समाधान की बात कही है।
प्रश्न- उत्तरप्रदेश में कर्ज माफी की घोषणा कर सरकार बनाना भाजपा के गले की फांस तो नहीं बन गया है? अब हर राज्य मजबूर हो रहा है।
उत्तर- इस प्रश्न को अलहदा रखकर मैं यह कहना चाहूंगा कि किसानों की हालत में सुधार होना चाहिए। यह बात सही है कि कुछ लोग कर्ज के बोझ तले दबे हैं।
प्रश्न- केंद्र सरकार इसके खिलाफ है। लेकिन आपके मुख्यमंत्रियो को कर्ज माफी करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
उत्तर- यह उत्तर प्रदेश में चुनावी घोषणापत्र में था। किसानों के हालात में सुधार होना चाहिए, जिन राज्यों को करना है करें। ऐसा नहीं है कि इसकी शुरुआत उत्तर प्रदेश से हुई है। इससे पहले भी यह कर्ज माफी की मांग उठती रही है। राज्य सरकार की तो छोडि़ए, इससे पहले मनमोहन सरकार के समय में केंद्र सरकार की ओर से कर्ज माफी की गयी है।
प्रश्न- प्रशानिक व्यवस्था के लिहाज से एनडीए हमेशा छोटे राज्यों का समर्थन करती रही है। क्या वर्तमान स्वरुप में उत्तर प्रदेश के विभाजन की संभवना है?
उत्तर- नहीं, बिल्कुल नहीं! उत्तर प्रदेश में विभाजन के पक्ष में नहीं हूं। मैं समझता हूं कि शायद उत्तर प्रदेश ही इसे स्वीकार न करे।
प्रश्न- राष्ट्रपति उम्मीदवार के लिए जिस तरीके से आप लोगों ने मंत्रणा की, उप पर विपक्ष की ओर से काफी सवाल उठे। क्या उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर विपक्ष से मंत्रणा होगी?
उत्तर- क्यों नहीं होगी मंत्रणा। राष्ट्रपति चुनाव के लिए भी तो मैं सोनिया जी के यहां गया था, वैकेंया जी हमारे साथ थे। ऐसे पहले तो कभी नहीं हुआ था।
प्रश्न- रामनाथ कोबिंद के नाम को जो ऐलान था, क्या वो महागठबंधन को तोड़ने की कोशिश नहीं थी?
उत्तर- नहीं तोड़ने की नहीं हम जोड़ने की कोशिश करते हैं। महागठबंधन विपक्ष का आंतरिक मामला है। वैसे समर्थन के लिए मैं नीतीश जी को धन्यवाद देता हूं।
प्रश्न- पुलिस बल की भारी कमी है। राज्य संसाधनों की कमी का हवाला देकर भर्ती नहीं कर रहे हैं?
उत्तर-राज्य करते हैं। ऐसा नहीं है कि राज्यो के पास संसाधनो की कमी है। मैं खुद मुख्यमंत्री रहा हूं। लॉ एडं आर्डर राज्य का विषय है। पुलिस नवीनीकरण की दिशा में कुछ बाधा आयी थी। केंद्र की ओर से राज्यों को फंड दिया गया। देखिए काम तो राज्य सरकार को ही करना है। केंद्र की ओर से राज्य को दिया जाने वाला फंड 32 से बढ़ाकर 42 फीसद कर दिया गया था। लेकिन बाद में राज्यों ने पहले जैसा करने की मांग की है। उस पर काम जारी है।
प्रश्न- सीमा पर पांच किमी दायरे को बीसीएसएफ के अधिकार क्षेत्र में देने की बात कही जा रही थी?
उत्तर- नहीं ऐसा नहीं है। राज्य पुलिस तो रहेगी। ऐसे सुझाव आते रहते हैं। लेकिन इस पर कोई निर्णय नहीं हुआ है।
प्रश्न- अर्धसैनिक बलों का बलिदान आर्मी से कम नहीं है। लेकिन उनके भत्तों में काफी अंतर है। इसको लेकर सरकार क्या कर रही है?
उत्तर- धीरे-धीरे सुधार कर रहे हैं। पहले अर्धसैनिक बल शहीद होते थे, तो परिवार के सदस्यों को 50 -60 लाख के आसपास आर्थिक मदद मिलती थी। अभी हाल में मैंने भारत के वीर पोर्टल लांच किया है। जिसमें काफी पैसा आ गया है। मैंने निर्देश दिया है कि किसी भी शहीद परिवार को एक करोड़ से कम की आर्थिक सहायता न दी जाए। इसके साथ ही शहीद के उस वक्त के वेतन के बराबर पैसा उसकी पत्नी को आजीवन मिलता रहेगा। ये सारे कदम सरकार की ओर उठाए गए हैं।
प्रश्न- आइटीबीपी में पिछले पांच-छह सालों से प्रमोशन बंद है?
उत्तर- अर्द्धसैनिक बलों के इतिहास में जो कांस्टेबल होता तो उसी पद पर रिटायर होता था, लेकिन हमारे सत्ता में आने के एक वर्ष में 35 हजार ऐसे कांस्टेबल का प्रमोशन किया। धीरे-धीरे कदम उठा रहे हैं।
प्रश्न- बिहार में 2015 विधानसभा चुनाव में आपने काफी कैंपेन किया। लेकिन जीत नहीं मिल सकी। बिहार की परियोजनाओं के लिए काफी फंड की घोषणा की गई थी। वह कब तक जारी किया जाएगा?
उत्तर- आप जानकारी लीजिए। घोषणा प्रधानमंत्री के स्तर से हुई है और मैं कह सकता हूं कि पैसा जारी होना शुरू हो चुका होगा।