हमारी सरकार का ध्येय है कि तीनों सेनाओं के बीच एकजुटता तथा एकीकरण को और बढ़ावा मिले- रक्षा मंत्री

Text of RM’s speech at the Tri-Services Seminar in New Delhi.

Indian Air Force  द्वारा, Jointness जैसे महत्वपूर्ण विषय पर आयोजित, इस सेमिनार में, आप सबके बीच आकर, मुझे बड़ी ख़ुशी हो रही है।

मैं सबसे पहले, भारत माता की सेवा कर रहे, प्रत्येक जवान को नमन करता हूँ, साथ ही मातृभूमि की रक्षा के लिए, अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले जवानों के प्रति श्रद्धांजलि व्यक्त करता हूँ।

साथियों, इस सेमिनार की जो theme है, “Fostering Greater Jointness – Synergy through Shared Learning in the domain of Inspection and Audits, Aviation Standards and Aerospace Safety”, यह theme अपने आप में इतनी relevant है, कि इस पर बात करना, इस पर विचार करना, समय की जरूरत है। इस पहल के लिए, मैं Indian Air Force समेत, सभी stakeholders को अपनी ओर से बधाई देता हूँ।

साथियों, Jointness आज हमारी national security, और operational effectiveness की, मूलभूत आवश्यकता बन चुकी है। अभी कुछ दिन पहले, कोलकाता में, Combined Commanders Conference का आयोजन हुआ था।

वहाँ CDS समेत, हमारी तीनों ही सेनाओं के chief भी मौजूद थे। उस कॉन्फ्रेंस में, प्रधानमंत्री जी ने भी, अपने संबोधन में, jointness और integration पर काफी बल दिया। हमारी सरकार का तो ध्येय ही यही है, कि हम तीनों ही सेनाओं के बीच, jointness तथा integration को और बढ़ावा दें।

हमारी सेनाएँ, न सिर्फ दुनिया की सर्वश्रेष्ठ सेनाओं में गिनी जाती हैं, बल्कि उनके values और उनकी approach की भी पूरी दुनिया में सराहना होती है। हमारी, हर service की अपनी गौरवशाली परंपरा रही है, अपनी पहचान रही है।

साथ ही दशकों के अनुभव से उनकी operational techniques, tactics और procedures भी develop हुई हैं।

हमारी सेनाओं का यह जो अनुभव है, वह देश की अलग-अलग geographical conditions में हुए Operations, और उसके लिए लगातार किये जा रहे प्रयासों से आया है | कभी हिमालय के ऊँचे बर्फीले शिखरों पर, कभी हिंद महासागर की गहराइयों में, कभी घने जंगलों और तपते रेगिस्तानों में, और कभी आसमान में, open skies में, लगातार काम करके,

इतना व्यापक अनुभव हमारी सेनाओं के पास आया है। यह अनुभव पीढ़ी दर पीढ़ी, हमारी सेनाओं में transfer भी होता गया।

लेकिन इसमें एक चीज ध्यान देने वाली है, कि जो values, जो experience, हमारी सेनाओं में, समय के साथ transfer होते गए, वो धीरे-धीरे किसी एक ही particular service के part बनकर रह गए। यानी अगर हमारी Army ने कोई नई चीज सीखी, तो वह knowledge, Army में ही रह गई। अगर Navy ने कोई चीज सीखी, तो वह knowledge, navy में ही रह गई। अगर Air Force ने कोई चीज सीखी, तो वह knowledge, air force में ही रह गई।

कहने का मतलब है, कि जिसने जो भी सीखा, उसकी वह सीख, खुद तक ही सीमित रह गई। किसी दूसरी सेना के अंग को, उस experience का उतना फायदा शायद नहीं मिला, जितना कि मिल सकता था।

अब, जब हम आज की दुनिया पर नजर डालते हैं, तो हमें इस बात को स्वीकार करना पड़ेगा, कि आज दुनिया बहुत तेजी से बदल रही है। 21वीं सदी में, security का स्वरूप काफी बदल चुका है। Threats, पहले से कहीं अधिक complex हो गए हैं। आज Land, Sea, Air, Space और Cyberspace, ये सभी domains आपस में गहराई से जुड़ गए हैं।

ऐसे समय में कोई भी service, यह सोचकर अलग-थलग नहीं रह सकती, कि अपने domain में वह अकेले ही सब संभाल लेगी। निश्चित रूप से हमारी हर service के पास यह capability है, कि वह अगर चाहे, तो अकेले किसी भी चुनौती का सामना कर सकती है। लेकिन आज के दौर में, जिस तरह की चुनौतियां हमारे सामने आ रही हैं, उसमें बेहतर विकल्प यही है, कि हम इन चुनौतियों का मिलकर सामना करें। इन चीजों को ध्यान में रखते हुए, Inter-operability और jointness, अब केवल desirable goals नहीं रह गए, बल्कि अब ये operational necessity बन चुके हैं।

