नरेंद्र मोदी की विजय शंखनाद रैली के मंच से भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने गोरखपुर विश्वविद्यालय से एमएससी की पढ़ाई पूरी करने की याद दिलाकर खुद को पूर्वाचल से जोड़ने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि वह यहां के लोगों का दर्द समझते हैं, विश्व के सांस्कृतिक मानचित्र पर यहां की महत्ता को जानते हैं। लोकसभा चुनाव में यहां की सभी 13 सीटों पर भाजपा का पताका फहराने का आश्वासन मांगा और यहां के गन्ना किसानों, बेरोजगारों, धान-गेहूं की सरकारी खरीद, बिजली की समस्याएं उठाकर सपा सरकार के दो साल के कार्यकाल-कार्यप्रणाली को कटघरे में खड़ा किया। उन्होंने भीड़ को समझाने की कोशिश की कि सुशासन के लिए कांग्रेस मुक्त भारत चाहिए और सुशासन भाजपा ही दे सकती है। भाजपा ही ऐसी पार्टी है जिसने न तो कभी कांग्रेस का समर्थन किया और न दिया। राजनाथ सिंह ने भाषण की शुरुआत तो उत्तर प्रदेश की सपा सरकार पर हमले से जरूर की लेकिन बसपा और कांग्रेस को भी निशाने पर रखा। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर इस सरकार के कार्यकाल में ही दंगे, सांप्रदायिक तनाव क्यों होते हैं। जवाब भी उन्होंने समझाया और बताया कि एक ही वजह है यह सरकार मजहब व धर्म के आधार पर काम करती है, वोट बैंक की खातिर संप्रदाय विशेष की राजनीति करती है। सपा सरकार ने सूझबूझ से काम लिया होता तो मुजफ्फरनगर का दंगा नहीं होता। यह ऐसी सरकार है जो आतंकवाद के आरोपियों से मुकदमा वापस लेना चाहती है। धन्यवाद देना होगा न्यायपालिका को, जिसने उसके इस मंसूबे पर पानी फेर दिया। बसपा व कांग्रेस भी संप्रदाय विशेष की राजनीति करने के मामले में कतई पीछे नहीं है। धर्म व मजहब के आधार पर बच्चों को छात्रवृत्ति दिया जाना उदाहरण है। सपा-बसपा ने तो ऐसा किया ही, केंद्र की कांग्रेस सरकार भी यही कर रही है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी भाजपा पर हिन्दुस्तान को बांटने का आरोप लगाती हैं, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कहते हैं कि नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने तो देश बर्बाद हो जाएगा, यह तो वही हुआ कि सूप बोले तो बोले, चलनी का बोले जा में 70 छेद। कांग्रेस के समय में तो हजारों दंगे हुए। अरे सेकुलर है तो सिर्फ भाजपा, जिसके कार्यकाल में दंगे नहीं हुए। यदि कभी तनाव पैदा भी हुआ तो 10-15 घंटे में समाप्त हो गया। राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार कैसे चलाई जाती हैं यह वहां जाकर देखना चाहिए जहां भाजपा की सरकारें हैं। गुजरात के विकास का तो दुनिया के बड़े अर्थशास्त्री भी सराहना कर चुके हैं। भाजपा की सरकार बनने पर उन्होंने किसानों के लिए कृषि बीमा आमदनी योजना लागू करने का वादा किया। इस योजना में यदि किसी कारण खेती को नुकसान भी हुआ तो उसकी भरपाई बीमा कंपनी करेगी।