अभी हाल ही में, हमारी सेनाओं ने Operation Sindoor को अंजाम दिया। यह ऑपरेशन इस बात का प्रमाण है, कि जब हमारी सेनाएँ मिलकर काम करती हैं, तो उनकी combined strength कितनी बढ़ जाती है।

साथियों, इस Operation के दौरान, भारत ने अपने air defence में, jointness का एक ज़बरदस्त प्रदर्शन किया, जो decisive साबित हुआ। Indian Air Force का, Integrated Air Command and Control System, यानि IACCS, जिसको Indian Army के Akashteer, और Indian Navy के Trigun के साथ seamlessly integrate किया गया,

इस सफलता का मूल आधार था । इन systems की tri-service synergy ने, एक unified, और real-time operational picture create की, जिससे commanders को तुरंत, सही समय में, और सही फ़ैसले लेने की शक्ति मिली। इसमें, IACCS ने Akashteer और Trigun के साथ मिलकर, backbone की तरह काम किया, और command and control को एक नए स्तर तक ले गया। इनके माध्यम से सिर्फ situational awareness ही नहीं बढ़ी, बल्कि fratricide का जोखिम भी बहुत कम हुआ, जिससे हर action accurate और effective बना। यही है असली jointness,

जहाँ हमारी तीनों Services, एक साथ आकर, unity और clarity के साथ decisive outcomes को achieve करती हैं I

यह Jointness हमारी सेनाओं के लिए, क्यों जरूरी है, और यह कितना फायदेमंद हो सकता है, इसके कुछ और उदाहरण मैं आपको दूंगा। हमारी सेनाओं ने, वर्षों के अनुभव से, अपने-अपने inspection और audit systems develop किए हैं। Peace time की day-to-day preparedness से लेकर, conflicts के दौरान सीखे गए कठिन सबक तक, ये systems समय के साथ विकसित हुए हैं। \

लेकिन आज के integrated operations के युग में, यह जरूरी हो जाता है, कि ये systems, एक-दूसरे से seamlessly जुड़े रहें। यह बिल्कुल सामान्य सी बात है, कि यदि हमारे inspection और safety standards अलग-अलग रहेंगे, तो मुश्किल समय में confusion पैदा होगी।

दूसरी ओर, ऐसी स्थिति में decision-making धीमी हो जाएगी। एक छोटी technical गलती भी, cascading effect पैदा कर सकती है। लेकिन जब standards aligned होंगे, जब inspection और audit reports सभी services द्वारा universally accepted होंगी,

तो उस स्थिति में हमारा coordination भी smooth होगा, और हमारे soldiers का confidence भी बढ़ेगा।

इसके अलावा, आजकल हमारे सामने एक नया खतरा, cyber attacks, और information warfare का भी है। इन challenges के संदर्भ में भी, एक बड़ी जरूरी बात उभर कर सामने आई है। अगर हमारी सेनाओं के cyber defense systems, अलग-अलग services के लिए, अलग-अलग standards पर operate करेंगे, तो उनके बीच एक gap create होगा। फिर उस gap को exploit कर पाना, हमारे adversaries के लिए,

या किसी भी hacker के लिए possible हो सकता है। इसलिए हमें, cyber और information warfare के standards भी unify करने होंगे।

साथियों, मैं यहाँ एक बहुत महत्वपूर्ण बात को साफ़ करना चाहता हूँ। जब हम standar-disation की बात करते हैं, तो इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है, कि हमारी हर service की अपनी uniqueness ही खत्म हो जाए। हमारी तीनों services की अपनी ताकत, अपनी विशिष्टता, और अपनी कार्यशैली है। हमारी तीनों ही सेनाएँ अलग-अलग situations में काम करती हैं।

और इसी वजह से उनके सामने आने वाली challenges भी अलग-अलग होते हैं। हम same procedure, हर service पर थोप नहीं सकते।

हिमालय की ऊँचाइयों पर तैनात, किसी army aviation detachment के सामने जो challenges होंगे, वह desert में काम कर रहे किसी air force squadron की चुनौतियों से पूरी तरह अलग होंगे। एक तरफ extreme cold की situation है, तो दूसरी तरफ extreme heat की situation है। अब अगर हम यह कहें, कि हर जगह एक जैसे procedures अपनाएं जाएँ,

तो यह न केवल impractical होगा, बल्कि हमारी forces की क्षमताओं को भी सीमित कर देगा।

इसलिए हमारा goal यह होना चाहिए, कि हम एक shared baseline तैयार करें। एक ऐसा framework तैयार करें, जो inter-operability और mutual trust को मजबूत करे। ताकि जब अलग-अलग services एक साथ काम करें, तो हर कोई यह भरोसा रख सके, कि उनकी processes और कार्यशैली में तालमेल है।

यह shared baseline कैसे बनेगा, इसकी क्या रूपरेखा होनी चाहिए, इन तमाम मुद्दों पर आप सभी Officers बैठकर brainstorming करिये।

रक्षा मंत्रालय से जो भी सहयोग आपको चाहिए, हर तरीके से ministry आपके साथ co-operate करेगी। इस दिशा में आगे बढ़ना, समय की जरूरत है। मुझे पूरा विश्वास है, कि आप सभी तीनों ही सेनाओं, Coast Guard, BSF और DGCA के बड़े अधिकारी, इस ओर प्रयास कर ही रहें होंगे, और आगे भी इसे तेज़ी से बढ़ाएंगे ।

साथियों, यह स्वाभाविक सी बात है, कि जब हम jointness की ओर बढ़ रहे हैं, तो कई प्रकार की चुनौतियाँ भी हमारे समक्ष आएँगी। कोई भी बदलाव लाना, हमारे लिए आसान तो बिल्कुल नहीं होगा।

क्योंकि यहाँ केवल policy बदलने का सवाल नहीं है, बल्कि यह mindset, और approach बदलने का काम है।

इसके लिए हमें, sustained dialogues की आवश्यकता होगी। यानी, लगातार बातचीत, विचार-विमर्श, और एक-दूसरे को समझने का प्रयास हमें करते रहना होगा। हर service को यह अनुभव होना चाहिए, कि दूसरा पक्ष उनकी परिस्थितियों और चुनौतियों को समझ रहा है। इसके साथ ही, हर service को एक दूसरे की परंपराओं, और heritage का सम्मान भी बनाए रखना होगा।

ऐसी स्थिति में Leadership का role भी बहुत important हो जाता है । उनको हर स्तर पर, यह स्पष्ट करना होगा, कि यह बदलाव कैसे आएगा, और सबसे महत्वपूर्ण, यह बदलाव क्यों जरूरी है। जब हर सैनिक, हर अधिकारी, हर कर्मचारी यह समझ ले, कि jointness उनकी सुरक्षा, क्षमता, और मिशन की सफलता के लिए आवश्यक है, तभी हम jointness और integration की ओर मज़बूती से आगे बढ़ पाएँगे।

साथियों, इसके लिए हम International level पर मौजूद best practices से सीख सकते हैं। लेकिन हर देश की अपनी परिस्थितियाँ होती हैं।

इसलिए हमें अपने solutions, भारत की necessities के अनुसार ही विकसित करने होंगे। इस तरह, बातचीत, समझदारी और context-specific solutions के जरिए ही, हम एक ऐसा system बना सकते हैं, जो modern, capable और हर service के लिए useful होगा।

साथियों, jointness के उदाहरण हम सब अपने बचपन से ही सुनते आए हैं। जब हम अपनी कहानियों पर गौर करेंगे, तो हम पाएँगे कि आज हम जिस Jointness की बात कर रहे हैं, उसके example तो हमारी संस्कृति में ही मौजूद हैं।

अभी दो दिन बाद ही हम, दशहरा का पर्व मनाने जा रहे हैं। यह पर्व असत्य पर सत्य की विजय, और अधर्म पर धर्म की स्थापना का प्रतीक है। हम सब जानते हैं, कि दशहरा के दिन ही मां दुर्गा ने असुरों का संहार किया था। मां दुर्गा की कथा के बारे में भी आप सब जानते होंगे।

कथा कहती है, कि जब महिषासुर जैसे दैत्य का आतंक बढ़ गया, तो उसके वरदान के कारण देवता उसे परास्त नहीं कर पा रहे थे। देवता जब उससे लड़ नहीं पा रहे थे, तब देवताओं ने शक्ति का आह्वान किया। देवताओं ने सोचा, कि अगर सब देवताओं की शक्तियाँ मिल जाएँ, एक हो जाएँ, तो ही यह संकट समाप्त हो सकता है। फिर सभी देवताओं की ऊर्जा, उनका सामर्थ्य, उनका तेज़ एक साथ समाहित हुआ, और माँ दुर्गा के रूप में एक नवीन शक्ति प्रकट हुई।

उनके त्रिशूल में भगवान शिव की शक्ति थी, उनके सुदर्शन चक्र में भगवान विष्णु का सामर्थ्य था, उनके वज्र में देवराज इंद्र की शक्ति थी। ऐसे ही उनके हर अस्त्र-शस्त्र में, अलग-अलग देवताओं की ऊर्जा समाई हुई थी। माँ दुर्गा इसी seamless integration, और joint-ness का सर्वोत्तम प्रतीक हैं। जब यह संयुक्त शक्ति प्रकट हुई, तब महिषासुर जैसे अराजक और विध्वंसकारी बल का अंत हुआ।

यह कथा हमें संदेश देती है, कि जब चुनौतियाँ बड़ी हों, जब संकट असाधारण हो, तब कोई भी शक्ति अकेले पर्याप्त नहीं होती। लेकिन जब अलग-अलग क्षमताएँ, अलग-अलग शक्तियाँ, अपनी विशेषताओं को बनाए रखते हुए, किसी लक्ष्य के लिए एक हो जाती हैं, तब वह शक्ति अजेय हो जाती है। आज हमारी तीनों सेनाओं के लिए भी, यह कथा उतनी ही प्रासंगिक है।

साथियों, अगर सभी देवताओं के सामर्थ्य से उत्पन्न शक्ति, असुरों का संहार कर सकती है, तो हम भी इस आधुनिक युग में, उस महान परंपरा से प्रेरणा लेकर,

एकजुट होकर भारत को हर चुनौती से सुरक्षित कर सकते हैं। मुझे विश्वास है, कि हम भारत की परम्परा से सीख लेते हुए, इन परिवर्तनों को आत्मसात करेंगे।

साथियों, मुझे यह कहते हुए खुशी होती है, कि हमारी तीनों Armed forces में, strong digital platforms ने पहले ही, logistics और inventory management को पूरी तरह बदल दिया है। इसके कुछ examples मैं आपके सामने रखना चाहता हूँ।

Indian Army में आप देखें, तो Army का Computerised Inventory Control Group, यानी C-I-C-G, ammunition, और critical spares को track करने के लिए,

R-F-I-D, और E-R-P based analytics जैसी technologies का उपयोग करके,  एक real-time, automated backbone प्रदान कर रहा है, ताकि accuracy, accountability और operational readiness को ensure किया जा सके।

इसके अलावा Indian Air Force का, Integrated Materials Management Online System, यानी IMMOLS भी, हर  component की enterprise-wide visibility देता है। यह procurement, budgeting, audit, और e-voucher processes को आपस में जोड़ता है,

ताकि aircraft serviceability, कभी भी parts की कमी के कारण compromise न हो।

Indian Navy में भी, Integrated Logistics Management System है, जो provisioning, stock control और financial oversight को अपने dockyards, और fleet units में integrate करता है, जिससे complex maritime supply chain में transparency, और गति आती है।

साथियों, इन service-specific systems ने, हमारी preparedness को मजबूत किया है। लेकिन जैसे-जैसे joint operations और tri-service commands,

हमारे national defence posture का centre बनते जा रहे हैं, उसके बाद अब हमारा अगला strategic कदम, एक Pan-India, Integrated Tri-service Inventory Management Platform बनाने का होना चाहिए। ऐसा common digital backbone, जो हर service की unique जरूरतों का सम्मान करे, critical stocks की shared visibility प्रदान करे, spares और infrastructure के cross-service optimisation को सक्षम करे, redundant procurement को घटाए, और commanders को unified logistics picture दे।

इन्हीं चीज़ों को ध्यान में रखते हुए, C-I-C-G phase 3 के proposal पर, DAC meeting में चर्चा के दौरान, मैंने निर्देश दिया, कि एक Pan-India Integrated Tri-service Inventory Management Platform विकसित किया जाना चाहिए। मुझे यह जानकर खुशी हुई, कि Tri Services Logistics Application पर काम शुरू हो चुका है, जो तीनों services के platforms के network, और database का उपयोग करके, तीनों services की complete inventory की visibility के साथ-साथ,  inter-service transfer of stores को भी संभव बनाएगा।

हमें यह संकल्प लेना होगा, कि हम पुराने silos को तोड़ेंगे। हम एक साथ jointness की ओर बढ़ेंगे। जब हमारी तीनों सेनाएँ, एक स्वर, एक लय और एक ताल में operate करेंगी, तभी हम किसी भी adversary को हर मोर्चे पर जवाब दे पाएँगे और राष्ट्र को समग्रता के साथ, नईं ऊंचाइयों पर ले जाएँगे |

इस अवसर पर अधिक कुछ न कहते हुए, मैं एक बार फिर Indian Air Force को अपनी शुभकामनाएं देता हूँ। मैं इस seminar के fruitful outcome की कामना करता हूँ, और अपनी बात को समाप्त करता हूँ।

आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद I

जय हिन्द!